गुरुवार, 27 दिसंबर 2012

’मड़ई को अन्तर्राष्ट्रीय मानक


रावत नाच महोत्सव समिति द्वारा लोक संस्कृति पर केन्द्रित पत्रिका ’मड़ई’ का प्रकाशन पिछले पच्चीस वर्षों से किया जा रहा है। हिन्दी जगत के लब्धप्रतिष्ठ विद्वानों एवं लोक संस्कृति मर्मज्ञों के महत्वपूर्ण, चिंतनपरक, गंभीर आलेखों का प्रकाशन इसमें नियमित रूप से होता रहा है। भू-मंडलीकरण के इस उत्तर आधुनिक दौर में जब लोक संस्कृति के लिए साहित्य और समाज में बहुत कम स्पेस रह गया है, मड़ई लोक संस्कृति की नई सैद्धांतिकी की निर्मिति में एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रही है। उसके इस विनम्र प्रयास को सर्वत्र प्रशंसा एवं व्यापक समर्थन प्राप्त हुआ है।

’मड़ई’ के महत्व को स्वीकार करते हुए केन्द्रीय हिन्दी संस्थान आगरा एवं संगीत नाटक अकादमी, दिल्ली द्वारा इसे प्रकाशन-अनुदान दिया जाता है। उल्लेखनीय है कि पूरे देश में चर्चित लोक संस्कृति की इस अनूठी पत्रिका का वितरण पूर्णतः निःशुल्क किया जाता है।

मड़ई के संपादक डा0 कालीचरण यादव ने सूचित किया है कि इस पत्रिका को ’निस्केयर’ (नेशनल इंस्टीट्यूट आफ साइंस कम्युनिकेशन एण्ड इन्फार्मेशन रिसोर्सेस), नई दिल्ली द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मानक क्र. 2278-8352 प्रदान किया यगा है। उल्लेखनीय है कि आइ.एस.एस.एन. एक अंतर्राष्ट्रीय मानक है। इस प्रकार की अंतर्राष्ट्रीय मानक क्रमांक युक्त पत्रिका में छपे शोध-आलेख की प्रामाणिकता बढ़ जाती है। ’मड़ई’ की यह उपलब्धि निश्चित रूप से लोक संस्कृति के क्षेत्र में कार्यरत शोधार्थियों को उत्साहित करेगी।

रविवार, 2 दिसंबर 2012

समाजवादी पुरोधा राम करन यादव ‘दादा’ नहीं रहे


वयोवृद्व समाजवादी पार्टी के नेता एवं विधान परिषद के पूर्व सदस्य रामकरन यादव 'दादा' का शनिवार को वाराणसी के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। संक्रमण से पीड़ित 90 वर्षीय रामकरन दादा को लगभग दो माह पूर्व यहां भर्ती कराया गया था। रामकरन दादा का शव वाराणसी से उनके पैतृक गांव ईसोपुर स्थित सिघौना बाजार (सैदपुर गाजीपुर) ले जाया गया। कैथी (चौबेपुर, वाराणसी) स्थित मार्कण्डेय महादेव पर गंगा किनारे रामकरन दादा का रविवार दोपहर अंतिम संस्कार किया गया.  मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तथा सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने रामकरन दादा के तीन पुत्रों में सबसे बड़े एमएलसी विजय यादव को फोन कर शोक संवेदना व्यक्त की।
 
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी के वयोवृद्ध नेता रामकरन सिंह यादव ‘‘दादा’’
के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। एक शोक संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘‘दादा’’ ने राज्य में समाजवादी आन्दोलन को जन-जन तक पहुंचाने और उसे मजबूत बनाने में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के साथ लम्बे अरसे तक आम आदमी के हित में कार्य किया। उन्होंने कहा कि ‘‘दादा’’ ने वर्ष 1969 से 1974 और 1980 से 1985 तक दो बार विधानसभा में आम जनता का प्रतिनिधित्व करते हुए लोगों की आवाज सरकार तक पहुंचाने का काम किया था। उन्होंने 1989 से 2001 तक विधान परिषद में भी सदस्य के रूप में अपनी अमिट छाप छोड़ी है और आम लोगों के हित में कार्य करने के कारण उन्हें ‘गाजीपुर के गांधी’ नाम से प्रसिद्धि मिली थी। मुख्यमंत्री ने ‘‘दादा’’ के शिक्षा एवं सामाजिक क्षेत्र में कार्यों को याद करते हुए कहा कि उनके निधन से आम जनता की अपूरणीय क्षति हुई है। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की शान्ति की कामना करते हुए शोक संतप्त परिजनों के प्रति गहरी सहानुभूति एवं संवेदना व्यक्त की है।
 
रामकरन यादव वास्तव में समाजवादी आंदोलन के मील का पत्थर थे। पूरे प्रदेश में खास कर पूर्वाचल में समाजवादी आंदोलन को जनजन तक पहुंचाने में उनका अविस्मरणीय योगदान रहा है। उनके निधन से समाजवादी आंदोलन के एक अध्याय का अंत हो गया। उनके स्थान की पूर्ति असंभव है। ..'यदुकुल' की तरफ से भाव-भीनी श्रद्धांजलि .
- राम शिव मूर्ति यादव, संयोजक- यदुकुल ब्लॉग (www.yadukul.blogspot.com)
 
 

सोमवार, 19 नवंबर 2012

इंदिरा मैराथन में अरविन्द यादव की हैट्रिक

इलाहबाद में 19 नवम्बर, 2012 को संपन्न संपन्न 28 वीं अखिल भारतीय इंदिरा मैराथन के पुरुष वर्ग में अरविन्द यादव ने हैट्रिक बनकर नया इतिहास रचा। अम्बेडकर नगर निवासी रेलवे के इस लम्बी दूरी के धावक ने अपने पिछले वर्ष (2::22:30) के समय में सुधार भी किया और मैराथन 2::21:50.8 सेकेण्ड में पूरी की। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, रायपुर में वरिष्ठ लिपिक के पद पर तैनात 24 वर्षीय धावक अरविन्द यादव ने जीत का श्रेय अपने कोच द्रोणाचार्य अवार्ड प्राप्त जे।एल भाटिया को दिया। वे सप्ताह में 200 किलोमीटर की दौड़ लगते हैं और उनका अगला लक्ष्य 20 जनवरी, 2013 को होने वाली मुंबई मैराथन है। इससे पूर्व अरविन्द यादव वर्ष 2009 में आयोजित पुणे मैराथन में प्रथम, वर्ष 2011 में चंडीगढ़ तथा वर्ष 2012 में लखनऊ में आयोजित हाफ मैराथन में प्रथम स्थान प्राप्त कर चुके हैं। अरविन्द यादव को पुरस्कार स्वरुप 1.51 लाख रूपये मिले।
लद्दाख में तैनात कुमांयु रेजिमेंट के सैनिक सानरू यादव 2::22:41.6 सेकेण्ड में मैराथन पूरी कर तीसरे स्थान पर रहे। इस साल पठानकोट में आयोजित क्रास-कंट्री जीत चुके 27 वर्षीय सानरू यादव इलाहबाद इंदिरा मैराथन में पहली बार दौड़े। उन्होंने अपनी उपलब्धि का श्रेय प्रशिक्षक सूबेदार महेश सिंह को दिया। सानरू यादव को पुरस्कार स्वरुप 34 हजार रूपये मिले।
 
'यदुकुल' की तरफ से भी दोनों अग्रणी धावकों को हार्दिक बधाइयाँ।

मंगलवार, 13 नवंबर 2012

दीपावली की बेला पर 'यदुकुल' पर हुए 300 फालोवर्स...बधाइयाँ


!! दीपावली पर्व पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं !! 
आप सभी के समर्थन और प्रोत्साहन का ही नतीजा है कि आज 'शुभ-दीपावली' के दिन 'यदुकुल' ब्लॉग (www.yadukul.blogspot.com ) ने 300 समर्थकों का आंकड़ा छू लिया।
 
इस शुभ-बेला पर दीपोत्सव का आनंद उठायें और हाँ, घरों में दीये जलाएं न कि पटाखे। पर्यावरण के प्रति हमारी सचेतता ही सुखद भविष्य सुनिश्चित करेगी !!
 
  -राम शिव मूर्ति यादव : यदुकुल ब्लॉग (www.yadukul.blogspot.com)

अरुण कुमार यादव बने 'डूडल फार गूगल' कांटेस्ट के विजेता



प्रतिभा उम्र की मोहताज़ नहीं होती, बशर्ते उसे उचित परिवेश मिले। गूगल इंडिया ने चंडीगढ़ केंद्रीय विद्यालय के 9वीं क्लास के स्‍टूडेंट अरुण कुमार यादव को डुडल 4 गुगल कंपीटीशन-2012 का विजेता घोषित किया है। कंपीटीशन में विनिंग डुडल टाइटल इंडिया - प्रिज्म ऑफ मल्‍टीपलसिटी को 14 नवंबर चिल्ड्रन डे पर गुगल इंडिया के होम पेज पर लाइव डिस्प्ले किया जाएगा। ये डुडल क्लासमेट कंपनी की ओर से स्पेशल कलर पैक और बच्चें की ड्राइंग बुक्स पर भी चित्रित किया जाएगा। कंपीटीशन में फाइनल में पहुंचने वाले सभी प्रतिभागियों को सैमसंग टैबलेट और गुगल गुड डी बैग्स दिए जाएंगे।

इस साल के कंपीटीशन का थीम एकता में अनेकता था जिसमें दो लाख के करीब एंट्रीज मिली थी। कंपनी ने गुगल लोगो पर 5 से 16 साल के बच्‍चों को डुडलिंग के जरिए अपनी सृजन क्षमता दिखाने के लिए आमंत्रित किया था। प्रतियोगिता को तीन अलग -अलग कैटेगरीज में बांटा गया था। पहली कैटेगरी पहली से तीसरी क्लास , दूसरी में चौथी से छठी क्लास के और तीसरी कैटेगरी में 7वीं से 10वीं कक्षा के बच्‍चों को शामिल किया गया था। यादव के अलावा पहली से तीसरी क्लास की कैटेगरी में श्री अरबिंदो स्‍कूल ऑफ इंटरनेशनल एजुकेशन की सौभाग्‍य कालिया शामिल है। जबकि गुडग़ांव की अदिति तिवारी को चौथी से छठी क्लास वाली कैटेगरी में अंतिम तेरह में शामिल किया गया है। 'यदुकुल' की तरफ से अरुण कुमार यादव को हार्दिक बधाइयाँ !!
 
-राम शिव मूर्ति यादव : यदुकुल ब्लॉग (www.yadukul.blogspot.com)
 
 
Arun Kumar Yadav, a  student of Chandigarh, has been declared the winner of the Doodle4Google contest, which received 2 lakh submissions from 60 Indian cities.
More than 100 million people across India will have a look at his doodle on the search engine's homepage on Children's Day (November 14)
 
      
The doodle, titled 'A Prism of Multiplicity', shows a soccer player, a kathakali dancer, gold jewellery, a peacock, a farmer and flowers.
 
Arun Kumar Yadav is a Class-9 student of Kendriya Vidyalaya, Sector 31. The winning entry was announced at a picnic-cum-felicitation ceremony at the Rail Museum in New Delhi on Monday.
 
The entries were adjudged by a two-member jury comprising cartoonist Ajit Ninan and actor Boman Irani. The theme for this year's competition was 'Unity in Diversity'.
The Doodle4Google competition was instituted four years ago to encourage children to take up creative work, said Rajan Anandan, vice-president and managing director, Google India.
 
"We are also promoting art awareness through Google. The search engine has tied up with 41 countries under the Google Art Project to bring the best global art to more than 2 billion internet users," Anandan said.
 
"You can visit the best museums in London and Paris with your computer without moving out of your home," Anandan said. He added that Google was also working on a history and culture project.
 
 
(Picture : Actor Boman Irani (right), Google India MD Rajan Anandan (L) with national winner of Doodle 4G contest 2012, Arun Kumar Yadav during the announcement of winners of finals of the contest, in New Delhi on Monday.)

-Ram Shiv Murti Yadav @ www.yadukul.blogspot.com

        



 

सोमवार, 5 नवंबर 2012

ग्रामीण अंचल में रह रहे यादवों की उन्नति के लिए...


हमारी ज़्यादातर आबादी गाँव मे रहती है जब तक वो विकसित न होंगे तब तक हम पूर्ण रूप से विकसित न हो सकेंगे..ग्रामीण यादव परिवारों की तरक्की के लिए कार्य करना होगा तभी हम विकसित होंगे और तभी एकता कायम होगी. ग्रामीण यादव परिवार आज के समय में आर्थिक तंगी के शिकार होते चले जा रहे है जिस तरफ ध्यान देना जरूरी हो गया है अगर हम आप सब उन यादव परिवारों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए कुछ करें जो गांव में निवास करते है जिन्हें दो जून का खाना जुटा पाना असंभव हो रहा है और जो पूर्ण रूप से खेती पर निर्भर करते है और नजदीकी जगहों पर कार्य करना और प्राइवेट लोगो के यहाँ पर नौकरी करना यादव शान के खिलाफ़ मानते है और दूसरी तरफ बढते जनसँख्या दवाब के कारन जमींन में कमी आई है और उसी जमींन पर निर्भरता बढती जा रही है जिस कारण से यादव किसान परिवार कर्ज के बोझ टेल दबते चले जा रहे है इससे अगर हम आप सब मिलकर इनकी तरक्की के रास्ते बनाना शुरू करे यादवों में एकता का संचार ऑटोमेटिक शुरू हो जायेगा सिर्फ फेसबुक पर बाते करने या यादवमहासभा की मीटिंग कर लेने भर से हम आप अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाएंगे

हमारे विचार से ग्रामीण यादवों की आर्थिक तरक्की के लिए तथा सामाजिक एकता के लिए निम्न कार्य किये जा सकते हैं-

1- आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चे अगर परिक्षाओ में अच्छी सफलता अर्जित करते है तो उनके गाइडेंस तथा कोचिंग के लिए प्रदेश और राष्टीय स्तर पर फ्री कोचिंग सुविधा देने की 
व्यवस्था की जाये.

