बुधवार, 10 मार्च 2010

परमवीर चक्र विजेता योगेन्द्र सिंह यादव : टाइगर हिल का टाइगर

कारगिल युद्ध के मोर्चे पर दुश्मन के छक्के छुड़ाते हुए अपने प्राणों की बलि देने वाले जवानों की सूची बड़ी लम्बी है, जिन्होंने राष्ट्र की उत्कृष्ट शौर्य परम्परा को जीवन्त किया. कारगिल युद्ध के बाद भारतीय सेना के चार शूरवीरों को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। उन्हीं में एक ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव भी हैं. सबसे कम मात्र 19 वर्ष कि आयु में ‘परमवीर चक्र’ प्राप्त करने वाले इस वीर योद्धा योगेन्द्र सिंह यादव का जन्म उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जनपद के औरंगाबाद अहीर गांव में 10 मई, 1980 को हुआ था। 27 दिसंबर , 1996 को सेना की 18 ग्रेनेडियर बटालियन में भर्ती हुए योगेन्द्र सिंह यादव की पारिवारिक पृष्ठभूमि भी सेना की ही रही है, जिसके चलते वो इस ओर तत्पर हुए.

कारगिल-युद्ध से भला कौन नहीं परिचित होगा, जिसने सम्पूर्ण देश के जनमानस को झकझो दिया था। भारत और पाकिस्तान की नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान समर्थित घुसपैठियों 1999 के प्रारम्भ में कारगिल क्षेत्र की 16 से 18 हजार फुट ऊंची पहाड़ियों पर कब्जा जमा लिया था। मई 1999 के पहले सप्ताह में इन घुसपैठियों ने श्रीनगर को लेह से जोड़ने वाले महत्वपूर्ण राजमार्ग पर गोलीबारी आरंभ कर दी। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए भारत ने इन घुसपैठियों के विरुद्ध 'आपरेशन विजय' के तहत कार्रवाई आरंभ की। इसके बाद संघर्षों का सिलसिला आरंभ हो गया। हड्‌डी गला देने वाली ठंड में भी भारतीय सेना के रणबांकुरों ने दुश्मनों का डट कर मुकाबला किया । 2 जुलाई को कमांडिंग आफिसर कर्नल कुशल ठाकुर के नेतृत्व में 18 ग्रेनेडियर को टाइगर हिल पर कब्जा करने का आदेश मिला. इसके लिए पूरी बटालियन को तीन कंपनियों - ‘अल्फा’ , ‘डेल्टा’ व ‘घातक’ कम्पनी में बांटा गया।

‘घातक’ कम्पनी में ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव सहित 7 कमांडो शामिल थे। 4 जुलाई की रात में पूर्व निर्धारित योजनानुसार कुल 25 सैनिकों का एक दल टाइगर हिल की ओर बढ़ा। चढ़ाई सीधी थी और कार्य काफी मुश्किल। टाइगर हिल में घुसपैठियों की तीन चौकियां बनीं हुई थीं। एक मुठभेड़ के बाद पहली चौकी पर कब्जा कर लिया गया। इसके बाद केवल 7 कमांडो वाला दल आगे बढ़ा। यह दल अभी कुछ ही दूर आगे बढ़ा था की दुश्मन की ओर से अंधाधुंध गोलीबारी आरंभ हो गयी। इस गोलीबारी में दो सैनिक शहीद हो गए. इन दोनों शहीदों को वापस छोड़कर शेष 05 जाबांज सैनिक आगे बढ़े। किन्तु एक भीषण मुठभेड़ में इन पांचों में चार शहीद हो गए और बचे केवल ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव। हालाँकि वह बुरी तरह घायल हो गए थे, उनकी बाएं हाथ की हड्‌डी टूट गई थी और हाथ ने काम करना बन्द कर दिया था। फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। योगेन्द्र सिंह ने हाथ को बेल्ट से बांधकर कोहनी के बल चलना आरंभ किया. इसी हालत में उन्होंने अपनी एक.के.-47 राइफल से 15-20 घुसपैठियों को मार गिराया. इस तरह दूसरी चौकी पर भी भारत का कब्जा हो गया। अब उनका लक्ष्य 17,500 फुट की ऊंचाई पर स्थित चौकी पर कब्जा करना था। अत: वह धुआंधार गोलीबारी करते हुए आगे बढ़े, जिससे दुश्मन को लगने लगा कि काफी संख्या में भारतीय सेना यहां पहुंच गई है। कुछ दुश्मन भाग खड़े हुए, तो कुछ चौकी में ही छिप गए, किन्तु ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव ने अपने अद्‌भुत साहस का परिचय देते हुए शेष बचे घुसपैठियों को भी मार गिराया और तीसरी चौकी पर कब्जा जमा लिया. इस संघर्ष में वह और अधिक घायल हो गए पर अपनी जांबाजी से अंतत: योगेन्द्र सिंह यादव टाइगर हिल पर तिरंगा फहराने में सफल रहे.

