गुरुवार, 30 जुलाई 2009

बहुआयामी व्यक्तित्व को समेटे आकांक्षा यादव

आज आकांक्षा जी का जन्मदिन है. वे न सिर्फ सक्रिय ब्लोगर हैं बल्कि बहुविध व्यक्तित्व को अपने में समेटे एवं साहित्यिक सरोकारों से अटूट लगाव रखने वाली एक प्रतिभाशाली युवा कवयित्री व लेखिका हैं. कालेज में प्रवक्ता के साथ-साथ साहित्य की ओर रूझान। पैदाइश गाजीपुर के सैदपुर मोहल्ले में, फिलहाल पतिदेव के साथ कानपुर में। रचनात्मक अध्ययन व लेखन विशेषकर नारी विमर्श, बाल विमर्श व सामाजिक समस्याओं सम्बन्धी विषयों में गहरी रूचि। पहली कविता दिसम्बर 2005 में कादम्बिनी में एवं तत्पश्चात पुनर्नवा, दैनिक जागरण में प्रकाशित। दैनिक जागरण में प्रकाशित कविता पर प्रभात प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा पुरस्कृत। फिलहाल कवतिाओं के साथ-साथ लेख एवं लघुकथाओं का सृजन। साहित्य अमृत, कादम्बिनी, युगतेवर, आजकल, उत्तर प्रदेश, इण्डिया न्यूज, दैनिक जागरण, राष्ट्रीय सहारा, अमर उजाला, स्वतंत्र भारत, आज, गोलकोेण्डा दर्पण, युद्धरत आम आदमी, अरावली उद्घोष, मूक वक्ता, सबके दावेदार, प्रतिश्रुति, प्रगतिशील आकल्प, शोध दिशा, साहित्य क्रांति, राष्ट्रधर्म, सेवा चेतना, समकालीन अभिव्यक्ति, सरस्वती सुमन, नारी अस्मिता, शब्द, लोक गंगा, आकंठ, गृहलक्ष्मी, गृहशोभा, कथाचक्र, तुलसी प्रभा, नये पाठक सहित सौ से ज्यादा प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन। एक दर्जन से अधिक काव्यसंकलनों में रचनाओं का प्रकाशन। ‘‘क्रान्ति-यज्ञ‘‘ पुस्तक में सम्पादन सहयोग।

अन्तर्जाल पर ‘‘शब्द शिखर‘‘ ब्लाग के माध्यम से सक्रिय। इसके अलावा सृजनगाथा, अनुभूति, साहित्यकुंज, साहित्यशिल्पी, रचनाकार, हिन्दी नेस्ट, कलायन, चोखेरबाली, नारी, युवा इत्यादि पर भी रचनाओं का नियमित प्रकाशन। संस्कृत विषय की कुशल प्रवक्ता होने के साथ-साथ साहित्यिक सरोकारों से गहरे जुड़ाव, राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार, रचनाधर्मिता, सतत् साहित्य सृजनशीलता एवं सम्पूर्ण कृतित्व हेतु तमाम प्रतिष्ठित सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं ने आपको सम्मानों से विभूषित किया है। इनमें इन्द्रधनुष साहित्यिक संस्था, बिजनौर द्वारा ‘‘साहित्य गौरव‘‘ व ‘‘काव्य मर्मज्ञ‘‘, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद द्वारा ‘‘भारती ज्योति‘‘, श्री मुकुन्द मुरारी स्मृति साहित्यमाला, कानपुर द्वारा ‘‘साहित्य श्री सम्मान‘‘, मध्य प्रदेश नवलेखन संघ द्वारा ‘‘साहित्य मनीषी सम्मान‘‘, छत्तीसगढ़ शिक्षक-साहित्यकार मंच द्वारा ‘‘साहित्य सेवा सम्मान‘‘, देवभूमि साहित्यकार मंच, पिथौरागढ़़ द्वारा ‘‘देवभूमि साहित्य रत्न‘‘, ऋचा रचनाकार परिषद, कटनी द्वारा ‘‘भारत गौरव‘‘, आसरा समिति, मथुरा द्वारा ‘‘ब्रज-शिरोमणि‘‘, ग्वालियर साहित्य एवं कला परिषद, ग्वालियर द्वारा ‘‘शब्द माधुरी‘‘ सम्मान एवं भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा ‘‘वीरांगना सावित्रीबाई फुले फेलोशिप सम्मान‘ इत्यादि प्रमुख हैं।

