रविवार, 22 दिसंबर 2013

भारतीय दलित साहित्य अकादमी ने कृष्ण कुमार यादव यादव क़ो किया सम्मानित


भारतीय दलित साहित्य अकादमी ने इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ एवं युवा साहित्यकार श्री कृष्ण कुमार यादव को दिल्ली में 12-13 दिसम्बर, 2013 को आयोजित 29वें राष्ट्रीय दलित साहित्यकार सम्मेलन में सामाजिक समरसता सम्बन्धी लेखन, विशिष्ट कृतित्व एवं समृद्ध साहित्य-साधना और सामाजिक कार्यों में रचनात्मक योगदान हेतु ‘’भगवान बुद्ध राष्ट्रीय फेलोशिप सम्मान-2013‘‘ से सम्मानित किया। इससे पूर्व श्री यादव को विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक-सामाजिक संस्थानों द्वारा विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता और प्रशासन के साथ-साथ सतत् साहित्य सृजनशीलता हेतु 50 से ज्यादा सम्मान और मानद उपाधियाँ प्राप्त हैं। 

सरकारी सेवा में उच्च पदस्थ अधिकारी होने के साथ-साथ साहित्य, लेखन, ब्लागिंग व सोशल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय 36 वर्षीय श्री कृष्ण कुमार यादव की अब तक कुल 6 पुस्तकें- ”अभिलाषा” (काव्य संग्रह), ”अभिव्यक्तियों के बहाने” व ”अनुभूतियाँ और विमर्श” (निबंध संग्रह), इण्डिया पोस्ट: 150 ग्लोरियस ईयर्ज (2006) एवं ”क्रांतियज्ञ: 1857-1947 की गाथा” (2007), ”जंगल में क्रिकेट” (बालगीत संग्रह) प्रकाशित हैं। इनकी रचनाधर्मिता को देश-विदेश की प्रायः अधिकतर प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं, इंटरनेट पर वेब पत्रिकाओं व ब्लॉग पर निरंतर देखा-पढा जा सकता हैं। 


शनिवार, 21 दिसंबर 2013

आकांक्षा यादव क़ो मिला भारतीय दलित साहित्य अकादमी का पुरस्कार

भारतीय दलित साहित्य अकादमी ने युवा कवयित्री, साहित्यकार एवं अग्रणी महिला  ब्लागर आकांक्षा यादव को दिल्ली में 12-13 दिसम्बर, 2013 को आयोजित 29वें राष्ट्रीय दलित साहित्यकार सम्मेलन में सामाजिक समरसता सम्बन्धी लेखन, विशिष्ट कृतित्व एवं समृद्ध साहित्य-साधना और सामाजिक कार्यों में रचनात्मक योगदान हेतु ‘’भगवान बुद्ध राष्ट्रीय फेलोशिप सम्मान-2013‘‘ से सम्मानित किया। आकांक्षा यादव को इससे पूर्व विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक-सामाजिक संस्थानों द्वारा विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता और प्रशासन के साथ-साथ सतत् साहित्य सृजनशीलता हेतु दर्जनाधिक  सम्मान और मानद उपाधियाँ प्राप्त हैं। 

गौरतलब है कि नारी विमर्श, बाल विमर्श एवं सामाजिक सरोकारों सम्बन्धी विमर्श में विशेष रूचि रखने वाली आकांक्षा यादव साहित्य, लेखन, ब्लागिंग व सोशल मीडिया के क्षेत्र में एक लम्बे समय से सक्रिय हैं। देश-विदेश की प्रायः अधिकतर प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं और इंटरनेट पर वेब पत्रिकाओं व ब्लॉग पर आकांक्षा यादव की विभिन्न विधाओं में रचनाएँ निरंतर प्रकाशित होती रहती है। आकांक्षा यादव की 2 कृतियाँ ”चाँद पर पानी” (बालगीत संग्रह) एवं ”क्रांतियज्ञ: 1857-1947 की गाथा” प्रकाशित हैं।

भारतीय दलित साहित्य अकादमी की स्थापनावर्ष 1984 में बाबू जगजीवन राम द्वारा दलित साहित्य के संवर्धन  और प्रोत्साहन हेतु  की गयी थी। 

रविवार, 3 नवंबर 2013

दीपावली आई ...



दीपावली पर्व पर आप सभी को शुभकामनाएँ।

इस पावन अवसर पर ईश्वर से यही प्रार्थना है कि वह, वैभव, ऐश्वर्य, उन्नति, प्रगति, आदर्श, स्वास्थ्य, प्रसिद्धि और समृद्धि के साथ आपका जीवन आरोग्य और समृद्धि से सम्पन्न हो। 

बुधवार, 30 अक्तूबर 2013

हिंदी साहित्य के प्रमुख हस्ताक्षर राजेंद्र यादव का जाना

हिंदी साहित्य के प्रमुख हस्ताक्षर राजेंद्र यादव का सोमवार, 28 अक्तूबर 2013 को  निधन हो गया । वह 84 वर्ष के थे।

उनका जन्म 28 अगस्त 1929 को उत्तर प्रदेश के आगरा ज़िले में हुआ था. उनकी शिक्षा-दीक्षा भी आगरा में ही हुई.उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से 1951 में हिंदी विषय से प्रथम श्रेणी में एमए की डिग्री हासिल की थी. उन्होंने विश्वविद्यालय में पहला स्थान हासिल किया था.

अपने लेखन में समाज के वंचित तबके और महिलाओं के अधिकारों की पैरवी करने वाले राजेंद्र यादव प्रसिद्ध कथाकार मुंशी प्रेमचंद की ओर से शुरू की गई साहित्यिक पत्रिका  हंस का 1986 से संपादन कर रहे थे.अक्षर प्रकाशन के बैनर तले उन्होंने इसका पुर्नप्रकाशन प्रेमचंद की जयंती 31 जुलाई 1986 से शुरू किया था.

प्रेत बोलते हैं (सारा आकाश), उखड़े हुए लोग, एक इंच मुस्कान (मन्नू भंडारी के साथ), अनदेखे अनजान पुल, शह और मात, मंत्रा विद्ध और कुल्टा उनके प्रमुख उपन्यास हैं.

इसके अलावा उनके कई कहानी संग्रह भी प्रकाशित हुए हैं. इनमें देवताओं की मृत्यु, खेल-खिलौने, जहाँ लक्ष्मी कैद है, छोटे-छोटे ताजमहल, किनारे से किनारे तक और वहाँ पहुँचने की दौड़ प्रमुख हैं. इसके अलावा उन्होंने निबंध और समीक्षाएं भी लिखीं.

'आवाज़ तेरी' के नाम से राजेंद्र यादव का 1960 में एक कविता संग्रह भी प्रकाशित हुआ था. चेखव के साथ-साथ उन्होंने कई अन्य विदेशी साहित्यकारों की रचनाओं का हिंदी में अनुवाद भी किया था.

उनकी रचना सारा आकाश पर इसी नाम से एक फ़िल्म भी बनी थी.

राजेंद्र यादव ने कमलेश्वर और मोहन राकेश के साथ मिलकर हिंदी साहित्य में नई कहानी की शुरुआत की थी.

लेखिका मन्नू भंडारी के साथ राजेंद्र यादव का विवाह हुआ था. उनकी एक बेटी हैं. उनका वैवाहिक जीवन बहुत लंबा नहीं रहा और बाद में उन्होंने अलग-अलग रहने का फ़ैसला किया था.

यादव 1999 से 2001 तक प्रसार भारती बोर्ड के नामांकित सदस्य भी रहे ।

साभार : BBC 
'यदुकुल'  की तरफ से हार्दिक श्रद्धांजलि !!

