उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी और कन्नौज लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी (सपा) की प्रत्याशी डिम्पल यादव आज शनिवार को आखिरकार निर्विरोध सांसद चुन ली गईं।
कन्नौज की जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे ने शनिवार को ठीक तीन बजे डिम्पल के निर्विरोध निर्वाचित होने की घोषणा की। जीत की घोषणा के साथ ही सपा में खुशी की लहर दौड़ गयी। डिम्पल के निर्विरोध निर्वाचित होने की आधिकारिक घोषणा होने के बाद सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने इसे जनता की जीत करार दिया। मुलायम ने कहा कि यह जनता की जीत है। डिम्पल ने इतिहास कायम किया है। अब पूरी लगन के साथ वह अपने क्षेत्र की सेवा करेंगी।
डिम्पल यादव के खिलाफ नामांकन पत्र दाखिल करने वाले मात्र दो उम्मीदवारों निर्दलीय संजू कटियार और संयुक्त समाजवादी दल के उम्मीदवार दशरथ शंखवार ने शुक्रवार को ही अपना नामांकन वापस ले लिया था। कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी जहां इस सीट से अपने उम्मीदवार नहीं उतारने का निर्णय लिया था जबकि भारतीय जनता पार्टी ने अंतिम समय में अपने उम्मीदवार जगदेव सिंह यादव के नाम की घोषणा की थी लेकिन समय सीमा समाप्त हो जाने की वजह से वह अपना नामांकन दाखिल नहीं कर पाए थे।
गौरतलब है कि वर्ष 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में डिम्पल फिरोजाबाद सीट से चुनाव लड़ी थीं लेकिन इस चुनाव में उन्हें बॉलीवुड अभिनेता और कांग्रेस के उम्मीदवार राज बब्बर से शिकस्त खानी पडी थी।
डिम्पल यादव ने बनाया रिकार्ड :
डिंपल यादव प्रदेश की पहली ऐसी महिला हैं जिनके खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए कोई तैयार नहीं हुआ। संयोग भी एक रिकार्ड के रूप में ही देखा जाएगा कि डिंपल जिस लोकसभा के लिए चुनाव हारीं, उसी में निर्विरोध जीतकर पहुंचेंगी। यह तथ्य भी विशिष्टता लिए हुए हैं कि वह ऐसी सांसद हैं जिनके पति मुख्यमंत्री हैं। लोकसभा में उनके साथ श्वसुर व देवर भी होंगे।
यूपी में साठ साल बाद आया यह मौका:-
टिहरी में जीते मानवेंद्र शाह को यदि उत्तराखंड में मान लिया जाए तो प्रदेश मे 60 साल बाद यह अवसर आया है जबकि लोकसभा का चुनाव कोई उम्मीदवार निर्विरोध जीता है। एक संयोग ही है कि इससे पहले 1952 में पीडी टंडन भी उप चुनाव में ही जीते थे। डिंपल की जीत भी उप चुनाव में ही हुई है। देश में उप चुनाव के दौरान निर्विरोध जीतने वाले लोगों की संख्या डिंपल को मिलाकर 9 है। 22 उम्मीदवार सामान्य चुनावों में जीते हैं।
दो दशक बाद कोई निर्विरोध:-
यह 31 वां अवसर है जबकि लोकसभा चुनाव में कोई उम्मीदवार निर्विरोध जीता है। इससे पहले 1989 नेशनल कांफ्रेस के मो. शफी बट श्रीनगर से निर्विरोध निर्वाचित हुए थे। लगभग दो दशक बाद देश में कोई निर्विरोध चुना गया है। आजादी के बाद 1951 में हुए देश के पहले चुनाव में पांच प्रत्याशी निर्विरोध चुने गए थे। इसके बाद 1952 में हुए उप चुनाव में इलाहाबाद पश्चिम में कांग्रेस के पुरुषोत्तम दास टंडन निर्विरोध जीते। 1962 में टिहरी गढ़वाल से वहां के राजा मानवेंद्र शाह ने जब चुनाव लड़ने का फैसला किया तो उनके मुकाबले कोई प्रत्याशी आगे नहीं आया। इस चुनाव में जनसंघ के रंगीलाल ने परचा भरा था लेकिन वापस ले लिया था। इससे पहले हुए चुनाव में बीकानेर के पूर्व महाराजा और निशानेबाज करणी सिंह भी निर्विरोध निर्वाचित हुए थे। 1962 में ही उड़ीसा में पूर्व मुख्यमंत्री हरेकृष्ण मेहताब को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया था।
डिम्पल यादव को यदुकुल की तरफ से हार्दिक बधाइयाँ !!
