राजकुमार राव (यादव) हिंदी फिल्मों में अपना परचम बखूबी फहरा रहे हैं। अभी हाल ही में 59वें फिल्म फेयर अवार्ड में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का क्रिटिक्स अवार्ड राजकुमार राव (यादव) को उनकी फिल्म शाहिद के लिये दिया गया। राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार पाकर हरियाणा में गुड़गांव के प्रेम नगर की गलियों का यह छोरा अचंभित है। कुछ उसी तरह जैसे उन्हें सिर्फ नाम से जानने वाले अबतक दक्षिण भारतीय समझ रहे थे। अब रिश्ते ढूंढ रहे हैं। यार-दोस्त, नाते-रिश्तेदार, शिक्षक-प्रशिक्षक तो 2008 से ही उम्मीदें लगाए बैठे थे। तब वह माया नगरी में स्ट्रग्लर के रूप में गए थे। 2010 में 'लव सेक्स और धोखा' फिल्म से करियर को शुरुआत मिली तो कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। फ़िलहाल तो वह 'डॉली की डोली' की शूटिंग में व्यस्त हैं।
सबसे कम उम्र में राष्ट्रीय फिल्म फेयर अवार्ड जीतने वाले राजकुमार राव (यादव) को अभी भी गुड़गांव का बचपन और शहर हर समय प्रेरित करता है। उनका मानना है कि मेहनत तो खूब की थी मगर कभी सोचा नहीं था कि राष्ट्रीय पुरस्कार मिलेंगे। अब लोगों की उम्मीदें भी ज्यादा होंगी, इसके लिए और मेहनत करूंगा।यह मेरे जीवन का अबतक का सबसे बड़ा और सुंदर लम्हा है। परिजनों, दोस्तों और फिल्म इंडस्ट्री का शुक्रगुजार हूं। सबने ढेर सारा आशीर्वाद और प्यार दिया।
2010 में 'लव सेक्स और धोखा' से करियर की शुरुआत करने वाले राजकुमार राव की सात मार्च, 2014 को फिल्म 'क्वीन' रिलीज हुई है। फिल्म 'शाहिद' के लिए ही 2013 का फिल्म फेयर का क्रिटिक्स अवार्ड फॉर बेस्ट एक्टर मिला था। साथ ही फिल्म 'काई पोचे' में बेस्ट सर्पोटिंग एक्टर का पुरस्कार मिला था। पिछले चार सालों माया नगरी में उन्हें कई सफलताएं मिली हीं। उन्हें अच्छी भूमिकाएं मिलीं तो उनके लिए काफी मेहनत और संघर्ष भी किया।
फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीटयूट पूणे से वर्ष 2008 में ग्रेजुएशन करने के बाद राजकुमार राव मुंबई पहुंचे था। उनका मानना है कि मैं तो एक बढि़या एक्टर बनने की चाहत रखता हूं। स्टार तो लोग बनाते हैं। एक अच्छा एक्टर हर तरह की भूमिका निभाता है। मैं ऐसे रोल चुनता हूं जिसमें अभिनय निखर कर सामने आए। चार वर्षो में रागिनी एमएमएस, गैंग्स ऑफ वासेपुर भाग दो, तलाश, काई पोचे, डी डे, क्वीन आदि लगभग एक दर्जन फिल्मों में भूमिकाएं निभा चुके राजकुमार राव चाहनेवालों की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए भविष्य में और कठिन परिश्रम करना चाहते हैं।
- राम शिव मूर्ति यादव @ यदुकुल : http://yadukul.blogspot.in/