सोमवार, 20 दिसंबर 2010

आज हम भी अपना जन्म-दिन मना रहे हैं...


आज हम भी अपना जन्म-दिन मना रहे हैं. 1943 से लेकर जीवन का एक लम्बा पड़ाव पूरा हो चुका है, जहाँ बड़े सुकून से अपनी जिंदगी प्रवाहमान है. गुलाम भारत में जन्म लिए, पर आजाद भारत में सांसें ले रहे हैं, यही क्या कम है. अतीत के पन्ने पलटता हूँ तो लगता है पूरी एक किताब ही लिख डालूँ. सरकारी नौकरी से रिटायर्ड होने के बाद परिवार का हर पल साथ और अध्ययन, लेखन और समाज सेवा में बड़ा सुकून मिलता है. बेटे-बहू, बेटी-दामाद सब जीवन में सेटल होकर अच्छी पोस्टों पर विराजमान हैं, बस छोटा बेटा अभी कैरियर की जद्दोजहद में है, सो वह भी अपनी लाइन पकड़ लेगा।
ईश्वर की कृपा से जीवन ने बहुत कुछ दिया है. आज भी कुछ नया सीखने की लालसा बनी रहती है और पत्र-पत्रिकाओं, किताबों को अनवरत पलटता रहता हूँ, नहीं तो दोस्तों के साथ गपबाजी तो है ही. आजकल अपने प्रकाशित लेखों को पुस्तकाकार रूप में लाने की सोच रहा हूँ. देखिये, शायद अगले जन्मदिन तक यह भी हो जाय. फ़िलहाल आज तो प्रकृति के उस अद्भुत पल को महसूस करने का दिन है, जब इस धरा पर अंकुरण हुआ था।
हिंदी ब्लागरों के जन्मदिन पर भी पाबला जी और अन्य ब्लागरों ने बधाई प्रेषित की है. ऑरकुट, फेसबुक और ई-मेल पर भी जन्मदिन की बधाइयाँ मिली हैं. आप सभी की शुभकामनाओं के लिए ह्रदय से आभार !!

मंगलवार, 14 दिसंबर 2010

स्पोर्ट्स-एडवेंचर में नाम कमाते यदुवंशी

खेल एवं एडवेंचर की दुनिया में भी यदुवंश के तमाम खिलाड़ी अपना डंका बजा रहे हैं। क्रिकेट के क्षेत्र में एन० शिवलाल यादव, हेमू लाल यादव, विजय यादव, ज्योति यादव, जे0पी0 यादव और उमेश यादव ने देश को गौरवान्वित किया तो आज हरियाणा की अण्डर-19 किक्रेट टीम के कोच विजय यादव, उ0प्र0 की अण्डर-16 किक्रेट टीम के कोच विकास यादव जैसे तमाम नए नाम उभर रहे हैं। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के उपाध्यक्ष एन० शिव लाल यादव, दक्षिण ज़ोन का प्रतिनिधित्व करते हैं और सीनियर टूर्नामेंट कमेटी के अध्यक्ष भी हैं। दक्षिण ज़ोन की महिला समिति में विद्या यादव भी शामिल हंै ज़ो कि आई०सी०सी० महिला टी-20 विश्व कप क्रिकेट की टीम मैनेजर भी रहीं। भारत की टेस्ट और वन डे टीम में खेल चुके विजय यादव 1996 से क्रिकेट कोचिंग दे रहे हैं। उन्हें बीसीसीआई की तरफ से विकेट कीपिंग एकेडमी का कोच भी नियुक्त किया गया है। आई0पी0एल0 के विभिन्न सत्रों में भी विभिन्न यादव क्रिकेट हेतु चयनित हुए। लालू यादव के सुपुत्र तेजस्वी यादव का चयन अण्डर-19 किक्रेट टीम हेतु किया गया एवं आई0पी0एल0-20 कप के प्रथम सत्र में डेयर डेविल्स (दिल्ली) टीम में चयनित किया गया, दुर्भाग्यवश उन्हें खेलने का मौका नहीं मिला। इसी प्रकार पूर्व टेस्ट खिलाड़ी एन० शिव लाल यादव के पुत्र एवं हैदराबाद रणजी कप्तान अर्जुन यादव का चयन डेक्कन चार्जस (हैदराबाद) में किया गया। आई0पी0एल0 के तीसरे सत्र में केदार जाधव व उमेश यादव (दिल्ली डेयरडेविल्स) एवं अर्जुन यादव (हैदराबाद डेक्कन चार्जर्स) का चयन किया गया। आई0पी0एल0 मैचों के दौरान ही नागपुर (महाराष्ट्र) के नजदीक खापरखेड़ा की कोयला खदान के मजदूर के बेटे उमेश यादव (दिल्ली डेयरडेविल्स) एक शानदार गेंदबाज के रूप में उभरे एवं उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम में भी खेलने का मौका मिला। उत्तर प्रदेश रणजी क्रिकेट टीम में आशीष यादव नया चेहरा है। बॉलीवुड के जाने माने-हास्य कलाकार राजपाल यादव टी-10 गली क्रिकेट सीजन-2 के लिए कानपुर गली क्रिकेट टीम के मालिक बन गए हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश क्रिकेट की अण्डर-19 महिला टीम में आगरा की पूनम यादव को कप्तानी सौंपी गई है। नेशनल क्रिकेट अकादमी बंगलौर में इंडिया क्रिकेट टीम के फिजिकल ट्रेनर के रूप में किशन सिंह यादव बखूबी दायित्वों का निर्वाह करते रहे हैं।

