राहुल यादव सुर्ख़ियों में हैं। 26 साल का एक नौजवान, 1500 करोड़ की कंपनी खड़ी करने का श्रेय, अचानक इस्तीफा, फिर इस्तीफा वापस ले लेना और अपने हिस्से की डेढ़-दो सौ करोड़ की हिस्सेदारी अपनी कर्मचारियों में बांट देना! जी हां, हम हाउसिंग डॉट कॉम के संस्थापक और सीईओ राहुल यादव की ही बात कर रहे हैं। लेकिन ये राहुल यादव हैं कौन? और क्या है उनकी आदतें?
कौन हैं ये राहुल यादव?
राहुल यादव का जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में अलवर में हुआ था जहां वे कक्षा नौंवी तक पढ़ाई-लिखाई में बहुत जहीन नहीं थे। दसवीं कक्षा में वे 30 लड़कों के बैच में 20 वें जगह पर आए जिस पर उनके चाचा ने उनको ताना दिया। उस ताने के बाद राहुल ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और ग्यारवीं की परीक्षा में पूरे राजस्थान में फिजिक्स, कैमिस्ट्री और मैथ्स में टॉप कर गए। टॉप स्थान हासिल करने के बाद आईआईटी की तैयारी करवाने वाली एक कोचिंग ने राहुल की 75 फीसदी फीस माफ कर दी। राहुल ने आईआईटी बंबई में प्रवेश लिया और पुराने परीक्षा पत्रों के आधार पर इक्जामबाबा डॉट कॉम शुरू किया। इक्जामबाबा को आईआईटी बंबई का ऑफिसियल आरकाइव बनाया गया, हालांकि बाद में उसे बंद कर दिया गया।
कैसे हुई हाउसिंग डॉट कॉम की स्थापना?
फिर राहुल ने इजरायल में संक्षिप्त इटर्नशिप किया और उसके बाद गूगल क्रोम के लिए एप्प बनाने लगे। लेकिन फाइनल ईयर में उन्होंने आईआईटी छोड़ दी और अपने दोस्त अद्वितीय शर्मा के साथ मिलकर हाउसिंग डॉट कॉम की स्थापना कर ली। इसका आइडिया उनके दिमाग में मुम्बई में घर खोजने की समस्या को देखकर आया। उनका यह काम चल निकला और वे हर महीने एक से दो लाख रुपये महीना कमाने लगे।
कंपनी का फैलाव
अगला काम था इसे देश भर में फैलाना। सन् 2013 में स्थापित इस वेबसाइट में अन्य वेबसाइटों की तुलना में ज्यादा बेहतर फीचर्स थे। इसलिए दो साल के भीतर ही यह अन्य वेबसाइटों को पछाड़कर आगे निकल गया। आज इस वेबसाइट में 750 कर्मचारी है और यह फंडिंग के पांच चरण पूरा कर चुका है जिसमें पिछले नवंबर में हुआ 600 करोड़ का निवेश भी शामिल है जिसके बाद इस वेबसाइट की कीमत 1500 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है! इसमें 30 फीसदी हिस्सा जापान के सॉफ्ट बैंक का बताया जा रहा है।
क्या लिखा था राहुल ने इस्तीफे में?
राहुल यादव ने पिछले दिनों जब सीईओ पद से इस्तीफा दिया तो उन्होंने कहा कि कंपनी के बोर्ड और निवेशकों में कोई भी बौद्धिक रूप से इतना सक्षम नहीं है जिसके साथ वह कोई समझदारी भरी बातें कर सकें! साथ ही उन्होंने कहा कि उनके जीवन में सिर्फ 3 लाख घंटे हैं और वे उन घंटों को उनके साथ बर्बाद नहीं कर सकते। हालांकि बाद में राहुल ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया। राहुल को आगे बढ़कर काम करनेवाला और अत्यधिक मेहनती माना जाता है। इसलिए उनके इस्तीफा देने से कंपनी के भविष्य के बारे में तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही थी।
मीडिया से टकराव
इतना ही नहीं राहुल, मीडिया से भी लड़ बैठे। उन्होंने मीडिया को चेतावनी दी कि अगर उनकी कंपनी के बारे नकारात्मक खबरें छापी गई तो यह उनके लिए अच्छा नहीं होगा। इतना ही नहीं उनका टाईम्स समूह के साथ भी उनका टकराव हुआ जिसके बाद टाईम्स समूह ने यादव को एक कानूनी नोटिस भेजकर 100 करोड़ रुपये की मांग की। राहुल ने कहा था कि टाईम्स समूह के अखबार में उनके बारे में खबर छपना दरअसल हितों का टकराव है क्योंकि टाईम्स समूह की मैजिकब्रिक्स डॉट कॉम में हिस्सेदारी है जो हाउसिंग डॉट कॉम का सीधा प्रतिद्वंदी है।
इससे पहले यादव की एक वेंचर कैपिटल फर्म सैक्योरिया कैपिटल को चेतावनी देती मेल भी लीक हुई जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर उनके स्टाफ को तोड़ा गया तो वे उस वेंचर कंपनी के सारे कर्मचारियों को तोड़कर उसे खाली कर देंगे। जाहिर है, इन नकारात्मक प्रचारों ने निवेशकों को चिंतित कर दिया क्योंकि स्नैपडील और अलीबाबा जैसी बड़ी कंपनियों ने भी हाउसिंग डॉट कॉम में निवेश कर रखा है।
स्टार्ट अप्स के केजरीवाल!
हालांकि इस्तीफा वापस लेने के बाद भी राहुल उन्हीं पुराने कारणों से चर्चा में आ गए। उन्होंने ओलाकैब्स और जोमैटो जैसे स्टार्ट अप्स के मुखिया को चुनौती दे दी कि वे भी अपने कर्मचारियो को अपने आधे शेयर देकर दिखाएं! उन्होंने ये चुनौती फेसबुक पर लिखकर दे दी। इसका उनको जवाब भी दिलचस्प मिला। जोमैटो के दीपेंदर गोयल का जवाब आया, ‘अरविंद केजरीवाल को यह देखकर बहुत खुशी हुई होगी कि उन्हें टेक स्टार्टअप्स की दुनिया में अपना एक साथी मिल गया है।’