गुरुवार, 24 अक्तूबर 2013

नवोदय विद्यालय समिति द्वारा डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव का सम्मान

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन नवोदय विद्यालय समिति, लखनऊ संभाग द्वारा इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं कृष्ण कुमार यादव को पुरा छात्र के रूप में उनके बहुआयामी व्यक्तित्व एवं कुशल प्रशासक व साहित्य सेवाओं हेतु सम्मानित किया गया। उक्त सम्मान लखनऊ में गोमती नगर स्थित संगीत नाटक अकादमी के प्रेक्षागार में नवोदय विद्यालय समिति, लखनऊ सम्भाग द्वारा आयोजित ”प्रज्ञानम-2013” में दिया गया। सम्मान प्रदान करते हुए नवोदय विद्यालय समिति, लखनऊ सम्भाग के उपायुक्त श्री अशोक कुमार शुक्ला ने कहा कि बहुमुखी प्रतिभासम्पन्न कृष्ण कुमार यादव जवाहर नवोदय विद्यालय से सिविल सेवाओं में सफल होने वाले प्रथम व्यक्ति हैं, वहीं प्रशासन के साथ-साथ अपनी साहित्यिक व लेखन अभिरुचियों के चलते भी उन्होंने कई उपलब्धियाँ अपने खाते में दर्ज की हैं । उन्होंने श्री यादव को तमाम विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बताया और इस बात पर हर्ष जताया कि मुख्य अतिथि के रूप में नवोदय के ही एक पूर्व विद्यार्थी को पाकर हम सब अभिभूत हैं । 

इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव ने इस अवसर पर जहाँ नवोदय में बिताए गए दिनों को लोगों के साथ साझा किया, वहीं जीवन में प्रगति के लिए विद्यार्थियों को तमाम टिप्स भी दिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा साहित्य, कला और संस्कृति किसी भी राष्ट्र को अग्रगामी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। ऐसे में जरुरत है कि युवा पीढ़ी इनसे अपने को जोड़े और राष्ट्र की प्रगति में अपना योगदान स्थापित करे। श्री यादव ने कहा कि किताबी शिक्षा को व्यवहारिक ज्ञान से जोड़ना बहुत जरूरी है और इसके लिए जरूरी है अभिरुचियाँ विकसित की जाये।

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के तमाम नवोदय विद्यालयों के प्रधानाचार्य, अध्यापकगण, शिक्षाविद, विद्यार्थी इत्यादि मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन जवाहर नवोदय विद्यालय, फिरोजाबाद की प्रधानाचार्या श्रीमती सुमनलता द्विवेदी ने किया। 

बुधवार, 16 अक्तूबर 2013

यादवों का इतिहास ...


यादव वर्ग कई संबद्ध जाति है जो एक साथ भारत की कुल जनसंख्या का 20% के बारे में नेपाल की 20% आबादी और ग्रह पृथ्वी के बारे में 3% आबादी का गठन शामिल है. यादव भारत, नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश, रूस, मध्य पूर्व में पाया जाति है और प्राचीन राजा यदु, आर्य पाँच पांचजन्य के रूप में ऋग्वेद में उल्लेख किया कुलों के नाम से वंश "जिसका अर्थ है पांच लोगों का दावा है "पांच सबसे प्राचीन वैदिक क्षत्रिय कुलों को दिया आम नाम है. यादव जाति आम तौर पर वैष्णव परंपराओं, और शेयर वैष्णव dharmic धार्मिक विश्वासों इस प्रकार है. वे भगवान कृष्ण या भगवान विष्णु के उपासक हैं. यादव हिंदू धर्म में क्षत्रिय वर्ण के अंतर्गत वर्गीकृत कर रहे हैं और 1200-1300AD तक मुस्लिम आक्रमणकारियों के आने से पहले भारत और नेपाल में सत्ता में बने रहे.

दो बातें इन आत्मीय जातियों के लिए आम हैं. सबसे पहले, वे जो भगवान कृष्ण हैं यदु राजवंश (यादव) की सन्तान होने का दावा. दूसरे, इस श्रेणी में कई जातियों दौर पशु केंद्रित व्यवसायों का एक सेट है. कृष्णा pastimes के देहाती पशुओं के लिए संबंधित व्यवसायों के लिए वैधता की तरह उधार देता है, और इन व्यवसायों के बाद जाति के रूप में भारत के लगभग सभी भागों में पाया जा रहे हैं, यादव श्रेणी संबंधित जाति की एक पूरी श्रृंखला शामिल है.

वैदिक साहित्य के अनुसार, Yaduvanshis या यादव यदु, राजा Yayati के ज्येष्ठ पुत्र के वंशज हैं. उसकी लाइन से मधु, जो Madhuvana से शासन के तट पर स्थित यमुना नदी, जो Saurastra और Anarta (गुजरात) तक बढ़ाया पैदा हुआ था. उनकी बेटी मधुमती Harinasva Ikshvaku दौड़ की, जिनमें से यदु फिर से पैदा हुआ था इस समय यादवों के पूर्वज होने से शादी कर ली. नंदा, कृष्ण के पालक पिता, मधु के उत्तराधिकार की लाइन में पैदा हुआ था और यमुना का एक ही पक्ष से खारिज कर दिया. Jarasandh, Kansa ससुर, और मगध के राजा पर हमला यादवों Kansa मौत का बदला लेने. यादवों मथुरा (केंद्रीय Aryavart) से सिंधु पर अपनी राजधानी द्वारका बदलाव (Aryavart के पश्चिमी तट पर) था. यदु एक प्रसिद्ध हिंदू राजा था, भगवान श्री कृष्ण है, जो इस कारण के लिए भी यादव के रूप में संदर्भित किया जाता है की एक पूर्वज माना जा रहा है. आनुवंशिक रूप से, वे भारत Caucasoid परिवार में हैं. भारत के पूर्व में एक अध्ययन से पता चलता है उनके जीन संरचना में कायस्थ ब्राह्मण, राजपूत और एक ही क्षेत्र के रहने के लिए समान है.

कुछ इतिहासकारों का यह भी यादवों और यहूदियों के बीच एक कनेक्शन चाहते हैं. उनके सिद्धांत के अनुसार, यूनानी, Judeos या जह deos या यादवों के रूप में यहूदियों के लिए भेजा जाता था, जिसका अर्थ है हां के लोगों.

रूस में, कई रूसी उपनाम यादवों है.

जेम्स टॉड का प्रदर्शन है कि Ahirs राजस्थान के 36 शाही दौड़ की सूची में शामिल थे (टॉड, 1829, Vol1, p69 द्वितीय, p358) Ahirs के संबंध = Abhira = निडर

Ahirs समानार्थी शब्द यादव और राव साहब हैं. राव साहब ही Ahirwal दिल्ली, दक्षिणी हरियाणा और अलवर जिले (राजस्थान) Behrod क्षेत्र के कुछ गांवों के प्रदेशों से मिलकर क्षेत्र में प्रयोग किया जाता है. ऐतिहासिक, अहीर अहीर बाटक शहर की नींव रखी जो बाद में AD108 में Ahrora और झांसी जिले में अहिरवार कहा है. Rudramurti अहीर सेना के प्रमुख बने और बाद में, राजा. Madhuriputa Ishwarsen, और Shivdatta के वंश से राजाओं जो यादव राजपूतों, Sainis, जो अब पंजाब में केवल और पड़ोसी राज्यों हरियाणा, जम्मू और कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में अपने मूल नाम से पाया के साथ घुलमिल जाने जाते थे. वे Yaduvanshi राजपूतों से Yaduvanshi Surasena वंश के वंश का दावा है, से होने वाले यादव राजा Shoorsen, जो दोनों कृष्णा और प्रसिद्ध पांडवों योद्धाओं के दादा था. Sainis मथुरा और आस - पास के क्षेत्रों से समय के विभिन्न अवधियों में पंजाब के लिए जगह बदली.

यदु वंश से सभी यादव उप जाति वंश, उत्तर और पश्चिम भारत में इन Ahirs शामिल हैं, घोष या "Goalas" और "Sadgopa" या बंगाल और उड़ीसा में Gauda, महाराष्ट्र में Dhangar, यादव और आंध्र प्रदेश में Kurubas और कर्नाटक और तमिलनाडु में Dayan और कोनार. वहाँ भी कर रहे मध्य प्रदेश में hetwar और रावत, और बिहार में Mahakul (ग्रेट परिवारों) के रूप में कई उप - क्षेत्रीय नाम. इन जातियों के सबसे पारंपरिक व्यवसाय पशुओं के लिए संबंधित है. Ahirs, Abhira या अभीर के रूप में भी जाना जाता है, भी कृष्णा के माध्यम से यदु से वंश का दावा है, और यादव के साथ की पहचान कर रहे हैं. ब्रिटिश साम्राज्य के 1881 जनगणना रिकॉर्ड में, यादव Ahirs के रूप में पहचाने जाते हैं. लिखित मूल के अलावा, ऐतिहासिक साक्ष्य यादव साथ Ahirs की पहचान करने के लिए मौजूद है. यह तर्क दिया जाता है कि शब्द अहीर (Behandarkar, 1911, 16) Abhira से आता है, जो जहां एक बार भारत के विभिन्न भागों, और जो राजनीतिक शक्ति ताकतें कई स्थानों में पाया. प्राचीन संस्कृत क्लासिक, Amarkosa, gwal गोपा, और बल्लभ Abhira का पर्याय हो कहता है. एक राजकुमार स्टाइल Grahripu Chudasama और सत्तारूढ़ जूनागढ़ के पास Vanthali में हेमचंद्र की Dyashraya काव्य में वर्णित है, उसे दोनों एक Abhira और एक यादव के रूप में वर्णन किया गया है. इसके अलावा, के रूप में के रूप में अच्छी तरह से लोकप्रिय कहानियों Chudasmas में उनके bardic परंपरा में अभी भी अहीर Ranas कहा जाता है [एक बार फिर, खानदेश (Abhiras के ऐतिहासिक गढ़) के कई अवशेष लोकप्रिय गवली राज, जो archaeologically Devgiri की Yadvas के लिए है की माना जाता है. इसलिए, यह निष्कर्ष निकाला है कि Devgiri की Yadvas वास्तव थे Abhiras के. इसके अलावा, वहाँ यादव भीतर गुटों की पर्याप्त संख्या है, जो गौर से यदु और भगवान कृष्ण, महाभारत में, जिनमें से कुछ यादव कुलों के रूप में उल्लेख कर रहे हैं की तरह उनके वंश ट्रेस Krishnauth आदि कर रहे हैं