भारत के प्रथम व्यक्तिगत ओलंपिक मेडलिस्ट खाशबा दादा साहब जाधव एवं बीजिंग ओलंपिक (2008) में कुश्ती में कांस्य पदक विजेता सुशील कुमार यदुकुल की ही परम्परा के वारिस हैं। वर्ष 2010 में कुश्ती का विश्व चैंपियन खिताब अपने नाम करके सुशील कुमार ऐसा करने वाले प्रथम भारतीय पहलवान बन गए। वर्ष 2009 मंे सुशील कुमार को देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गांँधी खेल रत्न से नवाजा गया तो गिरधारी लाल यादव (पाल नौकायन) को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसी परंपरा में दिल्ली में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में जहाँ सुशील कुमार ने कुश्ती में स्वर्ण पदक जीता, वहीं 74 किलोग्राम फ्री स्टाइल कुश्ती स्पर्धा में नरसिंह यादव पंचम (मूलतः चोलापुर, बनारस के, अब मुंबई में) ने भी स्वर्ण पदक जीता। गौरतलब है कि इससे पूर्व सीनियर एशियाई कुश्ती प्रतियोगिता में नरसिंह यादव ने देश को पहला स्वर्ण पदक दिलाकर पूरे देश का नाम रोशन किया था। राष्ट्रमंडल खेलों की निशानेबाजी स्पर्धा में कविता यादव ने सुमा शिरूर के साथ कांस्य पदक जीतकर नाम गौरवान्वित किया। विश्व मुक्केबाजी (1994) में कांस्य पदक विजेता, ब्रिटेन में पाकेट डायनामो के नाम से मशहूर भारतीय फ्लाईवेट मुक्केबाज धर्मेन्द्र सिंह यादव ने देश में सबसे कम उम्र में ‘अर्जुन पुरस्कार’ प्राप्त कर कीर्तिमान बनाया। विकास यादव, मुक्केबाजी का चर्चित चेहरा है। आन्ध्र प्रदेश के बिलियर्डस व स्नूकर खिलाड़ी सिंहाचलम जो कि बिलियर्ड्स के अन्तर्राष्ट्रीय रेफरी भी हैं, बीजिंग ओलंपिक में निशानेबाजी के राष्ट्रीय प्रशिक्षक रहे श्याम सिंह यादव, कुश्ती में पन्ने लाल यादव, श्यामलाल यादव, गंगू यादव जैसे तमाम खिलाड़ी यादवों का नाम रोशन कर रहे हैं। बनारसी मुक्केबाज छोटेलाल यादव ने सैफ खेलों में स्वर्ण पदक हासिल किया। जानी-मानी पर्वतारोही संतोष यादव जिन्दगी में मुश्किलों के अनगिनत थपेड़ों की मार से भी विचलित नहीं हुईं और अपनी इस हिम्मत की बदौलत वह माउंट एवरेस्ट की दो बार चढाई करने वाली विश्व की पहली महिला बनीं। इसके अलावा वे कांगसुंग ;ज्ञंदहेीनदहद्ध की तरफ से माउंट एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ने वाली विश्व की पहली महिला भी हैं। उन्हांेने पहले मई 1992 में और तत्पश्चात मई सन् 1993 में एवरेस्ट पर चढ़ाई करने में सफलता प्राप्त कीे। इण्डियन ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश कालमाड़ी यदुवंश से ही हैं। अर्जुन पुरस्कार विजेता व महिला हाॅकी टीम की पूर्व कप्तान मधु यादव राष्ट्रीय महिला हाकी टीम की मैनेजर हैं। भारतीय भारोत्तोलन संघ के सचिव सहदेव यादव हंै।
महिला मुक्केबाजी में सोनम यादव (75 कि०ग्रा०) का नाम अपरिचित नहीं रहा। बैंकाक में एशियाई ग्रा0प्रि0 में युवा धावक नरेश यादव ने 1500 मीटर की दौड़ 3।51 सेकण्ड में पूरा कर भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता। 27वीं राष्ट्रीय ताइक्वाण्डो प्रतियोगिता में हरियाणा की सरिता यादव ने रजत व पूनम यादव ने कांस्य पदक प्राप्त किया। बैंकाक में एशियाई गंापी तीरंदाजी चैम्पियनशिप में महिला रिवर्स स्पर्धा में नमिता यादव (झारखण्ड) ने भारत के लिए स्वर्ण पदक जीत कर देश का गौरव बढ़ाया। स्वप्नावली यादव (मुंबई) ने महज 8 साल की उम्र में यूनान स्थित 30 किमी0 लम्बी मेसिनिकोस की खाड़ी मात्र 11 घण्टे 10 मिनट में पार करने का विश्व रिकार्ड कायम कर लोगों को दांतों तले अंगुली दबाने पर मजबूर कर दिया। अगस्त 2009 में सम्पन्न उ0प्र0 की सीनियर तैराकी चैम्पियनशिप में कुशीनगर की प्रियंका यादव ने 5 स्वर्ण जीतकर नया कीर्तिमान बनाया। यहीं पर गोताखोरी प्रतियोगिता में डी0एल0डब्ल्यू0 के गोताखोर नवीन यादव व्यक्तिगत चैंपियन बने। रानी यादव (बनारस) एथलेटिक्स में उभरता हुआ नाम है। कहना गलत नहीं होगा कि यदुवंशियों को यदि उचित परिवेश और प्रोत्साहन मिले तो स्पोर्ट्स-गेम और एडवेन्चर के क्षेत्र में वे भारत का नाम वैश्विक स्तर पर रोशन कर सकते हैं।
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It is a matter of pride for all Yadavs that in recently concluded Asian games (2010) in Guangzhou (China), the players from Supreme & Matchless clan of Yaduvansh made their presence count on global level and won the accolades across the globe for their winning, undying & down to earth attitude and performance.
We wholeheartedly appreciate their sincere efforts & endeavor for bringing glory to our great Country and family. Given is the list of players who won the individual Medals and was the part of winning team and who participated in the games.
1. Vikas Krishan Yadav - Gold Medal (Boxing) - 60 kg. Originally belongs to a village of Hissar district in Haryana and put up in Bhiwani. He is also the winner of Junior Olympics and a national champion. The teen sensation of Indian boxing, who has bagged several medals at this age, loves his gond ke ladoo. "He likes his food simple — roti and sabzi. But gond ke ladoo are his weakness, or call it his strength. These are prepared by mixing roasted gond and wheat flour in ghee along with dry fruits," said Darshna Devi, Vikas's mother. "I've already prepared around 10 kg ladoos for him," she added…J
2. Balraj Yadav- Silver Medal (Yachting/Sailing Match Racing) - He belongs to village Parkhotampur, District Rewari, Haryana, currently working as an officer in Indian Navy. There were two Yadavs out of this 5 members winning team.
3. Shekhar Yadav- Silver Medal (Yachting/Sailing Match Racing)- A native of village- Sanoda, District – Alwar, Rajasthan, proudly working as an officer in prestigious Indian Navy, comes from a middle class family.
4. Anup Yadav- Gold Medal- Kabbadi- A proud member of gold winning Kabbadi team, hails from same historical village (of Victoria Cross winner Rao Umrao Singh), Palra, District- Jhajjhar- Haryana. He has been an integral part of unbeatable Indian Kabbadi team.
5. Rajesh Yadav- Silver Medal (Rowing) – A key member of silver medal winning team, comes from a modest background of Village, Kanchanpur, District- Santkabir Nagar of UP.
Apart from these champions, other Yadavs were also part of playing Indian contingent. The list is as follows.
1. Kavita Yadav- The bronze medalist of shooting in CWG 2010 missed this time to win the medal. However her efforts are well appreciated.
2. Nar Singh Pancham Yadav- the Gold Medalist of wresting 75 kg. in CWG 2010, unfortunately couldn’t make it to a medal this time. His sincerity to bring glory to country is worth applauded.
3. Rao Aarti Singh- The proud daughter of former Minister (MOS) - Govt. of India and sitting MP of Gurgaon Sh. Rao Inderjeet Singh, missed to win the medal in Shooting. She has won several Medals in past for India and her eagerness to play and win for our country can be felt in her efforts.
4. Ram Singh Yadav- This man with never to say die attitude stood on 15th position in Men’s marathon. Hope he would carry on his attempts to win medals for us.
We can not neglect the contribution of those krishanvansaj’s who has helped these guys to win Medals. Here we can take out few such names.
Mr. Naresh Yadav- The coach of Silver Medal winning team has been an instrumental inspiration for the team and Mr. Balraj Yadav & Shekhar Yadav. He is also the Coach of Yachting Association of India.
Mr. Jagdish Yadav- The coach of boxing mine of India (Sports Authority of India, Bhiwani), He came into limelight when Bijender singh won the bronze in Olympics in 2008। He is the coach of Mr. Vikash Krishan Yadav,Bijender Singh, Akhil Kumar, Paramjeet Samota, Manoj Kumar etc. who have won several gold medals in CWG and various competition across the planet.


