भारतीय डाक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी होने के साथ-साथ हिंदी साहित्य में भी जबरदस्त दखलंदाजी रखने वाले बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी कृष्ण कुमार यादव का जन्म 10 अगस्त 1977 को तहबरपुर आज़मगढ़ (उ.प्र.) में हुआ. आप इस स्तर पर चयनित होने वाले प्रथम यादव अधिकारी हैं. प्रारम्भिक शिक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय जीयनपुर-आज़मगढ़ में एवं तत्पश्चात इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 1999 में आप राजनीति-शास्त्र में परास्नातक उपाधि प्राप्त हैं. विभिन्न विधाओं- कविता, कहानी, निबंध, लघु-कथा के साथ-साथ बाल साहित्य में भी लेखन. समकालीन हिंदी साहित्य में नया ज्ञानोदय, कादम्बिनी, सरिता, नवनीत, आजकल, वर्तमान साहित्य, उत्तर प्रदेश, अकार, लोकायत, गोलकोण्डा दर्पण, इन्द्रप्रस्थ भारती, मधुमती, उन्नयन, दैनिक जागरण, अमर उजाला, राष्ट्रीय सहारा, स्वतंत्र भारत, आज, द सण्डे इण्डियन, इण्डिया न्यूज, अक्षर पर्व, युग तेवर, शेष, गोलकोंडा दर्पण, प्रेरणा, प्रगतिशील आकल्प, समर लोक, शब्द, अक्षर शिल्पी, साहित्य क्रांति, साहित्य वार्ता, संकल्य, संयोग साहित्य, समकालीन अभिव्यक्ति, सनद, प्रतिश्रुति, तटस्थ, आकंठ, युगीन काव्या, आधारशिला, चक्रवाक्, सरस्वती सुमन, कथा चक्र इत्यादि सहित 250 से ज्यादा पत्र-पत्रिकाओं व सृजनगाथा, अनुभूति, अभिव्यक्ति, साहित्यकुंज, साहित्यशिल्पी, रचनाकार, लिटरेचर इंडिया, हिंदीनेस्ट, कलायन इत्यादि वेब-पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन. आप शब्द सृजन की ओर तथा डाकिया डाक लाया नामक ब्लॉगों के माध्यम से अंतर्जाल पर भी सक्रिय हैं. बकौल साहित्य मर्मज्ञ एवं पद्मभूषण गोपाल दास 'नीरज'- " कृष्ण कुमार यादव यद्यपि एक उच्चपदस्थ सरकारी अधिकारी हैं, किन्तु फिर भी उनके भीतर जो एक सहज कवि है वह उन्हें एक श्रेष्ठ रचनाकार के रूप में प्रस्तुत करने के लिए निरंतर बेचैन रहता है. उनमें बुद्धि और हृदय का एक अपूर्व संतुलन है. वो व्यक्तिनिष्ठ नहीं समाजनिष्ठ साहित्यकार हैं जो वर्तमान परिवेश की विद्रूपताओं, विसंगतियों, षड्यंत्रों और पाखंडों का बड़ी मार्मिकता के साथ उदघाटन करते हैं."
अब तक एक काव्य-संकलन "अभिलाषा" सहित दो निबंध-संकलन "अभिव्यक्तियों के बहाने" तथा "अनुभूतियाँ और विमर्श" एवं एक संपादित कृति "क्रांति-यज्ञ" का प्रकाशन। बाल कविताओं एवं कहानियों के संकलन प्रकाशन हेतु प्रेस में. व्यक्तित्व-कृतित्व पर "बाल साहित्य समीक्षा" व "गुफ्तगू" पत्रिकाओं द्वारा विशेषांक जारी एवं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में व्यक्तित्व-कृतित्व पर आलेख प्रकाशित. शोधार्थियों हेतु अल्पायु में ही आपके व्यक्तित्व-कृतित्व पर एक पुस्तक "बढ़ते चरण शिखर की ओर : कृष्ण कुमार यादव" (संपादन-दुर्गाचरण मिश्र) का प्रकाशन. आकाशवाणी पर कविताओं के प्रसारण के साथ दो दर्जन से अधिक प्रतिष्ठित काव्य-संकलनों में कवितायेँ प्रकाशित. प्रशासन व साहित्य सेवा के साथ-साथ समाज सेवा में भी रूचि. विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के संपादन से जुड़े हुए हैं. यादव समाज से जुडी "यादव साम्राज्य" तथा "यादव डायरेक्टरी" के संरक्षक मंडल में शामिल. देश के तमाम अंचलों की विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं द्वारा समय-समय पर सम्मानित.