2- ग्रामीण यादव परिवार जिनका मुख्य खेती है उनके लिए कृषि से जुड़े हुए ब्यवसाय करने के लिए एक कार्य योजना बनाई जाये जैसे एक शहरी कसबे से लगे हुए गांव में दुग्ध उत्पादन हो और और कसबे में हमारे ही लोगो द्वारा एक केंद्र खोला जाये जो की इनसे इनका उत्पादन ख़रीदे जिससे इन्हें अपना उत्पाद बेचने में परेशानी ना हो जिससे इनकी आय में ब्रद्धि हो सके.

3- राजनेतिक क्षेत्र में कार्य करने वाले लोग शासकीय योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए काम करे क्योंकि हम हमेशा पिछड़ रहे है जिसके लिए हमें काम करना होता है.

4- आज के समय में सबसे बड़ी समस्या हो गई है दहेज जिसको खत्म तो नहीं किया सकता लेकिन कम जरूर किया जा सकता है क्योंकि लाखों परिवार आज अपनी बेटी की शादी के लिए बहुत चिंतित रहते है इसके लिए सामूहिक परिचय और विवाह सम्मलेन करने का आयोजन किया जाये जिससे आर्थिक रूप से पिछड़े परिवार उसका लाभ उठा सके और उनकी आर्थिक उन्नति हो सके.
 
- शिवम् यादव, झाँसी, उत्तर प्रदेश 
 

रविवार, 4 नवंबर 2012

नहीं रहे बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी डॉ.जे.एस.यादव

अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त जीव वैज्ञानिक डॉ.जे.एस.यादव ने न केवल वैज्ञानिक के रूप में विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाई, बल्कि पर्यावरणविद, सामाजिक कार्यकर्ता, साहित्यकार और शिक्षाविद के रूप में भी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।

 8 नवम्बर, 1942 को दीपावली के दिन गाँव नीरपुर में नंदलाल सिंह तहसीलदार एवं श्रीमती निहालकौर के घर जन्में डॉ.जे.एस.यादव ने राजकीय महाविद्यालय नारनौल से एफ.एस.सी और डीएवी महाविद्यालय, जालंधर से एम.एस.सी.(ऑनर्स)करने उपरान्त पंजाब विश्व-विद्यालय से पी.एच.डी. की और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में प्राणीशास्त्र विभाग में प्राध्यापक लगे। यहाँ अपने शोध कार्य को गति देते हुए आपने कोशिकानुवांशिकी के क्षेत्र के विश्वस्तर पर पहचान बनाई। उन्होंने 6 बड़े रिसर्च प्रोजेक्ट पूरे किए और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के प्रतिनिधि के रूप में 1982 में ढाई माह सोवियत रूस में कार्यरत रहे। उन्होंने स्पेन में आयोजित विश्व स्तरीय कांफे्रंस की अध्यक्षता की और राष्ट्र स्तर पर अपने विषय की अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। उनके निर्देशन में तीन दर्जन से अधिक युवाओं ने पीएचडी और एम.फिल के शोध सम्पन्न किए। उनके 160 से भी अधिक शोध पत्र प्रकाशित हुए। उनके जनेटिक डिसआर्डर के क्षेत्र के किए गए कार्य के मध्यनजर सम्मान-स्वरूप एक डच वैज्ञानिक ने एक बीटल का नाम हाइड्रोक्स-यादवी रखा है। डॉ.यादव हिन्दी में प्रकाशित होने वाली एक मात्र शोध पत्रिका जीवन्ती के संस्थापक संपादक थे।

 वैज्ञानिक के रूप में कार्य करने के अतिरिक्त डॉ.यादव कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय में प्राणीशास्त्र विभाग के अध्यक्ष, डीन विज्ञान संकाय, दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक, डीन स्टूडैंट वैल्फेयर रहे। डॉ.यादव ने पंजाब विश्वविद्यालय की सीनेट का तीन बार लगातार चुनाव जीता और 1988 से 2000 तक लगातार पंजाब विश्वविद्यालय की सीनेट के सदस्य रहे। इसके अलावा वे पंजाब विश्वविद्यालय की सिंडिकेट, फाइनेंस बोर्ड के सदस्य भी रहे। उन्हें विश्वविद्यालय ने डेयरी, पशुपालन तथा कृषि संकाय के डीन भी बनाया। वे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की विषय समिति के सदस्य भी रहे। डॉ.यादव अनेक कालेजों के प्रबंधन से भी जुड़े थे।

 डॉ यादव देश के जाने-माने पर्यावरणविद थे, वे दयानन्द नेशनल अकादमी आफॅ एन्वायरमैंटल साईंसिज, चण्डीगढ़ के उपाध्यक्ष, परिवेश-सोसायटी फार एन्वायरमैंटल एवेयरनेस हरियाणा के अध्यक्ष तथा नेशनल वर्किंग ग्रुप आफ जनेटिक डिसआर्डर के सदस्य थे। हरियाणा में पक्षी विज्ञान के वे एकमात्र ज्ञाता थे।

 डॉ.यादव जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता भी थे। उन्होंने 1984 में जर्मनी गए भारतीय शांति दल का नेतृत्व किया था। डॉ.यादव सामाजिक न्यायमंच हरियाणा के संयोजक और यादव समाज सभा कुरुक्षेत्र के संस्थापक अध्यक्ष थे। उनके प्रयासों से कुरुक्षेत्र में यादव धर्मशाला का निर्माण हुआ है वहीँ एक चौक का नाम राव तुला राम चौक रखा गया है जिस पर राव राजा की 25 फुट ऊँची प्रतिमा स्थापित की गयी है। डॉ.यादव हरिजन सेवक संघ हरियाणा के उपाध्यक्ष भी थे। इसके अलावा भी वे दर्जनों संस्थाओं को अपने अनुभव से लाभान्वित कर रहे थे। डॉ.यादव आर्य समाज के गहरे जुड़े हुए थे और हिन्दी आंदोलन, गौरक्षा आंदोलनों में सक्रिय भूमिका उन्होंने निभाई।

 डॉ. यादव का साहित्य के क्षेत्र मे भी दखल था। वे हरियाणा प्रगतिशील लेखक संघ के प्रदेश संरक्षक रहे। उनकी करीब आधा दर्जन विभिन्न विषयों पर पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं। हाल ही में उनका काव्य संग्रह अकेलेपन का डर लोकार्पित हुआ था। अभी उनकी नई कृति विविधा प्रकाशनाधीन है। स्पष्ट वक्ता, मृदुभाषी डॉ.यादव ने सदा गरीब और पिछड़ों के लिए आवाज बुलन्द की, मगर दलितों और पिछड़ों का यह मसिहा 24 अक्टूबर, 2012 को इस नश्वर संसार को अलविदा कह गया।....श्रद्धांजली !!


 -रघुविन्द्र यादव

शनिवार, 3 नवंबर 2012

यदुकुल का बढ़ा गौरव : ब्लागिंग में उत्कृष्ट कार्य हेतु कृष्ण कुमार-आकांक्षा यादव को उ. प्र. के मुख्यमंत्री द्वारा 'अवध सम्मान'.

पिछले दिनों 'दशक के श्रेष्ठ दम्पति ब्लागर' सम्मान से नवाजे गए दम्पति कृष्ण कुमार यादव और आकांक्षा यादव को इस बार फिर एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने 1 नवम्बर, 2012 को इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं कृष्ण कुमार यादव और उनकी पत्नी आकांक्षा यादव को ‘न्यू मीडिया एवं ब्लागिंग’ में उत्कृष्टता के लिए एक भव्य कार्यक्रम में ‘अवध सम्मान’ से सम्मानित किया गया. जी न्यूज़ द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का आयोजन ताज होटल, लखनऊ में किया गया था, जिसमें विभिन्न विधाओं में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को सम्मानित किया गया, पर यह पहली बार हुआ जब किसी दम्पति को युगल रूप में यह प्रतिष्ठित सम्मान दिया गया.

कहते हैं की  जीवन में कुछ करने की चाह हो तो रास्ते खुद-ब-खुद बन जाते हैं। हिन्दी-ब्लागिंग के क्षेत्र में ऐसा ही रास्ता अखि़्तयार किया दम्पति कृष्ण कुमार यादव व आकांक्षा यादव ने। उनके इस जूनून के कारण ही आज हिंदी ब्लागिंग को आधिकारिक तौर पर भी विधा के रूप में मान्यता मिलने लगी है.  ब्लागर दम्पति को सम्मानित करते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जहाँ न्यू मीडिया के रूप में ब्लागिंग की सराहना की, वहीँ कृष्ण कुमार यादव ने अपने संबोधन में उनसे उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा दिए जा रहे सम्मानों में ‘ब्लागिंग’ को भी शामिल करने का अनुरोध किया. आकांक्षा यादव ने न्यू मीडिया और ब्लागिंग के माध्यम से भ्रूण-हत्या, नारी-उत्पीडन जैसे मुद्दों के प्रति सचेत करने की बात कही. अन्य सम्मानित लोगों में वरिष्ठ साहित्यकार विश्वनाथ त्रिपाठी, चर्चित लोकगायिका मालिनी अवस्थी, ज्योतिषाचार्य पं. के. ए. दुबे पद्मेश, वरिष्ठ आई.एस. अधिकारी जय शंकर श्रीवास्तव इत्यादि प्रमुख रहे.


जीवन में एक-दूसरे का साथ निभाने की कसमें खा चुके कृष्ण कुमार यादव और आकांक्षा यादव, साहित्य और ब्लागिंग में भी हमजोली बनकर उभरे हैं. कृष्ण कुमार यादव ब्लागिंग और हिन्दी-साहित्य में एक चर्चित नाम हैं, जिनकी 6 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । उनके जीवन पर एक पुस्तक ’बढ़ते चरण शिखर की ओर’ भी प्रकाशित हो चुकी है। आकांक्षा यादव भी नारी-सशक्तीकरण को लेकर प्रखरता से लिखती हैं और उनकी दो पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । कृष्ण कुमार-आकांक्षा यादव ने वर्ष 2008 में ब्लाग जगत में कदम रखा और 5 साल के भीतर ही सपरिवार विभिन्न विषयों पर आधारित दसियों ब्लाग का संचालन-सम्पादन करके कई लोगों को ब्लागिंग की तरफ प्रवृत्त किया और अपनी साहित्यिक रचनाधर्मिता के साथ-साथ ब्लागिंग को भी नये आयाम दिये। कृष्ण कुमार यादव का ब्लॉग ‘शब्द-सृजन की ओर’ (http://www.kkyadav.blogspot.in/) जहाँ उनकी साहित्यिक रचनात्मकता और अन्य तमाम गतिविधियों से रूबरू करता है, वहीँ ‘डाकिया डाक लाया’ (http://dakbabu.blogspot.in/) के माध्यम से वे डाक-सेवाओं के अनूठे पहलुओं और अन्य तमाम जानकारियों को सहेजते हैं. आकांक्षा यादव अपने व्यक्तिगत ब्लॉग ‘शब्द-शिखर’ (http://shabdshikhar.blogspot.in/) पर साहित्यिक रचनाओं के साथ-साथ सामाजिक सरोकारों और विशेषत: नारी-सशक्तिकरण को लेकर काफी मुखर हैं.
इस दम्पति के ब्लागों को सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी भरपूर सराहना मिली। कृष्ण कुमार यादव के ब्लाग ’डाकिया डाक लाया’ को 98 देशों, ’शब्द सृजन की ओर’ को 75 देशों, आकांक्षा यादव के ब्लाग ’शब्द शिखर’ को 68 देशों में देखा-पढ़ा जा चुका है. सबसे रोचक तथ्य यह है कि यादव दम्पति ने अभी से अपनी सुपुत्री अक्षिता (पाखी) में भी ब्लागिंग को लेकर जूनून पैदा कर दिया है. पिछले वर्ष ब्लागिंग हेतु भारत सरकार द्वारा ’’राष्ट्रीय बाल पुरस्कार’’ से सम्मानित अक्षिता (पाखी) का ब्लाग ’पाखी की दुनिया’ (http://pakhi-akshita.blogspot.in/) बच्चों के साथ-साथ बड़ों में भी काफी लोकप्रिय है और इसे 98 देशों में देखा-पढ़ा जा चुका है। इसके अलावा इस ब्लागर दम्पति द्वारा ‘उत्सव के रंग’, ‘बाल-दुनिया’, ‘सप्तरंगी प्रेम’ इत्यादि ब्लॉगों का भी सञ्चालन किया जाता है.
 

इस अवसर पर उ.प्र. विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय, रीता बहुगुणा जोशी, प्रमोद तिवारी, केबिनेट मंत्री दुर्गा प्रसाद यादव, अनुप्रिया पटेल, मेयर दिनेश शर्मा सहित मंत्रिपरिषद के कई सदस्य, विधायक, कार्पोरेट और मीडिया से जुडी हस्तियाँ, प्रशासनिक अधिकारी, साहित्यकार, पत्रकार, कलाकर्मी व खिलाडी इत्यादि उपस्थित रहे. आभार ज्ञापन जी न्यूज उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड के संपादक वाशिन्द्र मिश्र ने किया.

