प्रेम प्रकाश यादव को हरियाणा की विकलांग क्रिकेट टीम का कप्तान चुना गया है। प्रेम प्रकाश की अगुवाई में टीम अगले महीने में बनारस और पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की विकलांग क्रिकेट टीम के साथ प्रतियोगिता में भाग लेगी। प्रेम प्रकाश के कप्तान बनने पर उसके साथियों में खुशी का माहौल है।
प्रेम प्रकाश का जन्म चरखी दादरी में 19 मार्च 1974 को हुआ था। जब वह चार वर्ष का था, तब उसके पैर में पोलियो की शिकायत का पता चला। उसी दौरान हरियाणा बिजली बोर्ड में कार्यरत उनके पिता का तबादला पलवल हो गया। इसके बाद यादव परिवार पलवल का ही बन कर रह गया। प्रेम प्रकाश को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक था। वह स्कूल में अपने दोस्तों के साथ काफी क्रिकेट खेलता था। क्रिकेट के जुनून ने उसे इस मुकाम पर ला दिया कि उसे क्रिकेट खेलने के अलावा कुछ नहीं सूझता। इतना ही नहीं उसमें गेंदबाजी के गुर भी कूट-कूट कर भरे हुए हैं। वर्ष 1997 में उसे पहली बार पता चला कि हरियाणा में शारीरिक रूप से विकलांग क्रिकेट भी खेला जाता है। इसके चलते उसने विकलांग खेलों के जन्मदाता प्रवीण बहल से संपर्क बनाया। प्रेम के बेहतरीन खेल के चलते उसे फरीदाबाद जिले की टीम में जगह दी। प्रेम का खेल लोगों का पसंद आया, जिस कारण उसे जिले की कमान सौंप दी गई। दिनोंदिन खेल में बेहतरीन प्रदर्शन करने पर प्रेम को अब हरियाणा की विकलांग क्रिकेट टीम का कप्तान चुना गया है। प्रेम का कहना है कि उसने पहले ही टूर्नामेंट में लगातार दो बार हैट्रिक ली थी, जो कि मुंबई व मध्यप्रदेश के खिलाफ दी। उसने अब तक 16 राष्ट्रीय क्रिकेट प्रतियोगिताओं में भाग लिया है, जिनमें उसे आठ बार मैन आफ दो मैच चुना गया है, जबकि दो बार बार बेस्ट प्लेयर आफ टूर्नामेंट से नवाजा गया है।
साभार : जागरण
प्रेम प्रकाश का जन्म चरखी दादरी में 19 मार्च 1974 को हुआ था। जब वह चार वर्ष का था, तब उसके पैर में पोलियो की शिकायत का पता चला। उसी दौरान हरियाणा बिजली बोर्ड में कार्यरत उनके पिता का तबादला पलवल हो गया। इसके बाद यादव परिवार पलवल का ही बन कर रह गया। प्रेम प्रकाश को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक था। वह स्कूल में अपने दोस्तों के साथ काफी क्रिकेट खेलता था। क्रिकेट के जुनून ने उसे इस मुकाम पर ला दिया कि उसे क्रिकेट खेलने के अलावा कुछ नहीं सूझता। इतना ही नहीं उसमें गेंदबाजी के गुर भी कूट-कूट कर भरे हुए हैं। वर्ष 1997 में उसे पहली बार पता चला कि हरियाणा में शारीरिक रूप से विकलांग क्रिकेट भी खेला जाता है। इसके चलते उसने विकलांग खेलों के जन्मदाता प्रवीण बहल से संपर्क बनाया। प्रेम के बेहतरीन खेल के चलते उसे फरीदाबाद जिले की टीम में जगह दी। प्रेम का खेल लोगों का पसंद आया, जिस कारण उसे जिले की कमान सौंप दी गई। दिनोंदिन खेल में बेहतरीन प्रदर्शन करने पर प्रेम को अब हरियाणा की विकलांग क्रिकेट टीम का कप्तान चुना गया है। प्रेम का कहना है कि उसने पहले ही टूर्नामेंट में लगातार दो बार हैट्रिक ली थी, जो कि मुंबई व मध्यप्रदेश के खिलाफ दी। उसने अब तक 16 राष्ट्रीय क्रिकेट प्रतियोगिताओं में भाग लिया है, जिनमें उसे आठ बार मैन आफ दो मैच चुना गया है, जबकि दो बार बार बेस्ट प्लेयर आफ टूर्नामेंट से नवाजा गया है।
साभार : जागरण
1 टिप्पणी:
Jajba ho to har kuchh sambhav hai..Prem ko badhai.
एक टिप्पणी भेजें