गुरुवार, 9 दिसंबर 2010

फिल्म व ग्लैमर की दुनिया में यदुवंशी

ग्लैमर की दुनिया की बात ही निराली है। भगवान कृष्ण के वंशजों ने अभी तक तमाम क्षेत्रों में झण्डे गाड़े हैं पर अब फिल्मों और सौंदर्य के क्षेत्र में भी तमाम यदुवंशी दिख जाते हैं। फिलहाल हिंदी और भोजपुरी सिनेमा में तमाम यदुवंशी अपना जौहर दिखा रहे हैं। ग्लैमर की दुनिया अब यादवों के लिए अछूती नहीं रही। बॉलीवुड के जाने-माने हास्य कलाकार राजपाल यादव व रघुवीर यादव पहले से ही अभिनय के क्षेत्र में हैं। करीब डेढ़ सौ फिल्मों में शानदार अभिनय के दम पर 39 वर्षीय राजपाल यादव आज हिंदी सिनेमा की जानी-मानी शख्सियत हैं। रंगमंच पर अभिनय की ठोस बुनियाद के सहारे फिल्मी मनोरंजन दुनिया के सफर पर उत्तर प्रदेश के शाहजहांँपुर से निकले राजपाल यादव लगभग हर तरह के किरदार में फिट नजर आते हैं। पहले खलनायकी में सफलता हासिल करने के बाद कॉमेडी में राजपाल यादव अपना लोहा मनवा चुके हैं। छोटा कद, हंसमुख व्यक्तित्व और जबरदस्त अभिनय राजपाल यादव की पहचान है। कॉमेडी के जरिए वे लोगों के दिलों पर राज कर रहे है। उनके लीड रोल्स की भी खासी चर्चा हुई है। गाँव से निकलकर मायानगरी मुंबई में अपनी सफलता का सिक्का जमाने वाले राजपाल यादव युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं। 1985 में फिल्म मैसी साहब के लिए दो अंतर्राष्ट्रीय फिल्मोत्सव में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार पाने वाले अभिनेता और लगान, दिल्ली 6, फिराक, डरना मना है, पीपली लाइव फिल्म जैसी फिल्मों में काम कर चुके जाने-माने बॉलीवुड अभिनेता और थिएटर कलाकार रघुबीर यादव बँंधी-बंँधाई जिंदगी से इत्तेफाक नहीं रखने वालों में से हैं और इसी कारण विभिन्न तरह की भूमिकाएं निभाते हैं। अब इस कड़ी में रंगमंच की दुनिया से फिल्मों में प्रवेश करने वाले गुड़गांँव के राजकुमार यादव का नाम भी जुड़ गया ह,ै जिन्होंने ’लव, सैक्स और धोखा’ नामक फिल्म के माध्यम से पदार्पण किया है।