Abhiras भी वर्तमान दिन भारत की भौगोलिक सीमाओं से परे नेपाल के पहाड़ी इलाके के राजा के रूप में शासन किया,. पहली यादव वंश की आठ राजाओं नेपाल, पहली बार जा रहा Bhuktaman और पिछले यक्ष गुप्ता ने फैसला सुनाया. देहाती विवादों के कारण, इस वंश तो एक और यादव वंश के द्वारा बदल दिया गया था. यह दूसरा यादव वंश के तीन राजाओं के उत्तराधिकार था, वे Badasimha, Jaymati सिंह और Bhuban सिंह थे और उनके शासन समाप्त जब Kirati आक्रमणकारियों Bhuban सिंह, नेपाल के अंतिम राजा यादव को हराया.

यह तर्क दिया है कि अवधि के अहीर Abhira जो एक बार भारत के विभिन्न भागों, और जो राजनीतिक शक्ति ताकतें कई स्थानों में पाया गया से आता है. Abhiras Ahirs Gopas, और Gollas के साथ बराबर हैं, और उनमें से सभी यादवों माना जाता है.

Abhira "निडर" का अर्थ है और सबसे प्राचीन ऐतिहासिक सरस्वती घाटी Abhira राज्य, जो बौद्ध अवधि तक Abhiri के बात करने के लिए वापस डेटिंग संदर्भ में दिखाई देते हैं. Abhira राज्य राज्य के हिंदू लिखित संदर्भ का विश्लेषण कुछ विद्वानों का नेतृत्व किया गया है निष्कर्ष है कि यह महज एक पवित्र यादव राज्यों के लिए शब्द का इस्तेमाल किया था. भागवत में गुप्ता राजवंश अभीर बुलाया गया है.

यह भी कहा गया है कि समुद्रगुप्त के इलाहाबाद लौह स्तंभ शिलालेख (चौथी शताब्दी ई.) एक पश्चिम और दक्षिण पश्चिम भारत के राज्यों के रूप में Abhiras का उल्लेख है. एक चौथी शताब्दी नासिक में पाया शिलालेख एक Abhira राजा के बोलता है और वहाँ सबूत है कि चौथी शताब्दी के मध्य में Abhiras पूर्वी राजपूताना और मालवा में बसे थे. इसी प्रकार, जब Kathis आठवीं शताब्दी में गुजरात में आए, वे Ahirs के कब्जे में देश का बड़ा हिस्सा मिला. संयुक्त प्रांत के मिर्जापुर जिले एक Ahraura के रूप में जाना जाता है पथ, अहीर और झाँसी के पास देश का दूसरा टुकड़ा के बाद किया गया था अहिरवार बुलाया नाम है. Ahirs भी ईसाई युग की शुरुआत में नेपाल के राजा थे. खानदेश और तपती घाटी के अन्य क्षेत्रों में थे जहां वे राजा थे. Gavlis छिंदवाड़ा मध्य प्रांतों में पठार पर देवगढ़ में राजनीतिक सत्ता के लिए गुलाब. Saugar परंपराओं Gavli सर्वोच्चता के नीचे एक बहुत बाद की तारीख का पता लगाया है, Etawa और Khurai के हिस्से के रूप में सत्रहवाँ सदी के करीब तक सरदारों द्वारा नियंत्रित किया गया है कहा जाता है.

रॉबर्ट सेवेल जैसे विद्वानों का मानना है कि विजयनगर साम्राज्य के शासकों Kurubas (भी यादवों के रूप में जाना जाता है). कुछ जल्दी शिलालेख, 1078 और 1090 दिनांकित, निहित है कि मैसूर के होयसाल भी होयसाल vamsa के रूप में यादव vamsa (कबीले) की चर्चा करते हुए मूल यादव वंश, की सन्तान थे. वोड़ेयार राजवंश, विजया, के संस्थापक भी यदु से वंश का दावा किया है और यदु - राया नाम पर ले लिया.

भारत की कई सत्तारूढ़ राजपूत कुलों Yaduvanshi वंश, चंद्रवंशी क्षत्रिय की एक प्रमुख शाखा को उनके मूल का पता लगाया. Banaphars और Jadejas शामिल हैं. देवगिरी Seuna यादवों भी भगवान कृष्ण के वंश से वंश का दावा किया.

संगम क्लासिक्स में से चरवाहे कृष्णा और उसके नृत्य के साथ cowherdesses के महापुरूष का उल्लेख कर रहे हैं. अवधि Ayarpati (चरवाहे निपटान) में पाया जाता है Cilappatikaram . यह तर्क दिया है कि अवधि Ayar प्राचीन तमिल साहित्य में Abhiras के लिए इस्तेमाल किया गया है, और वी. Kanakasabha पिल्लई (1904) तमिल शब्द से Abhira निकला Ayir जो भी गाय का मतलब है. वह Abhiras साथ Ayars equates, और विद्वानों ने पहली शताब्दी ई. में दक्षिण Abhiras के प्रवास के सबूत के रूप में इसे दर्ज भी किया है।

बुधवार, 25 सितंबर 2013

संदीप तुलसी यादव ने सीनियर विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य जीतकर रचा इतिहास

भारत के संदीप तुलसी यादव ने विश्व कुश्ती प्रतियोगिता में 22 सितम्बर 13 को ग्रीको रोमन के 66 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक जीत कर इतिहास रच दिया। संदीप ने कांस्य पदक के लिए मुकाबले में सर्बिया के एलेक्सांद्र मकसीमोविच को 4-0 से पराजित किया।भारत ने इस तरह फ्रीस्टाइल में दो पदक जीतने के बाद अब ग्रीको रोमन वर्ग में भी पदक जीतने की ऐतिहासिक कामयाबी हासिल कर ली। विश्व कुश्ती में ग्रीको रोमन में भारत को पहली बार पदक मिला है। इससे पहले सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2001 विश्व चैंपियनशिप में रहा था, जब मुकेश खत्री 54 किग्रा वर्ग में पांचवें स्थान पर रहे थे।संदीप ने भारत को इस विश्व चैंपियनशिप में तीसरा और इस प्रतियोगिता के इतिहास में कुल 10वां पदक दिला दिया। संदीप से पहले फ्रीस्टाइल वर्ग में अमित कुमार ने 55 किग्रा में रजत और बजरंग ने 60 किग्रा में कांस्य पदक जीता था। भारत का इस प्रतियोगिता में यह सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। फ्रीस्टाइल पहलवान ओवरऑल टीम रैंकिंग में छठे स्थान पर रहे, जिससे भारत को अगले साल मार्च में होने वाले विश्व कप में पहली बार भाग लेने का मौका मिल गया।विश्व चैंपियनशिप के आखिरी दिन ग्रीको रोमन मुकाबलों में भारत के तीन पहलवान संदीप (66 किग्रा), राजवीर चिकारा (74 किग्रा) और नवीन (120 किग्रा) उतरे, लेकिन इनमें से सिर्फ संदीप ही पदक होड़ में पहुंचने में कामयाब रहे और उन्होंने कांस्य पदक जीतकर दम लिया। संदीप क्वार्टर फाइनल में कोरिया के पहलवान से पराजित हुए। लेकिन कोरियाई पहलवान के फाइनल में पहुंच जाने के कारण संदीप को कांस्य पदक के लिए रेपेचेज में उतरने का मौका मिला और इस मौके को उन्होंने हाथ से जाने नहीं दिया।संदीप को पहले राउंड में बाई मिली थी और उन्होंने दूसरे राउंड में स्पेन के इस्माइल नवारो सांचेज को पराजित किया। भारतीय पहलवान ने प्रीक्वार्टर फाइनल में मालदोवा के मिहेल कोस्निसियानू को पराजित किया। क्वार्टर फाइनल में संदीप को कोरिया के हान सू रयू से 0-10 से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन कांस्य पदक की उम्मीदों के लिए संदीप को कोरियाई पहलवान के शेष मुकाबलों का इंतजार करना पड़ा।संदीप ने रेपेचेज के पहले मुकाबले में स्वीडन के श्रूर वरदान्यान को 6-4 से पराजित किया। कांस्य पदक के लिए अब संदीप की भिड़ंत सर्बिया के मकसीमोविच से थी, जिसमें उन्होंने जीत हासिल करते हुए भारतीय खेमे को एक बार फिर जश्न मनाने का मौका दिया।-राम शिव मूर्ति यादव @ यदुकुल www.yadukul.blogspot.com/ 

