गुरुवार, 18 जून 2009

जब 101 बैलगाड़ियों पर चली यदुवंशी की बारात

21वीं सदी में आज जब दुनिया चांद पर पहुँचकर वहाँ जीवन की सम्भावनायें खोज रही है, ऐसे में अपनी परम्पराओं एवं रीति-रिवाज की पुनर्स्थापना के लिए उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक शहर महोबा में यदुवंशी परिवार द्वारा एक ऐसी अनूठी पहल हुयी जिसे देख लोग हैरत में पड़ गये। महोबा जिला मुख्यालय के बन्धान वार्ड के मुहल्ला टिकरी निवासी शिवरतन यादव के सुपुत्र रामपाल यादव का विवाह म0प्र0 के छतरपुर जनपद अन्तर्गत ज्यौराहा थाना जुझारनगर निवासी रामेश्वर की पुत्री रजनी के साथ होना तय हुआ। तयशुदा कार्यक्रम के मुताबिक महोबा जिला मुख्यालय के टिकरी मुहाल में वरपक्ष के यहाँ बैलगाड़ियां एकत्र होना शुरू हुईं। सिर्फ दर्जन दो दर्जन नहीं बल्कि पूरे 101 बैलगाड़ियों को महोबा से ज्यौराहा बारात और बारातियों को ले जाने के लिए सजाया-संवारा गया। बैलगाड़ियां क्रमबद्ध ढंग से जिला मुख्यालय से रवाना हुईं, इन बैलगाड़ियों को तीन टोलियों में विभाजित किया गया। 101 बैलों की जोड़ी से सुसज्जित प्राचीन आवागमन और शान के प्रतीक बैलगाड़ी में लगभग 300 बाराती सवार हुए और एक प्रान्त से दूसरे प्रान्त की यात्रा को बारात के रूप में पूरा किया। इस अनोखी बारात के आगे ढोल ताशे बजाते पारम्परिक लोकवादक, फिर खनखन....... घुंघरू बांधे बैलों ने उस दौर की याद ताजा कर दी जब सिर्फ बैलगाड़ियों पर ही बारात जाती थी।

इस बारात ने महोबा से ज्यौराहा तक के करीब 12 किमी0 के सफर को एक घण्टे से भी कम समय में पूरा किया। परम्परा के मुताबिक बारातियों को किये जाने वाले टीके की रस्म में बैलों को भी उपेक्षित महसूस नहीं होना पड़ा और बैलों की जोड़ी को भी टीका किये जाने की रस्म निभाई गई। इस अलबेली बारात ने जहाँ मीडिया का ध्यान आकर्षित किया वहीं रास्तेभर लोग इस बैलगाड़ी-बारात को देखने के लिए इकट्ठा रहे। सबसे मजेदार बात तो यह है कि बारात पुराने दिनों की तरह पूरे तीन दिन रूकेगी और 101 बैलगाड़ियों के 202 बैलों एवं 300 बारातियों की आवाभगत में वधू पक्ष ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।

आज जब दूल्हा उड़नखटोले से वैवाहिक स्थल पर पहुँचने में अपनी शान समझ रहा है और अनाप-शनाप खर्च करने में विश्वास कर रहा है, ऐसे में इस यदुवंशी परिवार के दूल्हे ने बैलगाड़ी में सवार होकर यह सिद्ध करने का प्रयास किया कि यदि आप चाहे तो न सिर्फ शादी में होने वाली फिजूलखर्ची से बचा जा सकता है बल्कि अपनी परम्पराओं की नीव को भी मजबूत किया जा सकता है। फिलहाल हमारी शुभकामनायें इस जोड़े के साथ हैं और हम इनके सुखद भविष्य की कामना करते हैं !!

6 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

Interesting thing...kash ki main bhi is barat men shamil hota.

Unknown ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

Woh ! Kya najara raha hoga...kabhi-kabhi apne tradations achhe lagte hain.

Akanksha Yadav ने कहा…

अद्भुत पर विश्वास नहीं होता.....वर-वधू को हमारी शुभकामनायें.

www.dakbabu.blogspot.com ने कहा…

हम तो शुभकामना में पीछे रह गए. फ़िलहाल हमारी तरफ से भी बधाइयाँ.

Unknown ने कहा…

Very Nice and Royal....