शुक्रवार, 2 नवंबर 2012

अभिनेता रघुवीर यादव फिल्म में सेक्स पिल बेचकर देंगे सन्देश


पीपली लाइव से लोकप्रिय हुए अभिनेता रघुवीर यादव अब अपनी अगली फिल्म में सेक्स पिल विक्रेता की भूमिका में नजर आएंगे।

 अभिनेता रघुवीर को उम्मीद है कि इस फिल्म से समाज में कुछ सकरात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे। वह इस फिल्म में गांव में लोगों को सेक्स पिल बेचते दिखेंगे। हालांकि रघुवीर का मानना है कि कहानी दर्शकों को समझ में आएगी क्योंकि आज भी हमारे समाज में अपनी पर्सनल लाइफ के बारे में बात करने में लोग हिचकिचाते हैं।
 
रघुवीर ने बताया कि यह रोल मेरे लिए बहुत चुनौतीपूर्ण होगा। उनका कहना था कि पीपली लाइव के बाद आज तक की यह मेरी बेहतरीन भूमिका होगी। मुझे आशा है कड़ी मेहनत के बाद यह संदेश लोगों तक पहुंचेगा।

गुरुवार, 1 नवंबर 2012

निशा और रचना यादव ने एथलेटिक्स में बनाये नए रिकार्ड

लखनऊ में संपन्न राष्ट्रीय जूनियर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में 30 अक्तूबर, 2012 को उत्तर प्रदेश की निशा यादव ने धमाकेदार प्रदर्शन करते हुए अंडर -18 के हैमर-थ्रो में रिकार्ड के साथ स्वर्ण पदक पर कब्ज़ा किया। बागपत के गुरसनी गाँव की निशा यादव ने नया राष्ट्रीय रिकार्ड बनाया और 54.39 मीटर की दूरी तक हैमर फेंककर हरियाणा की भावना का रिकार्ड तोड़कर यह सफलता प्राप्त की।
 
यही नहीं, निशा की बड़ी बहन रचना यादव ने भी अंडर -20 वर्ग के हैमर-थ्रो में 50.55 मीटर का थ्रो कर नए मीट रिकार्ड के स्वर्ण पदक पर कब्ज़ा जमाया।
 
लखनऊ के गुरु गोविन्द सिंह स्पोर्ट्स कालेज में संपन्न इस प्रतियोगिता में उड़नपरी पी टी उषा ने निशा और रचना यादव को मैडल पहनाकर गले लगाकर बधाइयाँ दी।

'यदुकुल' की तरफ से भी दोनों बहनों को हार्दिक बधाइयाँ।

- राम शिव मूर्ति यादव, संयोजक- यदुकुल ब्लॉग (www.yadukul.blogspot.com)

बुधवार, 3 अक्तूबर 2012

शालू यादव बनीं इलाहाबाद विश्विद्यालय की छात्र संघ उपाध्यक्ष


 इलाहाबाद विश्विद्यालय की छात्र संघ उपाध्यक्ष पद पर आइसा की शालू यादव विजयी हुई हैं. एक लम्बे समय बाद इस पद पर किसी महिला ने परचम फहराया है. 28 सालो बाद कोई महिला नेतृत्व जीता है.   शालू ने ये पद अपने निकटतम प्रत्याशी आलोक कुमार सिंह से 925 वोटो से जीता है.


यही कारण था कि मऊ के छोटे से व्यवसायी प्रमोद यादव का सीना गर्व से चौड़ा था। आखिर हो भी क्यों नहीं, बेटी शालू छात्रसंघ भवन के प्राचीर से उपाध्यक्ष पद की शपथ जो ले रही थी। बेटी ने वह कर दिखाया है, जिसके बारे में इस परिवार ने कभी सोचा भी नहीं था। कभी यहीं के छात्र रहे प्रमोद के लिए बेटी को गौरवशाली इतिहास वाले इस छात्रसंघ का हिस्सा बनते देखना काफी भावुक करने वाला लम्हा था।

हालांकि प्रमोद अब भी बेटी को आईएएस बनते देखना चाहते हैं लेकिन यदि राजनीति में कॅरियर संवारती है तो रोकेंगे भी नहीं। शपथ ग्रहण समारोह में प्रमोद के अलावा शालू के नाना गांधी यादव, नाना के छोटे भाई योगेंद्र प्रताप यादव, मामा हर्षवर्धन और भाई हेमंत भी मौजूद रहे। प्रमोद का कहना है, वह शुरू से ही मेधावी रही है और उसे आईएएस बनाना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि परिवार में पहली सदस्य है जिसने राजनीति में इतनी दूर तक की सफर तय किया है। निश्चित ही पूरे परिवार के लिए गौरव करने वाला पल है। गांव में भी मिठाइयां बंटीं। उन्होंने कहा, इच्छा है कि शालू इस पद का पूरी ईमानदारी से निर्वहन करते हुए पढ़ाई पर ध्यान दे। नाना गांधी तथा परिवार के अन्य लोग भी शालू की इस उपलब्धि पर काफी उत्साहित थे। नाना का कहना है कि उसे इसी उम्र में खुद को साबित किया है। अब उसे कोई नहीं रोकेगा।

दिनेश यादव बने इलाहाबाद विश्विद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष

इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव के नतीजे हमेशा से महत्वपूर्ण रहे हैं. एक लम्बे समय बाद संपन्न इन चुनावों में तिन प्रमुख पदों पर यदुवंशियों ने परचम फहराया. अध्यक्ष पद पर समाजवादी छात्र सभा के प्रत्याशी दिनेश सिंह यादव, उपाध्यक्ष पद पर आइसा की शालू यादव तो संयुक्त मंत्री पद पर गयाशंकर यादव निर्वाचित हुए हैं।
 
अध्यक्ष पद चुने गए दिनेश यादव का बचपन से ही राजनीति के प्रति रुझान रहा। यही कारण रहा कि परिवार ने भी पूरी छूट दे रखी है। शपथ ग्रहण समारोह में मौजूद भाई उमेेश सिंह यादव ने बताया कि कक्षा छह में ही उसमें नेतृत्व के गुण दिखने लगे थे। इसलिए उसे राजनीति करने से कभी नहीं रोका गया लेकिन लगातार नसीहत दी जाती रही कि ध्येय राष्ट्रहित हो। उसने लंबे संघर्ष के बाद यह उपलब्धि हासिल की है। उम्मीद है छात्र-छात्राओं से किए गए वादे पूरा करेगा। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि जिस विचारधारा के साथ वह राजनीति में आया है उसे और आगे बढ़ाएगा।
 
शपथ ग्रहण के बाद छात्रों को संबोधित करते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के नवनिर्वाचित अध्यक्ष दिनेश सिंह यादव ने कहा कि चुनाव से पूर्व छात्रों से जो वायदे किए हैं उसे पूरा किया जाएगा। कैंपस में पठन-पाठन का माहौल बने, सुविधाएं बहाल होंगी। छात्रसंघ का दरवाजा छात्र-छात्राओं की किसी भी समस्या के लिए हमेशा खुले रहेंगे। कैंपस में अराजकता, गुंडागर्दी, छेड़छाड़ और रैगिंग बर्दाश्त नहीं की जाएगी। छात्रावासों की हालत सुधरेगी, लाइब्रेरी में सुविधाएं और किताबें बढ़ेंगी।
 
उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आखिरी बार 2005 में छात्र संघ चुनाव चुनाव हुए थे। मायावती ने 2007 में सत्ता में आने के बाद छात्रसंघ चुनावों पर रोक लगा दी थी। इस वर्ष विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के सत्ता में आने के बाद अखिलेश यादव सरकार ने छात्रसंघ बहाल किया। गौरतलब है कि इलाहाबाद विश्विद्यालय में छात्र संघ के अध्यक्ष पद पर निर्वाचित होने वाले प्रथम यदुवंशी कृष्ण मूर्ति सिंह यादव रहे हैं. दिनेश यादव केंद्रीय विश्विद्यालय बनने के बाद पहले छात्र संघ अध्यक्ष हैं.

शनिवार, 22 सितंबर 2012

समकालीन हिंदी साहित्य की प्रसिद्ध लेखिका : डॉ. उषा यादव

हिंदी-साहित्य को समृद्ध करने में तमाम महिलाओं ने प्रमुख भूमिका निभाई हैं, उन्हीं में से एक नाम है- डॉ. उषा यादव का. डा. उषा यादव समकालीन हिंदी साहित्य की प्रसिद्ध लेखिका हैं। वे केन्द्रीय हिंदी संस्थान आगरा, डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, भाषा विज्ञान विद्यापीठ में भी प्राध्यापन कार्य कर चुकी हैं। वे साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था 'इन्द्रधनुष' की अध्यक्ष एवं 'प्राच्य शोध संस्थान' की सचिव भी हैं। उन्हें उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान लखनऊ से बाल साहित्य का सर्वोच्च सम्मान 'बालसाहित्य भारती' तथा विश्वविद्यालय स्तरीय सम्मान भी प्राप्त हुआ। मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी ने उनके उपन्यास काहे री नलिनी को 'अखिल भारतीय वीरसिंह देव' पुरस्कार प्रदान किया।
 डॉ. उषा यादव वरिष्ठ बाल-साहित्यकार कानपुर निवासी चन्द्रपाल सिंह यादव मयंक की सुपुत्री एवं केआर महाविद्यालय मथुरा के पूर्व प्राचार्य तथा उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा आयोग के सदस्य डॉ. राजकिशोर सिंह की धर्मपत्नी हैं। उनकी प्रमुख रचनाएं हैं- टुकड़े टुकड़े सुख, सपनों का इन्द्रधनुष, जाने कितने कैक्टस, चुनी हुई कहानियां, सुनो जयंती, चांदी की हंसली (सभी कहानी-संग्रह), प्रकाश की ओर, एक ओर अहल्या, धूप का टुकड़ा, आंखों का आकाश, कितने नीलकंठ, कथान्तर, अमावस की रात, काहे री नलिनी (सभी उपन्यास), सपने सच हुए, हिंदी साहित्य के इतिहास की कहानी, राजा मुन्ना, अनोखा उपहार, कांटा निकल गया, लाख टके की बात, जन्म दिन का उपहार, दूसरी तस्वीर, दोस्ती का हाथ, मेवे की खीर, खुशबू का रहस्य, पारस पत्थर, नन्हा दधीचि, लाखों में एक, राधा का सपना, भारी बस्ता, तस्वीर के रंग व सांगर मंथन (सभी बाल-साहित्य).सूचना व प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा डा. उषा यादव को भारतेन्द्रु हरिश्चंद्र पुरस्कार प्रदान भी किया गया था। उनका बाल उपन्यास पारस पत्थर चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट से पुरस्कृत हुआ है। उनकी तर्पण कहानी का अंग्रेजी, सपनों का इन्द्रधनुष का उड़िया, मरीचिका कहानी का तेलगू, सुनो कहानी नानक बानी का पंजाबी भाषा में अनुवाद हुआ है। यही नहीं, राजस्थान शिक्षा परिषद की कक्षा 6 की पाठ्य पुस्तक में उनकी कहानी दीप से दीप जले पढ़ाई जाती है तो महाराष्ट्र हायर सैकेंड्री बोर्ड की नवीं कक्षा 9 के पाठ्यक्रम में ऊंचे लोग कहानी संकलित हैं.
 

गुरुवार, 20 सितंबर 2012

टाटा मोटर्स से जुड़े रंजीत यादव



टाटा मोटर्स ने रंजीत यादव को कंपनी की यात्री कार कारोबार इकाई (पीसीबीयू) का अध्यक्ष नियुक्त किया है। इससे पहले रंजीत सैमसंग इंडिया के भारत प्रमुख (मोबाइल एवं आइटी) का पदभार संभाल रहे थे। इसके अलावा टाटा मोटर्स ने फॉक्सवैगन के पूर्व निदेशक (बिक्री एवं विपणन) नीरज गर्ग को पीसीबीयू का उपाध्यक्ष (कमर्शियल) नियुक्त किया है। टाटा मोटर्स के प्रबंध निदेशक कार्ल स्लिम ने कहा कि उपभोक्ता केंद्रित कारोबार में रंजीत यादव को खासा अनुभव हासिल है। उनके अनुभव से हमें यात्री वाहन कारोबार के विकास में मदद मिलेगी।

शनिवार, 15 सितंबर 2012

राम शिव मूर्ति यादव को 'साहित्य-मंडल', श्रीनाथद्वारा द्वारा 'हिंदी भाषा-भूषण' की मानद उपाधि

देश-विदेश में प्रतिष्ठित साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक संस्था 'साहित्य-मंडल', श्रीनाथद्वारा ( राजस्थान) ने प्रखर लेखक श्री राम शिव मूर्ति यादव को उनकी हिंदी सेवा के लिए हिंदी दिवस (14 सितम्बर, 2012 ) पर आयोजित दो दिवसीय सम्मलेन में "हिंदी भाषा-भूषण" की मानद उपाधि से अलंकृत किया | हिंदी के विकास को समर्पित इस सम्मलेन में देश-विदेश के तमाम साहित्यकारों और लेखकों ने भाग लिया | गौरतलब है कि 'साहित्य-मंडल', श्रीनाथद्वारा की स्थापना आजादी से पूर्व वर्ष 1937 में हुई थी और तभी से यह प्रतिष्ठित संस्था हिंदी को समृद्ध करने और हिंदी-सेवियों को उनके योगदान के आधार पर सम्मानित कर अपनी गौरव-गाथा में वृद्धि कर रही है. इस वर्ष श्री राम शिव मूर्ति यादव को उनकी विशिष्ट हिंदी सेवा के लिए साहित्य-मण्डल, श्रीनाथद्वारा के अध्यक्ष श्री नरहरि ठाकर एवं हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग व साहित्य-मण्डल, श्रीनाथद्वारा के सभापति श्री भगवती प्रसाद देवपुरा ने सारस्वत सम्मान करते हुए उपाधि-पत्र, भगवान श्रीनाथ जी की भव्य स्वर्ण जल से हस्तनिर्मित सुशोभित चित्र एवं अन्य मानद वस्तुएं भेंट किया। इस अवसर पर आयोजित सम्मलेन में विचार गोष्ठी,सम्मान समारोह व साहित्यकारों द्वारा बैंड बाजों के साथ नगर भ्रमण द्वारा हिंदी का प्रचार -प्रसार व जागरूकता का आयोजन भी किया गया |


