शनिवार, 22 सितंबर 2012

समकालीन हिंदी साहित्य की प्रसिद्ध लेखिका : डॉ. उषा यादव

हिंदी-साहित्य को समृद्ध करने में तमाम महिलाओं ने प्रमुख भूमिका निभाई हैं, उन्हीं में से एक नाम है- डॉ. उषा यादव का. डा. उषा यादव समकालीन हिंदी साहित्य की प्रसिद्ध लेखिका हैं। वे केन्द्रीय हिंदी संस्थान आगरा, डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, भाषा विज्ञान विद्यापीठ में भी प्राध्यापन कार्य कर चुकी हैं। वे साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था 'इन्द्रधनुष' की अध्यक्ष एवं 'प्राच्य शोध संस्थान' की सचिव भी हैं। उन्हें उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान लखनऊ से बाल साहित्य का सर्वोच्च सम्मान 'बालसाहित्य भारती' तथा विश्वविद्यालय स्तरीय सम्मान भी प्राप्त हुआ। मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी ने उनके उपन्यास काहे री नलिनी को 'अखिल भारतीय वीरसिंह देव' पुरस्कार प्रदान किया।
 डॉ. उषा यादव वरिष्ठ बाल-साहित्यकार कानपुर निवासी चन्द्रपाल सिंह यादव मयंक की सुपुत्री एवं केआर महाविद्यालय मथुरा के पूर्व प्राचार्य तथा उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा आयोग के सदस्य डॉ. राजकिशोर सिंह की धर्मपत्नी हैं। उनकी प्रमुख रचनाएं हैं- टुकड़े टुकड़े सुख, सपनों का इन्द्रधनुष, जाने कितने कैक्टस, चुनी हुई कहानियां, सुनो जयंती, चांदी की हंसली (सभी कहानी-संग्रह), प्रकाश की ओर, एक ओर अहल्या, धूप का टुकड़ा, आंखों का आकाश, कितने नीलकंठ, कथान्तर, अमावस की रात, काहे री नलिनी (सभी उपन्यास), सपने सच हुए, हिंदी साहित्य के इतिहास की कहानी, राजा मुन्ना, अनोखा उपहार, कांटा निकल गया, लाख टके की बात, जन्म दिन का उपहार, दूसरी तस्वीर, दोस्ती का हाथ, मेवे की खीर, खुशबू का रहस्य, पारस पत्थर, नन्हा दधीचि, लाखों में एक, राधा का सपना, भारी बस्ता, तस्वीर के रंग व सांगर मंथन (सभी बाल-साहित्य).सूचना व प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा डा. उषा यादव को भारतेन्द्रु हरिश्चंद्र पुरस्कार प्रदान भी किया गया था। उनका बाल उपन्यास पारस पत्थर चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट से पुरस्कृत हुआ है। उनकी तर्पण कहानी का अंग्रेजी, सपनों का इन्द्रधनुष का उड़िया, मरीचिका कहानी का तेलगू, सुनो कहानी नानक बानी का पंजाबी भाषा में अनुवाद हुआ है। यही नहीं, राजस्थान शिक्षा परिषद की कक्षा 6 की पाठ्य पुस्तक में उनकी कहानी दीप से दीप जले पढ़ाई जाती है तो महाराष्ट्र हायर सैकेंड्री बोर्ड की नवीं कक्षा 9 के पाठ्यक्रम में ऊंचे लोग कहानी संकलित हैं.
 

गुरुवार, 20 सितंबर 2012

टाटा मोटर्स से जुड़े रंजीत यादव



टाटा मोटर्स ने रंजीत यादव को कंपनी की यात्री कार कारोबार इकाई (पीसीबीयू) का अध्यक्ष नियुक्त किया है। इससे पहले रंजीत सैमसंग इंडिया के भारत प्रमुख (मोबाइल एवं आइटी) का पदभार संभाल रहे थे। इसके अलावा टाटा मोटर्स ने फॉक्सवैगन के पूर्व निदेशक (बिक्री एवं विपणन) नीरज गर्ग को पीसीबीयू का उपाध्यक्ष (कमर्शियल) नियुक्त किया है। टाटा मोटर्स के प्रबंध निदेशक कार्ल स्लिम ने कहा कि उपभोक्ता केंद्रित कारोबार में रंजीत यादव को खासा अनुभव हासिल है। उनके अनुभव से हमें यात्री वाहन कारोबार के विकास में मदद मिलेगी।

