अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वैचारिक क्रांति के सेनापति स्व. चंद्रजीत यादव की छठवीं पुण्यतिथि पर स्मृति सभा का आयोजन किया गया। इसमें उनके चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित किया गया।
पूर्व उप कुलपति और राष्ट्रीय सामाजिक न्याय आंदोलन के अध्यक्ष प्रो. पीसी पतंजलि ने कहा कि समाज के अंतिम आदमी के जीवन के उत्थान के लिए लड़ाई जारी रखनी चाहिए। कमजोर वर्गो को उनका संवैधानिक एवं मौलिक अधिकार देना चाहिए। समाजवादी लोकतंत्र में प्रत्येक वर्ग के हर क्षेत्र में आनुपातिक हिस्सेदारी होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि स्व. यादव का सिद्धांत व्यवहारिक था इसीलिए उनके सिद्धातों की अनदेखी कर उनकी मांगों को न मानने पर स्व. यादव से विभिन्न मोर्चो पर नेताओं और दलों से टकराव होता रहता था। उन्होंने कहा कि चन्द्रजीत यादव ने पूरी दुनियां से विभिन्न प्रकार की विषमताओं और भेदभाव को समाप्त कर समता पर आधारित सामाजिक व्यवस्था की स्थापना करना चाहते थे। प्रो. पंतजलि ने कहा कि चन्द्रजीत यादव की स्मृति सभा में दलीय सीमाएं टूट जाती है।
पूर्व उपकुलपति प्रो. एसएस कुशवाहा ने चन्द्रजीत यादव को एक महान सशक्त नेता बताया। उन्होंने पंचमढ़ी में कांग्रेस पार्टी के महाधिवेशन में संबोधित करते हुए खासतौर पर राजीव गांधी से कहा था कि सामाजिक, आर्थिक, समता हर नागरिक का जन्मसिद्ध अधिकार है। उसे आप अवश्य दें दे। उन्होंने कहा कि स्व. यादव पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों के असली और सच्चे प्रतिनिधि थे। चन्द्रजीत यादव इतने सशक्त थे कि यदि वे न होते तो शंकर दयाल शर्मा पूर्व राष्ट्रपति न हुए होते।
पंचायती राज मंत्री बलराम यादव ने कहा कि स्व. यादव के साथ राजनीतिक रूप से बहुत कम रहे किन्तु उनके विचारों से प्रभावित रहते थे। उन्होंने चन्द्रजीत यादव की प्रतिमा लगाने संबंधी प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि वे शासन में बात कर उनकी प्रतिमा लगाने का प्रयास करेंगे।
कार्यक्रम को राजेश्वर यादव एडवोकेट, पूर्व सांसद बलिहारी बाबू, सांसद रमाकांत यादव, परिवहन मंत्री दुर्गा प्रसाद यादव, विधायक संग्राम यादव, आलमबदी आजमी, सपा जिलाध्यक्ष हवलदार यादव, दलसिंगार यादव, डा. ज्ञानप्रकाश दुबे, प्रभाकर सिंह, बनवारी लाल जालान, मंतराज यादव, प्रो. नरेन्द्र यादव, नेसार अहमद, जीत बहादुर यादव, रामकृष्ण यादव, जयप्रकाश नारायण, मुन्नू यादव, रामअचल यादव, सेराज अहमद, सुभाष राय, अरविन्द जायवाल, पंकज गौतम आदि ने संबोधित किया। इस दौरान चन्द्रजीत यादव की पत्नी श्रीमती आशा यादव भी उपस्थित रहीं।
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आजमगढ़: पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सामाजिक न्याय आंदोलन के प्रणेता रहे स्व. चंद्रजीत यादव की जयंती पर रविवार को हरवंशपुर स्थित सामाजिक न्याय एवं बाल भवन केंद्र के सभागार में गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें स्व. श्री यादव के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर चर्चा की गयी। वक्ताओं ने कहा कि चंद्रजीत का व्यक्तित्व सदैव स्मरणीय रहेगा। वह आजीवन किसान, गरीब, बुनकर के उत्थान की बात करते थे। उनकी आवाज को संसद तक पहुंचाते थे। वक्ताओं ने कहा कि देश ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय मामलों में उनकी भूमिका की सराहना की जाती थी। लोग उन्हें लोहा मानते थे। राजशाही व्यवस्था समाप्त करने एवं आम आदमी के लिए बैंकों का दरवाजा खुलवाने में उनकी अहम भूमिका थी। वक्ताओं ने कहा कि जनपद के सुनियोजित विकास के लिए वर्ष 1973 में जो सम्मेलन आयोजित किया गया था उस सम्मेलन में जिले के विकास की मजबूत बुनियाद रखी गयी थी। बड़े-बड़े कार्य हुए । कालांतर में दूसरों ने उस काम को आगे नहीं बढ़ाया। जो कुछ हुआ उस पर भी ग्रहण लगता जा रहा है। इस दौरान बलिहारी बाबू, करुणाकांत मिश्र, बनवारी लाल जालान, वैभव वर्मा, डॉ. रवि सिंह, रमेश यादव, रामजीत यादव, गौरीशंकर, रवींद्र प्रधान आदि उपस्थित थे।
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आजमगढ़: इंका के वरिष्ठ नेता रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री चंद्रजीत यादव का सपना साकार हो रहा है। समतामूलक समाज की स्थापना के उद्देश्य से उनके द्वारा हरबंशपुर में स्थापित किये गये सामाजिक न्याय एवं बाल भवन केंद्र में समाज के सभी वर्गो के बच्चे शिक्षा के साथ-साथ कंप्यूटर की तकनीकी जानकारी हासिल कर रहे हैं। केंद्र के निदेशक रामजनम यादव ने कहा कि सत्य, अहिंसा, देशभक्ति एवं मानवीय मूल्यों के प्रति समर्पित इस केंद्र में बच्चों को महापुरुषों के बारे में भी बताया जाता है। केंद्र के अंदर एक संग्रहालय स्थापित किया गया है। इसमें मंडल आयोग के संघर्षो की मुख्य विशेषताएं, उनसे संबंधित छाया चित्र, सामाजिक न्याय आंदोलन के प्रमुख नेताओं व महापुरुषों के चित्र भी लगाये गये हैं। उद्देश्य आने वाले पीढ़ी को इनके बारे में बताना है। गरीब, पिछड़े, दलित व अल्पसंख्यक वर्ग के बच्चों को कंप्यूटर की तकनीकी जानकारी देने के लिए विशेषज्ञों को विशेष रूप से रखा गया है। इसके अलावा स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित पुस्तकें, सामान्य ज्ञान, साहित्य एवं भौगोलिक जानकारी के लिए भी बच्चों को पुस्तकें उपलब्ध करायी गयी हैं।