उत्तर प्रदेश सरकार में स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी पद से सेवानिवृत्ति पश्चात तहबरपुर-आजमगढ़ जनपद निवासी श्री राम शिव मूर्ति यादव जी एक लम्बे समय से तमाम प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में सामाजिक विषयों पर प्रखरता से लेखन कर रहे हैं। श्री यादव की ‘सामाजिक व्यवस्था एवं आरक्षण‘ नाम से एक पुस्तक भी प्रकाशित हो चुकी है। आपके तमाम लेख विभिन्न स्तरीय संकलनों में भी प्रकाशित हैं। इसके अलावा आपके लेख इंटरनेट पर भी तमाम चर्चित वेब/ई/ऑनलाइन पत्र-पत्रिकाओं और ब्लाग्स पर पढ़े-देखे जा सकते हैं। यदुवंशियों पर आधारित प्रथम हिंदी ब्लॉग ”यदुकुल” (http://www.yadukul.blogspot.in/) का भी आप द्वारा 10 नवम्बर 2008 से सतत संचालन किया जा रहा है। दुनिया भर के लगभग 65 देशों में पढ़े जाने वाले इस ब्लॉग को 293 से ज्यादा लोग नियमित रूप से अनुसरण करते हैं, वहीँ इस ब्लॉग पर अब तक 315 से ज्यादा पोस्ट प्रकाशित हो चुकी हैं। इस ब्लॉग की लोकप्रियता का अंदाजा इसे से लगाया जा सकता है कि आज इस ब्लॉग को करीब 65,000 से ज्यादा लोग पढ़ चुके हैं।


इससे पूर्व श्री राम शिव मूर्ति यादव जी को भारतीय दलित साहित्य अकादमी, नई दिल्ली द्वारा सामाजिक न्याय सम्बन्धी लेखन एवं समाज सेवा के लिए 'ज्योतिबाफुले फेलोशिप सम्मान' (2007), 'डा. अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान' (2011), अम्बेडकरवादी साहित्य को प्रोत्साहित करने एवं तत्संबंधी लेखन हेतु रिपब्लिकन पार्टी के अध्यक्ष श्री रामदास आठवले द्वारा ‘अम्बेडकर रत्न अवार्ड 2011', राष्ट्रीय राजभाषा पीठ, इलाहाबाद द्वारा विशिष्ट कृतित्व एवं समृद्ध साहित्य-साधना हेतु ‘भारती ज्योति’ सम्मान, आसरा समिति, मथुरा द्वारा ‘बृज गौरव‘, म.प्र. की प्रतिष्ठित संस्था ‘समग्रता‘ शिक्षा साहित्य एवं कला परिषद, कटनी द्वारा 'भारत-भूषण' (2010) की मानद उपाधि से अलंकृत किया जा चूका है।
 
-प्रस्तुति : श्री गोवर्धन यादव, संयोजक-राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, छिंदवाडा, मध्य प्रदेश.

शाबास आरती यादव..!!

कहते हैं नारी बड़ी सौम्य और धैर्यवान होती है, पर जब नारी की अस्मिता से खिलवाड़ होता है तो उसे रणचंडी बनने में देर नहीं लगती. ऐसा ही एक वाकया हुआ प्रयाग की धरा पर, जहाँ छेड़छाड़ से आजिज एक छात्रा आरती यादव ने 14 सितम्बर, 2012 को दुर्गा का रूप धारण कर शोहदे को सबक सिखा दिया। वस्तुत: इलाहाबाद विश्वविद्यालय की छात्रा आरती यादव को कटरा का रहने वाला विवेक रोज परेशान करता था। विश्वविद्यालय और घर जाने के दौरान वह छेड़छाड़ करता था। घटना के दिन आरती यादव को कचहरी के पास विवेक ने आगे बाइक लगाकर रोक लिया। पानी सिर से ऊपर होने पर आरती ज्वाला बन गई। उसने चप्पल उतार विवेक को पीटना शुरू कर दिया। सड़क से ईंट उठाकर उसे मारा। आरती का रौद्ररूप देख विवेक के होश उड़ गए। वह बाइक छोड़ भाग खड़ा हुआ। घटना से हंगामा मच गया और भारी भीड़ जमा हो गई। भीड़ के बीच आरती ने हिम्मत दिखाते हुए विवेक की बाइक को ईंट से कूंचा, फिर पेट्रोल छिड़कर उसमें आग लगा दी। भरे बाजार लड़की के बाइक फूंकने से हंगामा मच गया। लोगों ने आरती को रोकने की कोशिश लेकिन वह भिड़ी रही। अंतत: पुलिस ने पहुंच कर मामला संभाला।


सुल्तानपुर की रहने वाली आरती यादव इलाहबाद शहर के बेली इलाके में रहकर इविवि से बीए तृतीय वर्ष की पढ़ाई कर रही है। पुराना कटरा का रहने वाला विवेक सिंह उर्फ जोंटी आरती को रोज परेशान करता था। कालेज या फिर घर जाने के दौरान विवेक आरती के पीछे लग जाता। कभी उससे मोबाइल नंबर मांगता तो कभी लेटर देने की कोशिश करता। आरती खामोश रहकर काफी दिन सहती रही। घटना के दिन आरती विक्रम से कालेज के लिए निकली। कचहरी स्टैंड पर वह उतरी तो विवेक बाइक लेकर आ गया। वह आरती के पीछे लग गया। कचहरी से नेतराम जाने वाली सड़क पर उसने आगे बाइक लगाकर आरती को रोक लिया। इसके बाद तो आरती आपे से बाहर हो गई। वह चीखते हुए विवेक से भिड़ गई। चप्पल उतार उसने पीटने लगी। विवेक बाइक छोड़कर भागा तो आरती ईंट उठाकर उसके पीछे दौड़ी। विवेक पर ईंट फेंकने के बाद उसने बाइक में तोड़फोड़ की। बाइक को जमीन पर गिराने के बाद आरती ने पेट्रोल का पाइप खींच दिया। तेल गिरने लगा तो आरती ने उसने आग लगा दी। बाजार के बीच बवाल देख लोग दंग रह गए। कई लोगों ने आरती को हटाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं मानी। मामले की खबर पाकर पुलिस पहुंच गई और आरती की तहरीर पर कर्नलगंज थाने में विवेक के खिलाफ छेड़छाड़ और मारपीट की कोशिश का मामला दर्ज किया.

इस घटना ने एक बार पुन: सिद्ध कर दिया है कि नारी कमजोर नहीं बल्कि सहनशील मात्र होती है, जिसका कि सम्मान किया जाना चाहिए. इस घटना के बाद आजकल इलाहबाद में सर्वत्र चर्चा है और लोगों की जुबान पर है- शाबास आरती !!

- राम शिव मूर्ति यादव : यदुकुल

शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

कृष्ण कुमार यादव को मिला साहित्य-मण्डल, श्रीनाथद्वारा द्वारा 11,000 रुपये की राशि का ’’श्रीमती सरस्वती सिंहजी सम्मान-2012’’

युवा साहित्यकार व ब्लागर एवं सम्प्रति इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं कृष्ण कुमार यादव को राजस्थान की प्रसिद्ध साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं शैक्षिणक संस्था साहित्य-मण्डल, श्रीनाथद्वारा द्वारा हिन्दी दिवस (14 सितम्बर) पर विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता और प्रशासन के साथ-साथ सतत् साहित्य सृजनशीलता हेतु ’’श्रीमती सरस्वती सिंहजी सम्मान-2012’’ से सम्मानित किया गया। वैदिक क्रांति परिषद परिवार, देहरादून द्वारा साहित्यानुरागी, निस्पृह समाजसेवी, आर्यनेत्री एवं वैदिक क्रांति परिषद की संस्थापक स्वर्गीया श्रीमती सरस्वती सिंह की पावन स्मृति में प्रतिवर्ष दिये जाने वाले इस प्रतिष्ठित सम्मान के तहत श्री यादव को 11,000/- रुपये की नकद राशि, प्रशस्ति पत्र, शाल व अन्य मानद वस्तुएं प्रदान कर सम्मानित किया गया। इसी मंच पर साहित्य-मण्डल, श्रीनाथद्वारा के अध्यक्ष श्री नरहरि ठाकर एवं हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग व साहित्य-मण्डल, श्रीनाथद्वारा के सभापति श्री भगवती प्रसाद देवपुरा ने कृष्ण कुमार यादव को उच्च पदस्थ अधिकारी, सहृदय कवि एवं श्रेष्ठ रचनाकार के रूप में सारस्वत सम्मान करते हुए भगवान श्रीनाथ का सुशोभित चित्र एवं अभिनन्दन पत्र भी भेंट किया। इस अवसर पर श्री यादव के साथ-साथ वरिष्ठ साहित्यकार प्रो0 सूर्य प्रसाद दीक्षित (लखनऊ), सुप्रसिद्ध हास्य-व्यंग्य लेखक प्रेम जनमेजय (नई दिल्ली), वरिष्ठ साहित्यकार आचार्य डा0 राम गोपाल शर्मा (नोयडा), भारतेन्द्रु परिवार के प्रपौत्र व भूगर्भ शास्त्र अध्येयता प्रो0 गिरीश चन्द्र चैधरी (वाराणसी) को भी सम्मानित किया गया। यह जानकारी साहित्य-मंडल, श्रीनाथद्वारा के श्री श्याम देवपुरा ने दी। गौरतलब है कि श्री यादव को हाल ही में विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर, बिहार द्वारा डाक्टरेट (विद्यावाचस्पति) की मानद उपाधि एवं परिकल्पना समूह द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ’’दशक के श्रेष्ठ दंपत्ति ब्लागर’’ के रूप में सम्मानित किया गया है।

सरकारी सेवा में उच्च पदस्थ अधिकारी होने के साथ-साथ साहित्य, लेखन और ब्लागिंग के क्षेत्र में भी चर्चित नाम श्री कृष्ण कुमार यादव की रचनाधर्मिता को देश की प्रायः अधिकतर प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में देखा-पढ.ा जा सकता हैं। विभिन्न विधाओं में अनवरत प्रकाशित होने वाले श्री यादव की अब तक कुल 6 पुस्तकें-'अभिलाषा' (काव्य-संग्रह, 2005) 'अभिव्यक्तियों के बहाने' व 'अनुभूतियाँ और विमर्श' (निबंध-संग्रह, 2006 व 2007), 'इण्डिया पोस्ट : 150 ग्लोरियस ईअर्स' (2006), 'क्रांति-यज्ञ : 1857-1947 की गाथा' (2007) एवं 'जंगल में क्रिकेट' (बाल गीत संग्रह, 2012 ) प्रकाशित हो चुकी हैं। व्यक्तिश: 'शब्द-सृजन की ओर' और 'डाकिया डाक लाया' एवं युगल रूप में सप्तरंगी प्रेम, उत्सव के रंग और बाल-दुनिया ब्लॉग का सञ्चालन करने वाले श्री यादव के व्यक्तित्व-कृतित्व पर एक पुस्तक ‘‘बढ़ते चरण शिखर की ओर: कृष्ण कुमार यादव‘‘ (सं0 डा0 दुर्गाचरण मिश्र, 2009) भी प्रकाशित हो चुकी है। पचास से अधिक प्रतिष्ठित पुस्तकों/संकलनों में विभिन्न विधाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं व ‘सरस्वती सुमन‘ (देहरादून) पत्रिका के लघु-कथा विशेषांक (जुलाई-सितम्बर, 2011) का संपादन भी आपने किया है। आकाशवाणी लखनऊ, कानपुर व पोर्टब्लेयर और दूरदर्शन से आपकी कविताएँ, वार्ता, साक्षात्कार इत्यादि का प्रसारण हो चुका हैं।

इससे पूर्व श्री कृष्ण कुमार यादव को भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा ‘’महात्मा ज्योतिबा फुले फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान‘‘ व ‘’डा0 अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान‘‘, साहित्य मंडल, श्रीनाथद्वारा, राजस्थान द्वारा ”हिंदी भाषा भूषण”, भारतीय बाल कल्याण संस्थान द्वारा ‘‘प्यारे मोहन स्मृति सम्मान‘‘, ग्वालियर साहित्य एवं कला परिषद द्वारा ”काव्य शिरोमणि” एवं ”महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला‘ सम्मान”, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद द्वारा ‘‘भारती रत्न‘‘, अखिल भारतीय साहित्यकार अभिनन्दन समिति मथुरा द्वारा ‘‘कविवर मैथिलीशरण गुप्त सम्मान‘‘, ‘‘महाकवि शेक्सपियर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान‘‘, मेधाश्रम संस्था, कानपुर द्वारा ‘‘सरस्वती पुत्र‘‘, सहित विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं द्वारा 50 से ज्यादा सम्मान और मानद उपाधियाँ प्राप्त हो चुकी हैं।


-रत्नेश कुमार मौर्या
संयोजक - ’शब्द साहित्य’

गुरुवार, 6 सितंबर 2012

प्रगतिशील चेतना के प्रखर कवि : रमाशंकर यादव 'विद्रोही'

