शनिवार, 24 सितंबर 2011

'युवा-मन' की ब्लागिंग : अमित कुमार यादव

हिंदी-ब्लागिंग जगत में कुछेक नाम ऐसे हैं, जो बिना किसी शोर-शराबे के हिंदी साहित्य और हिंदी ब्लागिंग को समृद्ध करने में जुटे हुए हैं. इन्हीं में से एक नाम है- सामुदायिक ब्लॉग "युवा-मन" के माडरेटर अमित कुमार यादव का. संयोगवश आज उनका जन्मदिन भी है. अत: जन्म-दिन की बधाइयों के साथं आज की यह पोस्ट उन्हीं के व्यक्तित्व के बारे में-

अमित कुमार यादव : 24 सितम्बर, 1986 को तहबरपुर, आजमगढ़ (उ.प्र.) के एक प्रतिष्ठित परिवार में श्री राम शिव मूर्ति यादव एवं श्रीमती बिमला यादव के सुपुत्र-रूप में जन्म। आरंभिक शिक्षा बाल विद्या मंदिर, तहबरपुर-आजमगढ़, आदर्श जूनियर हाई स्कूल, तहबरपुर-आजमगढ़, राष्ट्रीय इंटर कालेज, तहबरपुर-आजमगढ़ एवं तत्पश्चात इलाहाबाद वि.वि. से 2007में स्नातक और इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) से 2010 में लोक प्रशासन में एम.ए.। फ़िलहाल अध्ययन के क्रम में इलाहाबाद और प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी।

अध्ययन और लेखन अभिरुचियों में शामिल. सामाजिक-साहित्यिक-सामयिक विषयों पर लिखी पुस्तकें और पत्र-पत्रिकाएं पढने का शगल, फिर वह चाहे प्रिंटेड हो या अंतर्जाल पर। तमाम पत्र-पत्रिकाओं , पुस्तकों/संकलनों एवं वेब-पत्रिकाओं, ई-पत्रिकाओं और ब्लॉग पर रचनाएँ प्रकाशित। वर्ष 2005 में 'आउटलुक साप्ताहिक पाठक मंच' का इलाहाबाद में गठन और इसकी गतिविधियों के माध्यम से सक्रिय। जुलाई-2006 में प्रतिष्ठित हिंदी पत्रिका 'आउटलुक' द्वारा एक प्रतियोगिता में पुरस्कृत, जो कि शैक्षणिक गतिविधियों से परे जीवन का प्रथम पुरस्कार। ब्लागिंग में भी सक्रियता और सामुदायिक ब्लॉग "युवा-मन" (http://yuva-jagat.blogspot.com) के माडरेटर। 21 दिसंबर 2008 को आरंभ इस ब्लॉग पर 250 के करीब पोस्ट प्रकाशित और 101 से ज्यादा फालोवर।
अपने बारे में स्वयं अमित कुमार एक जगह लिखते हैं, मूलत: आजमगढ़ का ...जी हाँ वही आजमगढ़ जिसकी पहचान राहुल सांकृत्यायन, अयोध्या सिंह उपाध्याय "हरिऔध", शिबली नोमानी, कैफी आज़मी जैसे लोगों से रही है। पर इस संक्रमण काल में इस पहचान के बारे में न ही पूछिये तो बेहतर है। आजकल आजमगढ़ की चर्चा दूसरे मुद्दों को लेकर है। फ़िलहाल हमने अभी तो जीवन के रंग देखने आरम्भ किये हैं, आगे-आगे देखिये होता क्या है। नौजवानी है सो जोश है, हौसला है और विचार हैं।

ई-मेलः amitky86@rediffmail.com
ब्लॉग : http://yuva-jagat.blogspot.com/ (युवा-मन)



(चित्र में : हिंदी भवन, दिल्ली में 'हिंदी साहित्य निकेतन', परिकल्पना डाट काम, और नुक्कड़ डाट काम द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मलेन में श्रेष्ठ नन्हीं ब्लागर अक्षिता (पाखी) की तरफ से उत्तरांचल के तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल 'निशंक', वरिष्ठ साहित्यकार डा. रामदरश मिश्र, डा. अशोक चक्रधर इत्यादि द्वारा सम्मान ग्रहण करते अमित कुमार यादव)

