कानपुर मण्डल के प्रवर डाक अधीक्षक, चीफ पोस्टमास्टर एवं प्रवर रेलवे डाक अधीक्षक पदों का दायित्व निरवाहन कर चुके कृष्ण कुमार यादव को डर्बी रेस्टोरेंट, दि माल में आयोजित एक भव्य समारोह में भावभीनी विदाई दी गई। गौरतलब है कि श्री यादव का प्रमोशन निदेशक पद के लिए हो गया है और वे अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह के निदेशक डाक सेवाएं रुप में अपना नया पद ज्वाइन करने जा रहे हैं। एक प्रशासक के साथ-साथ साहित्यकार के रूप में चर्चित श्री यादव की इस विदाई की गवाह नगर के तमाम प्रमुख साहित्यकार, बुद्विजीवी, शिक्षाविद, पत्रकार, अधिकारीगण एवं डाक विभाग के तमाम कर्मचारी बने।
डर्बी रेस्टोरेंट में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार पद्मश्री गिरिराज किशोर ने कहा कि प्रशासन के साथ-साथ साहित्यिक दायित्वों का निर्वहन बेहद जटिल कार्य है पर श्री कृष्ण कुमार यादव ने इसका भलीभांति निर्वहन कर रचनात्मकता को बढ़ावा दिया। गिरिराज किशोर ने इस बात पर जोर दिया कि आज समाज व राष्ट्र को ऐसे ही अधिकारी की जरूरत है जो पदीय दायित्वों के कुशल निर्वहन के साथ-साथ मानवीय संवेदनाओं से भी अपने को जोड़ सके। जीवन में लोग इन पदों पर आते-जाते हैं, पर मनुष्य का व्यक्तित्व ही उसकी विराटता का परिचायक होता है। मानस संगम के संयोजक डॉ0 बद्री नारायण तिवारी ने कहा कि बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी, रचनाशीलता के पर्याय एवं सरस्वती साधक श्री यादव जिस बखूबी से अपने अधीनस्थ अधिकारियों-कर्मचारियों से कार्य लेते हैं, सराहनीय है। अपने निष्पक्ष, स्पष्टवादी, साहसी व निर्भीक स्वभाव के कारण प्रसिध्द श्री यादव जहाँ कर्तव्यनिष्ठ एवं ईमानदार अधिकारी की भूमिका अदा कर रहे हैं, वहीं एक साहित्य साधक एवं सशक्त रचनाधर्मी के रूप में भी अपने दायित्वों का बखूबी निर्वहन कर रहे हैं। विशिष्ट अतिथि के रुप में उपस्थित टी0आर0 यादव, संयुक्त निदेशक कोषागार, कानपुर मण्डल ने एक कहावत के माध्यम से श्री यादव को इंगित करते हुए कहा कि कोई भी पद महत्वपूर्ण नहीं होता बल्कि उसे धारण करने वाला व्यक्ति अपने गुणों से महत्वपूर्ण बनाता है। एक ही पद को विभिन्न समयावधियों में कई लोग धारण करते हैं पर उनमें से कुछ पद व पद से परे कार्य करते हुए समाज में अपनी अमिट छाप छोड़ देते हैं, के0के0 यादव इसी के प्रतीक हैं। समाजसेवी एवं व्यवसायी सुशील कनोडिया ने कहा कि यह कानपुर का गौरव है कि श्री यादव जैसे अधिकारियों ने न सिर्फ यहां से बहुत कुछ सीखा बल्कि यहां लोगों के प्रेरणास्त्रोत भी बने।