अभिनय से परे भी तमाम यदुवंशी अपनी प्रतिभा का परचम फहरा रहे हैं। बालीवुड में बहुचर्चित सेक्स स्कैंडल में फंँसी मिस जम्मू अनारा गुप्ता के स्कैंडल और विवादित जीवन पर के।के. फिल्म्स क्रिएशन तले निर्माता-निर्देशक कृष्ण कुमार यादव ने मिस अनारा फिल्म बनाकर चर्चा बटोरी थी। पहले ’शब्द’ और फिर महानायक अमिताभ बच्चन और ऑस्कर विजेता अभिनेता बेन किंग्सले को लेकर निर्मित फिल्म ’तीन’ पत्ती की निर्देशक लीना यादव से लेकर संगीता अहीर (प्रोड्यूसर-अपने, वाह लाइफ हो तो ऐसी) तक फिल्मों का सफल निर्माण और निर्देशन कर रही हैं। ‘नन्हंे जैसलमेर‘ फिल्म में बाबी देओल के साथ 10 वर्षीय बाल अभिनेता द्विज यादव ने अपनी भूमिका से लोगों का ध्यान खींचा। यदुवंशियों का दबदबा दक्षिण भारत की फिल्मों में भी दिखता है। इनमें प्रमुख रूप से कासी (तमिल अभिनेता), पारूल यादव (तमिल अभिनेत्री), माधवी (अभिनेत्री), रमेश यादव (कन्नड़ फिल्म प्रोड्यूसर), नरसिंह यादव (तेलगू अभिनेता), अर्जुन सारजा (अभिनेता, निर्देशक-निर्माता), विजय यादव (तेलगू टी.वी.अभिनेता) जैसे तमाम चर्चित नाम दिखते हैं। पारुल यादव फिलहाल भाग्यविधाता और बाहुबलि जैसे हिन्दी धारावाहिकों में भी अभिनय कर रही हंै। इसके अलावा भी तमाम यदुवंशी विभिन्न धारावाहिकों में कार्य कर रहे हैं।

भोजपुरी फिल्मों में आजकल तमाम यदुवंशी सामने आने लगे हैं। भोजपुरी के जुबली स्टार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ चार साल में 50 लाख रू. की प्राइज वाले जुबली स्टार हैं। उनकी अब तक रिलीज 22 फिल्मों में से 2 गोल्डन जुबली, 4 सिल्वर जुबली, 13 सुपर हिट, 2 औसत और मात्र एक फ्लॉप रहीं। बचपन से फिल्मों के दीवाने रहे दिनेश लाल यादव रात को तीन किमी दूर वीडियो पर फिल्म देखने जाते थे, कुछ साल गायकी में संघर्ष करने के बाद 2003 में टी सीरीज के ‘निरहुआ सटल रहे‘ ने उन्हें लोकप्रियता की बुलंदियों पर पहुंचा दिया और ’निरहुआ’ उनके नाम के साथ चिपक गया। 2005 में फिल्म ‘हमका अहइसा वइसा न समझा‘ में उन्हें बतौर हीरो मौका मिला और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। दिनेश लाल यादव ‘निरूहा‘ ने भोजपुरी फिल्मों को विदेशों तक फैलाकर भारतीय संस्कृति का डंका दुनिया में बजाया है। बिरहा गायकी में अपना सिक्का जमा चुके विजय लाल यादव ने भी अभिनय के क्षेत्र में कदम रखते हुए कई फिल्मांे में काम किया है, बतौर मुख्य अभिनेता उनकी पहली ‘फिल्म बियाह-द फुल इंटरटेनमेंट‘ रही है। इस कड़ी में अब फिल्म ‘दिल तोहरे प्यार में पागल हो गइल‘ के माध्यम से एक नए अभिनेता सोम यादव (भदोही) का आगाज हुआ है। जी नाइन इंटरटेनमेंट के बैनर तले बनी इस फिल्म के निर्माता-निर्देशक भी यदुवंश के ही कमलेश यादव और राजनारायण यादव हैं। इस फिल्म में सोम यादव के साथ नायिका रूप में हैं, अनारा गुप्ता जिसे फिल्म निर्माता के.के. यादव ने अपनी फिल्म अनारा के माध्यम से कास्ट किया था। इसी प्रकार भोजपुरी फिल्म ‘कबहू छूटे ना ई साथ‘ में अनिल यादव मुख्य भूमिका में हंै। ‘सुन सजना सुन’ में दिनेश अहीर स्पेशल भूमिका में हैं तो इस फिल्म के सह-निर्माता मुन्ना यादव हैं। ईधर दिल्ली में सेक्स रैकेट चलाने वाले बाबा शिवमूर्ति द्विवेदी पर बन रही फिल्म ‘सुहागन की कोख’ के निर्देशक राधेश्याम यादव हैं। गीतकार प्यारेलाल यादव भी तेजी से अपने कदम बढ़ा रहे हैं। पहली बार यदुवंश से मिस इण्डिया चुनी गई एकता चैधरी ने एक नजीर गढ़ी है। गौरतलब है कि वर्ष 2009 में मिस इंडिया यूनिवर्स चुनी गयी एकता चैधरी यदुवंशी हैं। यह पहला मौका था जब ग्लैमर की दुनिया में यदुवंश से कोई इस मुकाम पर पहुंचा। एकता चैधरी दिल्ली के प्रथम मुख्यमंत्री चैधरी ब्रह्म प्रकाश की पौत्री और सिद्धार्थ चैधरी की सुपुत्री हैं। इसी प्रतियोगिता में फाइनल में स्थान पाकर आकांक्षा यादव भी चर्चा में रहीं और ‘मिस बोल्ड‘ के खिताब से नवाजी गईं। इससे पूर्व वर्ष 2008 में मनीषा यादव मिस इंडिया की चर्चित प्रतिभागी रही हैं। ज़ी.टी.वी. पर आयोजित सारेगामापा प्रतियोगिता में स्थान पाकर लखनऊ की पूनम यादव भी चर्चा में रहीं।

