बुधवार, 30 मार्च 2016

'उच्च शिक्षा में तकनीकी शब्दावली का प्रयोग'' संबंधित राष्ट्रीय कार्यशाला का निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव ने किया उद्घाटन

 भूमण्डलीकरण, उदारीकरण, उन्नत प्रौद्योगिकी एवं सूचना-तकनीक के बढ़ते इस युग में यदि सबसे बड़ी चुनौती भाषा के लिए पैदा हुई है तो इसी चुनौती स्वरूप भाषाओं का विकास भी हुआ है। हिन्दी और अन्य भारतीय भाषायें उच्च शिक्षा का माध्यम न होने के कारण भाषा के स्वाभाविक विकास की प्रक्रिया से लम्बे समय तक दूर रहीं हैं। इसलिए हिन्दी तथा भारतीय भाषाओं को विज्ञान तथा तकनीकी क्षेत्र में विकसित करने के लिए सुनियोजित प्रयास की जरूरत है। उक्त उद्गार चर्चित हिंदी लेखक  एवं राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर के निदेशक डाक सेवाएँ श्री कृष्ण कुमार यादव ने वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग, नई दिल्ली एवं हिंदी विभाग, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर द्वारा एम. बी. एम. इंजीनियरिंग कॉलेज के इंटरनेशनल सभागार में 27 मार्च, 2016 को आयोजित ''उच्च शिक्षा में तकनीकी शब्दावली का प्रयोग'' विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये।

अपने सारगर्भित सम्बोधन में निदेशक डाक सेवाएँ श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि  भूमण्डलीकरण के दौर में तकनीकी शब्दावली की अधिकाधिक आवश्यकता है। दुनिया में जापान, फ्रांस जैसे तमाम विकसित देश अपनी भाषा के माध्यम से तकनीक के सिरमौर बने हुए हैं, ऐसे में  अपनी सभ्यता, विरासत और संस्कृति की अच्छी चीजों को सहेजकर ही विज्ञान को उन्नत बनाया जा सकता है और मौलिक चिन्तन व  आविष्कार की स्वतंत्रता के लिए स्वयं की भाषा को ही वरीयता देना होगा। हमारे देश के पास प्राचीन समय से ही अपार सम्पदा के रूप में शब्दावली मौजूद है उसको सुरक्षित और संरक्षित रखने की आवश्यकता है। विदेशी भाषा का ज्ञान रखना जो लोग शान समझते है उन्हें अपनी भाषा पर गर्व करना चाहिए क्योंकि भाषा हमारे मूल्यों, परम्पराओं और संस्कृति का संरक्षण करती है। निज भाषा में इनका संरक्षण संभव है। अपने महान ग्रंथों से मोती चुनकर, दुनिया की तमाम भाषाओँ में लिखे जा रहे शोधकार्यों को अपनी मातृभाषा में अनुवादित कर, विज्ञानं और प्रौद्योगिकी को सहज रूप में अपनी मातृभाषा के माध्यम से लोगों में विस्तारित करके, उच्च शिक्षा में अपनी भाषा में मौलिक शोधों को बढ़ावा देकर और तकनीक को हौव्वा की बजाय दिनचर्या और नवाचार से जोड़कर इसे और भी समृद्ध बनाया जा सकता है। श्री यादव ने कहा कि आम आदमी की भाषा विज्ञान और तकनीक की भाषा से पृथक हो सकती है पर इसका तात्पर्य यह नहीं कि जनसामान्य की भाषा में विज्ञान और तकनीक की बातें नहीं समझाई जा सकतीं। बस जरूरत हमें अपनी सोच और कार्य प्रणाली बदलने की है। 

     कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं प्रो. सुधि राजीव, अधिष्ठाता कला, शिक्षा एवं समाज विज्ञान संकाय,जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय , जोधपुर ने कहा कि हर भाषा अपने व्यक्तित्व का स्वरूप होती है यह वसुधैव कुटुम्बकम की भावना से पल्लवित और पोषित है। भाषा मनुष्य होने का प्रमाणिक दस्तावेज है जो हमारी और हमारे राष्ट्र की पहचान कराती है। 


       सारस्वत वक्ता के रूप में वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, नई दिल्ली के सहायक निदेशक इंजी. मोहन लाल मीना ने वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग की कार्यप्रणाली व उसके उद्देश्यों के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा कि  विज्ञान व तकनीकी विषयों में हिन्दी शब्दों का प्रयोग प्रारम्भ में कठिन प्रतीत होते है लेकिन सतत् प्रयोग से इन्हें आसानी से समझा व प्रयोग में लाया जा सकता है। साथ ही उन्होंने कहा कि विषय के विकास हेतु अनुकूल शब्दावली की आवश्यकता होती है। आयोग के ही जय सिंह रावत ने तकनीकी शब्दावली का प्रयोग के सरलीकरण पर प्रकाश डाला। 