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में जन्मे रमाशंकर यादव 'विद्रोही' प्रगतिशील चेतना के प्रखर कवि रूप में जाने जाते हैं. उनकी रचनाधर्मिता में उनका नाम ‘विद्रोही’ के नाम से विख्यात है। दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रों के बीच उनकी कविताएँ ख़ासी लोकप्रिय रही हैं। वाम आंदोलन से जुड़ने की ख़्वाहिश और जेएनयू के अंदर के लोकतांत्रिक माहौल ने उन्हें इतना आकृष्ट किया कि वे इसी परिसर के होकर रह गए। उन्होंने इस परिसर में जीवन के 30 से भी अधिक वसंत गुज़ारे हैं। शरीर से कमज़ोर लेकिन मन से सचेत और मज़बूत इस कवि ने अपनी कविताओं को कभी कागज़ पर नहीं उतारा। उनकी कविताओं में कई तो अंधेरे में और राम की शक्ति पूजा की तरह की लंबी कविताएँ हैं। उन्हें अपनी सारी कविताएँ याद है और वे बराबर मौखिक रूप से अपनी कविताओं को छात्रों के बीच सुनाते रहे हैं। ख़ुद को नाज़िम हिकमत, पाब्लो नेरूदा, और कबीर की परंपरा से जोड़ने वाला यह कवि जेएनयू से बाहर की दुनिया के लिए अलक्षित सा रहा है।

अपनी कविता की धुन में छात्र जीवन के बाद भी उन्होंने जेएनयू कैंपस को ही अपना बसेरा माना। वे कहते हैं, "जेएनयू मेरी कर्मस्थली है. मैंने यहाँ के हॉस्टलों में, पहाड़ियों और जंगलों में अपने दिन गुज़ारे हैं।" वे बिना किसी आय के स्रोत के छात्रों के सहयोग से किसी तरह कैंपस के अंदर जीवन बसर करते रहे हैं। अगस्त 2010 में जेएनयू प्रशासन ने अभद्र और आपत्तिजनक भाषा के प्रयोग के आरोप में तीन वर्ष के लिए परिसर में उनके प्रवेश पर पाबंदी लगा दी थी। जेएनयू के छात्र समूह ने प्रशासन के इस रवैए का पुरज़ोर विरोध किया। तीन दशकों से घर समझने वाले जेएनयू परिसर से बेदखली उनके लिए मर्मांतक पीड़ा से कम नहीं थी।

नितिन पमनानी ने विद्रोही जी के जीवन संघर्ष पर आधारित एक वृत्त वृत्तचित्र आई एम योर पोएट (मैं तुम्हारा कवि हूँ) हिंदी और भोजपुरी में बनाया है। मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में इस वृत्तचित्र ने अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धा श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र का गोल्डन कौंच पुरस्कार जीता।

उनकी कविताओं में वाम रुझान और प्रगतिशील चेतना साफ़ झलकती है।वाचिक परंपरा के कवि होने की वजह से उनकी कविता में मुक्त छंद और लय का अनोखा मेल दिखता है।उनके पास क़रीब तीन-चार सौ कविताएँ हैं जिनमें से कुछ पत्रिकाओं में छपी है। उन्होंने ज्यादातर दिल्ली और बाहर के विश्वविद्यालयों में घूम-घूम कर ही अपनी कविताएँ सुनाई हैं। उनकी कुछ प्रतिनिधि कविताएँ इस प्रकार हैं-

नई खेती

मैं किसान हूँ

आसमान में धान बो रहा हूँ

कुछ लोग कह रहे हैं

कि पगले! आसमान में धान नहीं जमा करता

मैं कहता हूँ पगले!

अगर ज़मीन पर भगवान जम सकता है

तो आसमान में धान भी जम सकता है

और अब तो दोनों में से कोई एक होकर रहेगा

या तो ज़मीन से भगवान उखड़ेगा

या आसमान में धान जमेगा।

************

औरतें…

इतिहास में वह पहली औरत कौन थी जिसे सबसे पहले जलाया गया?

मैं नहीं जानता

लेकिन जो भी रही हो मेरी माँ रही होगी,

मेरी चिंता यह है कि भविष्य में वह आखिरी स्त्री कौन होगी

जिसे सबसे अंत में जलाया जाएगा?

मैं नहीं जानता

लेकिन जो भी होगी मेरी बेटी होगी

और यह मैं नहीं होने दूँगा।

****************

मोहनजोदड़ो...

और ये इंसान की बिखरी हुई हड्डियाँ

रोमन के गुलामों की भी हो सकती हैं और

बंगाल के जुलाहों की भी या फिर

वियतनामी, फ़िलिस्तीनी बच्चों की

साम्राज्य आख़िर साम्राज्य होता है

चाहे रोमन साम्राज्य हो, ब्रिटिश साम्राज्य हो

या अत्याधुनिक अमरीकी साम्राज्य

जिसका यही काम होता है कि

पहाड़ों पर पठारों पर नदी किनारे

सागर तीरे इंसानों की हड्डियाँ बिखेरना

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जन-गण-मन

मैं भी मरूंगा

और भारत के भाग्य विधाता भी मरेंगे

लेकिन मैं चाहता हूं

कि पहले जन-गण-मन अधिनायक मरें

फिर भारत भाग्य विधाता मरें

फिर साधू के काका मरें

यानी सारे बड़े-बड़े लोग पहले मर लें

फिर मैं मरूं- आराम से

उधर चल कर वसंत ऋतु में

जब दानों में दूध और आमों में बौर आ जाता है

या फिर तब जब महुवा चूने लगता है

या फिर तब जब वनबेला फूलती है

नदी किनारे मेरी चिता दहक कर महके

और मित्र सब करें दिल्लगी

कि ये विद्रोही भी क्या तगड़ा कवि था

कि सारे बड़े-बड़े लोगों को मारकर तब मरा॥


शिवकुमार यादव राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित

शैक्षिक क्षेत्र में की गई विशिष्ट सेवाओं पर डीएवी इंटर कालेज,मुजफ्फरनगर के प्रधानाचार्य शिवकुमार यादव को राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से नवाजा है। उन्हें यह पुरस्कार शिक्षक दिवस के मौके पर नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में दिया गया।

हाल ही में डीएवी इंटर कालेज, मुजफ्फरनगर के प्रधानाचार्य शिवकुमार यादव को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2011 प्रदान करने की घोषणा की गई थी। बुधवार को शिक्षक दिवस के मौके पर नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में देश के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने शिवकुमार यादव को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया। शिवकुमार यादव को पुरस्कार स्वरूप एक मेडल, प्रशस्ति पत्र व 25 हजार रुपए का चेक भी प्रदान किया गया।

बुधवार, 29 अगस्त 2012

यदुकुल के गौरव : कृष्ण कुमार-आकांक्षा यादव को मिला 'दशक के श्रेष्ठ ब्लागर दंपत्ति' का सम्मान

जीवन में कुछ करने की चाह हो तो रास्ते खुद-ब-खुद बन जाते हैं। हिन्दी-ब्लागिंग के क्षेत्र में ऐसा ही रास्ता अखि़्तयार किया कृष्ण कुमार यादव व आकांक्षा यादव ने। 2008 में अपना ब्लागिंग-सफर आरंभ करने वाले इस दम्पत्ति को परिकल्पना समूह द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ’’दशक के श्रेष्ठ दम्पत्ति ब्लागर’’ के रूप में सम्मानित किया गया है। इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं पद पर पदासीन कृष्ण कुमार यादव हिन्दी-साहित्य में एक सुपरिचित नाम हैं, जिनकी 6 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । उनके जीवन पर एक पुस्तक ’बढ़ते चरण शिखर की ओर’ भी प्रकाशित हो चुकी है। आकांक्षा यादव भी नारी-सशक्तीकरण को लेकर प्रखरता से लिखती हैं । साहित्य के साथ-साथ ब्लागिंग में भी हमजोली यादव दम्पत्ति को 27 अगस्त, 2012 को लखनऊ में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लागर सम्मेलन में 'दशक के श्रेष्ठ ब्लागर दम्पत्ति’ का अवार्ड दिया गया। मुख्य अतिथि श्री श्री प्रकाश जायसवाल केन्द्रीय कोयला मंत्री की अनुपस्थिति में यह सम्मान वरिष्ठ साहित्यकार उदभ्रांत, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक शैलेन्द्र सागर आदि ने संयुक्त रूप से दिया।

गौरतलब है कि हिंदी ब्लागिंग का आरंभ वर्ष 2003 में हुआ और इस पूरे एक दशक में तमाम ब्लागरों ने अपनी
अभिव्यक्तियों को विस्तार दिया। पर कृष्ण कुमार-आकांक्षा यादव ने वर्ष 2008 में ब्लाग जगत में कदम रखा और 5 साल के भीतर ही सपरिवार विभिन्न विषयों पर आधारित दसियों ब्लाग का संचालन-सम्पादन करके कई लोगों को ब्लागिंग की तरफ प्रवृत्त किया और अपनी साहित्यिक रचनाधर्मिता के साथ-साथ ब्लागिंग को भी नये आयाम दिये। कृष्ण कुमार यादव जहाँ 'शब्द-सृजन की ओर' और 'डाकिया डाक लाया' ब्लॉग के माध्यम से सक्रिय हैं, वहीँ आकांक्षा यादव 'शब्द-शिखर' ब्लॉग के माध्यम से. इसके अलावा इस युगल-दंपत्ति द्वारा सप्तरंगी प्रेम, बाल-दुनिया और उत्सव के रंग ब्लॉगों का भी युगल सञ्चालन किया जाता है. उपरोक्त सम्मान की घोषणा करते हुए संयोजकों ने लिखा कि- ''कृष्ण कुमार यादव ने 'डाकिया डाक लाया' ब्लॉग के माध्यम से डाक विभाग की सुखद अनुभूतियों से पाठकों को रूबरू कराने का बीड़ा उठाया तो आकांक्षा यादव ने 'शब्द-शिखर' के माध्यम से साहित्य के विभिन्न आयामों से रूबरू कराने का। एक स्वर है तो दूसरी साधना। हिन्दी ब्लोगजगत में जूनून की हद तक सक्रिय इस ब्लॉगर दंपति ने हिंदी ब्लागिंग को कई नए आयाम दिए हैं.'' इन दम्पत्ति के ब्लागों को सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी भरपूर सराहना मिली। कृष्ण कुमार यादव के ब्लाग ’डाकिया डाक लाया’ को 94 देशों, ’शब्द सृजन की ओर’ को 70 देशों, आकांक्षा यादव के ब्लाग ’शब्द शिखर’ को 66 देशों और इस ब्लागर दम्पत्ति की सुपुत्री एवं पिछले वर्ष ब्लागिंग हेतु भारत सरकार द्वारा ’’राष्ट्रीय बाल पुरस्कार’’ से सम्मानित अक्षिता (पाखी) के ब्लाग ’पाखी की दुनिया’ को 94 देशों में देखा-पढ़ा जा चुका है।

गौरतलब है कि यादव दम्पति की सुपुत्री अक्षिता (पाखी) को पिछले साल हिंदी भवन, नई दिल्ली में 'श्रेष्ठ नन्हीं ब्लागर' सम्मान से सम्मानित किया गया था तो 14 नवम्बर, 2012 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में भारत सरकार द्वारा अक्षिता को आर्ट और ब्लागिंग के लिए 'राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' भी प्रदान किया गया. मात्र साढ़े चार साल की उम्र में राष्ट्रीय बाल पुरस्कार प्राप्त कर अक्षिता ने जहाँ भारत की सबसे कम उम्र की बाल पुरस्कार विजेता होने का सौभाग्य प्राप्त किया, वहीँ पहली बार भारत सरकार द्वारा किसी ब्लागर को कोई राजकीय सम्मान दिया गया. फ़िलहाल अक्षिता गर्ल्स हाई स्कूल, इलाहाबाद में प्रेप में पढ़ती है.

उमानाथ बाली प्रेक्षागृह, कैसर बाग, लखनऊ में आयोजित इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में न्यू मीडिया की संभावना एवं चुनौतियों को लेकर तमाम सेमिनार हुये। ’न्यू मीडिया के सामाजिक सरोकार’ विषय आधारित सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में कृष्ण कुमार यादव ने ब्लागिंग को सामाजिक सरोकारों से जोड़ने की बात कही और एक माध्यम के बजाय इसके विधागत विकास पर जोर दिया।

इस दम्पत्ति को सम्मानित किये जाने के अवसर पर देश-विदेश के तमाम ब्लागर, साहित्यकार, पत्रकार व प्रशासक उपस्थित थे। प्रमुख लोगों में मुद्रा राक्षस, वीरेन्द्र यादव, पूर्णिमा वर्मन, रवि रतलामी, रवीन्द्र प्रभात , जाकिर अली ’रजनीश’, शिखा वार्ष्णेय, सुभाष राय इत्यादि प्रमुख थे।






सोमवार, 30 जुलाई 2012

यदुवंशी सुशील कुमार ने ध्वज वाहक बनकर किया लंदन ओलम्पिक-2012 में भारतीय दल का नेतृतव

भारतीय ओलम्पिक संघ द्वारा पहलवान सुशील कुमार को लंदन ओलम्पिक खेलों में भारतीय दल का ध्वज वाहक नियुक्त किया गया, जिसके क्रम में उन्होंने उद्घाटन समारोह में बखूबी अपनी भूमिका का निर्वाह किया. गौरतलब है कि यदुवंश से सम्बन्ध रखने वाले सुशील कुमार ने विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप 2010 में 66 किलो भारवर्ग की फ्रीस्टाइल प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक तथा वर्ष 2008 में बीजिंग ओलम्पिक में पुरुष के 66 किलोग्राम फ्रीस्टाइल कुश्ती प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता था. यह बीजिंग ओलम्पिक में भारत का तीसरा पदक था. पहला पदक निशानेबाज अभिनव बिन्द्रा ने 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में जीता जो कि ओलम्पिक इतिहास में भारत का पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक था. दूसरा विजेन्द्र कुमार ने मुक्केबाजी में कांस्य पदक जीता. अपनी इन्हीं सब उपलब्धियों के चलते जुलाई 2009 में सुशील कुमार सोलंकी को भारत का सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न पुरुस्कार प्रदान किया गया. यह भारत के लिए कुश्ती में दूसरा पदक था. इससे पहले वर्ष 1952 में हैलेसिंकी ओलम्पिक खेल में केडी जाधव (K D Jadhav) ने कांस्य पदक जीता था.

