योग गुरू बाबा रामदेव के नेतृत्व वाले पंतजलि योगपीठ ने विदेशी बैंकों में जमा कालाधन वापस लाने, राजनैतिक शुचिता के माध्यम से भारत को दुनिया की महाशक्ति बनाने और देश से अशिक्षा, भूख, बेरोजगारी, नक्सलवाद और भ्रष्टाचार आदि समाप्त करने के इरादे से अगले लोकसभा चुनावों में सभी 543 सीटों पर उम्मीदवार खड़े करने की घोषणा की है। बाबा रामदेव ने कहा कि भारत स्वाभिमान के बैनर तले वे सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेंगे। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि वे किसी राजनीतिक पद या लाभ से खुद को दूर रखेंगे।उन्होंने कहा कि इसके लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू कर दिया गया है। संगठन ने अगले दो वर्षों में देश के प्रत्येक जिले में सात से 10 लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा है।
बाबा रामदेव ने कहा कि भारत स्वाभिमान का उद्देश्य स्विस बैंक सहित विभिन्न विदेशी बैंकों में जमा 258 लाख करोड रुपये वापस लाना और उसे देश के विकास में लगाकर भारत से अशिक्षा, भूख, गरीबी, बेरोजगारी, नक्सलवाद और आतंकवाद को समाप्त करना है। उन्होंने काला धन वापसी के लिए केंद्र सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों को नाकाफी बताया। उन्होंने कहा कि काले धन को लेकर भारत ने 20 देशों से समझौता तो किया, लेकिन स्विटजरलैंड इसमें शामिल नहीं है। बाबा रामदेव ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से अपील की कि वह स्विटजरलैंड के साथ दोतरफा कर संधि करें, जिससे स्विस बैंक काला धन से संबंधित ब्यौरा भारत को उपलब्ध करा सके।बाबा रामदेव ने देश से भ्रष्टाचार, बलात्कार, दहेज हत्या, गोहत्या, आतंकवाद एवं मिलावट का धंधा खत्म करने के लिए मौजूदा कानून में संशोधन कर ऐसे अपराधों के लिए मृत्युदंड की व्यवस्था करने की वकालत भी की।
15 टिप्पणियां:
आशा की जानी चाहिए कि बाबा रामदेव राजनीति को नया चेहरा देंगे.
बाबा रामदेव ने देश से भ्रष्टाचार, बलात्कार, दहेज हत्या, गोहत्या, आतंकवाद एवं मिलावट का धंधा खत्म करने के लिए मौजूदा कानून में संशोधन कर ऐसे अपराधों के लिए मृत्युदंड की व्यवस्था करने की वकालत भी की।
.......बाबा हम भी आपके साथ है, बस रस्ते में ही न छोड़ दीजियेगा.
Baba ham bhi apke sath ho lete hain.
बाबा बातें ही नहीं राजनीति में काम भी करना पड़ेगा. फूलों की जगह जूते भी मिलते हैं. सोच-विचारकर राजनीति में आयें तो बेहतर होगा.
देखते हैं बाबा का जलवा...
ताका-झाँकी पर भी आपकी यह पोस्ट पढ़ी..बेहतरीन लिख रहे हैं आप.
भँवर सिंह यादव
संपादक- यादव साम्राज्य, कानपुर
Udan Tashtari ने कहा…
राजनीति और साधुगीरी का अंतर आगामी चुनाव में जान जायेंगे और दोनों तरफ से जायेंगे.
khuljaasimsim ने कहा…
भाई !
बात सच में ये है की हम लाखो बार ठगे गए लोग है इसलिए हमें सभी सच्चे लोगो के वाडे भी झूठे लगते है / धीर धरो आगे जो होगा सब ठीक होगा / बाबा सच्चा बन्दा है /
जय रामदेव बाबा की /
Sonal Rastogi ने कहा…
मात्र बातों से गन्दगी ख़त्म नहीं होती उसे ख़त्म करने के लिए गन्दगी में उतरना होगा, अगर रामदेव जी इस राजनैतिक गन्दगी में कमल के सामान खिले रह पाते है तो..बस यही देखना है
जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…
दिन दिन बढ.ता जा रहा वँशवाद का रोग। यहाँ कहाँ है कारगर रामदेव का योग ।कैलाश गोतम का यह दोहा बहुत कुछ कहता है।लेखक को बधाई ।
KAVITA RAWAT ने कहा…
Itni dushit ladkhadati pangu raajniti mein Baba ji ka padarpan swagatyogya hai.... but dekhna ye hoga ki 'kajal ki kothari mein shayano kaise bane rahenge'
Bahut shubhkamnayne....
Akanksha~आकांक्षा ने कहा…
राजनीति और अध्यात्म को मिलाने से बाबा खुद ही खिचड़ी बन जायेंगे.
"KaushiK" ने कहा…
आज गन्दगी हमारे देश कि राजनीती में ही नहीं बल्कि हमारे समाज में भी है क्योंकि राजनेताओं को चुनने वालें भी हम ही हैं ! हमें आदत पड़ गई है चुप रहने कि और हर वक्त यही रोना रोते रहते हैं कि इस देश का कुछ नहीं होने वाला !पर ये हम भूल जाते हैं कि जब गाँधी जी चले थे तो अकले थे किन्तु उनके साथ पूरा देश चल पड़ा ! सुभाष चंदर बॉस भी अगर यही सोचते कि उनको क्या पड़ी है तो आज हम आजाद हिंद फौज को याद करके गर्व नहीं करते ! इन लोगों कि सोच नेक और पवित्र थी ठीक उसी तरह स्वामी जी सोच भी पवित्र है ! वो समाज से गन्दगी दूर करते करते राजनीती कि गन्दगी भी दूर करना चाहते हैं ! वो स्वामी राम देव ही थे जिन्होंने काले धन का मुदा उठाया और पूरी संसद के साथ साथ पुरे देश में एक बहस छिड़ गई ! वो सवामी रामदेव ही हैं जिन्होंने सव्देशी का नारा क्या दिया कि सभी विदेशी संस्थाओं में हडकंप मच गया ! वो हवा में बातें नहीं करते बल्कि तर्क के साथ बात करते हैं ! वो हमारी सदियों पूरानी संस्कर्ती को बचाने के लिए हर समय अपनी आवाज़ बुलंद करते आये हैं ! हम सभी में देश भक्ति है किन्तु जो आग उनमें है वो हर किसी में नहीं होती ! और मुझे पूरा विश्वास है कि वो अपनी संस्था के जरिये हर राजनितिक पार्टी को बदलने पर मजबूर कर देंगे !
भरा नहीं जो भावों से बहती जिसमें रसदार नहीं ,
हर्दय नहीं वो पत्थर है जिसमें सव्देश का प्यार नहीं
शरद कोकास ने कहा…
आगे आगे देखिये होता है क्या ।
इस परिचर्चा को बढ़ाने के लिए सभी टिप्पणियां ताका-झाँकी से साभार..
भँवर सिंह यादव
संपादक- यादव साम्राज्य,
कानपुर
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