           कार्यक्रम के  प्रारम्भ में कार्यशाला के संयोजक प्रो. श्रवण कुमार मीना ने कार्यशाला की रूपरेखा बताते हुए समस्त अतिथियों का स्वागत किया तथा हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो. देवेन्द्र कुमार सिंह गौतम ने धन्यवाद ज्ञापित किया संचालन डाॅ. कामिनी ओझा ने किया।  इस दौरान विभिन्न प्रांतों से आए हुए वैज्ञानिक, शिक्षक गण, विद्व्त जन एवं शोधार्थी उपस्थित रहे।  उद्घाटन सत्र के बाद विभिन्न वक्ताओं ने  उच्च शिक्षा में तकनीकी शब्दावली के  प्रयोग पर अपने विचार व्यक्त किये।

           प्रथम तकनीकी सत्र् में सारस्वत वक्ता प्रो. रामलखन मीना, राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय, अजमेर ने हिन्दी की तकनीकी शब्दावली के विविध पक्षों सामान्य, साहित्यिक प्रयोजन व तकनीकी पक्षों पर प्रकाश डाला। आपने कहा कि वैज्ञानिक शब्दावली का निर्माण होने के बावजूद इसका प्रयोग नहीं किया जा रहा है क्योंकि लोग मानते हैं कि ये आम बोलचाल की भाषा नहीं है। दूसरे वक्ता डाॅ. मोहर सिंह, प्रधान वैज्ञानिक आई.सी.ए.आर. ने अपने व्याख्यान में कहा कि तकनीकी शब्दावली के माध्यम से कृषि नवाचार को किसानों तक पहुंचाना असान बनाना होगा। डाॅ. रामराज ने अपने वक्तव्य में कहा की तकनीकी शब्दावली के माध्यम से किसानों तक अपनी बात को आसानी से पहुंचाया जा सकता है। जिससे वे कृषि उत्पाद को बढ़ा सके। वनस्पति विज्ञान के सेवानिवृत प्रो. नरपत सिंह शेखावत ने अपने उद्बोधन में कहा की कृषि विज्ञान में तकनीकी शब्दावली के माध्यम से शब्दों को सुगम बनाया जा रहा है जो वर्तमान संदर्भो में उपयोगी सिद्ध हो रहा है। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. महेन्द्र सिंह ने किया तथा अंत में डाॅ. प्रवीण चंद ने धन्यवाद ज्ञापित किया। दूसरे तकनीकी सत्र में अजमेर से पधारे डाॅ. आलोक चतुर्वेदी ने पाॅवर प्रजेंटेशन के माध्यम से विज्ञान विषयों में तकनीकी शब्दावली के सरलीकरण पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला। डाॅ. आर. पी. मीना पादप रोग वैज्ञानिक, आनन्द गुजरात ने कृषि विषय में आने वाले शब्दों की कठिनाई को सरलता पूर्वक समझाया और कहा की किसानों के लिए भाषा का सरलीकरण अत्यन्त आवश्यक है। सत्र का संचालन प्रवीण चंद ने किया और डाॅ. कुलदीप मीना ने  धन्यवाद ज्ञापित किया।

मंगलवार, 29 मार्च 2016

राजनीति में सबसे बड़ा परिवार बना ''मुलायम'' परिवार

उत्तर प्रदेश की राजनीति के सबसे शक्तिशाली यादव परिवार का एक और सदस्य अब सक्रिय राजनीति में दस्तक देने को तैयार है। समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादवको 2017 का यूपीविधानसभा चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी चल रही है। वे लखनऊ कैंट सीट से सपा प्रत्याशी होंगी। इसके चलते राजनीतिक परिवारों से अलग मुलायम का परिवार एक ही पार्टी में है यानि अपर्णा को मिलाकर सभी 16 सदस्य समाजवादी पार्टी का हिस्सा हैं जिसे 77 साल के मुलायम सिंह यादव ने खड़ा कर दिया है। मिलते है मुलायम सिंह की 16 सदस्यों से जो राजनीति में अपना रुतबा जमा रहे है।

मुलायम सिंह यादव
नेताजी के नाम फेमस मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी के अगुआ और पार्टी संस्थापक हैं। उन्होंने 4 अक्टूबर 1992 को समाजवादी पार्टी का गठन किया था। अपने राजनीतिक करियर में वह तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। फिलहाल उनके बेटे अखिलेश यादव यूपी के सीएम हैं और वह केंद्र की राजनीति पर फोकस किए हुए हैं। मुलायम सिंह यादव ने राजनीति में परिवार के 20 सदस्यों की एंट्री करा दी है, जिसके आधार पर मुलायम परिवार देश का सबसे बड़ा सियासी परिवार बना हुआ है।