गुरुवार, 19 सितंबर 2013

अंतर्राष्ट्रीय ब्लागर सम्मेलन में ब्लागर दंपति कृष्ण कुमार यादव व आकांक्षा सम्मानित

इंटरनेट पर हिंदी के व्यापक प्रचार-प्रसार और ब्लागिंग के माध्यम से देश-विदेश में अपनी रचनाधर्मिता को विस्तृत आयाम देने वाले ब्लागर दम्पति कृष्ण कुमार यादव और  आकांक्षा  यादव को काठमांडू, नेपाल में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय ब्लागर सम्मेलन में क्रमशः ’’परिकल्पना साहित्य सम्मान’’ एवं ’’परिकल्पना ब्लाग विभूषण’’ से नवाजा गया। नेपाल की विषम राजनीतिक परिस्थितियों के चलते मुख्य अतिथि नेपाल के राष्ट्रपति डा0 राम बरन यादव की अनुपस्थिति में यह सम्मान नेपाल सरकार के पूर्व शिक्षा व स्वास्थ्य मंत्री तथा संविधान सभा के अध्यक्ष अर्जुन नरसिंह केसी ने दिया। इस सम्मेलन में एकमात्र बाल ब्लागर के रूप में गल्र्स हाई स्कूल, इलाहाबाद की कक्षा 1 की छात्रा अक्षिता ने भी भाग लिया। 

इस अवसर पर यादव दम्पति सहित देश-विदेश के हिंदी, नेपाली, भोजपुरी, अवधी, छत्तीसगढ़ी, मैथिली आदि भाषाओं के ब्लागर्स को भी सम्मानित किया गया। परिकल्पना समूह द्वारा आयोजित यह समारोह 13-15 सितम्बर के मध्य काठमांडू के लेखनाथ साहित्य सदन, सोरहखुटे सभागार में हुआ। 

इस अवसर पर ’’न्यू मीडिया के सामाजिक सरोकार’’ सत्र में वक्ता के रूप में कृष्ण कुमार यादव ने बदलते दौर में न्यू मीडिया व ब्लागिंग व इसके सामाजिक प्रभावों पर विस्तृत चर्चा की, वहीं ’’साहित्य में ब्लागिंग की भूमिका’’ पर हुयी चर्चा को सारांशक रूप में आकांक्षा यादव ने मूर्त रूप दिया। 

गौरतलब है कि इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं पद पर पदस्थ कृष्ण कुमार यादव एवं उनकी पत्नी आकांक्षा यादव एक लंबे समय से ब्लाग और न्यू मीडिया के माध्यम से हिंदी साहित्य एवं विविध विधाओं में अपनी रचनाधर्मिता को प्रस्फुटित करते हुये अपनी व्यापक पहचान बना चुके हैं।

गुरुवार, 29 अगस्त 2013

ब्लागर दम्पति कृष्ण कुमार यादव-आकांक्षा यादव को मिलेगा ”परिकल्पना साहित्य व ब्लॉग विभूषण” सम्मान

 
हिंदी ब्लॉगिंग के माध्यम से समाज और साहित्य के बीच सेतु निर्माण के निमित्त चर्चित  ब्लागर एवं इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव और उनकी पत्नी आकांक्षा यादव को क्रमशः ”परिकल्पना साहित्य सम्मान” व  ”परिकल्पना ब्लॉग विभूषण सम्मान” के लिए चुना गया है। यह सम्मान 13-14 सितंबर 2013 को नेपाल की राजधानी काठमाण्डू के राजभवन में आयोजित ‘अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन‘ में प्रदान किया जायेगा। इन सम्मान के अंतर्गत स्मृति चिन्ह, सम्मान पत्र, श्री फल, पुस्तकें अंगवस्त्र और एक निश्चित धनराशि प्रदान किए जाएंगे। 

     गौरतलब है कि यादव दंपति एक लम्बे समय से साहित्य और ब्लागिंग से अनवरत जुडे़ हुए हैं। अभी पिछले वर्ष ही इन दम्पति को उ.प्र. के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा न्यू मीडिया ब्लागिंग हेतु ”अवध सम्मान” और हिन्दी ब्लागिंग के दस साल पूरे होने पर ”दशक के श्रेष्ठ हिन्दी ब्लागर दम्पति” सम्मान से भी नवाजा गया था। कृष्ण कुमार यादव जहाँ “शब्द-सृजन की ओर“ (www.kkyadav.blogspot.com/) और “डाकिया डाक लाया“ (www.dakbabu.blogspot.com/) ब्लॉग के माध्यम से सक्रिय हैं, वहीं आकांक्षा यादव “शब्द-शिखर“ (www.shabdshikhar.blogspot.com/) ब्लॉग के माध्यम से। इसके अलावा इस दंपत्ति द्वारा सप्तरंगी प्रेम, बाल-दुनिया और उत्सव के रंग ब्लॉगों का भी युगल संचालन किया जाता है। कृष्ण कुमार-आकांक्षा यादव ने वर्ष 2008 में ब्लॉग जगत में कदम रखा और 5 साल के भीतर ही विभिन्न विषयों पर आधारित दसियों ब्लॉग  का संचालन-सम्पादन करके कई लोगों को ब्लागिंग की तरफ प्रवृत्त किया और अपनी साहित्यिक रचनाधर्मिता के साथ-साथ ब्लागिंग को भी नये आयाम दिये। कृष्ण कुमार यादव के ब्लॉग सामयिक विषयों, मर्मस्पर्शी कविताओं व जानकारीपरक, शोधपूर्ण आलेखों से परिपूर्ण है; वहीं नारी विमर्श, बाल विमर्श एवं सामाजिक सरोकारों सम्बन्धी विमर्श में विशेष रुचि रखने वाली आकांक्षा यादव अग्रणी महिला ब्लॉगर हैं और इनकी रचनाओं में नारी-सशक्तीकरण बखूबी झलकता है। गौरतलब है कि इस ब्लागर दम्पति की सुपुत्री अक्षिता (पाखी) को ब्लागिंग हेतु 'पाखी की दुनिया' (www.pakhi-akshita.blogspot.com/) ब्लॉग के लिए सबसे कम उम्र में 'राष्ट्रीय बाल  पुरस्कार' प्राप्त हो चुका है। अक्षिता को परिकल्पना समूह द्वारा श्रेष्ठ नन्ही ब्लागर के ख़िताब से भी सम्मानित किया जा चुका है। 

    लगभग समान अभिरुचियों से युक्त इस दंपति की विभिन्न विधाओं में रचनाएँ देश-विदेश की प्रायः अधिकतर प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं और इंटरनेट पर वेब पत्रिकाओं व ब्लॉग पर निरंतर प्रकाशित होती रहती है। कृष्ण कुमार यादव की 6 कृतियाँ ”अभिलाषा” (काव्य संग्रह), ”अभिव्यक्तियों के बहाने” व ”अनुभूतियाँ और विमर्श” (निबंध संग्रह), इण्डिया पोस्ट: 150 ग्लोरियस ईयर्ज (2006) एवं ”क्रांतियज्ञ: 1857-1947 की गाथा” (2007), ”जंगल में क्रिकेट” (बालगीत संग्रह) प्रकाशित हैं, वहीं आकांक्षा यादव की एक मौलिक कृति ”चाँद पर पानी” (बालगीत संग्रह) प्रकाशित है।

बुधवार, 28 अगस्त 2013

हिंदू धर्म के सबसे बड़े पथ-प्रदर्शक हैं श्री कृष्ण

आज जन्माष्टमी है जिसे पूरे देश में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है. श्रीकृष्ण द्वारिकाधीश, केशव, गोपाल, नंदलाल, बांके बिहारी, कन्हैया, गिरधारी, मुरारी जैसे हजारों नामों से पहचाने जाने वाले भगवान श्रीकृष्ण को हिन्दू धर्म में विष्णु का अवतार माना गया है. वह एक साधारण व्यक्ति न होकर युग पुरुष थे. उनके द्वारा बताई गई गीता को हिंदू धर्म के सबसे बड़े ग्रंथ और पथ प्रदर्शक के रूप में माना जाता है.