अभिरुचियों में रचनात्मक लेखन-अध्ययन-चिंतन के साथ-साथ फिलाटेली, पर्यटन व नेट-सर्फिंग भी शामिल. उ0प्र0 हिन्दी साहित्य सम्मेलन व राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, उत्तर प्रदेश के संयोजक डा0 बद्री नारायण तिवारी कृष्ण कुमार यादव के बारे में लिखते हैं कि- ‘’एक प्रतिभासम्पन्न, उदीयमान् नवयुवक रचनाकार में भावों की जो मादकता, मोहकता, आशा और महत्वाकांक्षा की जो उत्तेजना एवं कल्पना की जो आकाशव्यापी उड़ान होती है, उससे कृष्ण कुमार जी का व्यक्तित्व-कृतित्व ओत-प्रोत है। ‘क्लब कल्चर‘ एवं अपसंस्कृति के इस दौर में एक युवा प्रशासनिक अधिकारी की हिन्दी-साहित्य के प्रति ऐसी अटूट निष्ठा व समर्पण शुभ एवं स्वागत योग्य है। ऐसा अनुभव होता है कि महापंडित राहुल सांकृत्यायन के जनपद आज़मगढ़ की माटी का प्रभाव श्री यादव पर पड़ा है।‘’
कृष्ण कुमार यादव की पत्नी श्रीमती आकांक्षा यादव एक कॉलेज में प्रवक्ता हैं. रोचक तथ्य यह है कि आकांक्षा जी भी साहित्यिक अभिरुचियों वाली हैं. आपकी रचनाएँ अक्सर चर्चित पत्र-पत्रिकाओं व अंतर्जाल पर प्रकाशित होती रहती हैं. आप शब्द शिखर नाम से एक ब्लॉग का भी संचालन करती हैं. सुविख्यात समालोचक श्री सेवक वात्स्यायन इस साहित्यकार दम्पत्ति को पारस्परिक सम्पूर्णता की उदाहृति प्रस्तुत करने वाला मानते हुए लिखते हैं - ’’जैसे पंडितराज जगन्नाथ की जीवन-संगिनी अवन्ति-सुन्दरी के बारे में कहा जाता है कि वह पंडितराज से अधिक योग्यता रखने वाली थीं, उसी प्रकार श्रीमती आकांक्षा और श्री कृष्ण कुमार यादव का युग्म ऐसा है जिसमें अपने-अपने व्यक्तित्व एवं कृतित्व के कारण यह कहना कठिन होगा कि इन दोनों में कौन दूसरा एक से अधिक अग्रणी है।’’
अब तक एक काव्य-संकलन "अभिलाषा" सहित दो निबंध-संकलन "अभिव्यक्तियों के बहाने" तथा "अनुभूतियाँ और विमर्श" एवं एक संपादित कृति "क्रांति-यज्ञ" का प्रकाशन। बाल कविताओं एवं कहानियों के संकलन प्रकाशन हेतु प्रेस में. व्यक्तित्व-कृतित्व पर "बाल साहित्य समीक्षा" व "गुफ्तगू" पत्रिकाओं द्वारा विशेषांक जारी एवं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में व्यक्तित्व-कृतित्व पर आलेख प्रकाशित. शोधार्थियों हेतु अल्पायु में ही आपके व्यक्तित्व-कृतित्व पर एक पुस्तक "बढ़ते चरण शिखर की ओर : कृष्ण कुमार यादव" (संपादन-दुर्गाचरण मिश्र) का प्रकाशन. आकाशवाणी पर कविताओं के प्रसारण के साथ दो दर्जन से अधिक प्रतिष्ठित काव्य-संकलनों में कवितायेँ प्रकाशित. प्रशासन व साहित्य सेवा के साथ-साथ समाज सेवा में भी रूचि. विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के संपादन से जुड़े हुए हैं. यादव समाज से जुडी "यादव साम्राज्य" तथा "यादव डायरेक्टरी" के संरक्षक मंडल में शामिल. देश के तमाम अंचलों की विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं द्वारा समय-समय पर सम्मानित.अभिरुचियों में रचनात्मक लेखन-अध्ययन-चिंतन के साथ-साथ फिलाटेली, पर्यटन व नेट-सर्फिंग भी शामिल. उ0प्र0 हिन्दी साहित्य सम्मेलन व राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, उत्तर प्रदेश के संयोजक डा0 बद्री नारायण तिवारी कृष्ण कुमार यादव के बारे में लिखते हैं कि- ‘’एक प्रतिभासम्पन्न, उदीयमान् नवयुवक रचनाकार में भावों की जो मादकता, मोहकता, आशा और महत्वाकांक्षा की जो उत्तेजना एवं कल्पना की जो आकाशव्यापी उड़ान होती है, उससे कृष्ण कुमार जी का व्यक्तित्व-कृतित्व ओत-प्रोत है। ‘क्लब कल्चर‘ एवं अपसंस्कृति के इस दौर में एक युवा प्रशासनिक अधिकारी की हिन्दी-साहित्य के प्रति ऐसी अटूट निष्ठा व समर्पण शुभ एवं स्वागत योग्य है। ऐसा अनुभव होता है कि महापंडित राहुल सांकृत्यायन के जनपद आज़मगढ़ की माटी का प्रभाव श्री यादव पर पड़ा है।‘’
