शुक्रवार, 12 जुलाई 2013

योगिता यादव को भारतीय ज्ञानपीठ का नवलेखन पुरस्कार

युवा कहानीकार योगिता यादव को भारतीय ज्ञानपीठ का नवलेखन पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई है। योगिता यादव दैनिक जागरण अख़बार के जम्मू केंद्र में फ़िलहाल कार्यरत हैं और सक्रिय लेखन से जुडी हुई हैं। प्रसिद्ध लेखक एवं नाटककार प्रो असगर वजाहत की अध्यक्षता में सात सदस्यीय निर्णायक समिति ने यह फैसला किया है। योगिता यादव के अलावा  कवि अरूणाभ सौरभ को भी इस सम्मान हेतु चुन गया है। 

समिति में भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक रवीन्द्र कालिया लीलाधर मंडलोई, प्रो अजय तिवारी, अखिलेश आदि शामिल हैं। भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा सोमवार को यहां जारी सूचना के अनुसार इन दोनों रचनाकारों को पुरस्कार में 50-50 हजार रूपए की राशि तथा प्रशस्ति  पत्र और प्रतीक चिह्न प्रदान किए जाएंगे।

वर्ष 2012 में आयोजित आठवीं नवलेखनप्रतियोगिता में योगिता यादव को उनके कहानी संग्रह (क्लीन चिट तथा अन्य कहानियां) व अरूणाभ सौरभ को उनकी काव्य पुस्तक (दिन बनने के क्रम में) के लिए यह पुरस्कार दिया जाएगा।

बिहार विधान सभा के नेता प्रतिपक्ष बने नन्द किशोर यादव

बिहार विधान सभा के नेता प्रतिपक्ष श्री नन्द किशोर यादव बनाये गये. श्री यादव बिहार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)के लोकप्रिय और वरिष्ट नेता है. इससे पूर्व श्री नन्द किशोर यादव बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे है.मालुम हो बिहार में जनता दल यु का भारतीय जनता पार्टी से अलग होने पर बिहार विधान सभा में सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी बनी.भारतीय जनता पार्टी ने बिहार में 18 प्रतिशत यादवो का वोट धयान में रखकर श्री नन्द किशोर यादव को नेता प्रतिपक्ष बिहार विधान सभा बनाया है लेकिन बिहार के लोग 2005 के उस घटना को भूले नहीं है जब बिहार में एन डी ए पूर्ण बहुमत में आया था और भाजपा के तरफ से उपमुख्यमंत्री के प्रबल दावेदार श्री नन्द किशोर यादव ही थे किन्तु भाजपा के अधिकांश नेता ने श्री यादव के नाम पर विरोध करने लगे जिससे सुशिल मोदी तब उप मुख्यमंत्री बनाये गये थे. 


श्री नन्द किशोर यादव मूल रूप से पटना सिटी के रहने वाले है और वही से लगातार विधायक चुने जाते रहे है. श्री यादव बिहार सरकार में 2005 से पथ मंत्री रहे है और बिहार में तब से सडको की हालत में लगातार सुधार करते रहे. यह श्री नन्द किशोर यादव के सोच का ही नतीजा है की बिहार में लगातार नई सडको को निर्माण होता रहा और पुराने सडको को मरम्मत कर नया रूप दिया गया. बिहार में सडको के बेहतर हालत के लिए श्री नन्द किशोर यादव को बिहार के लोग याद करते है. 2010 के बिधानसभा चुनाव में नितीश को वोट सडको के आधार पर ही मिला था.