सोमवार, 1 अगस्त 2011

हंस के जरिये हिंदी का इतिहास बनाया राजेंद्र यादव ने - नामवर सिंह

हंसाक्षर ट्रस्‍ट और ऐवाने गालिब की ओर से 'हंस' पत्रिका के पचीस साल पूरे होने पर रविवार को आयोजित रजत जयंती समारोह में 'साहित्यिक पत्रकारिता और हंस' पर बोलते हुए हिंदी के वरिष्‍ठ आलोचक नामवर सिंह ने कहा कि 'हंस' के जरिए इसके संपादक राजेंद्र यादव ने हिंदी के इतिहास को बनाने के साथ-साथ उसे पालने-पोसने का काम भी किया है. नामवर सिंह ने 'हंस' में अपनाए गए लोकतांत्रिक रुख की प्रशंसा करते हुए कहा कि हंस में निंदकों को भी उतनी ही जगह और स्‍वतंत्रता दी गई जितनी प्रशंसकों को. उन्‍होंने मुंशी प्रेमचंद के जमाने से 'हंस' के इतिहास को उजागर करते हुए कहा कि प्रेमचंद के 'हंस' के बाद 'हंस' का एक नया अर्द्धवार्षिक अंक निकला, लेकिन वह अंक भी पहला और आखिरी साबित हुआ. इसके बाद राजेंद्र यादव ने इसकी शुरुआत की, जो आज भी नियमित प्रकाशित हो रही है. 'हंस' के बारे में दूसरे संपादकों की टिप्‍पणियों का हवाला देते हुए सिंह ने कहा कि भविष्‍य में जब भी कोई हिंदी पत्रिकाओं का इतिहास टटोलेगा तो 'हंस' का नाम स्‍वर्ण अक्षरों में दर्ज मिलेगा. उन्‍होंने युवा पीढ़ी को राजेंद्र यादव से कहानी लिखने की शैली सीखने का आह्वान किया.

इस मौके पर वरिष्‍ठ साहित्‍यकार राजेंद्र यादव ने 'हंस' के पचीस साल के सफर में सहयोग देने वाले हर शख्‍स को धन्‍यवाद दिया और कहा कि उन्‍हें कई दफा ठोकरें लगीं और वे कई दफा घबराए भी लेकिन इतने लोगों के साथ ने उन्‍हें कभी निराश नहीं होने दिया. राजेंद्र यादव ने आश्‍वस्‍त किया कि 'हंस' का सफर आगे भी जारी रहेगा.

कार्यक्रम में संजीव, टीएम लालानी, गौतम नवलखा और अनिता वर्मा ने भी अपने विचार रखे. इस मौके पर 'पचीस साल पचीस कहानियां' और 'मुबारक पहला कदम' पुस्‍तकों का लोकार्पण भी किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत में 'हंस' को योगदान देने वालों में संजीव, हरिनारायण, गौतम नवलखा, अर्चना वर्मा, विभांशु दिव्‍याल, दुर्गा प्रसाद, किशन राय, टीएम लालानी और विनोद खन्‍ना को सम्‍मानित किया गया. कार्यक्रम में तसलीमा नसरीन भी मौजूद थीं. कार्यक्रम का संचालन अजय नावरिया ने किया !

5 टिप्‍पणियां:

vijai Rajbali Mathur ने कहा…

आगरा के कार्यक्रम मे नामवर जी भी थे उनके विचार राजेन्द्र यादव जी के बारे मे सटीक हैं।

KK Yadav ने कहा…

राजेंद्र यादव जी का हिंदी-साहित्य में योगदान अतुलनीय है. नामवर सिंह जी ने उनके बारे में ठीक ही कहा है.

KK Yadav ने कहा…

राजेंद्र यादव जी का हिंदी-साहित्य में योगदान अतुलनीय है. नामवर सिंह जी ने उनके बारे में ठीक ही कहा है.

Unknown ने कहा…

Really Rajendra Yadav ji Great Show man of Hindi Literature..Nice Post..thanks.

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

हंस और राजेंद्र यादव जी के बारे में काफी महत्वपूर्ण जानकारी. आपकी शोधपरक क्षमता को नमन. यदुकुल ब्लॉग ने ने अल्प समय में ही काफी अच्छा काम किया है और नाम भी कमाया है. इससे जुड़े विद्वत-जनों की रचनाधर्मिता का कायल हूँ. शुभकामनाओं सहित.