बाबा रामदेव के साथ सत्ता के मद में चूर लोगों ने जो किया, उसकी जितनी भी निंदा की जाय कम होगी. भ्रष्टाचार की विषबेल काफी लम्बी फ़ैल चुकी है, इसका समाधान तो निकालना ही होगा. एक बाबा पर अत्याचार करके सत्ता भले ही उन्हें दिल्ली से दूर कर ले, पर उन आवाज़ों का क्या जो लोगों के दिलों में उमड़ रही है. 'स्वार्थ' ब्लॉग पर रफत आलम जी की एक ऐसी ही कविता पढ़ी तो उसे साभार यहाँ प्रकाशित करने का मोह नहीं छोड़ पाया-
उजाला करने के लिए
सलाम आपको बाबा!
करोड़ों आखों को
आज यही ईमान की रौशनी चाहिए
अन्यथा
गाँव का सबसे ईमानदार आदमी
शराब के ठेकेदार से
सरपंच का चुनाव हारता रहेगा
रातो-रात बदलती रहेंगी निष्ठाएं
माहौल की सड़न इसी तरह
सदा बिकने वाले को
मेले का खरीदार बना देती है
जड़ों में फैली गंद को
कमल ने सर पे रख लिया है.
यानी व्यवस्था की खराबी को
जनता आवश्यकता मानने लगी है
मन से रोती है परन्तु
खुश-खुश ‘सुविधा शुल्क’ दे रही है
ले रही है
आप बाखूब जानते हैं बाबा साहिब!
ये वह दुनिया है जहाँ
मसीहाओं के उजालों का
स्वागत सदा सियारों ने किया है
जो मौका पाते ही सूली में कीलें ठोकते हैं।
हमाम के ये ही नंगे
कल आपके साथ हो लेंगे
कुछ तो अभी से शेर की बोली बोल रहे हैं।
ये केवल सत्ता के दलाल हैं
इन्हें तख्ते नही तख़्त की है आरज़ू
इन्होने सदा ही संवदनाओं का शोषण किया है
इन्होने ही पनपाया है
भ्रष्टाचार को विष वृक्ष
इन बेईमानों को दूर रखना है ज़रूरी
कल हमें इन्ही के पास कैद
काले धन को आज़ाद कराना है।
शोषण से त्रस्त सारा देश
आपको आशा से देख रहा है
लाखों दीपक चल पड़ने को हैं आतुर
आपके उजाले के साथ।
कल कश्मीर से कन्याकुमारी तक
करोड़ों नारे लगने तय हैं
भ्रष्टाचार मुर्दाबाद!
कल ज़रूर मैली धूप उजली होगी।
- रफत आलम
7 टिप्पणियां:
Sundar Bhav liye kavita..badhai !!
Pranam. :
Ek Sundar Lekh aur Sundar Si Kavita.
जनता का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने में लगी केंद्र सरकार इतनी पगला गई हैं कि अपना गिरेबान ही भूल गई. जनता के बीच बैठे कुछ भ्रस्टाचार के समर्थको कि जरा सी हाँ उनके लिए ताकत सी बन गई और पेट्रोल के दाम बढ़ाने को तैयार हो गये.
बहुत से बुधजिवी ब्लोगेर जो बाबा रामदेव और श्रीमान अन्ना हजारे का विरोध करते हैं शायद उनको पेट्रोल कम कीमत पर मिल जाये. मंत्री अधिकारी और नेतावो का क्या, उनके लिए क्या महंगाई और क्या भ्रस्टाचार.
Samay Mile to ise bhi padhiyega.
http://taarkeshwargiri.blogspot.com/2011/06/blog-post_09.html
ati uttam kavita.
mera ek anurodh bhi ha ki baba ke samarthan me sabhi yadav ek munch par aye aur bhrastachar ke khilaaf yudh me unka sahyog kare
झूठ बोलना ,फरेब करना,उसी सर्कार से सौदेबाजी करना (जिसकी घोर निंदा की जा रही है),८० एल.के तहत प्राप्त चंदे में से भाजपा को चुनाव खर्च हेतु ११ लाख रुपया दे देना और कारोबार में लगा कर मुनाफ़ा कमाना,औरताना वेश खुद को सन्यासी कहते हुए धारण करना,कायरों की तरह औरतों के झुण्ड में घुस कर चोरों की तरह भागना स्तुत्य कैसे हो गया ?
सकारत्मक सोच लिए एक सुन्दर कविता..बधाई.
सकारत्मक सोच लिए एक सुन्दर कविता..बधाई.
Ujale ko Bharshtachar ke Ghoor avam Vishal andhkaar ne GRASH liya hai.
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