वरिष्ठ बाल साहित्यकार डॉ0 राष्टबन्धु ने अपने अनुभवों को बांटते हुए कहा कि वे स्वयं डाक विभाग से जुड़े रहे हैं, ऐसे में के0के0 यादव जैसे गरिमामयी व्यक्तित्व को देखकर हर्ष की अनुभूति होती है। सामर्थ्य की संयोजिका गीता सिंह ने कहा कि बहुआयामी प्रतिभा सम्पन्न श्री यादव अपने कार्यों और रचनाओं में प्रगतिवादी हैं तथा जमीन से जुडे हुए व्यक्ति हैं। उत्कर्ष अकादमी के निदेशक डॉ0 प्रदीप दीक्षित ने कहा कि श्री के0के0 यादव इस बात के प्रतीक हैं कि साहित्य हमारे जाने-पहचाने संसार के समानांतर एक दूसरे संसार की रचना करता है और हमारे समय में हस्तक्षेप भी करता है। जे0के0 किड्स स्कूल के प्रबन्धक इन्द्रपाल सिंह सेंगर ने श्री यादव को युवाओं का प्रेरणास्त्रोत बताया।
के0के0 यादव पर संपादित पुस्तक ''बढ़ते चरण शिखर की ओर'' के संपादक दुर्गाचरण मिश्र ने कहा कि उनकी नजर में श्री यादव डाक विभाग के पहले ऐसे अधिकारी हैं, जिन्होंने नगर में रहकर नये कीर्तिमान स्थापित किये। इसी कारण उन पर पुस्तक भी संपादित की गई। चार साल के कार्यकाल में श्री यादव ने न सिर्फ तमाम नई योजनाएं क्रियान्वित की बल्कि डाकघरों के प्रति लोगों का रूझान भी बढ़ाया। प्रेस इन्फारमेशन ब्यूरो इंचार्ज एम0एस0 यादव ने आशा व्यक्त की कि श्री यादव जैसे कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों के चलते लोगों का साहित्य प्रेम बना रहेगा। नगर हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ0 एस0पी0 शुक्ल ने श्री यादव को भावभीनी विदाई देते हुए कहा कि कम समय में ज्यादा उपलब्धियों को समेटे श्री यादव न सिर्फ एक चर्चित अधिकारी हैं बल्कि साहित्य-कला को समाज में उचित स्थान दिलाने के लिए कटिबध्द भी दिखते हैं। चर्चित कवयित्री गीता सिंह चौहान ने श्री यादव की संवेदनात्मक अनुभूति की प्रशंसा की।
सहायक निदेशक बचत राजेश वत्स ने श्री यादव के सम्मान में कहा कि आप डाक विभाग जैसे बड़े उपक्रम में जो अपने कठोर अनुशासन, कर्तव्यनिष्ठा व ईमानदारी के लिए प्रसिध्द है, में एक महत्वपूर्ण तथा जिम्मेदार-सजग अधिकारी के रूप में अपनी योग्यता, कुशाग्र बुध्दि और दक्षता के चलते प्रशासकीय क्षमता के दायित्वों का कुशलता से निर्वहन कर रहे हैं। जिला बचत अधिकारी विमल गौतम ने श्री यादव के कार्यकाल के दौरान महत्वपूर्ण उपलब्धियों को इंगित किया तो सेवानिवृत्त अपर जिलाधिकारी श्यामलाल यादव ने श्री यादव को एक लोकप्रिय अधिकारी बताते हुए कहा कि प्रशासन में अभिनव प्रयोग करने में सिध्दस्त श्री यादव बाधाओं को भी चुनौतियों के रूप में स्वीकारते हैं और अपना आत्म्विश्वास नहीं खोते।
अपने भावभीनी विदाई समारोह से अभिभूत के0के0 यादव ने इस अवसर पर कहा कि अब तक कानपुर में उनका सबसे लम्बा कार्यकाल रहा है और इस दौरान उन्हें यहाँ से बहुत कुछ सीखने का मौका मिला। यहाँ के परिवेश में न सिर्फ मेरी सृजनात्मकता में वृध्दि की बल्कि उन्नति की राह भी दिखाई। श्री यादव ने कहा कि वे विभागीय रूप में भले ही यहाँ से जा रहे हैं पर कानपुर से उनका भावनात्मक संबंध हमेशा बना रहेगा।
