उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव एक सधे हुए राजनेता हंै। तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और एक बार केन्द्र में रक्षामंत्री की कुर्सी संभाल चुके मुलायम सिंह एक ऐसे राज्य में सत्तासीन रहे हैं जहाँ सत्ता की लड़ाई के लिए चार प्रमुख राजनैतिक दलों में सीधी लड़ाई है, जबकि अन्य राज्यों में यह दो या तीन दलों मंे सिमटी हुई है। 9 सितम्बर 1992 को सजपा से अलग होकर उन्होंने समाजवादी पार्टी का गठन किया। पहली बार 5 दिसम्बर 1989-24 जून 1991 तक वे उ0प्र0 के मुख्यमंत्री रहे एवं तत्पश्चात सपा-बसपा गठजोड़ से 5 दिसम्बर 1993-3 जून 1995 तक और तीसरी बार 29 अगस्त 2003-11 मई 2007 तक मुख्यमंत्री रहे। देवगौड़ा सरकार में 1 जून 1996 को मुलायम सिंह ने केन्द्रीय रक्षा मंत्री का कार्यभार संभाला।
अपने मुख्यमंत्रित्व काल में मुलायम सिंह ने अपने कुशल वित्तीय प्रबंधन का परिचय देते हुए जहाँ एक तरफ कन्याओं, बेरोजगारों, महिलाओं इत्यादि तमाम वर्गों को तमाम कल्याणकारी योजनाओं से उपकृत किया वहीं एक लम्बे समय बाद प्रदेश सरकार हेतु भारी मात्रा में राजस्व भी एकत्र किया। तथ्य बतातें हैं कि उनके कार्यकाल में उत्तर प्रदेश में 23 वर्ष के बाद राजस्व घाटा बेहद कम हुआ, आर्थिक पिछड़ापन पाँच पायदान सुधरा और राजकोषीय घाटा भी संतोषजनक स्तर तक नीचे आ गया। भारतीय रिजर्व बैंक ने भी माना कि उत्तर प्रदेश में तीन वर्षो के दौरान न केवल राजस्व और राजकोषीय घाटे में कमी आई अपितु ऋणग्रस्तता भी कम हुई और विकास दर भी 3.2 प्रतिशत से बझ़कर सात प्रतिशत तक पहुच गई। स्वयं मुलायम सिंह यादव कई बार दोहरा चुके हैं कि सरकार के पास धन की कमी नहीं है वरन् धन को खर्च करने की समस्या है।
5 टिप्पणियां:
मुलायम सिंह ने वाकई उत्तर प्रदेश में राजनीति को नए आयाम दिए हैं.
भंवर सिंह यादव
संपादक-यादव साम्राज्य
कानपुर.
....पर मुलायम जी के लिए आगे की डगर काफी कठिन है.
मुलायम सिंह जी को अमरसिंह की छाया से बचना होगा. धरती-पुत्र फिर से बनें नहीं तो जनता बिसरा देगी.
Filhal Mulayam ji ko jamini-hakikat se ru-ba-ru hona chahiye.
मुलायम सिंह यादव वाकई एक विशाल ह्रदय पुरुष हैं. वह लोगों पर जल्दी विश्वास कर लेते हैं, यही उनकी शक्ति है व कमजोरी भी.
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