दुनिया को गुरु का महत्व समझाने वाले देश के मशहूर संत यदुकुल शिरोमणि बाबा जय गुरुदेव का शुक्रवार को निधन हो गया. करीब 10 दिनों से बीमार चल रहे 116 साल के जय गुरुदेव का गुड़गांव में इलाज चल रहा था, लेकिन शुक्रवार,18 मई, 2012 को अस्पताल से छुट्टी मिलने के कुछ घंटों बाद ही मथुरा के आश्रम में उन्होंने रात 10:30 बजे अंतिम सांस ली.
जय गुरुदेव के देश-विदेश में लाखों भक्त हैं. उनके भक्त खासकर गांव में रहने वाले लोग हैं. वे अपना प्रचार दीवारों पर लिखवा कर किया करते थे.
कौन थे जय गुरुदेव?बहुत कम लोगों को मालूम है कि जय गुरुदेव का असली नाम तुलसी दास जी महाराज था. इनका जन्म उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के खिटोरा गांव में हुआ था. वह 116 वर्ष के थे। जय गुरुदेव के देश-विदेश में करोड़ों भक्त हैं. इनके अनुयायियों में अनपढ़ किसान से लेकर पढ़े-लिखे लोग शामिल हैं. अपने अनुयायियों को जय गुरुदेव हमेशा गुरु का महत्व समझाते थे.
गुरुदेव का बचपनदरअसल, छोटी उम्र में ही तुलसीदास के माता-पिता चल बसे, जिसके बाद वे सत्य की खोज में निकल पड़े. इसी दौरान उनकी मुलाकात संत घूरेलाल जी से हुई और उन्होंने जीवन भर के लिए इन्हें अपना गुरु मान लिया. संत घूरेलाल की मौत के बाद जय गुरुदेव ने मथुरा जिले में आगरा दिल्ली राजमार्ग पर अपने गुरु की याद में चिरौली संत आश्रम की स्थापना की और समाजसेवा में जुट गए.
समाजसेवा और जय गुरुदेवजय गुरुदेव अपने आश्रम और ट्रस्टों के जरिए हमेशा गरीबों की मदद किया करते थे, जिसमें निशुल्क शिक्षा, निशुल्क चिकित्सा और दहेज बिना सामूहिक शादियां करवाना जैसी चीजें शामिल हैं. उन्होंने समाज में वैचारिक चेतना लाने के लिए दूरदर्शी पार्टी की भी स्थापना की थी. गुरुदेव शराब के सख्त खिलाफ थे और लोगों को हमेशा शाकाहारी भोजन के लिए प्रेरित करते थे.
ब्रज का सबसे ऊंचा मंदिर जय गुरुदेव ने अपने गुरु घूरेलाल जी की याद में 160 फुट ऊंचे योग साधना मंदिर का निर्माण किया, जो सफेद संगममर का बना है. ये मंदिर पूरे ब्रज का सबसे ऊंचा और अनोखा मंदिर है. मंदिर में 200 फुट लंबा और 100 फुट चौड़ा सत्संग हॉल है, जिसमें लगभग 60,000 लोग एक साथ बैठ सकते हैं.
शोकाकुल अनुयायीबाबा के निधन की खबर सुनकर उनके लाखों अनुयायी शोकाकुल हो गए। यहां आश्रम में बहुत से तो फूट-फूटकर रो रहे थे। देशभर से हजारों अनुयायियों के आश्रम में कॉल आ रहे हैं। वह किसी भी तरह बाबा की पूरी जानकारी लेना चाहते हैं, इससे आश्रम की सारी लाइनें ठप हो गयी हैं।
रात 10.30 बजे आश्रम में घोषणा की गयी कि बाबा अपने धाम को चले गए। उनका पार्थिव शरीर आश्रम में ही भक्तों के दर्शनों को सुबह रख दिया जाएगा। वैसे रात में भी उनके भक्तों का तांता उनके आश्रम स्थित कक्ष में दर्शनों को लगा रहा। आश्रम समिति उनके अंतिम संस्कार का शनिवार को फैसला लेगी।
पिछले काफी समय से बाबा अस्वस्थ चल रहे थे। चिकित्सकों के अनुसार बाबा जय गुरुदेव को कफ, फेफड़े में पानी भरने और हार्ट संबंधी दिक्कतें थीं। छह मई को उनकी तबियत ज्यादा बिगड़ गई थी। चिकित्सकीय सलाह पर बाबा आठ मई को गुड़गांव स्थित मेदांता अस्पताल में भर्ती कराये गये थे। आश्रम पर उपस्थित अनुयायियों के अनुसार, बाबा की इच्छा और डॉक्टरों की सलाह पर वह मेदांता अस्पताल की आइसीयू एंबुलेंस से शुक्रवार दोपहर आश्रम लाए गए थे। यहां उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। दिल्ली और गुड़गांव के कई विशेषज्ञ डॉक्टर उन पर गहन निगरानी रख रहे थे।
शुक्रवार शाम बाबा का नियमित परीक्षण करने वालों में शामिल मथुरा के डॉ. आरसीएस परिहार ने बताया था कि बाबा की हालत बेहद नाजुक है। उन्हें जीवन रक्षक उपकरणों के सहारे रखा जा रहा है। बाबा के प्रमुख अनुयायियों में से एक संतराम चौधरी के अनुसार, संक्रमण के लिहाज से चिकित्सकों की टीम ने यहां आने के बाद बाबा के पास किसी की भी आवाजाही को प्रतिबंधित कर दिया था। वैसे सोलह मई को बाबा ने मेदांता में उपस्थित अपने अनुयायियों से बात की थी। इस दौरान उन्होंने उनसे अपने आश्रम पर ले चलने को भी कहा था।
--राम शिव मूर्ति यादव: यदुकुल