श्री के0के0 यादव की प्रोन्नति के अवसर पर नगर की तमाम साहित्यिक-सामाजिक संस्थाओं द्वारा अभिनन्दन एवं सम्मान किया गया। इसमें मानस संगम, उ0प्र0 हिन्दी साहित्य सम्मेलन युवा प्रकोष्ठ, विधि प्रकोष्ठ, सामर्थ्य, उत्कर्ष अकादमी, मानस मण्डल जैसी तमाम चर्चित संस्थाएं शामिल थीं। कार्यक्रम की शुरूआत अनवरी बहनों द्वारा स्वागत गान से हुई। स्वागत-भाषण शैलेन्द्र दीक्षित, संचालन सियाराम पाण्डेय एवं संयोजन सुनील शर्मा द्वारा किया गया।
अनुराग,
सचिव- ''मेधाश्रम'' संस्था
13/152 डी (5) परमट, कानपुर (उ0प्र0)
डर्बी रेस्टोरेंट में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार पद्मश्री गिरिराज किशोर ने कहा कि प्रशासन के साथ-साथ साहित्यिक दायित्वों का निर्वहन बेहद जटिल कार्य है पर श्री कृष्ण कुमार यादव ने इसका भलीभांति निर्वहन कर रचनात्मकता को बढ़ावा दिया। गिरिराज किशोर ने इस बात पर जोर दिया कि आज समाज व राष्ट्र को ऐसे ही अधिकारी की जरूरत है जो पदीय दायित्वों के कुशल निर्वहन के साथ-साथ मानवीय संवेदनाओं से भी अपने को जोड़ सके। जीवन में लोग इन पदों पर आते-जाते हैं, पर मनुष्य का व्यक्तित्व ही उसकी विराटता का परिचायक होता है। मानस संगम के संयोजक डॉ0 बद्री नारायण तिवारी ने कहा कि बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी, रचनाशीलता के पर्याय एवं सरस्वती साधक श्री यादव जिस बखूबी से अपने अधीनस्थ अधिकारियों-कर्मचारियों से कार्य लेते हैं, सराहनीय है। अपने निष्पक्ष, स्पष्टवादी, साहसी व निर्भीक स्वभाव के कारण प्रसिध्द श्री यादव जहाँ कर्तव्यनिष्ठ एवं ईमानदार अधिकारी की भूमिका अदा कर रहे हैं, वहीं एक साहित्य साधक एवं सशक्त रचनाधर्मी के रूप में भी अपने दायित्वों का बखूबी निर्वहन कर रहे हैं। विशिष्ट अतिथि के रुप में उपस्थित टी0आर0 यादव, संयुक्त निदेशक कोषागार, कानपुर मण्डल ने एक कहावत के माध्यम से श्री यादव को इंगित करते हुए कहा कि कोई भी पद महत्वपूर्ण नहीं होता बल्कि उसे धारण करने वाला व्यक्ति अपने गुणों से महत्वपूर्ण बनाता है। एक ही पद को विभिन्न समयावधियों में कई लोग धारण करते हैं पर उनमें से कुछ पद व पद से परे कार्य करते हुए समाज में अपनी अमिट छाप छोड़ देते हैं, के0के0 यादव इसी के प्रतीक हैं। समाजसेवी एवं व्यवसायी सुशील कनोडिया ने कहा कि यह कानपुर का गौरव है कि श्री यादव जैसे अधिकारियों ने न सिर्फ यहां से बहुत कुछ सीखा बल्कि यहां लोगों के प्रेरणास्त्रोत भी बने।
वरिष्ठ बाल साहित्यकार डॉ0 राष्टबन्धु ने अपने अनुभवों को बांटते हुए कहा कि वे स्वयं डाक विभाग से जुड़े रहे हैं, ऐसे में के0के0 यादव जैसे गरिमामयी व्यक्तित्व को देखकर हर्ष की अनुभूति होती है। सामर्थ्य की संयोजिका गीता सिंह ने कहा कि बहुआयामी प्रतिभा सम्पन्न श्री यादव अपने कार्यों और रचनाओं में प्रगतिवादी हैं तथा जमीन से जुडे हुए व्यक्ति हैं। उत्कर्ष अकादमी के निदेशक डॉ0 प्रदीप दीक्षित ने कहा कि श्री के0के0 यादव इस बात के प्रतीक हैं कि साहित्य हमारे जाने-पहचाने संसार के समानांतर एक दूसरे संसार की रचना करता है और हमारे समय में हस्तक्षेप भी करता है। जे0के0 किड्स स्कूल के प्रबन्धक इन्द्रपाल सिंह सेंगर ने श्री यादव को युवाओं का प्रेरणास्त्रोत बताया।