शिवपाल सिंह यादव
जीती हुई सीट पर घरवालों को लड़ाने के इस खेल में सबसे पहले शिवपाल सिंह यादव शामिल हुए। हालांकि, सहकारिता आंदोलन के जरिए शिवपाल सिंह यादव ने राजनीति में अपनी पैठ बना ली थी। वे 1988 में पहली बार इटावा के जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष चुने गए। 1996 में सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने अपनी जसवंतनगर की सीट छोटे भाई शिवपाल के लिए खाली कर दी थी। साथ ही खुद मैनपुरी से लोकसभा का चुनाव लड़ा। इसके बाद से ही शिवपाल सिंह यादव का जसवंतनगर की विधानसभा सीट पर का कब्जा बरकरार है।

रामगोपाल सिंह यादव
सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के चचेरे भाई रामगोपाल यादव मौजूदा समय में भले की राज्यसभा से सांसद हो, लेकिन उन्होंने भी राजनीति में एंट्री इसी जुगाड़ से की थी। मुलायम सिंह ने 2004 में संभल सीट रामगोपाल के लिए छोड़ दी थी और खुद मैनपुरी से सांसद का चुनाव लड़ा था। रामगोपाल ने भी इस सीट से जीत हासिल करके संसद पहुंचे थे।

अखिलेश यादव
सपा मुखिया में अपने भाइयों को राजनीति में एंट्री कर दी थी। अब बारी बेटे अखिलेश यादव की थी। इसके लिए उन्होंने 1999 की लोकसभा चुनाव संभल और कन्नौज दोनों सीटों लड़ा और जीता। इसके बाद सीएम अखिलेश के लिए कन्नौज की सीट खाली कर दी। अखिलेश ने कन्नौज की सीट से चुनाव लड़ा और जीता। इसी के साथ उनकी भी राजनीति में एंट्री हो चुकी थी।

धर्मेंद्र यादव
अखिलेश के बाद यादव परिवार के दूसरी पीढ़ी से सबसे पहले धर्मेंद्र यादव का नंबर लगा। 2004 में सीएम रहते हुए मुलायम सिंह यादव मैनपुरी से चुनाव लड़ा और जीता। बाद में यह सीट अपने भतीजे धर्मेंद्र यादव के लिए खाली कर दी। 25 साल के भतीजे ने भी अपने चाचा मुलायम को निराश नहीं किया और रिकॉर्ड वोटों से जीत हासिल की। उस वक्त उन्होंने 14वीं लोकसभा में सबसे कम उम्र के सांसद बनने का रिकार्ड बनाया। इसी के साथ धर्मेंद्र का भी राजनीति में कैरियर शुरू हो गया।

डिंपल यादव
पिता द्वारा राजनीति पदार्पण करने के इस नायाब तरीके को बेटे अखिलेश यादव ने भी अाजमाया। 2009 के लोकसभा चुनाव में कन्नौज और फिरोजाबाद से जीतकर फिरोजाबाद की सीट की अपनी पत्नी डिंपल यादव के लिए छोड़ दी, लेकिन इस बार पासा उलट पड़ गया और डिंपल को कांग्रेस उम्मीदवार राजबब्बर ने हारा दिया।
पहली बार में इस खेल में मात खाने बावजूद अखिलेश का भरोसा इस फार्मूले से नहीं टूटा। 2012 में मुख्यमंत्री बनने के बाद अखिलेश ने अपनी कन्नौज लोकसभा सीट एक बार फिर डिंपल के लिए खाली की। इसबार सूबे में सपा की लहर का आलम ये था कि किसी भी पार्टी की डिंपल के खिलाफ प्रत्याशी उतारने की हिम्मत नहीं हुई और वो निर्विरोध जीती।

तेज प्रताप यादव
तेजप्रताप यादव सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के पोते हैं। वे मैनपुरी से सांसद हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी और आजमगढ़ दोनों सीटों से चुनाव लड़ा था। इसके बाद उन्होंने अपनी पारंपरिक सीट मैनपुरी खाली कर दी थी। इस सीट पर उन्होंने अपने पोते तेज प्रताप यादव को चुनाव लड़ाया। तेजप्रताप ने भी अपने दादा को निराश नहीं किया और बंपर वोटों से चुनाव में जीत हासिल की। साथ ही इस राजनीति में धमाकेदार एंट्री की।

