देश की राजधानी दिल्ली में समाजसेवा खास तौर पर बालसेवा के क्षेत्र में एक जाना माना नाम है- श्री जी।आर.एस. यादव भाई ‘‘निर्मोही‘‘ का, जिन्होंने अपनी सुयोग्य सहधर्मिणी के सहयोग से आजीवन समाजसेवा करने के अपने व्रत में पत्नी-बिछोह के बाद भी कोई अन्तर नहीं आने दिया। महात्मा गांधी और आचार्य बिनोवा भावे के आदर्शों पर चलकर ‘सादा जीवन उच्च विचार‘ के सिद्धान्त का पालन करने वाले सुसंस्कारित परिवार के धनी यादव भाई यद्यपि अपनी कर्तव्य-परायण पत्नी श्रीमती सरला यादव ‘क्रान्ति के‘ सन् 1984 में कृष्ण जन्माष्टमी के दिन हुए असामयिक निधन के बाद अकेले पड़ गये थे फिर भी वे अपने सेवा-पथ से विचलित नहीं हुए। अपनी कर्तव्यनिष्ठा, लगन एवं धैर्य के बल पर अपने चार पुत्रों तथा एक पुत्री को पढ़ा-लिखा कर सुव्यवस्थित कर यादव भाई अब अपना अधिकांश समय समाज-सेवा में ही लगाते हैं।
उत्तर प्रदेश के कन्नौज शहर में सन् 1929 की शिवरात्रि को जन्में और फतेहगढ़ जिलान्तर्गत भोलेपुर में बचपन बिताने वाले यादव भाई को अपने जीवन के प्रारम्भिक काल में अपने पिता, विख्यात आर्यसमाजी नेता श्री सन्तव्रत यादव ‘वानप्रस्थी‘ तथा माता श्रीमती सुशीला देवी यादव का स्नेहपूर्ण मार्ग दर्शन प्राप्त हुआ और वे अपनी प्रतिभा के बल पर एक के बाद दूसरी परीक्षाएं उत्तीर्ण करते हुए निरंतर आगे बढ़ते गये। इन्होंने एम0ए0 (अर्थशास्त्र) तथा पत्रकारिता व ‘बाल मनोविज्ञान‘ की उपाधियां प्राप्त की और केन्द्रीय सरकार के सचिवालय में अनेक महत्वपूर्ण पदों पर प्रथम श्रेणी के राजपत्रित अधिकारी के रूप में काम करते हुए सन् 1972 से 1977 तक प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के साथ सहायक निजी सचिव के रूप में काम करने का सौभाग्य भी प्राप्त किया। 30 जून सन् 1987 को ये सरकारी नौकरी से सेवा-निवृत्त हुए। यादव भाई अपने सरकारी कामों को अंजाम देते हुए भी बालकनजी-बारी, बाल सेवक बिरादरी, भारत सेवक समाज, मित्र संगम, आल इण्डिया ब्वाय स्काउट एसोसियेशन इत्यादि सेवा-संस्थाओं से जुड़े रहे हैं। यही नहीं श्री यादव समय निकाल कर डाक टिकटों व सिक्कों के संग्रह जैसे अपने शौक भी पूरा करते रहते हैं। पढ़ना-लिखना, सामाजिक सांस्कृतिक एवं साहित्यिक गतिविधयों में भाग लेकर अपने विश्व मैत्री के अभियान को आगे बढ़ाना आदि इनको व्यस्त रखने वाले कार्य हैं। इंग्लैण्ड, अमेरिका तथा यूरोपीय देशों की यात्राएं कर चुके यादव भाई अपने सौम्य एवं मृदुभाषी स्वभाव, मिलनसारिता एवं निश्छलता के चलते काफी लोकप्रियता भी अर्जित कर चुके हैं। ‘‘यदुकुल‘‘ श्री जी.आर.एस. यादव भाई की लम्बी उम्र एवं अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए आशा करता है कि वे इसी प्रकार अनवरत समाज सेवा में संलग्न रहकर युवा पीढ़ी के लिए प्रकाश पुंज बनें।
सम्पर्कः जी0आर0एस0 यादव भाई, 28-प्रधानमंत्री सचिवालय अपार्टमेन्ट्स, विकासपुरी, नई दिल्ली-110018
Mahila Samman Savings Certificate : Varanasi Region at top in Uttar
Pradesh, 21,000 women invested more than Rs. 1 billion
-
Post Office Savings schemes are very popular among public. People have
been investing in these from generation to generation. Postmaster General
of Vara...
2 घंटे पहले
11 टिप्पणियां:
वृद्धावस्था में सक्रियता न सिर्फ मनुष्य को नए आयाम देती है बल्कि समाज को भी नयी राह दिखाती है. यादव भाई इसके उदहारण हैं !!
सुन्दर जानकारी, अनुपम प्रतिभा !!
इंदिरा गाँधी जैसी महान शख्शियत के साथ कार्य करना स्वयं में महान उपलब्धि है. यादव भाई तुसी ग्रेट हो .
यादव भाई के बारे में जानकर अच्छा लगा. गतिविधियाँ बनी रहें.
स्वागत है !
वास्तव में यदि वृ्द्धावस्था को अभिशाप मानने की अपेक्षा व्यक्ति सक्रियता दिखाए तो आने वाली पीढी के लिए सचमुच मार्गदर्शक की भूमिका का निर्वहन कर सकता है.
बहुत अच्छा! सुंदर लेखन के साथ चिट्ठों की दुनिया में स्वागत है। चिट्ठाजगत से जुडऩे के बाद मैंने खुद को हमेशा खुद को जिज्ञासु पाया। चिट्ठा के उन दोस्तों से मिलने की तलब, जो अपने लेखन से रू-ब-रू होने का मौका दे रहे है का एहसास हुआ। आप भी इस विशाल सागर शब्दों के खूब गोते लगाएं। मिलते रहेंगे। शुभकामनाएं।
यादव जी के बारे में पढ़कर अच्छा लगा और बहुत प्रेरणा मिलती है।
ऐसे लोगों के बारे में पढ़कर प्रेरणा मिलती है.
कर्मशील लोग कभी भी वृद्ध नहीं होते.
प्रेरणादायक व्यक्तित्व की जानकारी देने के लिए आभार!
एक टिप्पणी भेजें