मान्यता है कि द्वापर युग के अंतिम चरण में भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को मध्यरात्रि में  श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. इसी कारण शास्त्रों में भाद्रपद कृष्ण अष्टमी के दिन अर्द्धरात्रि में श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी मनाने का उल्लेख मिलता है. पुराणों में इस दिन व्रत रखने को बेहद अहम बताया गया है. 

उपवास की पूर्व रात्रि को हल्का भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें.

भगवान श्रीकृष्ण के व्रत-पूजन: उपवास के दिन प्रातःकाल स्नानादि नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं. पश्चात सूर्य, सोम, यम, काल, संधि, भूत, पवन, दिक्‌पति, भूमि, आकाश, खेचर, अमर और ब्रह्मादि को नमस्कार कर पूर्व या उत्तर मुख बैठें. इसके बाद जल, फल, कुश और गंध लेकर संकल्प करें-

ममखिलपापप्रशमनपूर्वक सर्वाभीष्ट सिद्धये
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रतमहं करिष्ये॥

अब मध्याह्न के समय काले तिलों के जल से स्नान कर देवकीजी के लिए ‘सूतिकागृह’ नियत करें. तत्पश्चात भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. मूर्ति में बालक श्रीकृष्ण को स्तनपान कराती हुई देवकी हों और लक्ष्मीजी उनके चरण स्पर्श किए हों अथवा ऐसे भाव हों अथवा ऐसे भाव हों तो अति उत्तम है. इसके बाद विधि-विधान से पूजन करें. पूजन में देवकी, वासुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा और लक्ष्मी इन सबका नाम क्रमशः निर्दिष्ट करना चाहिए.

फिर निम्न मंत्र से पुष्पांजलि अर्पण करें:

‘प्रणमे देव जननी त्वया जातस्तु वामनः।
वसुदेवात तथा कृष्णो नमस्तुभ्यं नमो नमः।
सुपुत्रार्घ्यं प्रदत्तं में गृहाणेमं नमोऽस्तुते।’

अंत में रतजगा रखकर भजन-कीर्तन करें. जन्माष्टमी के दिन रात्रि जाग कर भगवान का स्मरण व स्तुति करें अगर नहीं तो कम से कम बारह बजे रात्रि तक कृष्ण जन्म के समय तक अवश्य जागरण करें. साथ ही प्रसाद वितरण करके कृष्ण जन्माष्टमी पर्व मनाएं.

कृष्ण की स्तुति लगभग सारे भारत में किसी न किसी रूप में की जाती है. फिर भी कुछ ऐसे प्रमुख स्थल हैं जिनकी चर्चा केवल भगवान श्रीकृष्ण के संबंध में ही की जाती है.

मथुरा: उत्तर प्रदेश में यमुना नदी के पश्चिम किनारे पर बसा मथुरा शहर एक ऐतिहासिक एवं धार्मिक नगर के रूप में जाना जाता है. यह भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली और भारत की परम प्राचीन तथा जगद्-विख्यात नगरी है जिसकी व्याख्या शास्त्रों में युगों-युगों से की जा रही है.

वृंदावन: तीर्थस्थल वृंदावन उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के अंतर्गत आता है. वृंदावन श्रीकृष्ण की रासलीला का स्थल है. श्रीकृष्ण गोपियों के साथ यहां रास रचाने के लिए आते थे. यहां के कण-कण में कृष्ण और राधा का प्रेम बसा है.

गोकुल: गोकुल गांव भगवान कृष्ण से संबंधित प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। यमुना किनारे बसा यह गांव भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला का साक्षी है. भगवान श्रीकृष्ण ने बालपन में ज्यादातर लीलाएं यहीं पर रचाई थीं.

द्वारका: हिंदुओं का पवित्र स्थल द्वारका दक्षिण-पश्चिम गुजरात राज्य, पश्चिम-मध्य भारत का प्रसिद्ध नगर है. यह जगह भगवान कृष्ण की पौराणिक राजधानी थी, जिन्होंने मथुरा से पलायन के बाद इसकी स्थापना की थी.

गोकुल में जो करे निवास
गोपियों संग जो रचाए रास
देवकी-यशोदा है जिनकी मैया
ऐसे ही हमारे कृष्ण कन्हैया!

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आओ मिलकर सजाये नन्दलाल को
आओ मिलकर करें उनका गुणगान!
जो सबको राह दिखाते हैं
और सबकी बिगड़ी बनाते हैं!

...आप सभी को 'कृष्ण-जन्माष्टमीपर्व की ढेरों बधाइयाँ !!

बुधवार, 14 अगस्त 2013

समाज व परिवेश को प्रतिबिंबित करती है फोटोग्राफी - कृष्ण कुमार यादव


श्री गंगा कल्याण समिति की ओर से दो दिवसीय नौवीं अखिल भारतीय लक्ष्मी छायाचित्र प्रदर्शनी इलाहाबाद विश्वविद्यालय के निराला आर्ट गैलरी में शुरू हुई। प्रदर्शनी का उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप में इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवायें, कृष्ण कुमार यादव ने दीप प्रज्जवलित कर किया। उन्होंने प्रदर्शनी का अवलोकन करने के बाद कहा कि इस तरह की छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन नियमित रूप से होना चाहिए। इससे युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिलती है। डाक निदेशक श्री यादव ने कहा कि फोटोग्राफी एक विधा के साथ-साथ हमारे समाज और परिवेश का प्रतिबिंब भी है। मात्र आड़ी तिरछी लाइनें खींचनी ही फोटोग्राफी नहीं हैं बल्कि उसका यथार्थ भी निकलना चाहिए।

विशिष्ट अतिथि जिलाधिकारी राजशेखर ने फोटो प्रदर्शनी की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसी छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन होना चाहिए जिससे कि कुछ नयापन लोगों को देखने को मिले। उन्होंने कहा कि छायाचित्र अपनी संस्कृति की पहचान को बढ़ावा देते हैं।  इससे अधिक से अधिक लोगों को जुड़ना चाहिए।

अध्यक्षता करते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दृश्य कला विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो0 अजय जेतली ने कहा कि इलाहाबाद शुरू से ही साहित्यकारों, कलाकारो का कर्मक्षेत्र रहा है। इस शहर से सभी क्षेत्रों में लोगांे में पहचान भी बनायी है।

छायाचित्र प्रदर्शनी के सचिव जितेन्द्र प्रकाश ने प्रदर्शनी पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि अगले वर्ष से अंतर्राष्ट्रीय स्तर के छायाकारों के भी छायाचित्र प्रदर्शनी में देखने को मिलेगा। उन्होंने बताया कि इस बार छायाचित्र प्रदर्शनी में 119 फोटोग्राफरों की 1160 तस्वीरें आयी थीं। श्रीमती लक्ष्मी अवस्थी ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में वीरेन्द्र पाठक, एस के यादव, राजेश सिंह, पवन द्विवेदी, संजोग मिश्रा, विरेन्द्र प्रकाश, केनिथ जान, अनुराग अस्थाना, अमरदीप, रजत शर्मा, संजीव बनर्जी, संजय सक्सेना सहित बड़ी संख्या में छायाकार और अन्य लोग मौजूद रहे। संचालन वरिष्ठ पत्रकार अभिलाष नारायण ने किया।


किताबों की दुनिया से जोड़ते बीरेंद्र कुमार यादव





पटना शहर के एक पत्रकार बीरेंद्र कुमार यादव ने संपूर्ण क्रांति, सर्वोदय और समाजवाद से जुड़े साहित्य को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए एक खास और दिलचस्प पहल की है। वे एक अभियान चला रहे हैं। यह लोगों में खासा लोकप्रिय भी होता जा रहा है और उनके चलते-फिरते या कहें खुले स्टाल पर रोजाना लोगों की न सिर्फ दिलचस्पी बढ़ रही है, बल्कि यहां से किताब खरीदने या उसके प्रति दिलचस्पी रखने वालों की संख्या भी निरंतर बढ़ रही है।

बीरेंद्र कुमार रोजाना सुबह सुबह की सैर के लिए पटना के इको पार्क आते हैं और फिर गेट के सामने अपने अभियान 'आमने-सामने : एक वैचारिक पहल' का बैनर रेलिंग की ग्रिल पर टांग कर अपने साथ लाए पुस्तकों को वहीं जमीन पर सजा देते हैं। बस शुरू हो जाता है यहीं से उनका अभियान-लोगों को किताबों से जोड़ने का।

