उसे देखकर शेन वार्न का धोखा हो जाता है। दोनों का बॉलिंग एक्शन एक ही जैसा है। बस वार्न दाएं हाथ से लेग स्पिन करते हैं और कुलदीप यादव बाएं हाथ से चाइनामैन। वार्न उसके गुरु रहे हैं। अठारह साल के कुलदीप यादव की बॉलिंग के चर्चे क्रिकेट की दुनिया में होने लगे हैं।
शारजाह में चल रहे अंडर-19 एशिया कप में भी वे खेल रहे हैं। अभी तक युवाओं के 18 वनडे इंटरनेशनल मैचों में उसने 34 विकेट लिए हैं। श्रीलंका अंडर-19 के खिलाफ दो टेस्ट मैचों में 14 विकेट और घरेलू क्रिकेट के इस सीजन में उत्तर प्रदेश की युवा टीम से खेलते हुए 6 मैचों में 53 विकेट।
हाल की आईपीएल नीलामी में कोलकाता नाइटराइडर्स ने उसकी बोली 40 लाख रुपए लगाई। पिछले सीजन में मुंबई इंडियंस ने रिजर्व खिलाडिय़ों में रखा था। लेकिन नेट प्रैक्टिस में उसकी गेंदों के सामने सचिन तेंदुलकर भी चकरा गए थे।
1960 में हैदराबाद से खेलने वाले मुमताज हुसैन देश के पहले चाइनामैन गेंदबाज थे। लेकिन वे केवल फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेले और दो साल बाद वे परंपरागत तरीके से बॉलिंग करने लगे। उसके बाद से कुलदीप पहले चाइनामैन हैं। हाल के सालों में दक्षिण अफ्रीका का पॉल एडम, ऑस्ट्रेलिया के ब्रैड हॉग और साइमन कैटिच ही चाइनामैन बॉलर्स हुए हैं। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया के माइकल बीवन और वेस्ट इंडीज़ के गैरी सोबर्स भी चाइनामैन बॉलिंग ही करते थे।
क्या है चाइनामैन
जिस एक्शन से दाएं हाथ के गेंदबाज लेगस्पिन करते हैं उसी एक्शन से अगर बाएं हाथ का बॉलर करता है तो उसे चाइनामैन कहते हैं। इस तरह के पहले बॉलर वेस्ट इंडीज के एलिस एचांग थे जो दरअसल चीनी मूल के थे। इसीलिए इस बॉल को चाइनामैन डिलीवरी कहा गया।
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अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में ‘चाइनामैन’ गेंदबाज यदा कदा ही नजर आते हैं तो ऐसे में भारतीय स्पिन गेंदबाजी की नयी सनसनी कानपुर के कुलदीप यादव ने इस अनूठी कला से पूरी दुनिया का ध्यान बरबस अपनी तरफ खींच लिया है। क्रिकेट में आफ स्पिनर, लेग स्पिनर और लेफट आर्म स्पिनर तो तमाम देशों में खेलते नजर आते हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यदि इतिहास में नजर डाली जाये तो मुश्किल से आठ दस चाइनामैन गेंदबाज ही याद आ पायेंगे।
शारजाह में चल रहे अंडर-19 एशिया कप में भी वे खेल रहे हैं। अभी तक युवाओं के 18 वनडे इंटरनेशनल मैचों में उसने 34 विकेट लिए हैं। श्रीलंका अंडर-19 के खिलाफ दो टेस्ट मैचों में 14 विकेट और घरेलू क्रिकेट के इस सीजन में उत्तर प्रदेश की युवा टीम से खेलते हुए 6 मैचों में 53 विकेट।
हाल की आईपीएल नीलामी में कोलकाता नाइटराइडर्स ने उसकी बोली 40 लाख रुपए लगाई। पिछले सीजन में मुंबई इंडियंस ने रिजर्व खिलाडिय़ों में रखा था। लेकिन नेट प्रैक्टिस में उसकी गेंदों के सामने सचिन तेंदुलकर भी चकरा गए थे।
