रविवार, 17 मई 2009

कहाँ जा रही है यादवी राजनीति ??

उत्तर प्रदेश भारत का न सिर्फ सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य है बल्कि राजनैतिक तौर पर भी उतना ही महत्वपूर्ण है। देश को सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री देने वाला यह राज्य इस समय राजनैतिक तौर पर संक्रमण काल से गुजर रहा है। जहाँ अन्य राज्यों में लड़ाई दो दलों के बीच होती है, वहीं उत्तर प्रदेश में कांग्रेस, भाजपा, सपा एवं बसपा सहित चार दलों के बीच सीधी टक्कर देखने को मिलती है। इन सब के बीच उत्तर प्रदेश लोकसभा में सर्वाधिक 80 सांसद भेजता है। राजनैतिक समीकरणों के साथ-साथ जातीय समीकरण भी यहाँ काफी महत्व रखते हैं। जिस उत्तर प्रदेश को कभी यादवी राजनीति के गढ़ के रूप में देखा जाता था, वहाँ इस लोकसभा चुनाव में निर्वाचित यादव सांसदों की संख्या मात्र 05 है। इनमें समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव (मैनपुरी), उनके पुत्र अखिलेश यादव (कन्नौज एवं फिरोजाबाद), उनके भतीजे धर्मेन्द्र यादव (बदायूँ), रामकिशुन यादव (चन्दौली) एवं सपा से बगावत कर भाजपा का आजमगढ़ में पहली बार खाता खोलने वाले रमाकान्त यादव हैं। इतने ही प्रत्याशियों ने निकटतम प्रतिद्वंद्वी के रूप में दूसरा स्थान प्राप्त किया-डी0 पी0 यादव (बसपा, बदायूं), मित्रसेन यादव (बसपा, फैजाबाद), संग्राम सिंह यादव (बसपा, बलिया), पारसनाथ यादव (सपा, जौनपुर) एवं कैलाश नाथ यादव (बसपा, चन्दौली)।

बिहार भी यादवी राजनीति का गढ़ माना जाता है। वहाँ से लालू प्रसाद यादव स्वयं पाटलिपुत्र की सीट अपने पुराने मित्र रंजन प्रसाद यादव से हार चुके हैं तो सारण सीट ने उनका वरण किया है। शरद यादव मधोपुरा से सांसद निर्वाचित हुए हैं। भारतीय राजनीति में यह जुमला लम्बे समय से दोहराया जाता था कि यदि मुलायम और लालू आपस में मिलकर राजनीति करें तो यादवों की पौ बारह होगी। दुर्भाग्यवश ऐसा कुछ नहीं हुआ। यादवों के नाम पर राजनीति करने वाली समाजवादी पार्टी एवं राष्ट्रीय जनता दल के लिए यह अन्तःविश्लेषण का समय है कि आखिरकार उनकी इतनी दुर्गति क्यों हुई। यदि वक्त रहते वह निष्पक्षता से इसका उत्तर नहीं ढूंढ़ पाये तो आगामी पीढ़ियों को एक गलत संदेश जाएगा!!

5 टिप्‍पणियां:

KK Yadav ने कहा…

Sundar Vishleshan !!

KK Yadav ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Amit Kumar Yadav ने कहा…

मुलायम-लालू अपने घर वालों और चापलूसों से दूर रहना सीख लें, तो सत्ता दूर की कौड़ी नहीं है.

RAJNISH PARIHAR ने कहा…

yadav neta is baar apna prbhav nahin dikha paye...aatm manthan ka daur jaari hai...

बेनामी ने कहा…

...वहीँ जहाँ यादव राजनेता ले जा रहे हैं.