स्वभाव से सहज, सौम्य व विनम्र आकांक्षा जी ने एक साहित्यकार के रूप में बहुत ही खुले नजरिये से संवेदना के मानवीय धरातल पर जाकर अपनी रचनाओं का विस्तार किया है। बिना लाग लपेट के सुलभ भाव भंगिमा सहित जीवन के कठोर सत्य उभरें यही आपकी लेखनी की शक्ति है। आपकी रचनाओं में जहाँ जीवंतता है, वहीं उसे सामाजिक संस्कार भी दिया है। निश्चिततः, आकांक्षा जी ने अपने मनोभावों को जो शब्दाभिव्यक्ति दी है, वह अविलक्षण है और अन्तर्मन से विशु़द्ध साहित्यिक है। आकांक्षा यादव की प्रतिभा स्वत: प्रस्फुटित होकर सामने आ रही है। आकांक्षा जी के व्यक्तित्व-कृतित्व पर दहलीज, वुमेन ऑन टॉप, बाल साहित्य समीक्षा, गुफ्तगू, नेशनल एक्सप्रेस, दलित टुडे, सुदर्शन श्याम सन्देश, यादव ज्योति, यादव साम्राज्य, नवोदित स्वर जैसी तमाम पत्र-पत्रिकाओं ने आलेख प्रकाशित किये हैं. दिल्ली से प्रकाशित नारी सरोकारों को समर्पित पत्रिका ‘‘वुमेन ऑन टॉप '' ने जून 2008 अंक में अपनी आवरण कथा ‘हम में है दम, सबसे पहले हम‘ में देश की तमाम प्रतिष्ठित नारियों में आपको स्थान दिया है, जिन्होंने अपनी बहुआयामी प्रतिभा की बदौलत समाज में नाम रोशन किया। यदुकुल की ओर से हम आकांक्षा जी के स्वस्थ, दीर्घायु, समृद्ध एवं यशस्वी जीवन की कामना करते हैं और जन्म-दिन की ढेरों शुभकामनायें देते हैं !!

शुक्रवार, 17 जुलाई 2009

युवा प्रशासक और साहित्यकार : कृष्ण कुमार यादव

भारतीय डाक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी होने के साथ-साथ हिंदी साहित्य में भी जबरदस्त दखलंदाजी रखने वाले बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी कृष्ण कुमार यादव का जन्म 10 अगस्त 1977 को तहबरपुर आज़मगढ़ (उ.प्र.) में हुआ. आप इस स्तर पर चयनित होने वाले प्रथम यादव अधिकारी हैं. प्रारम्भिक शिक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय जीयनपुर-आज़मगढ़ में एवं तत्पश्चात इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 1999 में आप राजनीति-शास्त्र में परास्नातक उपाधि प्राप्त हैं. विभिन्न विधाओं- कविता, कहानी, निबंध, लघु-कथा के साथ-साथ बाल साहित्य में भी लेखन. समकालीन हिंदी साहित्य में नया ज्ञानोदय, कादम्बिनी, सरिता, नवनीत, आजकल, वर्तमान साहित्य, उत्तर प्रदेश, अकार, लोकायत, गोलकोण्डा दर्पण, इन्द्रप्रस्थ भारती, मधुमती, उन्नयन, दैनिक जागरण, अमर उजाला, राष्ट्रीय सहारा, स्वतंत्र भारत, आज, द सण्डे इण्डियन, इण्डिया न्यूज, अक्षर पर्व, युग तेवर, शेष, गोलकोंडा दर्पण, प्रेरणा, प्रगतिशील आकल्प, समर लोक, शब्द, अक्षर शिल्पी, साहित्य क्रांति, साहित्य वार्ता, संकल्य, संयोग साहित्य, समकालीन अभिव्यक्ति, सनद, प्रतिश्रुति, तटस्थ, आकंठ, युगीन काव्या, आधारशिला, चक्रवाक्, सरस्वती सुमन, कथा चक्र इत्यादि सहित 250 से ज्यादा पत्र-पत्रिकाओं व सृजनगाथा, अनुभूति, अभिव्यक्ति, साहित्यकुंज, साहित्यशिल्पी, रचनाकार, लिटरेचर इंडिया, हिंदीनेस्ट, कलायन इत्यादि वेब-पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन. आप शब्द सृजन की ओर तथा डाकिया डाक लाया नामक ब्लॉगों के माध्यम से अंतर्जाल पर भी सक्रिय हैं. बकौल साहित्य मर्मज्ञ एवं पद्मभूषण गोपाल दास 'नीरज'- " कृष्ण कुमार यादव यद्यपि एक उच्चपदस्थ सरकारी अधिकारी हैं, किन्तु फिर भी उनके भीतर जो एक सहज कवि है वह उन्हें एक श्रेष्ठ रचनाकार के रूप में प्रस्तुत करने के लिए निरंतर बेचैन रहता है. उनमें बुद्धि और हृदय का एक अपूर्व संतुलन है. वो व्यक्तिनिष्ठ नहीं समाजनिष्ठ साहित्यकार हैं जो वर्तमान परिवेश की विद्रूपताओं, विसंगतियों, षड्यंत्रों और पाखंडों का बड़ी मार्मिकता के साथ उदघाटन करते हैं."