शनिवार, 15 सितंबर 2012

राम शिव मूर्ति यादव को 'साहित्य-मंडल', श्रीनाथद्वारा द्वारा 'हिंदी भाषा-भूषण' की मानद उपाधि

देश-विदेश में प्रतिष्ठित साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक संस्था 'साहित्य-मंडल', श्रीनाथद्वारा ( राजस्थान) ने प्रखर लेखक श्री राम शिव मूर्ति यादव को उनकी हिंदी सेवा के लिए हिंदी दिवस (14 सितम्बर, 2012 ) पर आयोजित दो दिवसीय सम्मलेन में "हिंदी भाषा-भूषण" की मानद उपाधि से अलंकृत किया | हिंदी के विकास को समर्पित इस सम्मलेन में देश-विदेश के तमाम साहित्यकारों और लेखकों ने भाग लिया | गौरतलब है कि 'साहित्य-मंडल', श्रीनाथद्वारा की स्थापना आजादी से पूर्व वर्ष 1937 में हुई थी और तभी से यह प्रतिष्ठित संस्था हिंदी को समृद्ध करने और हिंदी-सेवियों को उनके योगदान के आधार पर सम्मानित कर अपनी गौरव-गाथा में वृद्धि कर रही है. इस वर्ष श्री राम शिव मूर्ति यादव को उनकी विशिष्ट हिंदी सेवा के लिए साहित्य-मण्डल, श्रीनाथद्वारा के अध्यक्ष श्री नरहरि ठाकर एवं हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग व साहित्य-मण्डल, श्रीनाथद्वारा के सभापति श्री भगवती प्रसाद देवपुरा ने सारस्वत सम्मान करते हुए उपाधि-पत्र, भगवान श्रीनाथ जी की भव्य स्वर्ण जल से हस्तनिर्मित सुशोभित चित्र एवं अन्य मानद वस्तुएं भेंट किया। इस अवसर पर आयोजित सम्मलेन में विचार गोष्ठी,सम्मान समारोह व साहित्यकारों द्वारा बैंड बाजों के साथ नगर भ्रमण द्वारा हिंदी का प्रचार -प्रसार व जागरूकता का आयोजन भी किया गया |


उत्तर प्रदेश सरकार में स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी पद से सेवानिवृत्ति पश्चात तहबरपुर-आजमगढ़ जनपद निवासी श्री राम शिव मूर्ति यादव जी एक लम्बे समय से तमाम प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में सामाजिक विषयों पर प्रखरता से लेखन कर रहे हैं। श्री यादव की ‘सामाजिक व्यवस्था एवं आरक्षण‘ नाम से एक पुस्तक भी प्रकाशित हो चुकी है। आपके तमाम लेख विभिन्न स्तरीय संकलनों में भी प्रकाशित हैं। इसके अलावा आपके लेख इंटरनेट पर भी तमाम चर्चित वेब/ई/ऑनलाइन पत्र-पत्रिकाओं और ब्लाग्स पर पढ़े-देखे जा सकते हैं। यदुवंशियों पर आधारित प्रथम हिंदी ब्लॉग ”यदुकुल” (http://www.yadukul.blogspot.in/) का भी आप द्वारा 10 नवम्बर 2008 से सतत संचालन किया जा रहा है। दुनिया भर के लगभग 65 देशों में पढ़े जाने वाले इस ब्लॉग को 293 से ज्यादा लोग नियमित रूप से अनुसरण करते हैं, वहीँ इस ब्लॉग पर अब तक 315 से ज्यादा पोस्ट प्रकाशित हो चुकी हैं। इस ब्लॉग की लोकप्रियता का अंदाजा इसे से लगाया जा सकता है कि आज इस ब्लॉग को करीब 65,000 से ज्यादा लोग पढ़ चुके हैं।


इससे पूर्व श्री राम शिव मूर्ति यादव जी को भारतीय दलित साहित्य अकादमी, नई दिल्ली द्वारा सामाजिक न्याय सम्बन्धी लेखन एवं समाज सेवा के लिए 'ज्योतिबाफुले फेलोशिप सम्मान' (2007), 'डा. अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान' (2011), अम्बेडकरवादी साहित्य को प्रोत्साहित करने एवं तत्संबंधी लेखन हेतु रिपब्लिकन पार्टी के अध्यक्ष श्री रामदास आठवले द्वारा ‘अम्बेडकर रत्न अवार्ड 2011', राष्ट्रीय राजभाषा पीठ, इलाहाबाद द्वारा विशिष्ट कृतित्व एवं समृद्ध साहित्य-साधना हेतु ‘भारती ज्योति’ सम्मान, आसरा समिति, मथुरा द्वारा ‘बृज गौरव‘, म.प्र. की प्रतिष्ठित संस्था ‘समग्रता‘ शिक्षा साहित्य एवं कला परिषद, कटनी द्वारा 'भारत-भूषण' (2010) की मानद उपाधि से अलंकृत किया जा चूका है।
 
-प्रस्तुति : श्री गोवर्धन यादव, संयोजक-राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, छिंदवाडा, मध्य प्रदेश.