अक्षय यादव
अक्षय यादव मौजूदा समय में फिरोजाबाद से सपा सांसद हैं। अक्षय यादव भी पहली बार चुनाव जीतकर सक्रिया राजनीति में उतरे हैं। यह सीट यादव परिवार की पारंपरिक संसदीय सीट रही है। जब अखिलेश यादव ने वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में फिरोजाबाद और कन्नौज से चुनाव लड़ा था, उस समय फिरोजाबाद के चुनाव प्रबंधन की कमान अक्षय यादव ने संभाली थी। इसके बाद अखिलेश ने फिरोजाबाद सीट छोड़ दी और उपचुनाव में पत्नी डिंपल यादव को चुनाव लड़ाया। भाभी डिंपल का चुनाव प्रबंधन भी अक्षय ने संभाला था, लेकिन कांग्रेस नेता राज बब्बर ने डिंपल को हरा दिया था।

प्रेमलता यादव
मुलायम सिंह यादव के भाई राजपाल यादव की पत्नी हैं प्रेमलता यादव। 2005 में वह इटावा की जिला पंचायत अध्यक्ष चुनी गई थीं।

सरला यादव
यूपी के कैबिनेट मिनिस्टर शिवपाल यादव की पत्नी हैं सरला यादव। 2007 में जिला सहकारी बैंक इटावा की राज्य प्रतिनिधि बनाया गया था।

अरविन्द यादव
2012 में वह छिबरामऊ से विधानसभा चुनाव जीते थे। इससे पहले भी वह इसी सीट से विधायक बने थे।

अक्षय यादव
रामगोपाल यादव का बड़े बेटे हैं अक्षय यादव। फिरोजाबाद से लोकसभा सांसद हैं अक्षय यादव। 


आदित्य यादव
शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव को जसवंत नगर लोकसभा सीट से एरिया इंचार्ज थे। मौजूदा समय में वह यूपीपीसीएफ के चेयरमैन हैं।

अंशुल यादव
राजपाल और प्रेमलता यादव के बड़े बेटे हैं अंशुल यादव। 2016 में इटावा से निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए हैं अंशुल यादव।

संध्या यादव
सपा सुप्रीमो की भतीजी और सांसद धर्मेंद्र यादव की बहन संध्या यादव ने जिला पंचायत अध्यक्ष के जरिए राजनीतिक एंट्री की है। उन्हें मैनपुरी से जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए निर्विरोध चुना गया है।








सोमवार, 28 मार्च 2016

मुलायम सिंह की छोटी बहू अपर्णा यादव भी अब सक्रिय राजनीति में, लखनऊ कैंट से लड़ेंगी विधानसभा चुनाव

मुलायम सिंह यादव के दूसरे बेटे प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा बिष्ट यादव को लखनऊ कैंट से पार्टी का टिकट मिला है। अभी इस सीट पर कांग्रेस की सीनियर लीडर रीता बहुगुणा जोशी का कब्जा है। सपा आजतक इस सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई है। बता दें, अपर्णा मुलायम परिवार की ऐसी पहली सदस्य हैं जो परिवार के गढ़ से बाहर निकलकर चुनाव लड़ेंगी। लखनऊ से क्यों मिला टिकट...

- अपर्णा मूलत: लखनऊ की रहने वाली हैं। उनके पिता यहां के जाने-माने जर्नलिस्ट हैं।
- उनकी स्कूलिंग भी लखनऊ में हुई है।

- 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा कैंडिडेट सुरेश चौहान ने 13 फीसदी वोट के साथ चौथे नंबर पर थे। 
- इस सीट पर कांग्रेस को 30.76%, बीजेपी को 26%, बीएसपी को 18% वोट मिले थे। 
- इस सीट पर अब तक कांग्रेस 7 बार और बीजेपी 5 बार जीती है। 

सामजिक मुद्दों पर खुलकर विचार रखती हैं अपर्णा

- अपर्णा यादव सामाजिक मुद्दों पर खुलकर अपने विचार रखने के लिए जानी जाती हैं।
- निर्भया केस में र‍िहा हुए नाबालिग आरोपी पर उन्होंने कहा था कि आरोपी भले ही छूट गया हो, लेकिन उसे यूपी में घुसने नहीं दिया जाएगा।
- अपर्णा ने जुवेनाइल जस्टिस बिल पास कराने के लिए राज्यसभा का शुक्रिया अदा किया था।

