आज का दौर दहेज का है, दिखावे का है पर ऐसे में यदि कोई विवाह सिर्फ एक-एक प्याली चाय में सम्पन्न हो जाये तो अचरज ही होगा। पर इसे सच कर दिखाया है यादव समाज के दो परिवारों ने। इस विवाह में न बैंड-बाजा और न दहेज था। वर पक्ष के लिए अगर कुछ था तो सिर्फ एक-एक प्याली चाय। दो सगी बहनों के विवाह की रस्में बहुत सादगी से हुई और मंगल गीतों के बीच दोनों अपने-अपने दूल्हों के साथ विदा हो गई।
उ0प्र0 के अलीगढ़ जनपद के महमूदपुरा निवासी विशेष कुमार यादव दिल्ली के रेडीसन फाइव स्टार होटल में ट्रांसपोर्ट इंचार्ज हैं। उनकी दो पुत्रियां संगीता व सुष्मिता हैं। 15 जून 2009 की शाम वह एक टैªक्टर एजेंसी पर बैठे थे, अचानक वहां रामवीर सिंह यादव आ गये। वह साहसपुर थाना मिरहची-एटा के रहने वाले हैं और अलीगढ़ स्थित सिकंदराराऊ में पुलिस विभाग में तैनात हैं। उसी समय गाँव रामनगर जिरौली कलां में हाल निवासी हरियाणा के सत्यपाल सिंह भी आ गये और आरम्भ हो गयी रिश्ते की बातें। लड़की के पिता से ज्यादा लड़के वाले दहेज विरोधी दिखे। बातों ही बातों में बात बन गयी और लड़के वालों ने कहा कि हमें तो खाना भी नहीं चाहिये, सिर्फ चाय पिला दीजिएगा। एक व्यक्ति ने विवाह के लिए अपना मकान दिया और चाय पिलाने का वादा भी कर दिया। फिर क्या था, उसके अगले ही दिन सत्यपाल सिंह ने अपने पुत्र संदीप उर्फ नरेश एवं रामवीर सिंह ने अपने पुत्र प्रवेन्द्र को परिवारों के साथ यहां आने को कह दिया। दोनों परिवारों के जो परिचित चट-पट आ सकते थे वो भी पहुँच गये। सादगी से रस्में शुरू हो गयीं। संगीता की शादी प्रवेन्द्र से और सुष्मिता की शादी संदीप से हुई। बिना दहेज और सादगी से हुए इस आदर्श विवाह की बात जिसने भी सुनी, वाह-वाह कर उठा!!
बाल दिवस के अवसर पर बाल दिवस सह खेल-कूद प्रतियोगिता का आयोजन
-
महिला एवं बाल विकास निगम बिहार तथा जिलाधिकारी मधेपुरा के निदेशानुसार बेटी
बचाओ बेटी पढाओ योजना अंतर्गत उत्क्रमित मध्य विद्यालय इटवा, गम्हरिया में बाल
दिव...
16 घंटे पहले
14 टिप्पणियां:
बिना दहेज और सादगी से हुए इस आदर्श विवाह की बात जिसने भी सुनी, वाह-वाह कर उठा!! ...wah..wah
Aise kadmon ki sarahna ki jani chahiye.
यदुकुल
लड़की के पिता से ज्यादा लड़के वाले दहेज विरोधी दिखे। बातों ही बातों में बात बन गयी और लड़के वालों ने कहा कि हमें तो खाना भी नहीं चाहिये, सिर्फ चाय पिला दीजिएगा।....Chaliye kisi ne to shuruat ki warna samaj to dahej-lobhiyon se bhara pada hai.
"दहेजासुर समाज में मात्र एक-एक चाय पिलाकर हुआ विवाह"
अद्भुत, अविश्वसनीय पर एक ऐसा सच ज्यों श्री कृष्ण
अद्भुत जानकारी का आभार.
दोनों परिवारों को मेरा हार्दिक प्रणाम.
चन्द्र मोहन गुप्त
Ashcharyjanak. Aisa kahan ho pata hai? Abhar.
काश यह घटना समाज में नजीर बन जाती .
अन्य लोगों के लिए अनुकरणीय...एक बहुत उम्दा और सार्थक पहल!
पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ मेरे ब्लॉग आने के लिए और सुंदर टिपण्णी देने के लिए!
मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! बहुत सुंदर लिखा है आपने जो काबिले तारीफ है!
kyaक ऐसा भी होता है? मैं तो इस खबर से अभिभूत हूँ क्योंकि मै एक बेटी दहेज के दानवों के हाथों खो चुकी हूँ बिना दहेज के शादी करने वालों की बात सुन कर लगता है कोई इंक्लाब आने वाला है आभार और शुभकामनायें
chai "tetly" thi ya "brook bond"?
beside joke...
....accha udaharan !!
Vakai sarahniya pryas.
आप लिख ही नहीं रहें हैं, सशक्त लिख रहे हैं. आपकी हर पोस्ट नए जज्बे के साथ पाठकों का स्वागत कर रही है...यही क्रम बनायें रखें...बधाई !!
___________________________________
"शब्द-शिखर" पर देखें- "सावन के बहाने कजरी के बोल"...और आपकी अमूल्य प्रतिक्रियाएं !!
समाज में अच्छाई अभी भी जिन्दा है.
एक टिप्पणी भेजें