शनिवार, 24 मार्च 2012

यदुवंश से अखिलेश यादव बने 10 वें मुख्यमंत्री



लोकतंत्र में राजनीति सत्ता को निर्धारित करती है। राजनीति में सशक्त भागीदारी ही अंतोगत्वा सत्ता में परिणिति होती है। आजादी पश्चात से ही यदुवंशियों ने राजनीति में प्रखर भूमिका निभाना आरम्भ कर दिया। भारत के संविधान निर्माण हेतु गठित संविधान सभा के सदस्य रूप में लक्ष्मी शंकर यादव (उ0प्र0) और भूपेन्द्र नारायण मंडल (बिहार) ने अपनी भूमिका का निर्वाह किया। लक्ष्मी शंकर यादव बाद में उत्तर प्रदेश सरकार में कैबेनेट मंत्री एवं उ0प्र0 कांग्रेस अध्यक्ष भी रहे। संयुक्त प्रांत (अब उ0प्र0) के प्रथम यादव विधायक ठाकुर भारत सिंह यादवाचार्य (1937) रहे। भारत में यादवों का राजनीति में पदार्पण आजादी के बाद ही आरम्भ हो चुका था, जब शेर-ए-दिल्ली एवं मुगले-आजम के रूप में मशहूर चौधरी ब्रह्म प्रकाश दिल्ली के प्रथम मुख्यमंत्री (1952-1956) बने थे।

तब से अब तक उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद भारत के विभिन्न राज्यों में 10 यादव मुख्यमंत्री पद पर आसीन हो चुके हैं। हरियाणा में 1857 की क्रान्ति का नेतृत्व करने वाले राव तुलाराम के वंशज राव वीरेन्द्र सिंह हरियाणा के द्वितीय मुख्यमंत्री (24 मार्च 1967-2 नवंबर 1967) रहे। उत्तर प्रदेश में राम नरेश यादव (23 जून 1977-27 फरवरी 1979) व मुलायम सिंह यादव (5 दिसम्बर 1989-24 जून 1991, 4 दिसम्बर 1993-3 जून 1995, 29 अगस्त 2003-13 मई 2007), बिहार में बी0पी0मण्डल (1 फरवरी 1968-02 मार्च 1968), दरोगा प्रसाद राय (16 फरवरी 1970-22 दिसम्बर 1970), लालू प्रसाद यादव (10 मार्च 1990-03 मार्च 1995 एवं 4 अप्रैल 1995-25 जुलाई 1997), राबड़ी देवी (25 जुलाई 1997-11 फरवरी 1999, 9 मार्च 1999-1 मार्च 2000 एवं 11 मार्च 2000-6 मार्च 2005) एवं मध्य प्रदेश में बाबू लाल गौर (23 अगस्त 2004-29 नवंबर 2005) मुख्यमंत्री पद को सुशोभित कर यादव समाज को गौरवान्वित किया। प्रथम महिला यादव मुख्यमंत्री होने का गौरव राबड़ी देवी (बिहार) को प्राप्त है। सुभाष यादव मध्य प्रदेश के तो सिद्धरमैया कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री रहे। यादव राज्यपालों में गुजरात में महिपाल शास्त्री (2 मई 1990- 21 दिसंबर 1990) एवं हिमाचल प्रदेश व राजस्थान में बलिराम भगत (क्रमशः 11 फरवरी 1993-29 जून 1993 व 20 जून 1993-1 मई 1998) और सम्प्रति मध्य प्रदेश में राम नरेश यादव आसीन हैं.

प्रान्तीय राजनीति के साथ-साथ यदुवंशियों ने केन्द्रीय राजनीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अंतरिम लोकसभा (1950) के सदस्य रूप में बलिराम भगत (बिहार) चुने गए तो प्रथम लोकसभा में चौधरी बदन सिंह (कांग्रेस, बदायूं, उ0प्र0), चै० रघुबीर सिंह (कांग्रेस, मैनपुरी, उ0प्र0), बलिराम भगत (कांग्रेस, बिहार) व जयलाल मंडल (कांग्रेस, बिहार) निर्वाचित हुए। यदुवंश से बलिराम भगत को लोकसभा अध्यक्ष बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ तो श्यामलाल यादव राज्यसभा के उपसभापति रहे। चौधरी ब्रह्म प्रकाश, राव वीरेन्द्र सिंह, देवनंदन प्रसाद यादव, चन्द्रजीत यादव, श्याम लाल यादव, मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव, शरद यादव, हुकुमदेव नारायण यादव, बलराम सिंह यादव, बलिराम भगत, कर्नल राव राम सिंह, राम लखन सिंह यादव, सुरेश कलमाड़ी, सतपाल सिंह यादव, कांती सिंह, देवेन्द्र प्रसाद यादव, जय प्रकाश यादव, राव इन्द्रजीत सिंह,अरूण यादव इत्यादि तमाम यदुवंशी राजनेताओं ने केन्द्रीय मंत्रिपरिषद का समय-समय पर मान बढ़ाया है। राजनैतिक दलों की बात करें तो लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव एवं शरद यादव क्रमशः राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी तथा जनता दल (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं ।

--राम शिव मूर्ति यादव : यदुकुल

9 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

Kafi research kiya hai apne..shandar !!

B R YADAV ने कहा…

Bahut achha tha. Yadav samaj amar rhe.

KK Yadav ने कहा…

शानदार इतिहास..युवा अखिलेश सिंह यादव का स्वागत है.

Unknown ने कहा…

i m proud of my yadav family..... :)

Unknown ने कहा…

Jay ho yadav samaj.

Unknown ने कहा…

You right

Unknown ने कहा…

jai yadav jai madhaw!

Unknown ने कहा…

Tejashwi yadav RJD jindabad

Unknown ने कहा…

India m 16% yadav h fir b kisi yadav ko bjp walo n CM nhi bnaya?...
Kya 16% yadav m ek b CM bnne layak nhi samjhti bjp... Fir b yadav yadav ka virodh krta h or bjp ko vote deta h..