शनिवार, 4 दिसंबर 2010

चार यादव विभूतियों पर जारी हुए डाक टिकट

राष्ट्र को अप्रतिम योगदान के मद्देनजर डाक विभाग विभिन्न विभूतियों पर स्मारक डाक टिकट जारी करता है। अब तक चार यादव विभूतियों को यह गौरव प्राप्त हुआ है। इनमें राम सेवक यादव (2 जुलाई 1997), बी0पी0 मण्डल (1 जून, 2001), चै0 ब्रह्म प्रकाश (11 अगस्त, 2001) एवं राव तुलाराम (23 सितम्बर, 2001) शामिल हैं।
जिस प्रथम यदुवंशी के ऊपर सर्वप्रथम डाक टिकट जारी हुआ, वे हैं राम सेवक यादव। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जनपद में जन्मे राम सेवक यादव ने छोटी आयु में ही राजनैतिक-सामाजिक मामलों में रूचि लेनी आरम्भ कर दी थी। लगातार दूसरी, तीसरी और चैथी लोकसभा के सदस्य रहे राम सेवक यादव लोक लेखा समिति के अध्यक्ष, विपक्ष के नेता एवं उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य भी रहे। समाज के पिछड़े वर्ग के उद्धार के लिए प्रतिबद्ध राम सेवक यादव का मानना था कि कोई भी आर्थिक सुधार यथार्थ रूप तभी ले सकता है जब उससे भारत के गाँवों के खेतिहर मजदूरों की जीवन दशा में सुधार परिलक्षित हो। इस समाजवादी राजनेता के अप्रतिम योगदान के मद्देनजर उनके सम्मान में 2 जुलाई 1997 को स्मारक डाक टिकट जारी किया गया।

वर्ष 2001 में तीन यादव विभूतियों पर डाक टिकट जारी किये गये। इनमें बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं मण्डल कमीशन के अध्यक्ष बी0पी0 मण्डल का नाम सर्वप्रमुख है। स्वतन्त्रता पश्चात यादव कुल के जिन लोगों ने प्रतिष्ठित कार्य किये, उनमें बी0पी0 मंडल का नाम प्रमुख है। बिहार के मधेपुरा जिले के मुरहो गाँव में पैदा हुए बी0पी0 मंडल 1968 में बिहार के मुख्यमंत्री बने। 1978 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष रूप में 31 दिसम्बर 1980 को मंडल कमीशन के अध्यक्ष रूप में इसके प्रस्तावों को राष्ट्र के समक्ष उन्होंने पेश किया। यद्यपि मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने में एक दशक का समय लग गया पर इसकी सिफारिशों ने देश के समाजिक व राजनैतिक वातावरण में काफी दूरगामी परिवर्तन किए। कहना गलत न होगा कि मंडल कमीशन ने देश की भावी राजनीति के समीकरणांे की नींव रख दी। बहुत कम ही लोगों को पता होगा कि बी0 पी0 मंडल के पिता रास बिहारी मंडल जो कि मुरहो एस्टेट के जमींदार व कांग्रेसी थे, ने ‘‘अखिल भारतीय गोप जाति महासभा’’ की स्थापना की और सर्वप्रथम माण्टेग्यू चेम्सफोर्ड समिति के सामने 1917 में यादवों को प्रशासनिक सेवा में आरक्षण देने की माँग की। यद्यपि मंडल परिवार रईस किस्म का था और जब बी0पी0 मंडल का प्रवेश दरभंगा महाराज (उस वक्त दरभंगा महाराज देश के सबसे बडे़ जमींदार माने जाते थे) हाई स्कूल में कराया गया तो उनके साथ हाॅस्टल में दो रसोईये व एक खवास (नौकर) को भी भेजा गया। पर इसके बावजूद मंडल परिवार ने सदैव सामाजिक न्याय की पैरोकारी की, जिसके चलते अपने हलवाहे किराय मुसहर को इस परिवार ने पचास के दशक के उत्तरार्द्ध में यादव बहुल मधेपुरा से सांसद बनाकर भेजा। राष्ट्र के प्रति बी0पी0 मंडल के अप्रतिम योगदान पर 1 जून 2001 को उनके सम्मान में स्मारक डाक टिकट जारी किया गया।एक अन्य प्रमुख यादव विभूति, जिनपर डाक टिकट जारी किया गया, वे हैं दिल्ली के प्रथम मुख्यमंत्री- चै0 ब्रह्म प्रकाश। 1952 में मात्र 34 वर्ष की आयु में मुख्यमंत्री पद पर पदस्थ चैधरी ब्रह्म प्रकाश 1955 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे। बाद में वे संसद हेतु निर्वाचित हुए एवं खाद्य एवं केन्द्रीय खाद्य, कृषि, सिंचाई और सहकारिता मंत्री के रूप में उल्लेखनीय कार्य किये। 1977 में उन्होंने पिछड़ी जातियों, अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों व अल्पसंख्यकों का एक राष्ट्रीय संघ बनाया ताकि समाज के इन कमजोर वर्गों की भलाई के लिए कार्य किया जा सके। राष्ट्र को अप्रतिम योगदान के मद्देनजर 11 अगस्त 2001 को चैधरी ब्रह्म प्रकाश के सम्मान में स्मारक डाक टिकट भी जारी किया गया।

