बुधवार, 30 अक्तूबर 2013

हिंदी साहित्य के प्रमुख हस्ताक्षर राजेंद्र यादव का जाना

हिंदी साहित्य के प्रमुख हस्ताक्षर राजेंद्र यादव का सोमवार, 28 अक्तूबर 2013 को  निधन हो गया । वह 84 वर्ष के थे।

उनका जन्म 28 अगस्त 1929 को उत्तर प्रदेश के आगरा ज़िले में हुआ था. उनकी शिक्षा-दीक्षा भी आगरा में ही हुई.उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से 1951 में हिंदी विषय से प्रथम श्रेणी में एमए की डिग्री हासिल की थी. उन्होंने विश्वविद्यालय में पहला स्थान हासिल किया था.

अपने लेखन में समाज के वंचित तबके और महिलाओं के अधिकारों की पैरवी करने वाले राजेंद्र यादव प्रसिद्ध कथाकार मुंशी प्रेमचंद की ओर से शुरू की गई साहित्यिक पत्रिका  हंस का 1986 से संपादन कर रहे थे.अक्षर प्रकाशन के बैनर तले उन्होंने इसका पुर्नप्रकाशन प्रेमचंद की जयंती 31 जुलाई 1986 से शुरू किया था.

प्रेत बोलते हैं (सारा आकाश), उखड़े हुए लोग, एक इंच मुस्कान (मन्नू भंडारी के साथ), अनदेखे अनजान पुल, शह और मात, मंत्रा विद्ध और कुल्टा उनके प्रमुख उपन्यास हैं.

इसके अलावा उनके कई कहानी संग्रह भी प्रकाशित हुए हैं. इनमें देवताओं की मृत्यु, खेल-खिलौने, जहाँ लक्ष्मी कैद है, छोटे-छोटे ताजमहल, किनारे से किनारे तक और वहाँ पहुँचने की दौड़ प्रमुख हैं. इसके अलावा उन्होंने निबंध और समीक्षाएं भी लिखीं.

'आवाज़ तेरी' के नाम से राजेंद्र यादव का 1960 में एक कविता संग्रह भी प्रकाशित हुआ था. चेखव के साथ-साथ उन्होंने कई अन्य विदेशी साहित्यकारों की रचनाओं का हिंदी में अनुवाद भी किया था.

उनकी रचना सारा आकाश पर इसी नाम से एक फ़िल्म भी बनी थी.

राजेंद्र यादव ने कमलेश्वर और मोहन राकेश के साथ मिलकर हिंदी साहित्य में नई कहानी की शुरुआत की थी.

लेखिका मन्नू भंडारी के साथ राजेंद्र यादव का विवाह हुआ था. उनकी एक बेटी हैं. उनका वैवाहिक जीवन बहुत लंबा नहीं रहा और बाद में उन्होंने अलग-अलग रहने का फ़ैसला किया था.

यादव 1999 से 2001 तक प्रसार भारती बोर्ड के नामांकित सदस्य भी रहे ।

साभार : BBC 
'यदुकुल'  की तरफ से हार्दिक श्रद्धांजलि !!

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