इसी बीच उन्होंने पाकिस्तानी कमाण्डर की आवाज सुनी, जो अपने सैनिकों को 500 फुट नीचे भारतीय चौकी पर हमला करने के लिए आदेश दे रहा था. इस हमले की जानकारी अपनी चौकी तक पहुंचाने के योगेन्द्र सिंह यादव ने अपनी जान की बाजी लगाकर पत्थरों पर लुढ़कना आरंभ किया और अंतत : जानकारी देने में सफल रहे. उनकी इस जानकारी से भारतीय सैनिकों को काफी सहायता मिली और दुश्मन दुम दबाकर भाग निकले।

योगेन्द्र सिंह यादव के जख्मी होने पर यह भी खबर फैली थी कि वे शहीद हो गए, पर जो देश की रक्षा करता है, उसकी रक्षा स्वयं ईश्वर ने ही की. भारत सरकार ने ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव के इस अदम्य साहस, वीरता और पराक्रम के मद्देनजर परमवीर चक्र से सम्मानित किया. सबसे कम मात्र 19 वर्ष कि आयु में ‘परमवीर चक्र’ प्राप्त करने वाले इस वीर योद्धा ने उम्र के इतने कम पड़ाव में जांबाजी का ऐसा इतिहास रच दिया कि आने वाली सदियाँ भी याद रखेंगीं !!

19 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

ऐसे जांबाज को सलाम !!

Akanksha Yadav ने कहा…

ऐसे जांबाजों के चलते ही हमारी सीमाएं सुरक्षित हैं...ऐसे जांबाज को सलाम !!

Akanksha Yadav ने कहा…

ऐसे जांबाजों के चलते ही हमारी सीमाएं सुरक्षित हैं...ऐसे जांबाज को सलाम !!

Shyama ने कहा…

Yogendra singh jaise log hi itihas rachte hain..bahut sundar jankari.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

आकांक्षा जी से सहमत हूँ कि ऐसे जांबाजों के चलते ही हमारी सीमाएं सुरक्षित हैं. कारगिल युद्ध को भला कौन भूल सकता है. योगेन्द्र यादव जैसे लोग ही आज के समाज के सच्चे नायक हैं..जय हिंद.

raghav ने कहा…

विस्तृत रूप में बेहतरीन जानकारी...आभार.

मन-मयूर ने कहा…

सबसे कम मात्र 19 वर्ष कि आयु में ‘परमवीर चक्र’ प्राप्त करने वाले इस वीर योद्धा ने उम्र के इतने कम पड़ाव में जांबाजी का ऐसा इतिहास रच दिया कि आने वाली सदियाँ भी याद रखेंगीं !!
...Salute.

dev ने कहा…

pramveer yogendra singh yadav ke adamay sahas to sat sat naman

syadav ने कहा…

yogendra yadav ka nam ane wali peedian bhi yad rakhe aur unse prerna lein iska prayas hona chahiye

syadav ने कहा…

yogendra yadav ka nam ane wali peedian bhi yad rakhe aur unse prerna lein iska prayas hona chahiye

Unknown ने कहा…

Grand Salutes Yogendra Singh ji Ko

Unknown ने कहा…

Jab tak aap jaise veer bhai Hindustan me honge tab tak Hindustan Ko Koi bhi buri nazro se nahi dekh sakta
Jai Hind

Unknown ने कहा…

Kash kuchh mitti aap ke pairo ki chhune Ko mil jati jivan dhanya ho jata
Jai Hind

Brajesh narwariya ने कहा…

Me aapko hamesha yad karuga

rishivichar ने कहा…

अद्भुत शौर्य गाथा

Unknown ने कहा…

Sher dil adbhut yodha Jai hind

Unknown ने कहा…

Sher dil adbhut yodha Jai hind

Unknown ने कहा…

अद्भुत और अदम्य साहस के धनी को कोटि-कोटि प्रणाम ।जय हिंद जय भारत ।

Unknown ने कहा…

भावपूर्ण अभिव्यक्ति के साथ मैं