भगवान श्री कृष्ण से सम्बंधित तमाम धार्मिक स्थल देश-विदेश में प्रसिद्द हैं. उत्तर प्रदेश में मथुरा का नाम जग-जाहिर है. कुछ प्रमुख धार्मिक स्थलों की सैर करते हैं-
मथुरा
मथुरा यमुना नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है। यह भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि है। भागवत पुराण में मथुरा में श्री कृष्ण और गोपियों की रासलीलाओं का जिक्र है। यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में स्थित है। मथुरा आज आध्यात्मिक और धार्मिक पर्यटन का प्रमुख वेंâद्र बन गया है। देश–विदेश से बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं।
राधारमण मंदिर
राधारमण का मतलब राधा को आनंदित करनेवाला यानी भगवान श्रीकृष्ण। इस मंदिर की स्थापना १५४२ ई. में हुई थी।
जुगल किशोर मंदिर
यह सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। इसकी स्थापना १६२७ ई. में हुई थी। मुगल बादशाह अकबर ने १५७० में वृंदावन की यात्रा की थी, तब चार मंदिरों की स्थापना की अनुमति दी थी।
केसी घाट मंदिर
भगवान श्रीकृष्ण ने इसी स्थान पर महाकाय घोड़े के रूप में प्रगट हुए दानव को मारा था। इसके बाद केसी घाट पर स्नान किया था। इस घाट पर लोग बड़ी संख्या में स्नान करते हैं। हर शाम को यहां आरती उतारी जाती है।
रंगजी मंदिर
इस मंदिर का निर्माण एक धनी सेठ परिवार ने १८५१ई. में करवाया था। यह भगवान श्री रंगनाथ को समर्पित है। इसमें भगवान विष्णु शेषनाग पर लेटे हुए हैं। पारंपरिक दक्षिण भारतीय गोपुरम शैली में है और चारों तरफ दीवारों से घिरा हुआ है।
द्वारकाधीश मंदिर
इस मंदिर का निर्माण १८१४ ई. में किया गया था। नगर के बीचोंबीच स्थित यह काफी लोकप्रिय मंदिर है। मथुरा में सबसे ज्यादा दर्शनीय मंदिर हैं जो यमुना नदी के पास स्थित हैं।
मंदिरों के अलावा फाल्गुन (फरवरी-मार्च) महीने में मनायी जानेवाली ब्रज (बरसाना, नंदग्राम. दौजी) की होली काफी प्रसिद्ध हौ
वैâसे पहुंचे: मथुरा दिल्ली से १४१ किमी दक्षिण-पूर्व में और आगरा से ४७ किमी उत्तर पश्चिम में स्थित है। मथुरा से दिल्ली और आगरा के लिए बस सेवा उपलब्ध है। मथुरा रेलवे स्टेशन भी है। आगरा, भरतपुर, सवाई माधोपुर और कोटा से मथुरा ट्रेन से भलीभांति जुड़ा हुआ है।
वृंदावन
वृंदावन मथुरा से १५ किमी दूर है। यमुना के किनारे स्थित यह तीर्थस्थल आध्यात्मिक पर्यटकों में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। इसकी लोकप्रियता का अंदाजा से इसी से लगाया जा सकता है कि यहां पर हर साल ५ लाख से ज्यादा पर्यटक पहुंचते हैं। नये और प्राचीन अनगिनत मंदिरों के लिए जाना जाता हैं। भगवान कृष्ण ने अपने बचपन के दिन यहीं पर बिताये। कहा जाता है कि मुगल सम्राट अकबर ने वृंदावन के आध्यात्मिक महत्व को स्वीकार किया था। यहां पर उसने पांच मंदिरों - गोविंद देव, मदन मोहन, गोपीनाथ और जुगल किशोर नामक मंदिरों के निर्माण की अनुमति दी थी। भारतीय जनमानस में वृंदावन के छाये होने की सबसे बड़ी वजह भगवान श्रीकृष्ण के बारें में यहां से जुड़ी विंâवदंतियां और पौराणिक कथायें हैं।
बांके बिहारी मंदिर:
बांके बिहारी की मूल रूप से निधिवन में पूजा होती थी। सन् १८६४ में मंदिर के निर्माण के बाद यहां प्रतिष्ठित कर दिया गया। खासकर सावन में झूला यात्रा के समय वृंदावन में यह सबसे लोकप्रिय मंदिर बन जाता है। साल में एक बार मंगल आरती होती है।
इस्कान मंदिर:
देश भर में 'हरे राम हरे कृष्ण' के अनुयायियों द्वारा निर्मित अनेक मंदिरों में से एक मंदिर यहां पर है। इसका मकसद भागवत गीता और भारत के अन्य वैदिक ग्रंथों के संदेशों के माध्यम से जनकल्याण करना है। हर साल अक्टूबर-नवंबर में इस्कॉन ब्रज मंडल परिक्रमा का आयोजन करता है। इसके अंतर्गत एक माह तक वृंदावन के १२ जंगलों से होकर गुजरना पड़ता है।
कृष्ण बलराम मंदिर : यह एक खूबसूरत मंदिर है। इसमें गौरा निताई, कृष्ण बलराम और राधा श्याम सुंदर की मूर्तियां हैं ।
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2 टिप्पणियां:
Gagar me Sagar Hai.
मथुरा तो हम भी घूम आए हैं..बेहतरीन जगह है. पुरानी यादें ताजा हो गईं.
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