अब तक एक काव्य-संकलन "अभिलाषा" सहित दो निबंध-संकलन "अभिव्यक्तियों के बहाने" तथा "अनुभूतियाँ और विमर्श" एवं एक संपादित कृति "क्रांति-यज्ञ" का प्रकाशन। बाल कविताओं एवं कहानियों के संकलन प्रकाशन हेतु प्रेस में. व्यक्तित्व-कृतित्व पर "बाल साहित्य समीक्षा""गुफ्तगू" पत्रिकाओं द्वारा विशेषांक जारी एवं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में व्यक्तित्व-कृतित्व पर आलेख प्रकाशित. शोधार्थियों हेतु अल्पायु में ही आपके व्यक्तित्व-कृतित्व पर एक पुस्तक "बढ़ते चरण शिखर की ओर : कृष्ण कुमार यादव" (संपादन-दुर्गाचरण मिश्र) का प्रकाशन. आकाशवाणी पर कविताओं के प्रसारण के साथ दो दर्जन से अधिक प्रतिष्ठित काव्य-संकलनों में कवितायेँ प्रकाशित. प्रशासन व साहित्य सेवा के साथ-साथ समाज सेवा में भी रूचि. विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के संपादन से जुड़े हुए हैं. यादव समाज से जुडी "यादव साम्राज्य" तथा "यादव डायरेक्टरी" के संरक्षक मंडल में शामिल. देश के तमाम अंचलों की विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं द्वारा समय-समय पर सम्मानित.अभिरुचियों में रचनात्मक लेखन-अध्ययन-चिंतन के साथ-साथ फिलाटेली, पर्यटन व नेट-सर्फिंग भी शामिल. उ0प्र0 हिन्दी साहित्य सम्मेलन व राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, उत्तर प्रदेश के संयोजक डा0 बद्री नारायण तिवारी कृष्ण कुमार यादव के बारे में लिखते हैं कि- ‘’एक प्रतिभासम्पन्न, उदीयमान् नवयुवक रचनाकार में भावों की जो मादकता, मोहकता, आशा और महत्वाकांक्षा की जो उत्तेजना एवं कल्पना की जो आकाशव्यापी उड़ान होती है, उससे कृष्ण कुमार जी का व्यक्तित्व-कृतित्व ओत-प्रोत है। ‘क्लब कल्चर‘ एवं अपसंस्कृति के इस दौर में एक युवा प्रशासनिक अधिकारी की हिन्दी-साहित्य के प्रति ऐसी अटूट निष्ठा व समर्पण शुभ एवं स्वागत योग्य है। ऐसा अनुभव होता है कि महापंडित राहुल सांकृत्यायन के जनपद आज़मगढ़ की माटी का प्रभाव श्री यादव पर पड़ा है।‘’

कृष्ण कुमार यादव की पत्नी श्रीमती आकांक्षा यादव एक कॉलेज में प्रवक्ता हैं. रोचक तथ्य यह है कि आकांक्षा जी भी साहित्यिक अभिरुचियों वाली हैं. आपकी रचनाएँ अक्सर चर्चित पत्र-पत्रिकाओं व अंतर्जाल पर प्रकाशित होती रहती हैं. आप शब्द शिखर नाम से एक ब्लॉग का भी संचालन करती हैं. सुविख्यात समालोचक श्री सेवक वात्स्यायन इस साहित्यकार दम्पत्ति को पारस्परिक सम्पूर्णता की उदाहृति प्रस्तुत करने वाला मानते हुए लिखते हैं - ’’जैसे पंडितराज जगन्नाथ की जीवन-संगिनी अवन्ति-सुन्दरी के बारे में कहा जाता है कि वह पंडितराज से अधिक योग्यता रखने वाली थीं, उसी प्रकार श्रीमती आकांक्षा और श्री कृष्ण कुमार यादव का युग्म ऐसा है जिसमें अपने-अपने व्यक्तित्व एवं कृतित्व के कारण यह कहना कठिन होगा कि इन दोनों में कौन दूसरा एक से अधिक अग्रणी है।’’

(कृष्ण कुमार यादव के कृतित्व पर ''प्रशासन और साहित्य के ध्वजवाहक : कृष्ण कुमार यादव'' शीर्षक से एक लेख युवा ब्लॉग पर भी पढ़ सकते हैं.)