--राम शिव मूर्ति यादव : यदुकुल

बुधवार, 25 जुलाई 2012

चौधरी हरमोहन सिंह यादव : ग्राम सभा से राज्य सभा तक का सफ़र ख़त्म

शौर्य चक्र से सम्मानित वरिष्ठ सपा नेता चौधरी हरमोहन सिंह यादव का 24 जुलाई , 2012 दिन मंगलवार देर रात मेहरबान सिंह का पुरवा स्थित आवास पर हृदय गति रुकने से निधन हो गया। वह 91 वर्ष के थे। गुरुवार को घर के पास स्थित समाधि स्थल में उनका अंतिम संस्कार हुआ, जहाँ मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव सहित तमाम दिग्गज लोग अंतिम संस्कार में शामिल हुए.

18 अक्तूबर 1921 को कानपुर में चौधरी धनीराम सिंह के सुपुत्र रूप में जन्मे हरमोहन सिंह ने वक़्त के माथे पर एक लम्बी इबारत लिखी. मात्र हायर सेकेंडरी पास इस जुनूनी व्यक्तित्व ने छह दशक की राजनीति में ग्राम सभा से लेकर राज्य सभा के सफर में अपनी अलग पहचान बनायी। मुलायम सिंह यादव का हर कदम पर साथ देकर कभी मिनी मुख्यमंत्री तो कभी छोटे साहब कहलाये। हरमोहन सिंह को उनके बड़े भाई स्व. रामगोपाल सिंह यादव राजनीति में लाये थे। वह 31 की उम्र में गुजैनी ग्रामसभा के निर्विरोध प्रधान बने तब किसी ने सोचा न होगा कि एक दिन यही हरमोहन सिंह कानपुर में समाजवाद का मजबूत स्तंभ बनेंगे। ग्राम प्रधान से शुरू उनकी राजनीतिक यात्रा का सिलसिला आगे बढ़ता गया। वह नगर महापालिका में पार्षद बने और लगातार 42 वर्ष तक महापालिका, फिर नगर निगम के पदेन सदस्य रहे। उन्हें जिला सहकारी बैंक के प्रथम अध्यक्ष होने का गौरव भी हासिल हुआ। वर्ष 70 में वह एमएलसी बने और वर्ष 90 तक इस सफर में तीन बार एमएलसी रहे। 80 के दशक मेंअखिल भारतीय यादव महासभा के अध्यक्ष बने। इसी दशक में चौधरी चरण सिंह का उत्तराधिकार उनके पुत्र अजीत सिंह को मिलने के कारण मुलायम सिंह की उनसे खटपट हो गयी। मुलायम कमजोर पड़ रहे थे, तभी भरी सभा में हरमोहन सिंह ने कहा कि मुलायम सिंह यादव चाहे हीरो रहें या जीरो, हम तो मुलायम सिंह का ही साथ देंगे। उनके इस ऐलान के बाद मुलायम सिंह लोकदल से अलग हो गये तथा हेमवती नंदन बहुगुणा के साथ लोकदल (ब) गठित किया। तभी से हरमोहन सिंह, मुलायम सिंह के पारिवारिक सदस्य हो गये। चौधरी साहब ने 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद रतनलाल नगर में 4 -5 घंटे बेटे चौधरी सुखराम सिंह यादव के साथ दंगाइयों पर हवाई फायरिंग करके सिख भाइयों की रक्षा की थी। इस वजह से 1991 में तत्कालीन राष्ट्रपति आर. वेंकटरमन ने उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया था।

1989 में मुलायम सिंह के मुख्यमंत्री बनने पर हरमोहन सिंह का प्रभाव ऐसा बढ़ा कि लोग उन्हें मिनी मुख्यमंत्री कहने लगे। उनके आवास को साकेत धाम कहा गया तथा सत्ता की राजनीति में चौधरी हरमोहन सिंह कानपुर क्षेत्र का केंद्र बन गये थे। सपा के दायरे में तब से आज तक यही माना गया कि मुलायम सिंह यादव कभी चौधरी हरमोहन सिंह यादव की बात को टालते नहीं है। मुलायम सिंह ने नब्बे के दशक में चौधरी हरमोहन सिंह को दो बार राज्यसभा सदस्य बनाया। मुलायम सिंह उनको छोटे साहब कहकर बुलाते थे। चौधरी हरमोहन 18 वर्ष तक विधान परिषद और 12 वर्ष तक राज्यसभा में रहे। चौधरी हरमोहन सिंह के प्रभाव का ही कमाल रहा जो उनके पुत्र सुखराम सिंह एमएलसी और फिर विधान परिषद के सभापति बने। दूसरे पुत्र जगराम सिंह दो बार विधायक बने, स्व. हरनाम सिंह व अभिराम सिंह को भी पद दिलाये। कई नेताओं को विधान सभा व लोकसभा के लिये टिकट तथा अन्य पद दिलाये। यादव समाज के लिये गाजियाबाद में श्रीकृष्ण भवन बनवाया। मेहरबान सिंह पुरवा पर उनकी मेहरबानियां हमेशा बरसती रहीं। उनकी बदौलत वहां पर प्राइमरी से लेकर डिग्री विधि महाविद्यालय और पैरा मेडिकल कालेज स्थापित हो चुके हैं। हर तरफ से आने वाली रोड व नालियां चकाचक हैं और मनोरंजन एकता पार्क भी है। उम्र का बंधन उनकी राजनीतिक उमंग को कम नहीं कर पाया। वर्ष 2003 में राज्यसभा सांसद पद खत्म हो गया तो वह मेहरबान सिंह पुरवा में ही अपना आवास बना कर सपाइयों का हौसला बढ़ाते रहे। अभी दस दिन पहले उनके बुलावे पर मेहरबान सिंह पुरवा आये मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने खुले मंच से कहा था कि चौधरी हरमोहन सिंह के बताये हर काम होंगे। उनसे हमारे परिवार का रिश्ता कभी कम न होगा और उसी रिश्ते को निभाने के लिये मुख्यमंत्री फिर से मेहरबान सिंह पुरवा आकर छोटे साहब को अंतिम सलामी देंगे। उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा था कि कानपुर का सौंदर्यीकरण करा दो, उसके पहले ड्रेनेज सिस्टम सुधारा जाये। इस इच्छा को पूर्ण देखे बिना वह चले तो गये लेकिन उनका ग्राम सभा से लेकर राज्यसभा का सफर इतिहास बन गया।
-राम शिव मूर्ति यादव : यदुकुल

नाम -चौधरी हरमोहन सिंह यादव/
जन्म - 18 अक्टूबर, 1921, मेहरबान सिंह का पुरवा, कानपुर नगर/
पिता -चौधरी धनीराम सिंह यादव/
वैवाहिक स्थति - विवाह, श्रीमती गयाकुमारी जी के साथ। आपके पाँच पुत्र एवं एक पुत्री है/
शिक्षा -हायर सेकेण्डरी/
राष्ट्रीय अध्यक्षः
अखिल भारतीय यादव महासभा, सन् 1980 (मथुरा)/
अखिल भारतीय यादव महासभा, सन् 1993 (हैदराबाद)/
अखिल भारतीय यादव सभा, सन् 1994 /
अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा के का0 अध्यक्ष 2007 तक/
संस्थापकः
श्रीकृष्ण भवन, वैशाली, गाजियाबाद/
कैलाश विद्यालोक इण्टर काॅलेज/
चौधरी रामगोपाल सिंह विधि महाविद्यालय, मेहरबान सिंह का पुरवा, कानपुर/
मनोरंजन एकता पार्क, कानपुर/
गयाकुमार इण्टर काॅलेज एवं छात्रावास, मेहरबान सिंह का पुरवा, कानपुर/
मोहन मंदिर, मेहरबान सिंह का पुरवा, कानपुर/
राजनैतिक :
प्रधान (निर्विरोध), लगातार दो बार, ग्रामसभा गुजैनी, सन् 1952/
सदस्य, (निर्विरोध), अंतरिम जिलापरिषद/
सभासद, कानपुर महापालिका सन् 1959, दूसरी बार, 1967/
पदेन सदस्य, कानपुर नगर निगम, लगभग 42 वर्ष/
जिला सहकारी बैंक के प्रथम अध्यक्ष/
उत्तर प्रदेश भूमि विकास बैंक के उपाध्यक्ष (निर्विरोध)/
दिनांक 06 मई, 1970 को प्रथम बार कानपुर-फर्रूखाबाद स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र से उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य निर्वाचित। आपका कार्यकाल 05 मई, 1976 तक रहा।/
द्वितीय बार दिनांक 06 मई, 1976 को कानपुर-फर्रूखाबाद स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र से उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य निर्वाचित। आपका कार्यकाल 05 मई, 1982 तक रहा। /
तृतीय बार दिनांक 06 मई, 1984 से जनता दल समाजवादी के टिकट पर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य निर्वाचित। आपका कार्यकाल 05 मई, 1990 तक रहा।/
सभापति (दो बार) उत्तर प्रदेश विधान परिषद की आश्वासन समिति के। /
संसदीय राजभाषा समिति के सदस्य रहे।/
पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष, लोकदल।/
पूर्व सदस्य, राष्ट्रीय कार्यकारिणी, लोकदल एवं जनता दल।/
सदस्य, राज्य सभा सन् 1990 से 1996 तक।/
सदस्य राज्यसभा सन् 1997 से 2003/
महामहिम राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत।/
रुचिः समाजसेवा, ग्रामीण विकास एवं किसानों के हितों की रक्षा में। /
अन्यः सन् 1984 में श्रीमती इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद रतन लाल नगर, कानपुर के सिख भाइयों की लगभग 4-5 घण्टे अपने सुपुत्र चौधरी सुखराम सिंह यादव (सभापति, विधान परिषद उत्तर प्रदेश) के साथ हवाई फायरिंग करके दंगाइयों से रक्षा करने के कारण सन् 1991 में भारत के महामहिम राष्ट्रपति द्वारा शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया।/
स्थायी पताः ग्राम मेहरबान सिंह का पुरवा, तहसील व जिला-कानपुर, उ0प्र0।
देहावसान : 24 जुलाई , 2012

-राम शिव मूर्ति यादव : यदुकुल

सोमवार, 2 जुलाई 2012

सुरों का महासंग्राम के विजेता बने अरूणदेव यादव

भोजपुरी चैनल महुआ टीवी के लोकप्रिय शो ‘सुरों का महासंग्राम’ के विजेता के ताज झारखण्ड के अरूणदेव यादव का माथे चढ़ल जे बिहार के प्रतीक राज के आठ हजार वोट से हरा दिहलें. पटना के बी.एम.पी. ग्राउण्ड से लाइव कार्यक्रम के ग्रैण्ड फिनाले में यु.पी. के कल्पना तिसरका जगहा रहली.

पचास हजार लोग का मौजुदगी में भइल एह फिनाले में मनोज तिवारी, निरहुआ, पाखी हेगड़े, संभावना सेठ, प्रवेशलाल, शुभी शर्मा, उत्तम तिवारी, संगीतकार धनंजय मिश्रा, सतीश, अजय, गायक मोहन राठौर, ममता रावत आ आलोक कुमार रंगारंग कार्यक्रम पेश कइलें.

साभार : CinemaBhojpuri.in

रविवार, 1 जुलाई 2012

सादगी से मनाया गया युवराज-मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का जन्मदिन

उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का 39वां जन्मदिन बड़ी सादगी से बिना किसी खर्चीले समारोह के मनाया गया. उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में कहीं बधाइयों के बैनर-होर्डिग नहीं दिख रहे हैं. सरकारी और गैर सरकारी किसी भी आयोजन की सुगबुगाहट भी नहीं है. अगर बताया न जाए तो शायद आम जनता को पता भी नहीं चलेगा कि एक जुलाई को सूबे के मुख्यमंत्री का 39 वां जन्मदिन है.

शनिवार को समाजवादी पार्टी के कार्यालय में आने वाले सैकड़ों कार्यकर्ताओं में यह जानने की उत्सुकता दिखायी दे रही थी कि मुख्यमंत्री के रूप में अपना पहला जन्मदिन अखिलेश किस रूप में मनाएंगे. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी सब को एक ही जवाब दे रहे थे कि वह जन्मदिन मनाते कहां हैं, जो यह बताऊं कि कैसे मनाएंगे.

सत्ता के केन्द्र कालिदास मार्ग और विक्रमादित्य मार्ग पर शनिवार को रोज की तरह ही चहल-पहल थी. कालिदास मार्ग पर मुख्यमंत्री का सरकारी आवास है और विक्रमादित्य मार्ग पर उनका व उनके पिता का गैर सरकारी आवास और समाजवादी पार्टी का प्रदेश मुख्यालय है.

विक्रमादित्य मार्ग से ले कर कालिदास मार्ग तक कहीं भी अखिलेश यादव के जन्मदिन से संबंधित कोई होर्डिंग नहीं लगी है और न कोई बैनर या पोस्टर. जबकि कालिदास मार्ग और उसके आसपास के सारे इलाके पिछले पांच साल के दौरान प्रदेश की पूर्व मुखिया के जन्मदिन पर होर्डिगों, बैनरों व पोस्टरों से पट जाते थे और पूरी राजधानी पर नीला रंग छा जाता था.