प्रस्तुति : रत्नेश कुमार मौर्य : 'शब्द-साहित्य'

बुधवार, 21 सितंबर 2011

अन्ना हजारे के प्रेरणास्रोत : 'यादव बाबा'

अन्ना हजारे के आन्दोलन के साथ ही 'यादव बाबा मंदिर' भी चर्चा में आ गया है. महाराष्ट्र के अहमद नगर स्थित रालेगण सिद्धि गाँव में आने वालों के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र यादव बाबा मंदिर है जो अन्ना हजारे का तब से निवास स्थान है जब वह 27 वर्ष पहले सेना में अपनी सेवा समाप्त करके इस गाँव में वापस लौटे थे।

इस मंदिर के पीछे भी एक कहानी है. यादव बाबा एक संत थे जो करीब सौ वर्ष पहले इंद्रयाणी नदी के किनारे स्थित आलंदी से रालेगण सिद्धि गांव आए थे। यादव बाबा ने यहाँ आकर समाधि ले ली थी। उनकी स्मृति में ही 'यादव बाबा मंदिर' बनाया गया था. अन्ना हजारे इसी मंदिर में रहकर प्रेरणा पाते हैं और समाज में अलख जगाने के लिए तत्पर हैं. वे स्वयं को ‘मंदिरात्ला अन्ना’ (वह व्यक्ति जो यादवबाबा मंदिर में रहता है), कहना पसंद करते हैं. फ़िलहाल यादव बाबा की स्मृति में बना यह मंदिर अब अन्ना की पहचान बन गया है. फ़िलहाल अन्ना को भले ही सुरक्षा कारणों से मंदिर की बजाय पद्मावती ट्रस्ट हास्टल में स्थानांतरित कर दिया गया हो, पर उनका मन अभी भी यादव बाबा मंदिर में ही बस्ता है. आखिर वहीँ से तो उन्हें प्रेरणा मिलती है !!

('यादव बाबा मंदिर' में रहने के कारण कुछेक लोगों ने अति-उत्साह में ब्लॉग, फेसबुक इत्यादि पर और यहाँ तक कि ई-मेल व SMS द्वारा यह जानकारी भेजी कि अन्ना हजारे यादव हैं, जो कि सही नहीं है. अन्ना हजारे यादव बाबा मंदिर में जरूर एक लम्बे समय से रह रहे हैं, पर वे यदुवंशी नहीं हैं. बाबा रामदेव जरुर यदुवंशी हैं !!)

सोमवार, 19 सितंबर 2011

डा. रमेश यादव द्वारा स्लोवाकिया में शोध-पत्र की प्रस्तुति

यदुकुल की प्रतिभाएं विदेशों में भी अपना डंका बजा कर सम्मान अर्जित कर रही हैं. बिहार में समस्तीपुर स्थित बलिराम भगत महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डा. रमेश यादव ने हाल ही में स्लोवाकिया के स्मालिनिस कैसटल शहर में आयोजित 10 वीं इंटरनेशनल वर्कशाप आन पाजीट्रान एंड पाजीट्रोनियम केमेस्ट्री में अपना शोध पत्र लोकेशन आफ फेज बाउंड्रीज आफ लायट्रापिक लिक्विड क्राइस्टल इम्प्लाईग पाजीट्रान लाइफ टाइम स्पेक्ट्रोस्कापी प्रस्तुत किया. सत्ताइस देशों के 91 वें शोध प्रयोगों में भारत से मात्र पांच ही लोग चुने गये थे। गौरतलब है कि वर्ष 1991 में तीसरा सम्मेलन यू.एस.ए. में हुआ था। जिसमें डा. यादव के दो शोध पत्र स्वीकृत हुए थे. जिसमें उन्हें सम्मेलन के एक सत्र का अध्यक्ष भी बनाया गया था। इस कार्यक्रम में भागीदारी हेतु डिपार्टमेंट आफ सांइस एण्ड टेक्नोलाजी गवर्नमेंट आफ इंडिया तथा इंटर नेशनल एटामिक एजेंसी बियाना पी.पी.सी. ने डा. यादव को वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराई.

डा. रमेश यादव इसी प्रकार विज्ञानं और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के प्रति समर्पित होकर देश और समाज का नाम रोशन करते रहें. 'यदुकुल' की तरफ से अनंत शुभकामनायें !!