मंगलवार, 14 जुलाई 2009

अ.भा.यादव महासभा का पत्र "यादवों की आवाज़"

‘‘यादवों की आवाज‘‘ अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा द्वारा प्रकाशित त्रैमासिक पत्र है। पिछले छः वर्षों से प्रकाशित इस पत्र के संपादक अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा के उपाध्यक्ष एवं प्रसिद्ध इतिहासकार डा0 के0सी0 यादव हैं। मात्र 8 पृष्ठों में प्रकाशित इस पत्र में यादव समाज से जुड़े भिन्न-भिन्न राज्यों की खबरों के अलावा विभूतियों पर आलेख भी प्रकाशित किये जाते हैं। समाज में विभिन्न क्षेत्रों में यदुवंशी नाम कमा रहे हैं, उनकी भी चर्चा इस पत्र में की जाती है। मेरे सम्मुख जुलाई-सितम्बर 2009 का पत्र है। इसमें ‘‘चुनाव गये, अब क्या करें‘‘ में संपादक ने बखूबी यादवी नेतृत्व को आगाह करते हुए लिखा है कि- ‘‘क्या यादव नेतृत्व अब भी अपनी भूल को भूल मानकर अपने पुराने ध्येय को पाने के लिए आगे बढ़ेगा? केवल सामाजिक न्याय के जहाज के सहारे ही हम डूबने से बच सकते हैं। कोशिश करें।‘‘ सामाजिक न्याय आन्दोलन के पुरोधा स्व0 चन्द्रजीत यादव पर विशेष सामंग्री प्रकाशित है। नवनिर्वाचित यादव सांसदों की सूची भी पत्र में दर्शाई गई है। इसी अंक में ‘‘यदुकुल ब्लाग‘‘ पर चर्चा की गई है तो युवा प्रशासक-साहित्यकार कृष्ण कुमार यादव पर जारी पुस्तक ‘‘बढ़ते चरण शिखर की ओर‘‘ की भी चर्चा है। महासभा द्वारा रियायती मूल्यों पर उपलब्ध करायी जा रही पुस्तकों की सूची इसे आकर्षण का केन्द्र बिन्दु बनाती है। पुस्तकों में यादवों का इतिहास (डा0 राजबली पाण्डेय), जातीय उन्नति का मूलमन्त्र: श्रीकृष्ण धर्मतत्व (बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय), यादवों का भारतीय संस्कृति एवं इतिहास को योगदान (डा0 राजबली पाण्डेय), 1857 के महान सेनानी: राव तुलाराम (डा0 के0सी0 यादव), लालू प्रसाद यादव: बदलते भारत के अन्तर्विरोध (डा0 के0सी0 यादव) प्रमुख हैं। पत्र का मुख्य पृष्ठ ग्लेज्ड पेपर पर सुवासित है।
यादवों की आवाज (त्रै0)- डा0 के0सी0 यादव, श्रीकृष्ण भवन, सेक्टर-IV, वैशाली गाजियाबाद (उ0प्र0)

शनिवार, 11 जुलाई 2009

श्री कृष्ण छात्रवृत्ति योजना

हम अपने सभी सुधी पाठकों से अनुरोध करते हैं कि ऐसे मेधावी छात्र-छात्राएँ जो हिन्दुस्तान में कहीं भी आई0आई0टी0, आई0आई0एम0 तथा मेडिकल में एम0एस0/एम0डी0 जैसी उच्च शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश लेकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं उन्हें प्रतिवर्ष 11,000 रू0 प्रति छात्र-छात्रा को ‘श्रीकृष्ण चैरिटेबल ट्रस्ट‘ की ओर से छात्रवृत्ति दी जाएगी।छात्रवृत्ति के लिए पात्र उम्मीदवार को अपने प्रवेश प्रमाण-पत्र के साथ आवेदन-पत्र तथा अपने दो फोटोग्राफ अपने संस्थान के प्रिंसिपल अथवा डायरेक्टर द्वारा सत्यापित करवाकर भेजने होंगे। ये छात्रवृत्तियां पूरी तरह से ‘पहले आओ पहले पाओ‘ के आधार पर दी जाएंगी। इस संबंध में प्रतिवेदन अखिल भारत वर्षीय यादव महासभा अध्यक्ष को निम्न पते पर भेजे जा सकते हैं-श्री उदय प्रताप सिंह, श्रीकृष्ण भवन, सैक्टर-वैशाली, गाजियाबाद
(अखिल भारत वर्षीय यादव महासभा के पत्र ‘‘यादवों की आवाज‘‘, जुलाई-सितम्बर 2009 में प्रकाशित सूचना )