शाबास आरती यादव..!!

कहते हैं नारी बड़ी सौम्य और धैर्यवान होती है, पर जब नारी की अस्मिता से खिलवाड़ होता है तो उसे रणचंडी बनने में देर नहीं लगती. ऐसा ही एक वाकया हुआ प्रयाग की धरा पर, जहाँ छेड़छाड़ से आजिज एक छात्रा आरती यादव ने 14 सितम्बर, 2012 को दुर्गा का रूप धारण कर शोहदे को सबक सिखा दिया। वस्तुत: इलाहाबाद विश्वविद्यालय की छात्रा आरती यादव को कटरा का रहने वाला विवेक रोज परेशान करता था। विश्वविद्यालय और घर जाने के दौरान वह छेड़छाड़ करता था। घटना के दिन आरती यादव को कचहरी के पास विवेक ने आगे बाइक लगाकर रोक लिया। पानी सिर से ऊपर होने पर आरती ज्वाला बन गई। उसने चप्पल उतार विवेक को पीटना शुरू कर दिया। सड़क से ईंट उठाकर उसे मारा। आरती का रौद्ररूप देख विवेक के होश उड़ गए। वह बाइक छोड़ भाग खड़ा हुआ। घटना से हंगामा मच गया और भारी भीड़ जमा हो गई। भीड़ के बीच आरती ने हिम्मत दिखाते हुए विवेक की बाइक को ईंट से कूंचा, फिर पेट्रोल छिड़कर उसमें आग लगा दी। भरे बाजार लड़की के बाइक फूंकने से हंगामा मच गया। लोगों ने आरती को रोकने की कोशिश लेकिन वह भिड़ी रही। अंतत: पुलिस ने पहुंच कर मामला संभाला।


सुल्तानपुर की रहने वाली आरती यादव इलाहबाद शहर के बेली इलाके में रहकर इविवि से बीए तृतीय वर्ष की पढ़ाई कर रही है। पुराना कटरा का रहने वाला विवेक सिंह उर्फ जोंटी आरती को रोज परेशान करता था। कालेज या फिर घर जाने के दौरान विवेक आरती के पीछे लग जाता। कभी उससे मोबाइल नंबर मांगता तो कभी लेटर देने की कोशिश करता। आरती खामोश रहकर काफी दिन सहती रही। घटना के दिन आरती विक्रम से कालेज के लिए निकली। कचहरी स्टैंड पर वह उतरी तो विवेक बाइक लेकर आ गया। वह आरती के पीछे लग गया। कचहरी से नेतराम जाने वाली सड़क पर उसने आगे बाइक लगाकर आरती को रोक लिया। इसके बाद तो आरती आपे से बाहर हो गई। वह चीखते हुए विवेक से भिड़ गई। चप्पल उतार उसने पीटने लगी। विवेक बाइक छोड़कर भागा तो आरती ईंट उठाकर उसके पीछे दौड़ी। विवेक पर ईंट फेंकने के बाद उसने बाइक में तोड़फोड़ की। बाइक को जमीन पर गिराने के बाद आरती ने पेट्रोल का पाइप खींच दिया। तेल गिरने लगा तो आरती ने उसने आग लगा दी। बाजार के बीच बवाल देख लोग दंग रह गए। कई लोगों ने आरती को हटाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं मानी। मामले की खबर पाकर पुलिस पहुंच गई और आरती की तहरीर पर कर्नलगंज थाने में विवेक के खिलाफ छेड़छाड़ और मारपीट की कोशिश का मामला दर्ज किया.

इस घटना ने एक बार पुन: सिद्ध कर दिया है कि नारी कमजोर नहीं बल्कि सहनशील मात्र होती है, जिसका कि सम्मान किया जाना चाहिए. इस घटना के बाद आजकल इलाहबाद में सर्वत्र चर्चा है और लोगों की जुबान पर है- शाबास आरती !!