1857 की क्रान्ति में हरियाणा का नेतृत्व करने वाले रेवाड़ी के शासक यदुवंशी राव तुलाराव के नाम से भला कौन वाकिफ नहीं होगा। 1857 की क्रान्ति के दौरान राव तुलाराम ने कालपी में नाना साहब, तात्या टोपे और रानी लक्ष्मीबाई के साथ मंत्रणा की और फैसला हुआ कि अंग्रेजों को पराजित करने के लिए विदेशों से भी मदद ली जाये। एतदर्थ सबकी राय हुई कि राव तुलाराम विदेशी सहायता प्रबंध करने ईरान जायंे। राव साहब अपने मित्रों के साथ अहमदाबाद होते हुए बम्बई चले गये। वहां से वे लोग छिपकर ईरान पहुंचे। वहां के शाह ने उनका खुले दिल से स्वागत किया। वहां राव तुलाराम ने रूस के राजदूत से बातचीत की । वे काबुल के शाह से मिलना चाहते थे। एतदर्थ वे ईरान से काबुल गये जहां उनका शानदार स्वागत किया गया। काबुल के अमीर ने उन्हें सम्मान सहित वहां रखा। लेकिन रूस के साथ सम्पर्क कर विदेशी सहायता का प्रबंध किया जाता तब तक सूचना मिली कि अंग्रेजांे ने उस विद्रोह को बुरी तरह से कुचल दिया है और स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को पकड़-पकड़कर फांसी दी जा रही है। अब राव तुलाराम का स्वास्थ्य भी इस लम्बी भागदौड के कारण बुरी तरह प्रभावित हुआ था। वे अपने प्रयास में सफल होकर कोई दूसरी तैयारी करते तब तक उनका स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हो गया था। वे काबुल में रहकर ही स्वास्थ्य लाभ कर कुछ दूसरा उपाय करने की सोचने लगे। उस समय तुरंत भारत लौटना उचित भी नहीं था। उनका काबुल में रहने का प्रबंध वहां के अमीर ने कर तो दिया पर उनका स्वास्थ्य नहीं संभला और दिन पर दिन गिरता ही गया। अंततः 2 सितम्बर 1863 को उस अप्रतिम वीर का देहंात काबुल में ही हो गया। वीर-शिरोमणि यदुवंशी राव तुलाराम के काबुल में देहान्त के बाद वहीं उनकी समाधि बनी जिस पर आज भी काबुल जाने वाले भारतीय यात्री बडी श्रद्वा से सिर झुकाते हैं और उनके प्रति आदर व्यक्त करते हैं। राव तुलाराम की वीरता एवं अप्रतिम योगदान के मद्देनजर 23 सितम्बर, 2001 को उनके सम्मान में स्मारक डाक टिकट जारी किया गया।

गुरुवार, 2 दिसंबर 2010

एशियाड में राम सिंह यादव ने दिखाया पुरुष मैराथन में जलवा

एशियाड में राम सिंह यादव पुरुष मैराथन में 15वें स्थान पर रहे जो कि एशियन गेम्स की अंतिम एथलेटिक्स स्पर्धा थी। राम सिंह यादव ने दो घंटे 39 मिनट और 23 सेकंड का समय लिया जो गोल्ड जीतने वाले कोरिया के जी योगंजुन से 28 मिनट और 12 सेकंड अधिक था। गौरतलब है कि योंगजुन ने दो घंटे 11 मिनट और 11 सेकंड का समय लिया। जापान के किटोएका युकिहारो ने दो घंटे 12 मिनट 46 सेकंड के साथ सिल्वर मेडल जीता जबकि गत चैम्पियन कतर के शामी मुबारक :दो घंटे 12 मिनट 53 सेकंड: को ब्रॉन्ज मिला। आशा कि जानी चाहिए कि राम सिंह यादव अपना यह हौसला बरकरार रखेंगे और आगामी आयोजनों में सर्वोत्कृष्ट प्रदर्शन करेंगें !!