भव्य आयोजनों की तैयारियां महीने भर पहले से की जाने लगती थीं. जन्मदिन तो बहाना होता था अपनी सरकार की उपलब्धियों को गिनाने और जनता का दिल जीतने के लिए घोषणाएं करने का लेकिन अखिलेश ने अपनी उपलब्धियों का ढिंढोरा पीटने के लिए जन्मदिन का सहारा नहीं लिया. हालांकि मात्र एक सौ आठ दिन के कार्यकाल में उपलब्धियों के रूप में गिनाने के लिए उनके पास बहुत कुछ है.

सूबे की कमान सम्भालने के बाद अपनी कार्यशैली से उन्होंने ऐसा माहौल दिया कि नौकरशाही ने भी तनावमुक्त होकर उनके दिशानिर्देशन में प्रदेश के विकास का खाका तैयार किया और उस पर काम शुरू हो गया. जनता दर्शन के माध्यम से जनता का उनसे सीधा जुड़ाव सम्भव हो सका. वर्षों से लटकी योजनाओं और जनता की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए अनेक योजनाओं को धरातल पर लाने का काम चल रहा है.

राज्य की 20 करोड़ की आबादी को इस बात का सुकून है कि सचिवालय से लेकर सरकारी दफ्तरों तक उसकी आवाज सुनी जा रही है. जनप्रतिनिधि सदन में जनता की आवाज बन रहे हैं. फिर भी अखिलेश ने जन्मदिन के मौके का फायदा नहीं उठाया. किसी खर्चीले समारोह का आयोजन न किया जाना, उनकी सादगी और सरलता का परिचायक है.

प्रदेश के नये मुखिया ने शपथ ग्रहण के बाद से अब तक कई बार सादगी का संदेश दिया है. उन्होंने कालिदास मार्ग के सारे बैरियर हटवा कर एक बार फिर यह रास्ता आम लोगों के लिए खोल दिया.

अपने काफिले में 40 कारों की संख्या घटा कर केवल 8 कर दी. मुख्यमंत्री के गुजरने वाले रास्तों पर आधे घण्टे पूर्व से यातायात पर लगने वाले प्रतिबंध को समाप्त कर यह एहसास कराया कि वह भी आम आदमी से अलग नहीं हैं.

ताहिर अब्बास : सहारा न्यूज ब्यूरो

चिरंजीवी भव अखिलेश यादव : जीवन यात्रा के 40 वें वर्ष में प्रवेश

आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का जन्मदिन है. उन्होंने अपने जीवन यात्रा के 39 साल पूरे कर 40 वें वर्ष में प्रवेश किया है. आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश और देश के सबसे युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का जन्म 1 जुलाई 1973 को प्रदेश के इटावा जिले के सैफेई गाँव में हुआ था उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव रविवार को अपना 39वां जन्मदिन सादगीपूर्ण तरीके से मना रहे हैं और उन्होनें ज्यादातर समय अपने परिवार के लिए रखा है। इस अवसर पर कोई सरकारी आयोजन नहीं किया गया है। गौरतलब है कि देश के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गत 15 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव व उनकी पहली पत्नी मालती देवी की एक मात्र संतान अखिलेश ने राजस्थान के धौलपुर स्थित मिलेट्री स्कूल से अपनी शिक्षा पूरी की जिसके बाद उन्होंने मैसूर के एस०जे० कालेज ऑफ इंजीनियरिंग से इंजीनियरिंग में स्नातक किया और आस्ट्रेलिया के सिडनी विश्वविद्यालय से पर्यावरण अभियान्त्रिकी में स्नातकोत्तर कर राजनीति की दुनिया में अपने हाथ अजमाए

विदेश से इंजीनियरिंग की पढाई करके लौटे अखिलेश यादव ने 1999 में डिम्पल यादव से शादी करने के बाद वर्ष 2000 में कन्नौज लोकसभा से उप चुनाव लड़कर अपना राजनैतिक करियर शुरू किया कन्नौज से सांसद बने अखिलेश के विषय में राजनैतिक विशेषज्ञों की शुरूआती राय कुछ अच्छी नहीं थी, जिसका नतीजा था कि अखिलेश की पहली जीत का श्रेय उनके पिता मुलायम सिंह यादव को चला गया जिसके बाद 2004 व 2009 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश ने कन्नौज सीट पर अपना दबदबा कायम रखते हुए राजनीति के पंडितों की राय को गलत साबित कर दिया, लेकिन चुनावी दांवपेंचों में कमज़ोर अखिलेश यादव 2009 के चुनाव में फिरोजाबाद सीट से डिम्पल को जिता पाने में नाकाम साबित हुए

पत्नी डिम्पल की हार ने बदला अखिलेश का राजनैतिक नजरिया -

2009 के लोकसभा चुनाव में पत्नी डिम्पल की हार के बाद सजग हुए अखिलेश यादव ने वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की हार की समीक्षा की और पार्टी कार्यकारिणी में फेर बदल करना शुरू किया पार्टी में मौजूद पुराने दिग्गजों के बीच एक नई और युवा सोच लेकर आगे बढे अखिलेश ने 2012 के विधानसभा से पहले ही अपनी रणनीति तैयार कर चुनावी संचालन की बागडोर अपने हाथ लेली

अपनों से भी ली बुराई -

अखिलेश के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव में उतरने वाली समाजवादी पार्टी के दिग्गज अखिलेश को लेकर विश्वस्त नहीं थे सूत्रों की माने तो कई मौकों पर सीनियर नेताओं ने पार्टी मुखिया मुलायम सिंह से मिलकर अपना विरोध भी दर्ज करवाया, लेकिन चुनावी नतीजों ने साबित कर दिया कि अखिलेश यादव में अपने पिता वाली नेतृत्व क्षमता है

युवाओं की पसंद बने अखिलेश -

इंजीनियरिंग की पढाई कर राजनीति में उतरे अखिलेश फुटबाल और क्रिकेट देखना व खेलना पसंद करते है इसके साथ ही युवा विचारधारा से मेल खाती उनकी सोच और आधुनिक सूचना तकनिकी के जानकार मुख्यमंत्री के रूप में अखिलेश आज प्रदेश ही नहीं देशभर के युवाओं की प्रेरणा है

एक जिम्मेदार पुत्र, पति और पिता -

मुलायम सिंह यादव के पुत्र होने की जिम्मेदारी बखूबी निभाने वाले अखिलेश एक अच्छे पति और पिता के रूप में भी पहचाने जाते हैं अखिलेश दो बेटियों अदिति, टीना और बेटे अर्जुन के पिता हैं

एक मुख्यमंत्री के रूप में-

महज 38 वर्ष की उम्र में मुख्यमंत्री के तख़्त तक पहुँचने वाले उत्तर प्रदेश के पहले युवा अखिलेश के नेत्रित्व वाली सरकार ने 22 जून, 2012 को अपने 100 दिन पूरे किये अखिलेश सरकार ने जनविकास के कई महत्वपूर्ण फैसले लिए अल्प समय में ही उन्होंने अपनी अच्छी छाप छोड़ी है.

अखिलेश यादव के 39 वें जन्मदिन पर हम शुभकामनाये देते हैं इसके साथ ही ईश्वर से प्रार्थना करते है कि वह उन्हें वो शक्तियां दे जिससे वह प्रदेश की जनता की उम्मीदों को पूरा करने में कामयाब हों कर प्रदेश के सफल मुख्यमंत्री के रूप में पहचाने जाएँ

सोमवार, 25 जून 2012

श्री कृष्ण की तपोभूमि रही है टिहरी गढ़वाल

देवभूमि उत्तराखण्ड में मंदिरों की कोई कमी नहीं है। उत्तराखण्ड में ही विश्व प्रसिद्ध श्री बदरी नाथ धाम है। जो भगवान विष्णु को समर्पित है। इसके अलावा गंगोत्री, यमनोत्री, केदारनाथ और सेम-मुखेम है। गंगोत्री से गंगा और यमनोत्री से यमुना निकलती है। केदारनाथ शिव को समर्पित है। सेम-मुखेम भगवान श्रीकृष्ण के तपोभूमि का गवाह है। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने टिहरी गढ़वाल के सेम-मुखेम नामक जगह पर कठोर तपस्या की थी। आज भी लाखों की संख्या में लोग सेम-मुखेम पहुंचते हैं।

ऐसी मान्यता है कि द्वारिका से भगवान श्रीकृष्ण तपस्या करने हेतु हिमालय की ओर चले। वे सबसे पहले उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल पहंुचे जहां उन्होंने कुछ दिन बिताये। फिर उन्होंने स्थानीय लोगों से बताने को कहा कि कोई ऐसी जगह बताओ जो मेरे तपस्या करने योग्य हो। जहां मैं शांति से तपस्या कर सकंु। पौड़ी गढ़वाल के लोगों ने भगवान श्रीकृष्ण को बताया कि हिमालय की गोद में सेम-मुखेम जो जगह है वह आपके लिए सर्वाधिक उपर्युक्त है। भगवान श्रीकृष्ण पौड़ी गढ़वाल से सेम-मुखेम की ओर प्रस्थान कर गये। सेम-मुखेम पहंुचने पर श्रीकृष्ण ने स्थानीय राजा गंगू रमोला से दो गज जमीन की मांग की। श्रीकृष्ण ने गंगू रमोला से कहा कि उन्हें केवल दो गज जमीन चाहिए जहां वे बैठकर आराम से तपस्या कर सकें। श्रीकृष्ण साधारण वेश में थे इसलिए गंगू रमोला भगवान को पहचान नहीं सका। और जमीन देने से इन्कार कर दिया।

गंगू रमोला के पास कई भैंसे थी। जिनमें से अधिकांश दूध नहीं देती थी। इस कारण गंगू रमोला परेशान रहता था। भगवान श्रीकृष्ण के बार-बार आग्रह किये जाने पर टालने के उद्देश्य से गंगू रमोला ने कहा- मैं तुम्हें जमीन जरूर दुंगा लेकिन मेरी एक शर्त है। शर्त है कि मेरी जितनी भैंसे दूध नहीं देती हैं अगर वे दूध देना प्रारम्भ कर दें तो मैं तुम्हे जमीन उपलब्ध करवा दंूगा। श्रीकृष्ण ने कहा कि यह तो बहुत ही आसान है जाओ गौशाला में पता करो कि तुम्हारी कौन सी भैंस अब दूध नहीं देती हैं। गंगू रमोला बारी-बारी से सभी भैंस के पास जाकर जांच किया। गंगू रमोला ने पाया की अब उसकी सभी भैंसे दूध देने लग गई। गंगू रमोला ने प्रसन्न होकर भगवान श्रीकृष्ण से कहा आप जहां चाहें तपस्या कर लें। आज से आप मेरे परम मित्र हैं और मेरी इस रियासत पर आपका भी अधिकार है।

जिस जगह पर भगवान श्रीकृष्ण ने तपस्या किया था आज वहां पर भव्य मंदिर है। मंदिर के भीतर एक बहुत बड़ी शीला है जिसे लोग भगवान श्रीकृष्ण का प्रतीक मानते हैं। कुछ ही दूरी पर पत्थरों पर गाय, भैंस और भगवान श्रीकृष्ण के घोड़े के पैर के निशान भी हैं। मंदिर के पास ही एक बहुत बड़ा पत्थर है जो केवल एक अंगूली लगाने से हिलता है। लेकिन अगर आप बलपूर्बक उस पत्थर को हिलाने का प्रयास करेंगे वह पत्थर नहीं हिलेगा। उपरोक्त लिखी बातें आज भी प्रत्यक्ष हैं। जिसे कोई भी जाकर देख सकता है।

Way to Sem-Mukhem

1.Haridwar-Rishikesh-New Tehri-Lambgaon-SemMukhem

-- राजाराम राकेश, टिहरी गढ़वाल

रविवार, 17 जून 2012

पुत्र द्वारा एक पोस्ट पिता के लिए...

(आज फादर्स-डे है. इसी बहाने मैंने अपने पिता जी से जुडी बातों को सहेजने का प्रयास किया है. पिता जी उत्तर प्रदेश सरकार में वर्ष 2003 में स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी पद से सेवानिवृत्ति पश्चात सम्प्रति रचनात्मक लेखन व अध्ययन, बौद्धिक विमर्श एवं सामाजिक कार्यों में रचनात्मक भागीदारी में प्रवृत्त हैं. मुझे इस मुकाम तक पहुँचाने में उनका बहुत बड़ा योगदान है.)

बचपन में पिता जी के साथ न रहने की कसक-

किसी भी व्यक्ति के जीवन में पिता का बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता है. माँ की ममता और पिता की नसीहत..दोनों ही जीवन को एक दिशा देते हैं. मेरा अधिकतर बचपन ननिहाल में गुजरा, बमुश्किल चार साल मैंने अपने पिताजी के साथ लगातार गुजारे होंगें. मेरे जन्म के बाद पिता जी का स्थानांतरण प्रतापगढ़ के लिए हो गया, तो हम मम्मी के साथ ननिहाल में रहे. पुन: पिता जी का स्थानान्तरण आजमगढ़ हुआ तो हम ननिहाल से पिता जी के पास लौट कर आए. कक्षा 2 से कक्षा 5 तक हम पिता जी के साथ रहे, फिर नवोदय विद्यालय में चयन हो गया तो वहां चले गए. कक्षा 6 से 12 तक जवाहर नवोदय विद्यालय, जीयनपुर, आजमगढ़ के हास्टल में रहे और फिर इलाहाबाद. इलाहाबाद से ही सिविल-सर्विसेज में सफलता प्राप्त हुई, फिर तो वो दिन ही नहीं आए कि कभी पिता जी के साथ कई दिन गुजारने का अवसर मिला हो...हम घर जाते या पिता जी हमारे पास आते..दसेक दिन रहते, फिर अपनी-अपनी जिंदगी में व्यस्त और मस्त. फोन पर लगभग हमेशा संवाद बना रहता है. पर मुझे आज भी कसक होती है कि मैं उन भाग्यशाली लोगों में नहीं रहा , जिन्होंने अपनी पिता जी के साथ लम्बा समय गुजारा हो.