- राम शिव मूर्ति यादव : यदुकुल

शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

कृष्ण कुमार यादव को मिला साहित्य-मण्डल, श्रीनाथद्वारा द्वारा 11,000 रुपये की राशि का ’’श्रीमती सरस्वती सिंहजी सम्मान-2012’’

युवा साहित्यकार व ब्लागर एवं सम्प्रति इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं कृष्ण कुमार यादव को राजस्थान की प्रसिद्ध साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं शैक्षिणक संस्था साहित्य-मण्डल, श्रीनाथद्वारा द्वारा हिन्दी दिवस (14 सितम्बर) पर विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता और प्रशासन के साथ-साथ सतत् साहित्य सृजनशीलता हेतु ’’श्रीमती सरस्वती सिंहजी सम्मान-2012’’ से सम्मानित किया गया। वैदिक क्रांति परिषद परिवार, देहरादून द्वारा साहित्यानुरागी, निस्पृह समाजसेवी, आर्यनेत्री एवं वैदिक क्रांति परिषद की संस्थापक स्वर्गीया श्रीमती सरस्वती सिंह की पावन स्मृति में प्रतिवर्ष दिये जाने वाले इस प्रतिष्ठित सम्मान के तहत श्री यादव को 11,000/- रुपये की नकद राशि, प्रशस्ति पत्र, शाल व अन्य मानद वस्तुएं प्रदान कर सम्मानित किया गया। इसी मंच पर साहित्य-मण्डल, श्रीनाथद्वारा के अध्यक्ष श्री नरहरि ठाकर एवं हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग व साहित्य-मण्डल, श्रीनाथद्वारा के सभापति श्री भगवती प्रसाद देवपुरा ने कृष्ण कुमार यादव को उच्च पदस्थ अधिकारी, सहृदय कवि एवं श्रेष्ठ रचनाकार के रूप में सारस्वत सम्मान करते हुए भगवान श्रीनाथ का सुशोभित चित्र एवं अभिनन्दन पत्र भी भेंट किया। इस अवसर पर श्री यादव के साथ-साथ वरिष्ठ साहित्यकार प्रो0 सूर्य प्रसाद दीक्षित (लखनऊ), सुप्रसिद्ध हास्य-व्यंग्य लेखक प्रेम जनमेजय (नई दिल्ली), वरिष्ठ साहित्यकार आचार्य डा0 राम गोपाल शर्मा (नोयडा), भारतेन्द्रु परिवार के प्रपौत्र व भूगर्भ शास्त्र अध्येयता प्रो0 गिरीश चन्द्र चैधरी (वाराणसी) को भी सम्मानित किया गया। यह जानकारी साहित्य-मंडल, श्रीनाथद्वारा के श्री श्याम देवपुरा ने दी। गौरतलब है कि श्री यादव को हाल ही में विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर, बिहार द्वारा डाक्टरेट (विद्यावाचस्पति) की मानद उपाधि एवं परिकल्पना समूह द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ’’दशक के श्रेष्ठ दंपत्ति ब्लागर’’ के रूप में सम्मानित किया गया है।

सरकारी सेवा में उच्च पदस्थ अधिकारी होने के साथ-साथ साहित्य, लेखन और ब्लागिंग के क्षेत्र में भी चर्चित नाम श्री कृष्ण कुमार यादव की रचनाधर्मिता को देश की प्रायः अधिकतर प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में देखा-पढ.ा जा सकता हैं। विभिन्न विधाओं में अनवरत प्रकाशित होने वाले श्री यादव की अब तक कुल 6 पुस्तकें-'अभिलाषा' (काव्य-संग्रह, 2005) 'अभिव्यक्तियों के बहाने' व 'अनुभूतियाँ और विमर्श' (निबंध-संग्रह, 2006 व 2007), 'इण्डिया पोस्ट : 150 ग्लोरियस ईअर्स' (2006), 'क्रांति-यज्ञ : 1857-1947 की गाथा' (2007) एवं 'जंगल में क्रिकेट' (बाल गीत संग्रह, 2012 ) प्रकाशित हो चुकी हैं। व्यक्तिश: 'शब्द-सृजन की ओर' और 'डाकिया डाक लाया' एवं युगल रूप में सप्तरंगी प्रेम, उत्सव के रंग और बाल-दुनिया ब्लॉग का सञ्चालन करने वाले श्री यादव के व्यक्तित्व-कृतित्व पर एक पुस्तक ‘‘बढ़ते चरण शिखर की ओर: कृष्ण कुमार यादव‘‘ (सं0 डा0 दुर्गाचरण मिश्र, 2009) भी प्रकाशित हो चुकी है। पचास से अधिक प्रतिष्ठित पुस्तकों/संकलनों में विभिन्न विधाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं व ‘सरस्वती सुमन‘ (देहरादून) पत्रिका के लघु-कथा विशेषांक (जुलाई-सितम्बर, 2011) का संपादन भी आपने किया है। आकाशवाणी लखनऊ, कानपुर व पोर्टब्लेयर और दूरदर्शन से आपकी कविताएँ, वार्ता, साक्षात्कार इत्यादि का प्रसारण हो चुका हैं।