1960 में हैदराबाद से खेलने वाले मुमताज हुसैन देश के पहले चाइनामैन गेंदबाज थे। लेकिन वे केवल फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेले और दो साल बाद वे परंपरागत तरीके से बॉलिंग करने लगे। उसके बाद से कुलदीप पहले चाइनामैन हैं। हाल के सालों में दक्षिण अफ्रीका का पॉल एडम, ऑस्ट्रेलिया के ब्रैड हॉग और साइमन कैटिच ही चाइनामैन बॉलर्स हुए हैं। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया के माइकल बीवन और वेस्ट इंडीज़ के गैरी सोबर्स भी चाइनामैन बॉलिंग ही करते थे।
क्या है चाइनामैन
जिस एक्शन से दाएं हाथ के गेंदबाज लेगस्पिन करते हैं उसी एक्शन से अगर बाएं हाथ का बॉलर करता है तो उसे चाइनामैन कहते हैं। इस तरह के पहले बॉलर वेस्ट इंडीज के एलिस एचांग थे जो दरअसल चीनी मूल के थे। इसीलिए इस बॉल को चाइनामैन डिलीवरी कहा गया।
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अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में ‘चाइनामैन’ गेंदबाज यदा कदा ही नजर आते हैं तो ऐसे में भारतीय स्पिन गेंदबाजी की नयी सनसनी कानपुर के कुलदीप यादव ने इस अनूठी कला से पूरी दुनिया का ध्यान बरबस अपनी तरफ खींच लिया है। क्रिकेट में आफ स्पिनर, लेग स्पिनर और लेफट आर्म स्पिनर तो तमाम देशों में खेलते नजर आते हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यदि इतिहास में नजर डाली जाये तो मुश्किल से आठ दस चाइनामैन गेंदबाज ही याद आ पायेंगे।
दक्षिण अफ्रीका के पाल एडम्स, आस्ट्रेलिया के माइकल बेवन, ब्रैड होग और साइमन कैटिच तथा वेस्टइंडीज के दिग्गज आलराउंडर गैरी सोबर्स कुछ ऐसे गेंदबाज थे जो चाइनामैन शैली की गेंदबाजी किया करते थे। हालांकि सोबर्स नियमित चाइनामैन गेंदबाज नहीं थे, लेकिन वह अपनी गेंदबाजी में ऐसी गेंदों का मिश्रण करते थे।
भारतीय अंडर-19 टीम के गेंदबाज कुलदीप ने अंडर-19 विश्वकप टूर्नामेंट में स्काटलैंड के खिलाफ हैट्रिक सहित चार विकेट झटके और अपनी चाइनामैन गेंदबाजी के कारण वह एक झटके में ही सुर्खियों में आ गये। वह अंडर-19 विश्वकप में हैट्रिक लेने वाले पहले भारतीय गेंदबाज बने।
कानपुर में एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे कुलदीप यादव की चाइनामैन शैली ने बरबस ही विशेषज्ञों को इतिहास के पन्ने पलटने और ऐसे गेंदबाजों को ढूंढने पर मजबूर किया है जो इस शैली की गेंदबाजी किया करते थे।
चाइनामैन गेंदबाजी के लिये माना जाता है कि इसका जन्म 1933 में ओल्ड ट्रेफर्ड में वेस्टइंडीज और इंगलैंड के बीच खेले गये मैच के दौरान हुआ था। चीनी मूल के खिलाड़ी एलिस पस एचोंग लेफट आर्म स्पिनर थे और उस समय वेस्टइंडीज की ओर से खेला करते थे। कहा जाता है कि एचोंग ने अपनी एक गेंद पर दाहिने हाथ के बल्लेबाज वाल्टर राबिन्स को इस कदर चौंकाया था कि वह स्टम्प हो गये थे। पवेलियन लौटते समय राबिन्स ने अंपायर से कहा था कि इस ‘चाइनामैन’ ने उन्हें छका दिया। उसके बाद से ही ऐसी गेंदबाजी को चाइनामैन कहा जाने लगा। दरअसल चाइनामैन गेंदबाजी लेफट आर्म स्पिनर की लेग स्पिन गेंदबाजी है जो टप्पा पड़ने के बाद अंदर की ओर आती है। इसमें गेंदबाज अपनी कलाइयों का इस्तेमाल कर गेंद को स्पिन कराता है जिसके कारण वह लेफट स्पिन गेंदबाज से अलग होता है।
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