कृष्ण कुमार यादव की पत्नी श्रीमती आकांक्षा यादव एक कॉलेज में प्रवक्ता हैं. रोचक तथ्य यह है कि आकांक्षा जी भी साहित्यिक अभिरुचियों वाली हैं. आपकी रचनाएँ अक्सर चर्चित पत्र-पत्रिकाओं व अंतर्जाल पर प्रकाशित होती रहती हैं. आप शब्द शिखर नाम से एक ब्लॉग का भी संचालन करती हैं. सुविख्यात समालोचक श्री सेवक वात्स्यायन इस साहित्यकार दम्पत्ति को पारस्परिक सम्पूर्णता की उदाहृति प्रस्तुत करने वाला मानते हुए लिखते हैं - ’’जैसे पंडितराज जगन्नाथ की जीवन-संगिनी अवन्ति-सुन्दरी के बारे में कहा जाता है कि वह पंडितराज से अधिक योग्यता रखने वाली थीं, उसी प्रकार श्रीमती आकांक्षा और श्री कृष्ण कुमार यादव का युग्म ऐसा है जिसमें अपने-अपने व्यक्तित्व एवं कृतित्व के कारण यह कहना कठिन होगा कि इन दोनों में कौन दूसरा एक से अधिक अग्रणी है।’’
(कृष्ण कुमार यादव के कृतित्व पर ''प्रशासन और साहित्य के ध्वजवाहक : कृष्ण कुमार यादव'' शीर्षक से एक लेख युवा ब्लॉग पर भी पढ़ सकते हैं.)
19 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर लिखा है कृष्ण कुमार जी बारे में, पढ़कर दिल खुश हो गया..बधाई.
कृष्ण कुमार जी आप साहित्य और प्रशासन दोनों के गौरव हैं. जहाँ हिंदी साहित्य में लोग इतनी गतिविधियों और पुस्तकों के लेखन के बाद भी चर्चा में नहीं आ पाते, वहाँ इतनी अल्पायु में आपके जीवन पर किताब का विमोचन हो रहा है. .आपकी सराहना के लिए मेरे पास शब्दों का टोटा पड़ गया है.
के.के. भाई लिख ही नहीं रहे हैं, बल्कि खूब लिख रहे हैं. एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी होने के साथ-साथ अपनी व्यस्तताओं के बीच साहित्य के लिए समय निकलना और विभिन्न विधाओं में लिखना आपकी विलक्षण प्रतिभा का ही परिचायक है. बस यूँ ही लिखते रहें, जमाना आपके पीछे होगा के.के. भाई !
’एक प्रतिभासम्पन्न, उदीयमान् नवयुवक रचनाकार में भावों की जो मादकता, मोहकता, आशा और महत्वाकांक्षा की जो उत्तेजना एवं कल्पना की जो आकाशव्यापी उड़ान होती है, उससे कृष्ण कुमार जी का व्यक्तित्व-कृतित्व ओत-प्रोत है।
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KK ji ki Personality ke bare men sahi likha Tiwari ji ne.
Apki jay ho.
KK Ji की सृजनात्मकता पर किसी कवि की ये पंक्तियाँ -
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है.
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है.
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है.
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में.
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.
A combination of hindi,writing and administration reflects ur ideals and nice personality.I am proud of u KK Sir.
Editor
Yadav-Samrajya
सरकारी सेवा में उच्च पद पर रहकर लेखन कार्य करने वाले युवा साथी कृष्ण कुमार जी को शुभकामनायें कि वो निरंतर ऊँचाइयों पर अग्रसर हों.
जहाँ तक मेरी जानकारी है इतनी कम उम्र में भी कुछ लोगों ने कृष्ण कुमार जी के कृतित्व पर PHD के लिए भी आवेदन किया है. ऐसे युवा व्यक्तित्व को सराहा जाना चाहिए. यह आलेख उनके व्यक्तित्व में चार चाँद लगता है.