एशियाड में राजेश यादव ने झटका नौकायन में रजत

ग्रामीण भारत वाकई बहुत प्रतिभाशाली है, तभी तो यहाँ के लाल विदेशों में अपना डंका बजा रहे हैं. संतकबीरनगर जनपद के राजेश यादव ने एशियाड में नौकायन में रजत पदक झटक कर यदुकुल ही नहीं पूरे देश का सिर गर्व से ऊंचा किया है। राजेश यादव के परिवार और क्षेत्र के किसी भी व्यक्ति ने सपने भी नहीं सोचा था कि इक दिन राजेश चीन में भारत का तिरंगा फहराएगा। पर कभी गर्मी के दिनों में लंगोट पहन कर सरयू की लहरों पर फर्राटा भरने वाले इस खिलंदड़ नौजवान ने एशियाड मेंनौकायन में रजत पदक झटक कर यदुकुल ही नहीं पूरे देश का सिर गर्व से ऊंचा किया है। पुरुषों की आठ रोइंग स्पर्धा में भारतीय खिलाड़ियों ने रजत पदक जीता। रजत पदक जीतने वाली इस टीम में अनिल कुमार, गिरराज सिंह, साजी थामस, लोकेश कुमार, मंजीत सिंह, रंजीत सिंह, सतीश जोशी और जेनिल कृष्णन के साथ यदुवंश के राजेश कुमार यादव भी शामिल थे। गौरतलब है कि भारतीय दल ने 2,000 मीटर की रेस पांच मिनट 49.50 सेकंड में पूरी की।

उत्तर प्रदेश में संतकबीर जिले के धनघटा थाना क्षेत्र के कंचनपुर गांव निवासी स्वर्गीय महातम यादव के पांच बेटों में राजेश कुमार यादव तीसरे नंबर का है। मांझा की माटी में पले, पढ़े राजेश यादव ने प्राथमिक विद्यालय गायघाट में प्राथमिक शिक्षा हासिल की। उसके बाद जय नारायन इंटर कालेज तिघरा मौर्य में कक्षा छह से लेकर इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई की। बीए में पढ़ ही रहा था कि वर्ष २००४ में उसका चयन आर्मी में हो गया। गार्ड रेजीमेंट सेंटर नागपुर में उसकी टे्रनिंग हुई। टे्रनिंग के दौरान पूना से रोइंग की टीम आई थी, उसी में उसका चयन हो गया। २००६ में कोलकाता में स्प्रिंट नेशनल चैंपियनशिप में उसने पहली बार दो सिल्वर मेडल जीते। २००७ में ओपेन नेशनल चैंपियनशिप भोपाल में भी दो सिल्वर मेडल हासिल किया। उसी वर्ष नेशनल गेम असम में दो कांस्य पदक जीता। वर्ष ०९ में ओपेन नेशनल चैंपियनशिप पूना में एक कांस्य पदक प्राप्त किया। वर्ष ०९ में एशियन रोइंग चैंपियनशिप ताईवान में कांस्य पदक प्राप्त कर अपने दमखम और तकनीक का प्रदर्शन किया।

इस बार चीन में आयोजित १६वें एशियाड खेल में नौकायन में राजेश कुमार यादव को मौका मिला। इस स्पर्धा में छह देश क्रमश: जापान, भारत, हांगकांग, इंडोनेशिया, उत्तर कोरिया और थाईलैंड की टीमों ने हिस्सा लिया था। राजेश यादव के पिता महातम यादव चर्चित पहलवान थे। उनकी वर्ष २००५ के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में बूथ पर गोली मार कर हत्या हो गई थी। राजेश के बड़े भाई जय प्रकाश ग्राम प्रधान हैं और दूसरे नंबर के भाई राकेश कुमार आर्मी में है। चौथे नंबर के भाई राम प्रवेश बीए में तथा पांचवें नंबर का भाई उमेश यादव ११वीं में पढ़ रहा है। चाचा ओंकार यादव ने बताया कि जैसे ही फोन पर सूचना आई कि राजेश ने एशियाड में नौकायन प्रतियोगिता में रजत पदक जीता है उनका सीना चौड़ा हो गया। वह जहां भतीजे की सफलता पर काफी उत्साहित थे वहीं राजेश की मां जनकराजी देवी, पत्नी सीमा खुशी का इजहार करते नहीं थक रही थीं।

राजेश यादव को इस शानदार उपलब्धि पर यदुकुल की तरफ से ढेरों बधाइयाँ !!

एशियाड खेल में पाल नौकायान में रजत पदक विजेता : शेखर यादव

एशियाड में जहाँ भारत का प्रदर्शन पहले की अपेक्षा बेहतर रहा वहीँ तमाम नए चेहरे सामने आए. इनमें तमाम यदुवंशी प्रतिभाएं भी हैं. एशियाड खेल में पाल नौकायान में रजत पदक जीतकर अलवर जिले के शेखर सिंह यादव ने यदुकुल का मान बढ़ाया है। अलवर जिले के कोटकासिम के साणौदा निवासी शेखर सिंह यादव वर्तमान में भारतीय नेवी पनडुब्बी पैटी ऑफिसर के पद पर कार्यरत हैं। शेखर यादव, पाल नौकायान (सैली) टीम में सदस्य थे, जिसको 20 नवम्बर को सिल्वर मैडल मिला।

