शुक्रवार, 21 अगस्त 2009

लोकप्रिय यदुवंशी राजनेता: लालू प्रसाद यादव

लालू प्रसाद यादव ने एक राजनेता के रूप में काफी ख्याति अर्जित की। लालू प्रसाद यादव का अंदाज ही निराला है। कभी-कभी उनके विरोधी उन्हें ‘‘पाॅलिटिक्स का जोकर‘‘ भी कहते हैं पर उनके मैनेजमेंट के हुनर को देखते हुए तमाम प्रतिष्ठित संस्थानों और यहांँ तक कि विदेशों से उन्हें लेक्चर देने के लिए आमंत्रित किया गया। आलम ये है कि उन पर किताब लिखने से लेकर उनसे मिलते-जुलते खिलौनों तक बाजार में उतारने की होड़ मची रहती है। प्रबंधन पर 40 से भी अधिक पुस्तकें लिख चुके प्रख्यात लेखक प्रमोद बत्रा लालू के नुस्खों पर भी अब एक किताब लिखने जा रहे हैं। बिहार में लम्बे समय तक मुख्यमंत्री (10 मार्च 1990-31 मार्च 1995 एवं 4 अप्रैल 1995-25 जुलाई 1997) के रूप में शासन करने वाले लालू यादव ने केन्द्रीय रेलमंत्री के रूप में रेल सेवा का भी भारत में कायापलट कर डाला।

ग्रामीण जीवन से जुड़े प्रबंधन के सहज तत्वों को मंत्रालय के रोजमर्रा के कार्यों से जोड़ने का लालू यादव का कौशल बेमिसाल है। अपनी देहाती छवि के अनुरूप उन्होंने पाश्चात्य अर्थव्यवस्था के नियमों का अनुसरण करने की बजाय देशी नुस्खा दे डाला कि यदि गाय को पूरी तरफ नहीं दुहोगे तो वह बीमार पड़ जाएगी। भूतल परिवहन क्षेत्र के जिस सबसे बड़े सरकारी उपक्रम को राकेश मोहन समिति की रिपोर्ट में घाटे का सौदा करार दे दिया गया था, वही लालू यादव के कार्यकाल में लगातार अपने कारोबार में उल्लेखनीय सुधार करता रहा। यह लालू प्रसाद यादव की प्रबन्धन क्षमता का ही कमाल था कि रेलवे की व्यवसायिक सफलता की कहानी को समझने के लिए हार्वर्ड के अकादमीशियनों और एचएसबीसी-गोल्डमैन शैच्स व मेरिल लिंच जैसे कई अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के विशेषज्ञ उनके कार्यकाल में रेल मंत्रालय के मुख्यालय का दौरा करने आये। यही नहीं भारतीय प्रबंध संस्थान, बंगलौर और भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों को प्रशिक्षण देने वाली लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय अकादमी, मसूरी ने लालू यादव को व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया। भारतीय प्रबंध संस्थान, अहमदाबाद ने अपने पाठ्यक्रम में लालू की रेल की कहानी को विशेष विषय के रूप में शामिल किया और स्वयं लालू प्रसाद यादव ने इस संस्थान के विद्यार्थियों की मैनेजमेंट की क्लास ली। भारतीय प्रबंध संस्थान, अहमदाबाद के निदेशक बकुल एच0 ढोलकिया के अनुसार- ‘‘हमें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि श्री लालू प्रसाद यादव की राजनीतिक छवि कैसी है। हम तो बस इतना जानते हैं कि वह व्यक्ति मैनेजमेंट गुरू होने के काबिल है और हम हमेशा नई चीजें सीखने के लिए तैयार रहते हंै।’’

6 टिप्‍पणियां:

Bhanwar Singh ने कहा…

लालू जी का कोई जवाब नहीं.

भंवर सिंह यादव
संपादक-यादव साम्राज्य

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

....पर लालू यादव जी के लिए आने वाला समय काफी मुश्किल है.

Unknown ने कहा…

लालू यादव जी लम्बे समय तक राज कर लिए, अब जनता के बीच भी जाने की आवश्यकता है, तभी उद्धार होगा.

Akanksha Yadav ने कहा…

Lalu is still popular, but he should focus on ground realities.

Shyama ने कहा…

हम भी लालू जी का बहुत बड़ा फेन हूँ.

प्रवीण गुप्ता - PRAVEEN GUPTA ने कहा…

लालू जैसे भ्रष्ट व्यक्ति को महिमामंडित करके आप क्या कहना चाहते हैं. इसी जातिवाद के कारण से ये देश बर्बाद हो रहा हैं. लालू आपकी जाति के है, इस कारण से उन पर एक अच्छा नेता होने का ठप्पा नहीं लग सकता हैं. ओरो की नजरो में तो वो चोर ही रहेंगे.