इससे पूर्व श्री कृष्ण कुमार यादव को भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा ‘’महात्मा ज्योतिबा फुले फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान‘‘ व ‘’डा0 अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान‘‘, साहित्य मंडल, श्रीनाथद्वारा, राजस्थान द्वारा ”हिंदी भाषा भूषण”, भारतीय बाल कल्याण संस्थान द्वारा ‘‘प्यारे मोहन स्मृति सम्मान‘‘, ग्वालियर साहित्य एवं कला परिषद द्वारा ”काव्य शिरोमणि” एवं ”महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला‘ सम्मान”, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद द्वारा ‘‘भारती रत्न‘‘, अखिल भारतीय साहित्यकार अभिनन्दन समिति मथुरा द्वारा ‘‘कविवर मैथिलीशरण गुप्त सम्मान‘‘, ‘‘महाकवि शेक्सपियर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान‘‘, मेधाश्रम संस्था, कानपुर द्वारा ‘‘सरस्वती पुत्र‘‘, सहित विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं द्वारा 50 से ज्यादा सम्मान और मानद उपाधियाँ प्राप्त हो चुकी हैं।


-रत्नेश कुमार मौर्या
संयोजक - ’शब्द साहित्य’

गुरुवार, 6 सितंबर 2012

प्रगतिशील चेतना के प्रखर कवि : रमाशंकर यादव 'विद्रोही'

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में जन्मे रमाशंकर यादव 'विद्रोही' प्रगतिशील चेतना के प्रखर कवि रूप में जाने जाते हैं. उनकी रचनाधर्मिता में उनका नाम ‘विद्रोही’ के नाम से विख्यात है। दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रों के बीच उनकी कविताएँ ख़ासी लोकप्रिय रही हैं। वाम आंदोलन से जुड़ने की ख़्वाहिश और जेएनयू के अंदर के लोकतांत्रिक माहौल ने उन्हें इतना आकृष्ट किया कि वे इसी परिसर के होकर रह गए। उन्होंने इस परिसर में जीवन के 30 से भी अधिक वसंत गुज़ारे हैं। शरीर से कमज़ोर लेकिन मन से सचेत और मज़बूत इस कवि ने अपनी कविताओं को कभी कागज़ पर नहीं उतारा। उनकी कविताओं में कई तो अंधेरे में और राम की शक्ति पूजा की तरह की लंबी कविताएँ हैं। उन्हें अपनी सारी कविताएँ याद है और वे बराबर मौखिक रूप से अपनी कविताओं को छात्रों के बीच सुनाते रहे हैं। ख़ुद को नाज़िम हिकमत, पाब्लो नेरूदा, और कबीर की परंपरा से जोड़ने वाला यह कवि जेएनयू से बाहर की दुनिया के लिए अलक्षित सा रहा है।

अपनी कविता की धुन में छात्र जीवन के बाद भी उन्होंने जेएनयू कैंपस को ही अपना बसेरा माना। वे कहते हैं, "जेएनयू मेरी कर्मस्थली है. मैंने यहाँ के हॉस्टलों में, पहाड़ियों और जंगलों में अपने दिन गुज़ारे हैं।" वे बिना किसी आय के स्रोत के छात्रों के सहयोग से किसी तरह कैंपस के अंदर जीवन बसर करते रहे हैं। अगस्त 2010 में जेएनयू प्रशासन ने अभद्र और आपत्तिजनक भाषा के प्रयोग के आरोप में तीन वर्ष के लिए परिसर में उनके प्रवेश पर पाबंदी लगा दी थी। जेएनयू के छात्र समूह ने प्रशासन के इस रवैए का पुरज़ोर विरोध किया। तीन दशकों से घर समझने वाले जेएनयू परिसर से बेदखली उनके लिए मर्मांतक पीड़ा से कम नहीं थी।