मोदी की तारीफ कर चुकी हैं अपर्णा

- अपर्णा कई बार पार्टी लाइन से अलग जाकर भी अपने विचार रखती रही हैं।
- राजधानी में एक प्रोग्राम के दौरान उन्होंने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए कहा था कि लोगों का भरोसा मोदी पर बहुत ज्यादा बढ़ा है।
- यही वजह है कि जब मोदी जी ने झाड़ू उठाई, तो पूरे देश में अभियान छिड़ गया।

म्यूजिक में भी है अपर्णा का इंटरेस्ट
- अपर्णा का म्यूजिक में भी काफी इंटरेस्ट है।
- सैफई मोहत्सव में भी हर साल उनका म्यूजिक प्रोग्राम होता है।
- इनमें वो कई बॉलीवुड सितारों के साथ स्टेज शेयर कर चुकी हैं।

बुधवार, 16 मार्च 2016

डाॅ अनुरूद्ध सिंह यादव बने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के नए अध्यक्ष

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने डाॅ अनुरूद्ध सिंह यादव को उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की संस्तुति पर राज्यपाल ने डाॅ अनुरूद्ध सिंह यादव के नाम को अनुमोदित कर दिया है। अनिरुद्ध सिंह यादव ने आगरा यूनिवर्सिटी से पीएचडी की है। पीएचडी में उनका टॉपिक श्रीलंका की जाति समस्या सुलझाने में भारत शांति सेना की भूमिका था। वे जीबी पंत कॉलेज कछला बदांयू में प्रिंसिपल रह चुके हैं।

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने नवंबर 2015 में डॉ. सुनील कुमार जैन सदस्य उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को तीन माह या नियमित अध्यक्ष की नियुक्ति जो भी पहले हो, तक की अवधि के लिए उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया था। राज्यपाल ने राज्य सरकार से यह भी अपेक्षा की थी कि तीन माह के अंदर उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के पूर्ण कालिक अध्यक्ष की नियुक्ति की प्रक्रिया पूर्ण करते हुए उचित व्यक्ति के नाम का प्रस्ताव भेजा जाए। इसी प्रक्रिया के तहत राज्य सरकार ने यूपी लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष पद के लिए डाॅ अनुरूद्ध सिंह यादव के नाम की संस्तुति की थी। लोक सेवा आयोग उत्तर प्रदेश के नये अध्यक्ष डॉ. अनुरूद्ध सिंह यादव ने कहा कि उनका पहला काम पूरी पारदर्शिता के साथ हर प्रकार की भर्तियों को अंजाम देना है। आयोग की शुचिता  तथा विश्वनीयता पर आंच नहीं आने दी जायेगी। अनिरुद्ध यादव ने 15 मार्च 2016 को को यूपीपीएससी के स्थाई अध्यक्ष के रूप में कार्यभार ग्रहण कर लिया। शपथ ग्रहण करने के बाद नए अध्यक्ष ने गीता के उपदेश सुनाकर ईमानदारी, मानवता और सच्चाई की सीख दी.उन्होंने कहा कि बुराई के लिए बुराई न करें। आयोग में जाति विशेष के चयन से संबंधित सवालों पर उन्होंने महाभारत के युद्ध का संक्षिप्त विवरण सुनाया और कहा कि कोई जात पात नहीं, सब अपने भाई बंधु हैं। इनमें विभेद किया जाएगा तो महाभारत के युद्ध जैसे परिणाम होंगे। उन्होंने कहा कि वे रात्रि में सोते हैं तो सोचते हैं कि कहीं कोई गलती तो नहीं की। 
-राम शिव मूर्ति यादव @ यदुकुल ब्लॉग 
Ram Shiv Murti Yadav @ http://yadukul.blogspot.in/

शुक्रवार, 11 मार्च 2016

आजमगढ़ की बहू लाकर मुलायम ने संसदीय क्षेत्र से जोड़ा पारिवारिक रिश्ता

आजमगढ़ से सांसद और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने अब आजमगढ़ से पारिवारिक रिश्ता भी जोड़ लिया है।  मुलायम सिंह के भाई शिवपाल सिंह यादव के बेटे आदित्य यादव का विवाह आजमगढ़ की राजलक्ष्मी से हुई। सैफई महोत्सव पंडाल में 10 मार्च 2016 को आदित्य और राजलक्ष्मी एक-दूसरे को जयमाला डाल कर एक-दूजे के हो गए। हजारों लोग सैफई परिवार की शाही शादी के गवाह बने। खुद सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मेहमानों की आवभगत की। कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह और सांसद डिंपल परिवार के संग थिरकते नजर आए। जया बच्चन, जयाप्रदा, लालू यादव, अमर सिंह, आजम खां समेत कई वीआईपी मेहमान समारोह में शामिल हुए और वर-वधू को आशीर्वाद दिया।