यहां वे किताबों की बिक्री से कहीं अधिक उनकी प्रदर्शनी और इनके प्रति लोगों में एक नया उत्साह, नई दिलचस्पी जगाने में लग जाते हैं। वे यहां सुबह छह से आठ बजे तक पुस्तकों के साथ लोगों के समक्ष होते हैं।

वे गांधी, विनोबा, जयप्रकाश व लोहिया साहित्य को रखते हैं। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही परिवर्तनवादी व समतावादी पुस्तकों को भी वे रख रहे हैं ताकि सर्वोदय व समाजवाद के विविधि आयामों पर बहस हो। उनकी कोशिश है कि बिहारवासी लेखकों की उन पुस्तकों को भी प्रदर्शित करें, जो समतावादी, परिवर्तनवादी और सम्मानवादी विचारधारा को बढ़ावा देते हैं।


साभार जानकारी : फेसबुक पर जयप्रकाश मानस 

सोमवार, 12 अगस्त 2013

पूर्व केंद्रीय मंत्री डीपी यादव का जाना

पूर्व केंद्रीय मंत्री डीपी यादव के नाम से भला कौन अपरिचित होगा। वह उन राजनेताओं में से थे, जिन्होंने अंत तक शुचिता का दमन नहीं छोड़ा।11 अगस्त को उनके  निधन के साथ ही इस परंपरा का एक वाहक भी ख़त्म हो गया। उन्होंने दिल्ली के मैक्स अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे 76 वर्ष के थे। 

 गौरतलब है कि डीपी यादव 1972 में पहली बार सांसद बने थे। उस वक्त उनकी उम्र महज 34 वर्ष थी। कांग्रेस के टिकट पर उन्होंने महान समाजवादी नेता मधुलिमये को पराजित किया था। 1977 के चुनावों में वे कृष्ण सिंह से पराजित हो गए थे। मगर, 1980 के चुनावों में उन्होंने कृष्ण सिंह को पराजित कर बदला चुकता कर लिया था।

डीपी यादव इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में केंद्रीय उप शिक्षा मंत्री बने।  नई दिल्ली स्थित राजेंद्र भवन ट्रस्ट के उपाध्यक्ष रहे डीपी यादव महान शिक्षाविद भी थे। ‘मेरे सपनों का मुंगेर’, ‘बिहार आज और कल’, ‘ बिहार भविष्य के पांच साल ‘, ‘जागृत बिहार की तस्वीर’ जैसी दर्जनों पुस्तकें भी उन्होंने लिखीं।तीन बार मुंगेर संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके यादव अपने जीवन के अंतिम क्षणों तक अपने क्षेत्र की समस्याओं के प्रति जागरुक रहे।

शनिवार, 10 अगस्त 2013

बनारस के डॉ. चौथी राम यादव को लोहिया साहित्य सम्मान


उप्र हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह की अध्यक्षता में बुधवार को लगभग छह घंटे चली बैठक के बाद पुरस्कारों की घोषणा की गई। उप्र हिंदी संस्थान का प्रतिष्ठित भारत भारती पुरस्कार पद्मभूषण गोपाल दास नीरज को दिया जाएगा। जाने-माने गीतकार और उप्र भाषा संस्थान के अध्यक्ष नीरज को पुरस्कार के तहत पांच लाख दो हजार रुपये नगद दिए जाएंगे। बनारस के डॉ. चौथी राम यादव को लोहिया साहित्य सम्मान से नवाजा जाएगा। वरिष्ठ साहित्यकार सोम ठाकुर को हिंदी गौरव सम्मान, मन्नू भंडारी को महात्मा गांधी साहित्य सम्मान, डॉ. बलदेव बंशी को पं. दीनदयाल उपाध्याय सम्मान और चित्रा मुद्गल को अवंती बाई सम्मान प्रदान किया जाएगा।

इन सभी को 4-4 लाख रुपये नगद दिए जाएंगे। उप्र हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह की अध्यक्षता में बुधवार को लगभग छह घंटे चली बैठक के बाद पुरस्कारों की घोषणा की गई।

बैठक में 112 पुरस्कारों के लिए नामों पर सहमति बनी। उम्मीद जताई जा रही है कि हिंदी संस्थान के अध्यक्ष मुख्यमंत्री से अनुमोदन मिलने के बाद 14 सितंबर को होने वाले भव्य आयोजन में सभी को पुरस्कृत किया जाएगा।

इनका भी होगा सम्मान

उप्र हिंदी संस्थान के निदेशक डॉ. सुधाकर अदीब ने बताया कि पुरस्कार समिति ने लोकभूषण सम्मान के लिए डॉ. अवध किशोर जड़िया, कला भूषण सम्मान के लिए वरिष्ठ रंगकर्मी डॉ. सूर्यमोहन कुलश्रेष्ठ, विद्याभूषण सम्मान के लिए डॉ. अशोक चक्रधर, विज्ञान भूषण सम्मान के लिए प्रो. कृष्णा मुखर्जी, पत्रकारिता भूषण सम्मान के लिए त्रिलोकदीप, प्रवासी भारतीय हिंदी भूषण सम्मान के लिए तेजेंद्र शर्मा और बाल साहित्य भारती सम्मान के लिए प्रकाश मनु को चयनित किया। 

सभी को दो-दो लाख रुपये की पुरस्कार राशि प्रदान की जाएगी। संस्थान की ओर से वर्ष 2012 का हिंदी विदेश प्रसार सम्मान डॉ. विमलेश कांति वर्मा को और विश्वविद्यालय स्तरीय सम्मान प्रो. आरिफ नजीर व डॉ. सोमेश कुमार शुक्ला को दिया जाएगा।

इन सभी को 50 हजार रुपये की पुरस्कार राशि दी जाएगी। अशोक निगम को मधु लिमये सम्मान और राजर्षि पुरुषोत्तम टंडन सम्मान तिरुवनंतपुरम की केरल हिंदी प्रचार सभा को दिया जाएगा।

दोनों को दो-दो लाख रुपये की सम्मान राशि दी जाएगी। इन पुरस्कारों के अलावा पुरस्कार समिति ने 10 साहित्यकारों को साहित्य भूषण और 11 साहित्यकारों को सौहार्द सम्मान के लिए चुना है।

इनके अलावा अलग-अलग पुस्तकों पर कई श्रेणियों में लेखकों को पुरस्कृत किया जाएगा। 

साहित्य भूषण सम्मान: पुरस्कार राशि दो लाख रुपये
डॉ. पुष्पपाल सिंह, नसीम साकेती, डॉ. जितेंद्रनाथ मिश्र, शैलेंद्र सागर, डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र, वीरेंद्र यादव, डॉ. शिवओम अंबर, चंद्रसेन विराट, डॉ. रामशंकर त्रिपाठी और विनोद चंद्र पांडेय विनोद। �

सौहार्द सम्मान: पुरस्कार राशि दो लाख दो हजार रुपये 
डॉ. कीर्ति केसर (पंजाबी), डॉ. विद्या केशव चिटको (मराठी), चिङगांबम निशान निङतम्बा (मणिपुरी), महेंद्र शर्मा (उड़िया), डॉ. हरीश रमणलाल द्विवेदी (गुजराती), डॉ. नागलक्ष्मी (तमिल), विष्णु राजाराम देवगिरि (कन्नड़), रजनी पाथरे ‘राजदान’ (कश्मीरी), डॉ. प्रभात कुमार भट्टचार्य (बंगला), पारनन्दि निर्मला (तेलुगु) और डॉ. वीवी विश्वम (मलयालम)। 

शुक्रवार, 12 जुलाई 2013

योगिता यादव को भारतीय ज्ञानपीठ का नवलेखन पुरस्कार

युवा कहानीकार योगिता यादव को भारतीय ज्ञानपीठ का नवलेखन पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई है। योगिता यादव दैनिक जागरण अख़बार के जम्मू केंद्र में फ़िलहाल कार्यरत हैं और सक्रिय लेखन से जुडी हुई हैं। प्रसिद्ध लेखक एवं नाटककार प्रो असगर वजाहत की अध्यक्षता में सात सदस्यीय निर्णायक समिति ने यह फैसला किया है। योगिता यादव के अलावा  कवि अरूणाभ सौरभ को भी इस सम्मान हेतु चुन गया है। 