लेखनी पर पिता जी का प्रभाव-

मैंने पिता जी को बचपन से ही किताबों और पत्र-पत्रिकाओं में तल्लीन देखा. वो पत्र-पत्रिकाओं से कुछ कटिंग करते और फिर उनमें से तथ्य और विचार लेकर कुछ लिखते. पर यह लिखना सदैव उनकी डायरी तक ही सीमित रहा. पिता जो को लिखते देखकर मुझे यह लगता था कि मैं भी उनकी तरह कुछ न कुछ लिखूंगा. छुट्टियों में घर आने पर पिताजी की नजरें चुराकर उनके बुकशेल्फ से किताबें और पत्र-पत्रिकायें निकालकर मैं मनोयोग से पढता था. पिताजी के आदर्शमय जीवन, ईमानदारी व उदात्त व्यक्तित्व का मुझ पर गहरा प्रभाव पड़ा और मेरे चरित्र निर्माण में पिताजी की अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका रही। अध्ययन और लेखन के क्षेत्र में भी मुझ पर पिताजी का प्रभाव पड़ा। पिताजी के अध्ययन प्रेमी स्वभाव एवम् लेखन के प्रति झुकाव को सरकारी सेवा की आचरण संहिताओं व समुचित वातावरण के अभाव में मैंने डायरी में ही कैद होते देखा है। वर्ष 1990 में पिताजी ने आर0 एस0 ‘अनजाने‘ नाम से एक पुस्तक ‘‘सामाजिक व्यवस्था और आरक्षण‘‘ लिखी, पर सरकारी सेवा की आचरण संहिताओं के भय के चलते खुलकर इसका प्रसार नहीं हो सका। फिलहाल पिताजी के सेवानिवृत्त होने के पश्चात उनके लेख देश की तमाम प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में स्थान पा रहे हैं, पर किशोरावस्था में जब भी मैं पिताजी को नियमित रूप से अखबार की कतरनें काटते देखते और फिर कुछ समय बाद उन्हें पढ़कर जब वे फेंक देते, तो आप काफी उद्वेलित होता थे। ‘अखबार की कतरनें’ नामक अपनी कविता में इस भाव को मैंने बखूबी अभिव्यक्त किया है- ”मैं चोरी-चोरी पापा की फाइलों से/उन कतरनों को लेकर पढ़ता/पर पापा का एक समय बाद/उन कतरनों को फाड़कर फेंक देना/मुझमें कहीं भर देता था एक गुस्सा/ऐसा लगता मानो मेरा कोई खिलौना/तोड़कर फेंक दिया गया हो/उन चिंदियों को जोड़कर मैं/उनके मजमून को समझने की कोशिश करता/शायद कहीं कुछ मुझे उद्वेलित करता था।” जो भी हो पिताजी के चलते ही मेरे मन में यह भाव पैदा हुआ कि भविष्य में मैं रचनात्मक लेखन के क्षेत्र में सक्रिय हूँगा और अपने विचारों व भावनाओं को डायरी में कैद करने की बजाय किताब के रूप में प्रकाशित कर रचना संसार में अपनी सशक्त उपस्थित दर्ज कराऊंगा.

पिता जी की सीख बनी सिविल- सर्विसेज में सफलता का आधार
वर्ष 1994 में मैं जवाहर नवोदय विद्यालय जीयनपुर, आजमगढ़ से प्रथम श्रेणी में 12वीं की परीक्षा उतीर्ण हुआ एवम् अन्य मित्रों की भांति आगे की पढ़ाई हेतु इलाहाबाद विश्वविद्यालय में दाखिला लेने का निर्णय लिया। जैसा कि 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद कैरियर बनाने की जद्दोजहद आरम्भ होती है, मैंने भी अपने मित्रों के साथ सी0बी0एस0ई0 मेडिकल की परीक्षा दी और पिताजी से डाॅक्टर बनने की इच्छा जाहिर की। पिताजी स्वयं स्वास्थ्य विभाग में थे, पर उन्होंने मुझे सिविल सर्विसेज परीक्षा उत्तीर्ण कर आई0 ए0 एस0 इत्यादि हेतु प्रयत्न करने को कहा। इस पर मैंने कहा कि- ‘‘पिताजी! यह तो बहुत कठिन परीक्षा होती है और मुझे नहीं लगता कि मैं इसमें सफल हो पाऊँगा।’’ पिताजी ने धीर गम्भीर स्वर में कहा-‘‘बेटा! इस दुनिया में जो कुछ भी करता है, मनुष्य ही करता है। कोई आसमान से नहीं पैदा होता।’’ पिताजी के इस सूत्र वाक्य को गांठकर मैंने वर्ष 1994 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में कला संकाय में प्रवेश ले लिया और दर्शनशास्त्र, राजनीति शास्त्र व प्राचीन इतिहास विषय लेकर मनोयोग से अध्ययन में जुट गया । चूँकि छात्रावासों के माहौल से मैं पूर्व परिचित था, सो किराए पर कमरा लेकर ही रहना उचित समझा और ममफोर्डगंज में रहने लगा। जहाँ अन्य मित्र मेडिकल व इंजीनियरिंग की कोचिंग में व्यस्त थे, वहीं मैं अर्जुन की भांति सीधे आई0ए0एस0-पी0सी0एस0 रूपी कैरियर को चिडि़या की आँख की तरह देख रहा था. कभी-कभी दोस्त व्यंग्य भी कसते कि-‘‘क्या अभी से सिविल सर्विसेज की रट लगा रखी है? यहाँ पर जब किसी का कहीं चयन नहीं होता तो वह सिविल सर्विसेज की परीक्षा अपने घर वालों को धोखे में रखने व शादी के लिए देता है।’’ इन सबसे बेपरवाह मैं मनोयोग से अध्ययन में जुटा रहा. पिताजी ने कभी पैसे व सुविधाओं की कमी नहीं होने दी और मैंने कभी उनका सर नीचे नहीं होने दिया और अपने प्रथम प्रयास में ही सिविल- सर्विसेज की परीक्षा में चयनित हुआ !!

मेरी यह सफलता इस रूप में भी अभूतपूर्व रही कि नवोदय विद्यालय संस्था से आई0ए0एस0 व एलाइड सेवाओं में चयनित मैं प्रथम विद्यार्थी था और यही नहीं अपने पैतृक स्थान सरांवा, जौनपुर व तहबरपुर, आजमगढ़ जैसे क्षेत्र से भी इस सेवा में चयनित मैं प्रथम व्यक्ति था । मेरा चयन पिता जी के लिए भी काफी महत्वपूर्ण था क्योंकि उस समय उत्तर प्रदेश की राजकीय सेवाओं में सेवानिवृत्ति की आयु सीमा 58 वर्ष थी और पिताजी वर्ष 2001 में ही सेवानिवृत्त होने वाले थे। पर यह सुखद संयोग रहा कि मेरे चयन पश्चात ही उत्तर प्रदेश सरकार ने सेवानिवृत्ति की आयु सीमा 60 वर्ष कर दी और पिताजी को इसके चलते दो साल का सेवा विस्तार मिल गया।

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पिता श्री राम शिव मूर्ति यादव जी का संक्षिप्त परिचय :

20 दिसम्बर 1943 को सरांवा, जौनपुर (उ0प्र0) में जन्म। काशी विद्यापीठ, वाराणसी (उ0प्र0) से 1964 में समाज शास्त्र में एम.ए.। वर्ष 1967में खण्ड प्रसार शिक्षक (कालांतर में ‘स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी’ पदनाम परिवर्तित) के पद पर चयन। आरंभ से ही अध्ययन-लेखन में अभिरुचि। उत्तर प्रदेश सरकार में वर्ष 2003 में स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी पद से सेवानिवृत्ति पश्चात सम्प्रति रचनात्मक लेखन व अध्ययन, बौद्धिक विमर्श एवं सामाजिक कार्यों में रचनात्मक भागीदारी। सामाजिक व्यवस्था एवं आरक्षण (1990) नामक पुस्तक प्रकाशित। लेखों का एक अन्य संग्रह प्रेस में। भारतीय विचारक, नई सहस्राब्दि का महिला सशक्तीकरणः अवधारणा, चिंतन एवं सरोकार, नई सहस्राब्दि का दलित आंदोलनः मिथक एवं यथार्थ सहित कई चर्चित पुस्तकों में लेख संकलित।

देश की शताधिक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं: युगतेवर, समकालीन सोच, संवदिया, रचना उत्सव, नव निकष, गोलकोण्डा दर्पण, समय के साखी, सोच विचार, इंडिया न्यूज, सेवा चेतना, प्रतिश्रुति, झंकृति, हरसिंगार, शोध प्रभांजलि, शब्द, साहित्य क्रान्ति, साहित्य परिवार, साहित्य अभियान, सृजन से, प्राची प्रतिभा, संवदिया, अनीश, सांवली, द वेक, सामथ्र्य, सामान्यजन संदेश, समाज प्रवाह, जर्जर कश्ती, प्रगतिशील उद्भव, प्रेरणा अंशु, यू0एस0एम0 पत्रिका, नारायणीयम, तुलसी प्रभा, राष्ट्र सेतु, पगडंडी, आगम सोची, शुभ्र ज्योत्स्ना, दृष्टिकोण, बुलंद प्रभा, सौगात, हम सब साथ-साथ, जीवन मूल्य संरक्षक न्यूज, श्रुतिपथ, मंथन, पंखुड़ी, सुखदा, सबलोग, बाबू जी का भारत मित्र, बुलंद इण्डिया, टर्निंग इण्डिया, इसमासो, नारी अस्मिता, अनंता, उत्तरा, अहल्या, कर्मश्री, अरावली उद्घोष, युद्धरत आम आदमी, अपेक्षा, बयान, आश्वस्त, अम्बेडकर इन इण्डिया, अम्बेडकर टुडे, दलित साहित्य वार्षिकी, दलित टुडे, बहुरि नहीं आवना, हाशिये की आवाज, आधुनिक विप्लव, मूक वक्ता, सोशल ब्रेनवाश, आपका आइना, कमेरी दुनिया, आदिवासी सत्ता, बहुजन ब्यूरो, वैचारिक उदबोध, प्रियंत टाइम्स, शिक्षक प्रभा, विश्व स्नेह समाज, विवेक शक्ति, हिन्द क्रान्ति, नवोदित स्वर, ज्ञान-विज्ञान बुलेटिन, पब्लिक की आवाज, समाचार सफर, सत्य चक्र, दहलीज, दि माॅरल, अयोध्या संवाद, जीरो टाइम्स, तख्तोताज, दिनहुआ, यादव ज्योति, यादव कुल दीपिका, यादव साम्राज्य, यादव शक्ति, यादव निर्देशिका सह पत्रिका, इत्यादि में विभिन्न विषयों पर लेख प्रकाशित।

इंटरनेट पर विभिन्न वेब पत्रिकाओं: सृजनगाथा, रचनाकार, साहित्य कुंज, साहित्य शिल्पी, हिन्दीनेस्ट, हमारी वाणी, परिकल्पना ब्लाॅगोत्सव, स्वतंत्र आवाज डाॅट काम, नवभारत टाइम्स, वांग्मय पत्रिका, समय दर्पण, युगमानस इत्यादि पर लेखों का प्रकाशन।

”यदुकुल” ब्लॉग (http://www.yadukul.blogspot..in/) का 10 नवम्बर 2008 से सतत् संचालन।

सामाजिक न्याय सम्बन्धी लेखन, विशिष्ट कृतित्व एवं समृद्ध साहित्य-साधना हेतु राष्ट्रीय राजभाषा पीठ, इलाहाबाद द्वारा ’भारती ज्योति’ (2006), भारतीय दलित साहित्य अकादमी, नई दिल्ली द्वारा ‘ज्योतिबा फुले फेलोशिप सम्मान‘ (2007) व डाॅ0 अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान (2011), आसरा समिति, मथुरा द्वारा ‘बृज गौरव‘ (2007), समग्रता शिक्षा साहित्य एवं कला परिषद, कटनी, म0प्र0 द्वारा ‘भारत-भूषण‘ (2010), रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इण्डिया द्वारा ‘अम्बेडकर रत्न अवार्ड 2011‘ से सम्मानित।
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( पिता श्री राम शिव मूर्ति यादव जी, माँ श्रीमती बिमला यादव जी, कृष्ण कुमार यादव, पत्नी श्रीमती आकांक्षा और बेटियाँ अक्षिता और अपूर्वा)
(पिता जी और मम्मी जी)

(बहन किरन यादव के शुभ-विवाह पर आशीर्वाद देते पिता श्री राम शिव मूर्ति यादव जी, श्वसुर श्री राजेंद्र प्रसाद जी, MLC श्री कमला प्रसाद यादव जी और श्री समीर सौरभ जी (उप पुलिस अधीक्षक)
(बहन किरन यादव की शादी के दौरान रस्म निभाते मम्मी-पापा)
(पिता श्री राम शिव मूर्ति यादव जी और वरिष्ठ बाल-साहित्यकार डा. राष्ट्रबंधु जी)
(पिता श्री राम शिव मूर्ति यादव जी)
(पिता श्री राम शिव मूर्ति यादव जी, नाना स्वर्गीय श्री दलजीत यादव जी, श्री वैदेही यादव जी)
-कृष्ण कुमार यादव : शब्द-सृजन की ओर

(पुत्र कृष्ण कुमार यादव द्वारा फादर्स-डे पर पोस्ट की गई एक पोस्ट)