मंगलवार, 28 मई 2013

महिलाओं के हक के लिए लड़ रही हैं चंदा यादव


यदुकुल ब्लॉग : नारी सशक्तीकरण आज की जरूरत है। यह तभी संभव है, जब नारी खुद इसके लिए आगे आए। ऐसी ही सशक्त महिला है चंदा यादव, जो अन्याय के विरूद्ध लड़ने को सदैव तत्पर रहती हैं । वर्ष 2002-03 में गाजीपुर में लगभग 180 गरीब और पिछड़े वर्ग की महिलाओं से इंदिरा आवास दिलाने के नाम पर तीन-तीन हजार की अवैध वसूली की गई थी। इन गरीब महिलाओं  ने अपने जेवर तथा बकरी और भैंस बेचकर रिश्वत की रकम चुकाई। उसके बाद भी इन महिलाओं की बजाय अपात्रों को अवास दे दिए गये। इसकी जानकारी मिलते ही चंदा यादव ने मोर्चा खोल दिया। लगभग पांच सौ महिलाओं के साथ मुहम्मदाबाद से लेकर गाजीपुर मुख्यालय तक 25 किलोमीटर की पैदल यात्रा भीख मांगते हुए की थी। इस आंदोलन का असर यह हुआ कि कुछ दिनों  में पात्र महिलाओं को इंदिरा आवासों का आवंटन कर दिया गया। 

इसी प्रकार वर्ष 2003-04 में चंदा यादव के जिला पंचायत सदस्य रहने के दौरान ही मुहम्मदाबाद व भांवरकोल ब्लाक की लगभग 673 आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों तथा सहायिकाओं को नौकरी से निकल दिया गया था। इसके खिलाफ चंदा ने धरना दिया। असर यह रहा कि जिला कार्यक्रम विभाग ने सभी को बहाल कर दिया । 

चंदा यादव जहां भी महिलाओं के साथ अन्याय देखती हैं, उसके खिलाफ खड़ी हो जाती है। बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत लगभग साढ़े नौ हजार रसोइयों में से साढ़े तीन सौ को विभाग ने बाहर कर रास्ता दिखा दिया तो इन बेरोजगारों का सहारा बनीं । चंदा यादव जोरदार आंदोलन किया और विकास भवन के सामने रसोइया संघ की महिलाओं के साथ दो माह तक समय समय पर घेरा डालो, डेरा डालो आंदोलन चलाया। उनके संघर्ष का असर रहा कि 72 रसोइयों को दोबारा काम पर लिया गया। 250 महिला रसोइयों का मामला लंबित है। इसके बारे में सकारात्मक रिपोर्ट आ गई है, पंरतु विभाग ने आदेश जारी नहीं किया है। 

चंदा यादव बताती है कि पंचायतों में महिलाओं की भागीदारी व पंचायती राज की मूल कल्पना को साकार करना उनका प्रमुख कार्य है। चंदा वर्ष 2000 से 2005 तक जिला पंचायत सदस्य रहीं और उसके बाद 2005 में मुहम्मदाबाद, गाजीपुर की ब्लाक प्रमुख बनीं। चन्दा जिला रसोइया संघ की संरक्षक तथा महिला संगठन की संयोजक भी है। इनके संगठन में 12 महिला प्रधान तथा 27 महिला क्षेत्र पंचायत सदस्य व 113 महिला ग्राम पंचायत सदस्य है। ये सभी जनप्रतिनिधि महिलाएं, अपने पति की सहायता के बगैर पंचायतों के सारे काम निपटाती है। यह सब चंदा के जागरूकता अभियान का नतीजा है।