समिति में भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक रवीन्द्र कालिया लीलाधर मंडलोई, प्रो अजय तिवारी, अखिलेश आदि शामिल हैं। भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा सोमवार को यहां जारी सूचना के अनुसार इन दोनों रचनाकारों को पुरस्कार में 50-50 हजार रूपए की राशि तथा प्रशस्ति  पत्र और प्रतीक चिह्न प्रदान किए जाएंगे।

वर्ष 2012 में आयोजित आठवीं नवलेखनप्रतियोगिता में योगिता यादव को उनके कहानी संग्रह (क्लीन चिट तथा अन्य कहानियां) व अरूणाभ सौरभ को उनकी काव्य पुस्तक (दिन बनने के क्रम में) के लिए यह पुरस्कार दिया जाएगा।

बिहार विधान सभा के नेता प्रतिपक्ष बने नन्द किशोर यादव

बिहार विधान सभा के नेता प्रतिपक्ष श्री नन्द किशोर यादव बनाये गये. श्री यादव बिहार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)के लोकप्रिय और वरिष्ट नेता है. इससे पूर्व श्री नन्द किशोर यादव बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे है.मालुम हो बिहार में जनता दल यु का भारतीय जनता पार्टी से अलग होने पर बिहार विधान सभा में सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी बनी.भारतीय जनता पार्टी ने बिहार में 18 प्रतिशत यादवो का वोट धयान में रखकर श्री नन्द किशोर यादव को नेता प्रतिपक्ष बिहार विधान सभा बनाया है लेकिन बिहार के लोग 2005 के उस घटना को भूले नहीं है जब बिहार में एन डी ए पूर्ण बहुमत में आया था और भाजपा के तरफ से उपमुख्यमंत्री के प्रबल दावेदार श्री नन्द किशोर यादव ही थे किन्तु भाजपा के अधिकांश नेता ने श्री यादव के नाम पर विरोध करने लगे जिससे सुशिल मोदी तब उप मुख्यमंत्री बनाये गये थे. 


श्री नन्द किशोर यादव मूल रूप से पटना सिटी के रहने वाले है और वही से लगातार विधायक चुने जाते रहे है. श्री यादव बिहार सरकार में 2005 से पथ मंत्री रहे है और बिहार में तब से सडको की हालत में लगातार सुधार करते रहे. यह श्री नन्द किशोर यादव के सोच का ही नतीजा है की बिहार में लगातार नई सडको को निर्माण होता रहा और पुराने सडको को मरम्मत कर नया रूप दिया गया. बिहार में सडको के बेहतर हालत के लिए श्री नन्द किशोर यादव को बिहार के लोग याद करते है. 2010 के बिधानसभा चुनाव में नितीश को वोट सडको के आधार पर ही मिला था.

शुक्रवार, 28 जून 2013

मध्य प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुभाष यादव का निधन

मध्य प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुभाष यादव का बुधवार को लंबी बीमारी के चलते निधन हो गया। वे 67 वर्ष थे। राज्य में यादव के निधन पर शोक की लहर है। यादव लंबे अरसे से बीमार थे और उनका दिल्ली में इलाज चल रहा था। बुधवार की सुबह उनकी हालत बिगड़ी और निधन हो गया। यादव कांग्रेस की दिग्विजय सिंह की सरकार में उप मुख्यमंत्री रहे हैं और उनकी पहचान सहकारिता आंदोलन के जनक की रही है। 

यादव के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि स्वर्गीय यादव ने जीवन-भर किसानों और गरीबों के हक में संघर्ष किया और उनकी बेहतरी के लिए प्रतिबद्धता से प्रयास किए। उनके निधन से राज्य ने एक जागरूक और प्रतिबद्ध नेता खो दिया है। चौहान ने कहा कि यादव ने प्रदेश में सहकारिता और कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया। प्रदेश के विकास में यादव के योगदान को सदैव याद रखा जाएगा। 


सुभाष यादव का गुरुवार को नर्मदा नदी के तट पर पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया.यादव के छोटे पुत्र सचिन यादव ने उन्हें मुखाग्नि दी. उनका अंतिम संस्कार गायत्री मंत्रोच्चारण के बीच किया गया.


यादव का लंबी बीमारी के बाद दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में कल निधन हो गया था. उनका शव बुधवार शाम विशेष विमान से इंदौर लाने के बाद उनके गृहग्राम बोरांवा लाया गया था.


मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सुभाष यादव के पुत्र सांसद अरुण यादव के दिल्ली स्थित लोधी एस्टेट निवास जाकर स्वर्गीय यादव की पार्थिव देह पर पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। कांगेस महासचिव दिग्विजय सिंह, केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया तथा पूर्व प्रदेश कांगेस अध्यक्ष सुरेश पचौरी इंदौर से बोरांवा पहुंचे और उन्होंने यादव को श्रद्धासुमन अर्पित किये. तीनों नेता कुछ समय रुकने के बाद वापस इंदौर के लिये रवाना हो गये.

'यदुकुल' की तरफ से  हार्दिक श्रद्धांजलि !!



शनिवार, 1 जून 2013

फन अगर मुकम्मल है तो बोलती हैं तस्वीरें


यदुकुल ब्लॉग : राधा यादव जब आजमगढ़ के संजरपुर गांव में सुभाष चंद्र यादव की धर्मपत्नी बनकर आईं तो वह महज आठवीं पास थीं लेकिन अपने जुनून की बदौलत आज वह न केवल परास्नातक पास हैं, बल्कि बेटे-बेटियों से भरे घर में आदर्श मां भी। उनके कठिन मेहनत का ही नतीजा रहा कि सभी बच्चों ने अपने कैरियर को बेहतरीन बनाया। 

राधा यादव खुद कस्तूरबा गांधी बालिका इण्टर कालेज, बदलापुर में वार्डन के रूप में तैनात हैं। राधा के श्वसुर मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 कल्पनाथ यादव उन्हें ‘परफेक्ट  वूमेन‘ कहते हैं। कहें भी क्यों न, खुद को काबिल बनाकर अपनी संतानो को  समुचित मार्ग दर्शन से योग्य बनाने वाली महिला जो ठहरीं। उन्होंने ’फन अगर मुकम्मल है बोलती  हैं तस्वीरें......पंक्ति को अपने जीवन में चरितार्थ किया। उनकी मेहनत व लगन का परिणाम है कि सबसे बड़ी बेटी शुभ्रा एम.बी.ए. करके टाटा कन्सल्टेन्सी सर्विसेज (टीसीएस) हैदराबाद में तैनात है। वहीं दूसरी बेटी श्वेता ने वर्ष 2012 में आई.ए.एस. परीक्षा में 609वीं रैंक पाकर परिवार का नाम रोशन किया। मां  की प्रेरणा और दो बहनों की मेहनत देख, तीसरी बेटी अंकिता लखनऊ विश्वविद्यालय से एम.बी.ए. की शिक्षा प्राप्त कर रही हैं। सबसे छोटा बेटा अभिनव नेशनल इंस्टीटयूट आफ टेक्नोलाजी, रायपुर से बी.टेक कर रहा है। 


बुधवार, 29 मई 2013

मीरा को फिल्म में लेकर पछ्ता रहे अजय यादव


एक बॉलीवुड निर्देशक को अपनी फिल्म में पाकिस्तानी कलाकार को लेना बड़ा महंगा पड़ गया है। बात हो रही है फिल्म ‘भड़ास’ के निर्देशक अजय यादव की, जिन्होंने अपनी फिल्म में पाकिस्तानी अभिनेत्री मीरा मलिक को लेकर बड़ी गलती कर दी। सुनने में आया है कि मीरा ने उनकी फिल्म के लिए पहले तो कुछ सीन करने से मना कर दिया और अब डबिंग करने से भी इंकार कर रही हैं। कुछ दिनों पहले फिल्म के प्रमोशन से मीरा के मना करने पर अजय ने मीरा को अपनी फिल्म में लेने पर अफसोस जताया था।


यह कैसे संभव है कि किसी फिल्म में पाकिस्तानी अदाकारा मीरा मलिक को लिया जाए और वह बिना किसी परेशानी के पूरी हो जाए? खबरों में है कि निर्देशक अजय यादव की फिल्म ‘भड़ास’ की हीरोइन मीरा ने शूटिंग के चौथे दिन ही फिल्म के किसी सीन को लेकर शिकायत करना शुरू कर दिया था। अजय ने बताया कि मीरा ने यह सब तब किया जब स्क्रीप्ट के एक - एक सीन पर उनसे बात की जा चुकी थी और उन्होंने प्रत्येक सीन के लिए हां किया था।

खैर इस शिकायत पर कुछ समय बाद बात बन गई और शूटिंग शुरू हो गई। परंतु यह परेशानियों का अंत नहीं बल्कि शुरूआत थी। जब फिल्म की शूट खत्म होने के बाद डबिंग की बारी आई तो मीरा ने डबिंग करने से भी मना कर दिया। मीरा के इस इंकार की वजह से अजय को मजबूरन उनके खिलाफ पुलिस केस दर्ज करवाना पड़ा था। अजय ने बताया कि इस सबके बाद मुझे वर्सोवा पुलिस स्टेशन में असहयोग के मामले पर केस दर्ज करवाना पड़ा। 

यहां भी पाकिस्तानी अदाकारा को अपनी फिल्म में लेने का खामियाजा अभी पूरा नहीं हुआ था। मीरा के इस रवैए को देखकर यह बीमारी फिल्म के हीरो आर्यमान रामसे को भी लग गई। अजय ने कहा कि मैं तब हैरान रह गया जब आर्यमान ने भी मेरी फिल्म की डबिंग करने से इंकार कर दिया। अजय ने उन्हें कई बार फोन किया और मैसेज भी किए, परंतु आर्यमान ने कोई जवाब नहीं दिया। अजय ने कहा कि अभिनेत्रियों के नखरे तो आम बात है परंतु अभिनेता भी?