कन्नौज की जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे ने शनिवार को ठीक तीन बजे डिम्पल के निर्विरोध निर्वाचित होने की घोषणा की। जीत की घोषणा के साथ ही सपा में खुशी की लहर दौड़ गयी। डिम्पल के निर्विरोध निर्वाचित होने की आधिकारिक घोषणा होने के बाद सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने इसे जनता की जीत करार दिया। मुलायम ने कहा कि यह जनता की जीत है। डिम्पल ने इतिहास कायम किया है। अब पूरी लगन के साथ वह अपने क्षेत्र की सेवा करेंगी।
डिम्पल यादव के खिलाफ नामांकन पत्र दाखिल करने वाले मात्र दो उम्मीदवारों निर्दलीय संजू कटियार और संयुक्त समाजवादी दल के उम्मीदवार दशरथ शंखवार ने शुक्रवार को ही अपना नामांकन वापस ले लिया था। कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी जहां इस सीट से अपने उम्मीदवार नहीं उतारने का निर्णय लिया था जबकि भारतीय जनता पार्टी ने अंतिम समय में अपने उम्मीदवार जगदेव सिंह यादव के नाम की घोषणा की थी लेकिन समय सीमा समाप्त हो जाने की वजह से वह अपना नामांकन दाखिल नहीं कर पाए थे।
गौरतलब है कि वर्ष 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में डिम्पल फिरोजाबाद सीट से चुनाव लड़ी थीं लेकिन इस चुनाव में उन्हें बॉलीवुड अभिनेता और कांग्रेस के उम्मीदवार राज बब्बर से शिकस्त खानी पडी थी।
डिम्पल यादव ने बनाया रिकार्ड :
डिंपल यादव प्रदेश की पहली ऐसी महिला हैं जिनके खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए कोई तैयार नहीं हुआ। संयोग भी एक रिकार्ड के रूप में ही देखा जाएगा कि डिंपल जिस लोकसभा के लिए चुनाव हारीं, उसी में निर्विरोध जीतकर पहुंचेंगी। यह तथ्य भी विशिष्टता लिए हुए हैं कि वह ऐसी सांसद हैं जिनके पति मुख्यमंत्री हैं। लोकसभा में उनके साथ श्वसुर व देवर भी होंगे।
यूपी में साठ साल बाद आया यह मौका:-
टिहरी में जीते मानवेंद्र शाह को यदि उत्तराखंड में मान लिया जाए तो प्रदेश मे 60 साल बाद यह अवसर आया है जबकि लोकसभा का चुनाव कोई उम्मीदवार निर्विरोध जीता है। एक संयोग ही है कि इससे पहले 1952 में पीडी टंडन भी उप चुनाव में ही जीते थे। डिंपल की जीत भी उप चुनाव में ही हुई है। देश में उप चुनाव के दौरान निर्विरोध जीतने वाले लोगों की संख्या डिंपल को मिलाकर 9 है। 22 उम्मीदवार सामान्य चुनावों में जीते हैं।
दो दशक बाद कोई निर्विरोध:-
यह 31 वां अवसर है जबकि लोकसभा चुनाव में कोई उम्मीदवार निर्विरोध जीता है। इससे पहले 1989 नेशनल कांफ्रेस के मो. शफी बट श्रीनगर से निर्विरोध निर्वाचित हुए थे। लगभग दो दशक बाद देश में कोई निर्विरोध चुना गया है। आजादी के बाद 1951 में हुए देश के पहले चुनाव में पांच प्रत्याशी निर्विरोध चुने गए थे। इसके बाद 1952 में हुए उप चुनाव में इलाहाबाद पश्चिम में कांग्रेस के पुरुषोत्तम दास टंडन निर्विरोध जीते। 1962 में टिहरी गढ़वाल से वहां के राजा मानवेंद्र शाह ने जब चुनाव लड़ने का फैसला किया तो उनके मुकाबले कोई प्रत्याशी आगे नहीं आया। इस चुनाव में जनसंघ के रंगीलाल ने परचा भरा था लेकिन वापस ले लिया था। इससे पहले हुए चुनाव में बीकानेर के पूर्व महाराजा और निशानेबाज करणी सिंह भी निर्विरोध निर्वाचित हुए थे। 1962 में ही उड़ीसा में पूर्व मुख्यमंत्री हरेकृष्ण मेहताब को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया था।
डिम्पल यादव को यदुकुल की तरफ से हार्दिक बधाइयाँ !!
-राम शिव मूर्ति यादव : यदुकुल
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आनंद दायक खबर।
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