बहुमुखी प्रतिभा के धनी और हिन्दी में न्यायादेश लिखने वाले पटना उच्च न्यायालय के प्रथम न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश्वर प्रसाद मंडल ‘मणिराज’ यदुवंश की ही पैदाइश थे.उनका जन्म मधेपुरा जिला के गढिया में २० फरवरी १९२० को हुआ था. आपके दादा रासबिहारी मंडल सुख्यात जमींदार एवं बिहार के अग्रणी कांग्रेसी थे.रासबिहारी मंडल के तीन पुत्र भुवनेश्वरी प्रसाद मंडल, कमलेश्वरी प्रसाद मंडल तथा बिन्ध्येश्वरी प्रसाद मंडल राजनीति में सक्रिय थे.राजेश्वर पिता भुवनेश्वरी प्रसाद मंडल और माता सुमित्रा देवी के ज्येष्ठ पुत्र थे.टीएनबी कॉलेज भागलपुर से अर्थशाश्त्र में स्नातक और पटना वि०वि० से एम०ए० करने के बाद इन्होने १९४१ में पटना विधि महाविद्यालय से वकालत की डिग्री हासिल की.१९४० में आपके विवाह पटना में भाग्यमणी देवी से हुआ.
राजेश्वर प्रसाद मंडल १९४२ में वकालत पेशे से जुड़े.१९४६ तक मधेपुरा में वकालत करने के बाद ये १९४७ में मुंसिफ के पद पर गया में नियुक्त हुए.१९६६ में ये पटना हाई कोर्ट के डिप्टी रजिस्ट्रार बनाये गए तथा १९६९ में दुमका में एडीजे बने.१९७३ में हजारीबाग के जिला एवं सत्र न्यायाधीश के रूप में पदस्थापित हुए और फिर १९७९ में पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जैसे उत्कर्ष पद पर.१९८२ में अवकाश ग्रहण करने के पूर्व वे समस्तीपुर जेल फायरिंग जांच समिति के चेयरमैन नियुक्त हुए.१९९० में ये राष्ट्रीय एकता परिषद के सदस्य तथा १९९० में ही पटना उच्च न्यायालय में सलाहकार परिषद के सदस्य जज मनोनीत हुए.१० अक्टूबर १९९२ को इनके जीवन यात्रा का समापन पटना में ही हो गया.
बहुत सी महत्वपूर्ण उपलब्धियों से सजा था उनका जीवन.बहुत अच्छे खिलाड़ी ही नही,बहुत अच्छे इंसान भी थे वे.हिन्दी में न्यायादेश लिखने वाले पटना उच्च न्यायलय के प्रथम न्यायाधीश थे वे.उन्होंने हजार पृष्ठ से भी अधिक विस्तार में साहित्य-सर्जना की,जिनमे सभ्यता की कहानी,धर्म,देवता और परमात्मा, भारत वर्ष हिंदुओं का देश,ब्राह्मणों की धरती आदि ग्रंथों में वंचितों के प्रति अपनी पक्षधरता द्वारा यह प्रमाणित किया किया है.’जहाँ सुख और शान्ति मिलती है’ जैसे रोचक उपन्यास में उन्होंने पाश्चात्य की तुलना में भारतीय संस्कृति का औचित्य प्रतिपादित किया है तो ‘सतयुग और पॉकेटमारी’ कहानी संग्रह में अपनी व्यंग दक्षता का प्रमाण दिया है.’अँधेरा और उजाला’ के द्वारा उनके नाटककार व्यक्तित्व का परिचय मिलता है तो ‘चमचा विज्ञान’ से कवि प्रतिभा का.
सार रूप में कहें तो राजेश्वर प्रसाद मंडल मानवता के पुजारी,रूढियों के भंजक,प्रगतिकामी,सामाजिक परिवर्तन के शब्द-साधक मसीहा और सर्वोपरि एक नेक इंसान थे.स्व० राजेश्वर प्रसाद मंडल के दो अनुज क्रमश: श्री सुरेश चन्द्र यादव,पूर्व विधायक तथा श्री रमेश चन्द्र यादव (अधिवक्ता) थे.चार अत्मजों में क्रमश: डा० अरूण कुमार मंडल (अवकाश प्राप्त असैन्य शल्य चिकित्सक), सुधीर कुमार मंडल एवं शेखर मंडल (अमेरिका में उच्च शिक्षा प्राप्त करके वहीं के अधिवासी) तथा किशोर कुमार मंडल(पटना उच्च न्यायालय में माननीय न्यायमूर्ति) हैं. पौत्रों में डा० मनीष कुमार मंडल (सर्जन,आईजीआईएमएस), आशीष मंडल(दिल्ली में अपना व्यवसाय), जय मंडल(विदेश में क़ानून विद्) हैं और ऋषि मंडल अभी स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में अध्ययनरत हैं.अनुवंश परंपरा के रूप में आर० पी० मंडल हमारे बीच अभी भी मौजूद हैं.
20 फरवरी को स्व० राजेश्वर प्रसाद मंडल जी की जयंती पर श्रद्धा-सुमन !!