इतना सब होने के बावजूद अजय ने हार नहीं मानी है। उन्होंने कहा है कि चाहे कुछ भी हो जाए मैं अपनी फिल्म रिलीज करके रहुंगा, कलाकारों के साथ या उनके बिना। 14 जून को रिलीज होने वाली फिल्म भड़ास को सीरिन फिल्म्स ने प्रोड्यूस किया है। फिल्म में आर्यमान रामसे, मीरा, आशुतोष कौशिक, श्री राजपूत, मोहिनी नीलकंठ और मुश्ताक खान जैसे कलाकारों ने काम किया है।

साभार :  वेब दुनिया 

मंगलवार, 28 मई 2013

स्मरणीय रहेगा चंद्रजीत यादव जी का व्यक्तित्च


अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वैचारिक क्रांति के सेनापति स्व. चंद्रजीत यादव की छठवीं पुण्यतिथि पर स्मृति सभा का आयोजन किया गया। इसमें उनके चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित किया गया।
पूर्व उप कुलपति और राष्ट्रीय सामाजिक न्याय आंदोलन के अध्यक्ष प्रो. पीसी पतंजलि ने कहा कि समाज के अंतिम आदमी के जीवन के उत्थान के लिए लड़ाई जारी रखनी चाहिए। कमजोर वर्गो को उनका संवैधानिक एवं मौलिक अधिकार देना चाहिए। समाजवादी लोकतंत्र में प्रत्येक वर्ग के हर क्षेत्र में आनुपातिक हिस्सेदारी होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि स्व. यादव का सिद्धांत व्यवहारिक था इसीलिए उनके सिद्धातों की अनदेखी कर उनकी मांगों को न मानने पर स्व. यादव से विभिन्न मोर्चो पर नेताओं और दलों से टकराव होता रहता था। उन्होंने कहा कि चन्द्रजीत यादव ने पूरी दुनियां से विभिन्न प्रकार की विषमताओं और भेदभाव को समाप्त कर समता पर आधारित सामाजिक व्यवस्था की स्थापना करना चाहते थे। प्रो. पंतजलि ने कहा कि चन्द्रजीत यादव की स्मृति सभा में दलीय सीमाएं टूट जाती है।
पूर्व उपकुलपति प्रो. एसएस कुशवाहा ने चन्द्रजीत यादव को एक महान सशक्त नेता बताया। उन्होंने पंचमढ़ी में कांग्रेस पार्टी के महाधिवेशन में संबोधित करते हुए खासतौर पर राजीव गांधी से कहा था कि सामाजिक, आर्थिक, समता हर नागरिक का जन्मसिद्ध अधिकार है। उसे आप अवश्य दें दे। उन्होंने कहा कि स्व. यादव पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों के असली और सच्चे प्रतिनिधि थे। चन्द्रजीत यादव इतने सशक्त थे कि यदि वे न होते तो शंकर दयाल शर्मा पूर्व राष्ट्रपति न हुए होते।
पंचायती राज मंत्री बलराम यादव ने कहा कि स्व. यादव के साथ राजनीतिक रूप से बहुत कम रहे किन्तु उनके विचारों से प्रभावित रहते थे। उन्होंने चन्द्रजीत यादव की प्रतिमा लगाने संबंधी प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि वे शासन में बात कर उनकी प्रतिमा लगाने का प्रयास करेंगे।
कार्यक्रम को राजेश्वर यादव एडवोकेट, पूर्व सांसद बलिहारी बाबू, सांसद रमाकांत यादव, परिवहन मंत्री दुर्गा प्रसाद यादव, विधायक संग्राम यादव, आलमबदी आजमी, सपा जिलाध्यक्ष हवलदार यादव, दलसिंगार यादव, डा. ज्ञानप्रकाश दुबे, प्रभाकर सिंह, बनवारी लाल जालान, मंतराज यादव, प्रो. नरेन्द्र यादव, नेसार अहमद, जीत बहादुर यादव, रामकृष्ण यादव, जयप्रकाश नारायण, मुन्नू यादव, रामअचल यादव, सेराज अहमद, सुभाष राय, अरविन्द जायवाल, पंकज गौतम आदि ने संबोधित किया। इस दौरान चन्द्रजीत यादव की पत्नी श्रीमती आशा यादव भी उपस्थित रहीं।

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आजमगढ़: पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सामाजिक न्याय आंदोलन के प्रणेता रहे स्व. चंद्रजीत यादव की जयंती पर रविवार को हरवंशपुर स्थित सामाजिक न्याय एवं बाल भवन केंद्र के सभागार में गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें स्व. श्री यादव के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर चर्चा की गयी। वक्ताओं ने कहा कि चंद्रजीत का व्यक्तित्व सदैव स्मरणीय रहेगा। वह आजीवन किसान, गरीब, बुनकर के उत्थान की बात करते थे। उनकी आवाज को संसद तक पहुंचाते थे। वक्ताओं ने कहा कि देश ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय मामलों में उनकी भूमिका की सराहना की जाती थी। लोग उन्हें लोहा मानते थे। राजशाही व्यवस्था समाप्त करने एवं आम आदमी के लिए बैंकों का दरवाजा खुलवाने में उनकी अहम भूमिका थी। वक्ताओं ने कहा कि जनपद के सुनियोजित विकास के लिए वर्ष 1973 में जो सम्मेलन आयोजित किया गया था उस सम्मेलन में जिले के विकास की मजबूत बुनियाद रखी गयी थी। बड़े-बड़े कार्य हुए । कालांतर में दूसरों ने उस काम को आगे नहीं बढ़ाया। जो कुछ हुआ उस पर भी ग्रहण लगता जा रहा है। इस दौरान बलिहारी बाबू, करुणाकांत मिश्र, बनवारी लाल जालान, वैभव वर्मा, डॉ. रवि सिंह, रमेश यादव, रामजीत यादव, गौरीशंकर, रवींद्र प्रधान आदि उपस्थित थे।

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आजमगढ़: इंका के वरिष्ठ नेता रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री चंद्रजीत यादव का सपना साकार हो रहा है। समतामूलक समाज की स्थापना के उद्देश्य से उनके द्वारा हरबंशपुर में स्थापित किये गये सामाजिक न्याय एवं बाल भवन केंद्र में समाज के सभी वर्गो के बच्चे शिक्षा के साथ-साथ कंप्यूटर की तकनीकी जानकारी हासिल कर रहे हैं। केंद्र के निदेशक रामजनम यादव ने कहा कि सत्य, अहिंसा, देशभक्ति एवं मानवीय मूल्यों के प्रति समर्पित इस केंद्र में बच्चों को महापुरुषों के बारे में भी बताया जाता है। केंद्र के अंदर एक संग्रहालय स्थापित किया गया है। इसमें मंडल आयोग के संघर्षो की मुख्य विशेषताएं, उनसे संबंधित छाया चित्र, सामाजिक न्याय आंदोलन के प्रमुख नेताओं व महापुरुषों के चित्र भी लगाये गये हैं। उद्देश्य आने वाले पीढ़ी को इनके बारे में बताना है। गरीब, पिछड़े, दलित व अल्पसंख्यक वर्ग के बच्चों को कंप्यूटर की तकनीकी जानकारी देने के लिए विशेषज्ञों को विशेष रूप से रखा गया है। इसके अलावा स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित पुस्तकें, सामान्य ज्ञान, साहित्य एवं भौगोलिक जानकारी के लिए भी बच्चों को पुस्तकें उपलब्ध करायी गयी हैं।