के0के0 यादव पर संपादित पुस्तक ''बढ़ते चरण शिखर की ओर'' के संपादक दुर्गाचरण मिश्र ने कहा कि उनकी नजर में श्री यादव डाक विभाग के पहले ऐसे अधिकारी हैं, जिन्होंने नगर में रहकर नये कीर्तिमान स्थापित किये। इसी कारण उन पर पुस्तक भी संपादित की गई। चार साल के कार्यकाल में श्री यादव ने न सिर्फ तमाम नई योजनाएं क्रियान्वित की बल्कि डाकघरों के प्रति लोगों का रूझान भी बढ़ाया। प्रेस इन्फारमेशन ब्यूरो इंचार्ज एम0एस0 यादव ने आशा व्यक्त की कि श्री यादव जैसे कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों के चलते लोगों का साहित्य प्रेम बना रहेगा। नगर हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ0 एस0पी0 शुक्ल ने श्री यादव को भावभीनी विदाई देते हुए कहा कि कम समय में ज्यादा उपलब्धियों को समेटे श्री यादव न सिर्फ एक चर्चित अधिकारी हैं बल्कि साहित्य-कला को समाज में उचित स्थान दिलाने के लिए कटिबध्द भी दिखते हैं। चर्चित कवयित्री गीता सिंह चौहान ने श्री यादव की संवेदनात्मक अनुभूति की प्रशंसा की।
सहायक निदेशक बचत राजेश वत्स ने श्री यादव के सम्मान में कहा कि आप डाक विभाग जैसे बड़े उपक्रम में जो अपने कठोर अनुशासन, कर्तव्यनिष्ठा व ईमानदारी के लिए प्रसिध्द है, में एक महत्वपूर्ण तथा जिम्मेदार-सजग अधिकारी के रूप में अपनी योग्यता, कुशाग्र बुध्दि और दक्षता के चलते प्रशासकीय क्षमता के दायित्वों का कुशलता से निर्वहन कर रहे हैं। जिला बचत अधिकारी विमल गौतम ने श्री यादव के कार्यकाल के दौरान महत्वपूर्ण उपलब्धियों को इंगित किया तो सेवानिवृत्त अपर जिलाधिकारी श्यामलाल यादव ने श्री यादव को एक लोकप्रिय अधिकारी बताते हुए कहा कि प्रशासन में अभिनव प्रयोग करने में सिध्दस्त श्री यादव बाधाओं को भी चुनौतियों के रूप में स्वीकारते हैं और अपना आत्म्विश्वास नहीं खोते।
अपने भावभीनी विदाई समारोह से अभिभूत के0के0 यादव ने इस अवसर पर कहा कि अब तक कानपुर में उनका सबसे लम्बा कार्यकाल रहा है और इस दौरान उन्हें यहाँ से बहुत कुछ सीखने का मौका मिला। यहाँ के परिवेश में न सिर्फ मेरी सृजनात्मकता में वृध्दि की बल्कि उन्नति की राह भी दिखाई। श्री यादव ने कहा कि वे विभागीय रूप में भले ही यहाँ से जा रहे हैं पर कानपुर से उनका भावनात्मक संबंध हमेशा बना रहेगा।
श्री के0के0 यादव की प्रोन्नति के अवसर पर नगर की तमाम साहित्यिक-सामाजिक संस्थाओं द्वारा अभिनन्दन एवं सम्मान किया गया। इसमें मानस संगम, उ0प्र0 हिन्दी साहित्य सम्मेलन युवा प्रकोष्ठ, विधि प्रकोष्ठ, सामर्थ्य, उत्कर्ष अकादमी, मानस मण्डल जैसी तमाम चर्चित संस्थाएं शामिल थीं। कार्यक्रम की शुरूआत अनवरी बहनों द्वारा स्वागत गान से हुई। स्वागत-भाषण शैलेन्द्र दीक्षित, संचालन सियाराम पाण्डेय एवं संयोजन सुनील शर्मा द्वारा किया गया।
अनुराग,
सचिव- ''मेधाश्रम'' संस्था
13/152 डी (5) परमट, कानपुर (उ0प्र0)