नितिन पमनानी ने विद्रोही जी के जीवन संघर्ष पर आधारित एक वृत्त वृत्तचित्र आई एम योर पोएट (मैं तुम्हारा कवि हूँ) हिंदी और भोजपुरी में बनाया है। मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में इस वृत्तचित्र ने अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धा श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र का गोल्डन कौंच पुरस्कार जीता।

उनकी कविताओं में वाम रुझान और प्रगतिशील चेतना साफ़ झलकती है।वाचिक परंपरा के कवि होने की वजह से उनकी कविता में मुक्त छंद और लय का अनोखा मेल दिखता है।उनके पास क़रीब तीन-चार सौ कविताएँ हैं जिनमें से कुछ पत्रिकाओं में छपी है। उन्होंने ज्यादातर दिल्ली और बाहर के विश्वविद्यालयों में घूम-घूम कर ही अपनी कविताएँ सुनाई हैं। उनकी कुछ प्रतिनिधि कविताएँ इस प्रकार हैं-

नई खेती

मैं किसान हूँ

आसमान में धान बो रहा हूँ

कुछ लोग कह रहे हैं

कि पगले! आसमान में धान नहीं जमा करता

मैं कहता हूँ पगले!

अगर ज़मीन पर भगवान जम सकता है

तो आसमान में धान भी जम सकता है

और अब तो दोनों में से कोई एक होकर रहेगा

या तो ज़मीन से भगवान उखड़ेगा

या आसमान में धान जमेगा।

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औरतें…

इतिहास में वह पहली औरत कौन थी जिसे सबसे पहले जलाया गया?

मैं नहीं जानता

लेकिन जो भी रही हो मेरी माँ रही होगी,

मेरी चिंता यह है कि भविष्य में वह आखिरी स्त्री कौन होगी

जिसे सबसे अंत में जलाया जाएगा?

मैं नहीं जानता

लेकिन जो भी होगी मेरी बेटी होगी

और यह मैं नहीं होने दूँगा।

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मोहनजोदड़ो...

और ये इंसान की बिखरी हुई हड्डियाँ

रोमन के गुलामों की भी हो सकती हैं और

बंगाल के जुलाहों की भी या फिर

वियतनामी, फ़िलिस्तीनी बच्चों की

साम्राज्य आख़िर साम्राज्य होता है

चाहे रोमन साम्राज्य हो, ब्रिटिश साम्राज्य हो

या अत्याधुनिक अमरीकी साम्राज्य

जिसका यही काम होता है कि

पहाड़ों पर पठारों पर नदी किनारे

सागर तीरे इंसानों की हड्डियाँ बिखेरना

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जन-गण-मन

मैं भी मरूंगा

और भारत के भाग्य विधाता भी मरेंगे

लेकिन मैं चाहता हूं

कि पहले जन-गण-मन अधिनायक मरें

फिर भारत भाग्य विधाता मरें

फिर साधू के काका मरें

यानी सारे बड़े-बड़े लोग पहले मर लें

फिर मैं मरूं- आराम से

उधर चल कर वसंत ऋतु में

जब दानों में दूध और आमों में बौर आ जाता है

या फिर तब जब महुवा चूने लगता है

या फिर तब जब वनबेला फूलती है

नदी किनारे मेरी चिता दहक कर महके

और मित्र सब करें दिल्लगी

कि ये विद्रोही भी क्या तगड़ा कवि था

कि सारे बड़े-बड़े लोगों को मारकर तब मरा॥


शिवकुमार यादव राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित

शैक्षिक क्षेत्र में की गई विशिष्ट सेवाओं पर डीएवी इंटर कालेज,मुजफ्फरनगर के प्रधानाचार्य शिवकुमार यादव को राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से नवाजा है। उन्हें यह पुरस्कार शिक्षक दिवस के मौके पर नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में दिया गया।

हाल ही में डीएवी इंटर कालेज, मुजफ्फरनगर के प्रधानाचार्य शिवकुमार यादव को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2011 प्रदान करने की घोषणा की गई थी। बुधवार को शिक्षक दिवस के मौके पर नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में देश के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने शिवकुमार यादव को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया। शिवकुमार यादव को पुरस्कार स्वरूप एक मेडल, प्रशस्ति पत्र व 25 हजार रुपए का चेक भी प्रदान किया गया।