जहाँ तक मेरी जानकारी है इतनी कम उम्र में भी कुछ लोगों ने कृष्ण कुमार जी के कृतित्व पर PHD के लिए भी आवेदन किया है. ऐसे युवा व्यक्तित्व को सराहा जाना चाहिए. यह आलेख उनके व्यक्तित्व में चार चाँद लगता है.
दुनिया की तमाम नामी-गिरामी हस्तियों का किसी न किसी रूप में डाक विभाग से जुड़ाव रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति रहे अब्राहम लिंकन पोस्टमैन तो भारत में पदस्थ वायसराय लार्ड रीडिंग डाक वाहक रहे। विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक व नोबेल पुरस्कार विजेता सी0वी0 रमन भारतीय डाक विभाग में अधिकारी रहे वहीं प्रसिद्ध साहित्यकार व ‘नील दर्पण‘ पुस्तक के लेखक दीनबन्धु मित्र पोस्टमास्टर थे। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित लोकप्रिय तमिल उपन्यासकार पी0वी0अखिलंदम, राजनगर उपन्यास के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित अमियभूषण मजूमदार, फिल्म निर्माता व लेखक पद्मश्री राजेन्द्र सिंह बेदी, मशहूर फिल्म अभिनेता देवानन्द डाक कर्मचारी रहे हैं। उपन्यास सम्राट प्रेमचन्द जी के पिता अजायबलाल डाक विभाग में ही क्लर्क रहे। ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता मशहूर लेखिका महाश्वेता देवी ने आरम्भ में डाक-तार विभाग में काम किया था तो प्रसिद्ध बाल साहित्यकार डा0 राष्ट्रबन्धु भी पोस्टमैन रहे। सुविख्यात उर्दू समीक्षक शम्सुररहमान फारूकी, शायर कृष्ण बिहारी नूर, महाराष्ट्र के प्रसिद्ध किसान नेता शरद जोशी सहित तमाम विभूतियाँ डाक विभाग से जुड़ी रहीं। स्पष्ट है कि डाक विभाग सदैव से एक समृद्ध विभाग रहा है और तमाम मशहूर शख्सियतें इस विशाल विभाग की गोद में अपनी काया का विस्तार पाने में सफल रहीं। इन मशहूर नामों की सूची में श्री कृष्ण कुमार यादव का नाम भी अब जगमगा रहा है।
KK Yadav means, A man whose ambition is to scale the heights and for him only sky is the limit.Really its nice post..congts to KK yadav ji.
जानकर आश्चर्य भी हुआ और प्रसन्नता भी कि मात्र 32 वर्ष की आयु में कोई व्यक्ति सरकारी सेवा के बीच इतनी तन्मयता से साहित्य सेवा में जुटा हुआ है.हमारी शुभकामनायें सदैव आपके साथ हैं.
के.के. सर वाकई दिलचस्प व्यक्तित्व हैं. उनकी पत्नी आकांक्षा जी भी उतनी ही उर्जावान हैं. सुविख्यात समालोचक श्री सेवक वात्स्यायन इस साहित्यकार दम्पत्ति को पारस्परिक सम्पूर्णता की उदाहृति प्रस्तुत करने वाला मानते हुए लिखते हैं - ’’जैसे पंडितराज जगन्नाथ की जीवन-संगिनी अवन्ति-सुन्दरी के बारे में कहा जाता है कि वह पंडितराज से अधिक योग्यता रखने वाली थीं, उसी प्रकार श्रीमती आकांक्षा और श्री कृष्ण कुमार यादव का युग्म ऐसा है जिसमें अपने-अपने व्यक्तित्व एवं कृतित्व के कारण यह कहना कठिन होगा कि इन दोनों में कौन दूसरा एक से अधिक अग्रणी है।’’
प्रभु आप दोनों में यही उर्जा बनाए रखें !!
आपकी रचनाएँ अक्सर पढता रहता हूँ. यहाँ पर आपके बारे में पोस्ट देखकर ख़ुशी हुयी..बधाई.
कृष्ण कुमार जी कि रचनाएँ तो हम प्रायः उनके ब्लाग पर पढ़ते ही रहते हैं पर उनके बारे में इतनी विस्तृत जानकारी प्रथम बार पढने को मिली. निश्चय ही हम सभी को उन पर गर्व होना चाहिए.
आपको भी हार्दिक बधाई, इतनी अच्छी लेखन शैली से परिचय करने का.
Beautiful !!
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