साभार : मधेपुरा टाइम्स
राजेश्वर प्रसाद मंडल १९४२ में वकालत पेशे से जुड़े.१९४६ तक मधेपुरा में वकालत करने के बाद ये १९४७ में मुंसिफ के पद पर गया में नियुक्त हुए.१९६६ में ये पटना हाई कोर्ट के डिप्टी रजिस्ट्रार बनाये गए तथा १९६९ में दुमका में एडीजे बने.१९७३ में हजारीबाग के जिला एवं सत्र न्यायाधीश के रूप में पदस्थापित हुए और फिर १९७९ में पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जैसे उत्कर्ष पद पर.१९८२ में अवकाश ग्रहण करने के पूर्व वे समस्तीपुर जेल फायरिंग जांच समिति के चेयरमैन नियुक्त हुए.१९९० में ये राष्ट्रीय एकता परिषद के सदस्य तथा १९९० में ही पटना उच्च न्यायालय में सलाहकार परिषद के सदस्य जज मनोनीत हुए.१० अक्टूबर १९९२ को इनके जीवन यात्रा का समापन पटना में ही हो गया.
बहुत सी महत्वपूर्ण उपलब्धियों से सजा था उनका जीवन.बहुत अच्छे खिलाड़ी ही नही,बहुत अच्छे इंसान भी थे वे.हिन्दी में न्यायादेश लिखने वाले पटना उच्च न्यायलय के प्रथम न्यायाधीश थे वे.उन्होंने हजार पृष्ठ से भी अधिक विस्तार में साहित्य-सर्जना की,जिनमे सभ्यता की कहानी,धर्म,देवता और परमात्मा, भारत वर्ष हिंदुओं का देश,ब्राह्मणों की धरती आदि ग्रंथों में वंचितों के प्रति अपनी पक्षधरता द्वारा यह प्रमाणित किया किया है.’जहाँ सुख और शान्ति मिलती है’ जैसे रोचक उपन्यास में उन्होंने पाश्चात्य की तुलना में भारतीय संस्कृति का औचित्य प्रतिपादित किया है तो ‘सतयुग और पॉकेटमारी’ कहानी संग्रह में अपनी व्यंग दक्षता का प्रमाण दिया है.’अँधेरा और उजाला’ के द्वारा उनके नाटककार व्यक्तित्व का परिचय मिलता है तो ‘चमचा विज्ञान’ से कवि प्रतिभा का.
सार रूप में कहें तो राजेश्वर प्रसाद मंडल मानवता के पुजारी,रूढियों के भंजक,प्रगतिकामी,सामाजिक परिवर्तन के शब्द-साधक मसीहा और सर्वोपरि एक नेक इंसान थे.स्व० राजेश्वर प्रसाद मंडल के दो अनुज क्रमश: श्री सुरेश चन्द्र यादव,पूर्व विधायक तथा श्री रमेश चन्द्र यादव (अधिवक्ता) थे.चार अत्मजों में क्रमश: डा० अरूण कुमार मंडल (अवकाश प्राप्त असैन्य शल्य चिकित्सक), सुधीर कुमार मंडल एवं शेखर मंडल (अमेरिका में उच्च शिक्षा प्राप्त करके वहीं के अधिवासी) तथा किशोर कुमार मंडल(पटना उच्च न्यायालय में माननीय न्यायमूर्ति) हैं. पौत्रों में डा० मनीष कुमार मंडल (सर्जन,आईजीआईएमएस), आशीष मंडल(दिल्ली में अपना व्यवसाय), जय मंडल(विदेश में क़ानून विद्) हैं और ऋषि मंडल अभी स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में अध्ययनरत हैं.अनुवंश परंपरा के रूप में आर० पी० मंडल हमारे बीच अभी भी मौजूद हैं.
20 फरवरी को स्व० राजेश्वर प्रसाद मंडल जी की जयंती पर श्रद्धा-सुमन !!
साभार : मधेपुरा टाइम्स
6 टिप्पणियां:
स्व० राजेश्वर प्रसाद मंडल जी के बारे में जानकर अच्छा लगा...शत-शत नमन.
स्व० राजेश्वर प्रसाद मंडल जी के बारे में अच्छी जानकारी हेतु आभार|
मंडल जी के बारे में जानकारी देने के लिए आभार।
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ब्लॉगवाणी: ब्लॉग समीक्षा का एक विनम्र प्रयास।
आज ऐसी विभूतियों की ज़रूरत है जो ऐसे ही इतिहास रचकर आगे की पीढ़ी का मार्ग दर्शन करें। नई पीढ़ी के न्यायाधीशों को उनसे प्रेरण लेनी चाहिए। राजभाषा विकास परिषद की ओर से श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं।
मंडल साहब तो वाकई हिंदी प्रेमी थे...न्यायपालिका का सौभाग्य.
मधेपुरा के राजशेखर एक वॉलीवुड के एक नामी गीतकार हैं जो यादव कुल से ताल्लुक रखते हैं.उनके बारे में विस्तार में इस लिंक के माध्यम से जाना जा सकता है.
http://www.madhepuratimes.com/2011/02/blog-post_5611.html
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