गौरतलब है कि शेखर सिंह यादव इक मध्यमवर्गीय परिवार से हैं। इनके परिवार में 10 भाई-बहन हैं। इनके पिताजी मुंशीराम यादव व माताजी का नाम शांति देवी है। शेखर ने अपनी शिक्षा बीए तक अलवर के बाबू शोभाराम कला महाविद्यालय से की। करीब 20 साल की उम्र में शेखर का नेवी में चयन हो गया। 1995 में नेवी में भर्ती होने के बाद पहली बार अरावली की पहाडियों से निकल कर शेखर ने समन्दर की लहरों पर पांव रखा। नौकायन मे रूचि होने के कारण नेवी में रहते चार-पांच वर्ष तक नौकायन का प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद प्रोफेशनल प्रशिक्षण लिया। 2006 में नेवी के आईएनडब्ल्यू टीसी में सेलिंग क्लब में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद वर्ष 2008 में चेन्नई में पहली बार नेशनल मेडल जीता। इसके बाद शेखर ने पाल नौकायन में कई और अंतरराष्ट्रीय मेडल जीते। शेखर कहते हैं कि एशियाई खेलों में उन्होंने गोल्ड को फोकस किया था। मैच रेस इवेन्ट में प्रथम स्थान प्राप्त करने और टॉप फोर में आने के बाद अंत के तीन मैचों में लगातार जीत हासिल करने पर रजत पदक मिला।

इस शानदार उपलब्धि पर शेखर यादव को यदुकुल की तरफ से ढेरों बधाइयाँ !!

विकास यादव ने दिलाया एशियाई खेलों में 12 साल बाद भारत को मुक्केबाजी का स्वर्ण पदक

चीन के ग्वांग्झू में संपन्न एशियाई खेलों में यदुवंशियों ने भी शानदार प्रदर्शन किया। एशियाई खेलों में दो यदुवंशी मुक्केबाजों ने अपना जौहर दिखाया. छोटलाल यादव (56 किग्रा), विकास कृष्णन यादव (60 किग्रा). छोटेलाल यादव दक्षिण एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता और मौजूदा राष्ट्रीय चैंपियन हैं. 25 नवम्बर, 2010 को विकास कृष्ण यादव ने मुक्केबाजी के 60किलोग्राम वर्ग में पहला स्वर्ण हासिल किया।18 वर्षीय विकास यादव इसी वर्ष अगस्त में सिंगापुर में आयोजित विश्व युवा ओलम्पिक में कांस्य पदक जीत चुके हैं। विकास कृष्णन यादव वैश्य कॉलेज भिवानी, हरियाणा के प्रथम वर्ष के छात्र हैं. गौरतलब है कि युवा मुक्केबाज विकास कृष्णन यादव ने एशियाई खेलों में 12 साल बाद भारत को मुक्केबाजी का स्वर्ण पदक दिलाया। भारत ने 1998 में डिंको सिंह के स्वर्ण पदक के बाद से एशियाई खेलों में सोने का तमगा नहीं जीता था। आखिर यह सिलसिला हरियाणा के कम मशहूर मुक्केबाज विकास ने तोड़ा। अठारह वर्षीय विकास ने पुरुषों के 60 किग्रा (लाइटवेट) भार वर्ग में पिछले चैंपियन चीनी मुक्केबाजी क्विंग हू को 5-4 से हराया। विश्व युवा चैंपियन और युवा ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता भारतीय मुक्केबाज ने रक्षात्मक रवैया अपनाया। तीन मिनट के पहले राउंड के बाद स्कोर 1-1 से बराबरी पर था। हू दूसरे राउंड में तनाव में दिखे और उन्होंने विकास को धक्का दे दिया। जिसके कारण चीनी मुक्केबाज को चेतावनी दी गई और उन्हें दो महत्वपूर्ण अंक गंवाने पड़े।आखिर में यही चेतावनी निर्णायक साबित हुई। दोनों मुक्केबाज तीसरे और अंतिम राउंड में केवल एक-एक अंक बना पाए, जो विकास के लिए डिंको की उपलब्धि की बराबरी करने के लिए पर्याप्त था।

विकास कृष्णन यादव से एशियाई खेलों के फाइनल में करीब से हारने से भड़के चीनी मुक्केबाज क्विंग हू ने भारतीय मुक्केबाज विकास कृष्ण यादव को अच्छा अभिनेता ही करार दे दिया। इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विकास कृष्णन यादव ने कहा कि इस बाउट के दौरान हू उन्हें बेल्ट के नीचे लगातार पंच मारते रहे। गत चैंपियन हू ने कहा कि मैं पहले राउंड में तीन अंक से आगे था और मुझे फाउल की सजा मिली, जो मैंने किया ही नहीं था। मैंने बेल्ट के नीचे हिट किया था, लेकिन यह इससे नीचे नहीं गया था। रेफरी ने उसे दो अंक दे दिए और इसके बाद मेरा प्रतिद्वंद्वी एक अच्छा अभिनेता बन गया। मुझे प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी ने नहीं हराया बल्कि मुझे रेफरी ने शिकस्त दी। हू ने कहा कि अंतिम राउंड में मेरा प्रतिद्वंद्वी बिलकुल फाइट नहीं कर रहा था, रेफरी को उसे चेतावनी देनी चाहिए थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। हू ने कहा, लेकिन मैं अपने प्रदर्शन से खुश हूं और मेरी नजर में मैं चैंपियन हूं। रेफरी के फैसले का विरोध करना बेकार है क्योंकि मैं अपने प्रदर्शन से खुश हूं। विकास कृष्णन यादव से जब हू के आरोपों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं मुक्केबाज हूं, अभिनेता नहीं। ....फ़िलहाल भारतीयों की जीत चीन को भला कैसे पच सकती है, सो अनर्गल प्रलाप तो वो करेंगे ही। हम तो इतना ही कहेंगे कि भारतीयों कि जीत प्रभावी है और यदुवंशी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.

विकास कृष्णन यादव को इस शानदार उपलब्धि पर यदुकुल की तरफ से ढेरों बधाइयाँ !!