गुरुवार, 9 जुलाई 2009

अ.भा.यादव महासभा के पत्र में "यदुकुल" की चर्चा

यदुकुल ब्लॉग की चर्चा अब यदुवंशियों के मध्य होने लगी है। गौरतलब है कि समाज- राजनीति-प्रशासन साहित्य-संस्कृति इत्यादि तमाम क्षेत्रों में यादव समाज के लोग देश-विदेश में नाम रोशन कर रहे हैं। इनमें से कई ऐसे नाम और काम हैं जो समाज के सामने नहीं आ पाते या यूँ कहें कि उन्हें ऐसा कोई मंच नहीं मिलता जिसके माध्यम से वे और उनकी उपलब्धियाँ सामने आयें. यादव समाज पर केन्द्रित कुछेक पत्र.पत्रिकाएं जरुर प्रकाशित हो रही हैंए पर नेटवर्क और संसाधनों के अभाव में उनकी पहुँच काफी सीमित है. तमाम मित्रों और बुद्धिजीवियों का भी आग्रह था कि अंतर्जाल के इस माध्यम का इस दिशा में उपयोग किया जाय, ऐसे में यह प्रयास आपके सामने है. यदुवंशियों के लिए हिन्दी का प्रथम ब्लाग ‘‘यदुकुल‘‘ का आरम्भ 10 नवम्बर 2008 को किया गया। संक्षिप्त समय में ही इस ब्लाग पर गतिविधियां तेजी से बढ़ीं और इसी का नतीजा था कि प्रतिष्ठित हिन्दी दैनिक ‘‘हिन्दुस्तान‘‘ ने 29 अप्रैल 2009 को सम्पादीय पृष्ठ पर यदुकुल ब्लाग के संबंध में ‘‘यदुकुल गौरव माडल और जाति की एकता‘‘ शीर्षक से एक विस्तृत आलेख प्रकाशित किया।

यदुकुल ब्लाग के माध्यम से कोशिश कि गई है कि यादव समाज में और यादव समाज द्वारा किये जा रहे उन तमाम प्रयासों को यहाँ रेखांकित किया जाय और उनसे संबंधित रचनाएँ इत्यादि भी यहाँ प्रस्तुत की जाएँ। इसके अलावा विभिन्न विषयों पर सारगर्भित लेख ,पत्र- पत्रिकाओं और पुस्तकों की समीक्षाए जानी-अनजानी यादव विभूतियों पर आलेख इत्यादि भी यदुकुल में समाहित किये जा रहे हैं। यादवों से जुडे तमाम महत्वपूर्ण लिंक भी इस ब्लाग पर दिये गये हैं, ताकि लोगों को ईधर-उधर भटकना न पड़े।

अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा द्वारा प्रकाशित पत्र "यादवों की आवाज़" के जुलाई-सितम्बर 2009 अंक में "यदुकुल" ब्लॉग की चर्चा की गई है। .....आभार !!!

गुरुवार, 2 जुलाई 2009

८ साल की उम्र में स्वप्नावली यादव ने पार किया मेसिनिकोस की खाड़ी

मुम्बई की स्वप्नावली यादव ने महज 8 साल की उम्र में मेसिनिकोस की खाड़ी पार करने का विश्व रिकार्ड बनाया है। मेसिनिकोस खाड़ी यूनान में है और यह 30 किलोमीटर लम्बी है। स्वप्नावली यादव ने इसे महज 11 घण्टे 10 मिनट में पर कर लोगों को दांतो तले उंगली दबाने पर मजबूर कर दिया। गौरतलब है कि स्वप्नावली यादव ने यह रिकार्ड 18 महीने पहले बनाया था पर अब उसकी एण्ट्री लिम्का बुक आफ वर्ल्ड रेकॉर्ड्स में स्वीकार कर ली गयी है। यदुकुल की ओर से स्वप्नावली यादव को बधाई !!