राजनीति में तमाम यदुवंशी प्रखरता से काम कर रहे हैं. यही कारण है कि अब तक यदुवंश से 9 मुख्यमंत्री हो चुके हैं. पर अब तक मात्र दो लोगों को राज्यपाल बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है- गुजरात में महिपाल शास्त्री (2 मई 1990- 21 दिसंबर 1990) एवं हिमाचल प्रदेश व राजस्थान में बलिराम भगत (क्रमशः 11 फरवरी 1993-29 जून 1993 व 20 जून 1993-1 मई 1998). यह बताना इसलिए प्रासंगिक हो गया क्योंकि लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष और हिमाचल एवं राजस्थान के पूर्व राज्यपाल बलिराम भगत (89) का इस साल के आरंभ में ही 2 जनवरी, 2011 को निधन हो गया। गौरतलब है कि भगत जी का निधन शरीर के कई अंगों के काम बंद कर देने के कारण हुआ। वे कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे और अपोलो अस्पताल में उनका देहावसान हुआ.
बलिराम भगत का जन्म सात अक्टूबर 1922 को पटना (बिहार) में हुआ। पटना से स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद भगत ने पटना विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त की। भगत 17 वर्ष की आयु में एक छात्र के रूप में स्वतंत्रता संग्राम में कूद गए। स्वतंत्रता के बाद वह प्रथम लोकसभा के लिए चुने गए। वह लोकसभा में सात बार चुनकर आए।वह पहली कांग्रेस सरकार में वित्त मंत्री के संसदीय सचिव के रूप में सेवा दी और उन्हें वर्ष 1956 में उप वित्त मंत्री बनाया गया। वर्ष 1969 में केंद्रीय मंत्री बनाए जाने से पहले उन्होंने योजना, रक्षा और विदेश राज्य मंत्री के रूप में काम किया। भगत 5 जनवरी 1976 को आपातकाल में लोकसभा अध्यक्ष चुने गए थे। वे इस पद पर एक साल तक रहे। वह वर्ष 1993 में थोड़े समय के लिए हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल और वर्ष 1993 से 1998 तक राजस्थान के राज्यपाल रहे। उनके परिवार में पत्नी विद्या भगत, एक बेटा और एक बेटी हैं।
बलिराम भगत के निधन पर अपने शोक संदेश में प्रधानमंत्री ने उन्हें, "एक स्वतंत्रता सेनानी, महान देशभक्त और लोगों के लिए समर्पित एक वरिष्ठ राजनेता बताया।" प्रधानमंत्री ने कहा, "मैंने अपना एक बहुत ही करीबी मित्र और महत्वपूर्ण सहयोगी खो दिया।" लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा कि भगत के निधन से उन्हें 'अत्यंत दुख' पहुंचा है। उन्होंने कहा, "भगत स्वतंत्र भारत के उन नेताओं में से थे जिन्होंने आजादी के बाद देश का मार्गदर्शन किया और अपनी राजनीतिक भागीदारी से लोकतंत्र को सशक्त बनाया।" लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, "भगत के निधन से हमने भारत के एक योग्य पुत्र को खो दिया।
बलिराम भगत का जन्म सात अक्टूबर 1922 को पटना (बिहार) में हुआ। पटना से स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद भगत ने पटना विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त की। भगत 17 वर्ष की आयु में एक छात्र के रूप में स्वतंत्रता संग्राम में कूद गए। स्वतंत्रता के बाद वह प्रथम लोकसभा के लिए चुने गए। वह लोकसभा में सात बार चुनकर आए।वह पहली कांग्रेस सरकार में वित्त मंत्री के संसदीय सचिव के रूप में सेवा दी और उन्हें वर्ष 1956 में उप वित्त मंत्री बनाया गया। वर्ष 1969 में केंद्रीय मंत्री बनाए जाने से पहले उन्होंने योजना, रक्षा और विदेश राज्य मंत्री के रूप में काम किया। भगत 5 जनवरी 1976 को आपातकाल में लोकसभा अध्यक्ष चुने गए थे। वे इस पद पर एक साल तक रहे। वह वर्ष 1993 में थोड़े समय के लिए हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल और वर्ष 1993 से 1998 तक राजस्थान के राज्यपाल रहे। उनके परिवार में पत्नी विद्या भगत, एक बेटा और एक बेटी हैं।
बलिराम भगत के निधन पर अपने शोक संदेश में प्रधानमंत्री ने उन्हें, "एक स्वतंत्रता सेनानी, महान देशभक्त और लोगों के लिए समर्पित एक वरिष्ठ राजनेता बताया।" प्रधानमंत्री ने कहा, "मैंने अपना एक बहुत ही करीबी मित्र और महत्वपूर्ण सहयोगी खो दिया।" लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा कि भगत के निधन से उन्हें 'अत्यंत दुख' पहुंचा है। उन्होंने कहा, "भगत स्वतंत्र भारत के उन नेताओं में से थे जिन्होंने आजादी के बाद देश का मार्गदर्शन किया और अपनी राजनीतिक भागीदारी से लोकतंत्र को सशक्त बनाया।" लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, "भगत के निधन से हमने भारत के एक योग्य पुत्र को खो दिया।
यदुकुल की तरफ से बलिराम भगत जी को श्रद्धांजलि और नमन !!
4 टिप्पणियां:
भगत जी को मेरी श्रद्धांजलि...
dukhad samachar. mahan neta ko shraddhanjali aur aman...
देश रत्न बलिराम भगत हम सब को छोड़कर ०२ जनवरी २०११ में चले गए । पर एक ऐसी नजीर गढ़ गए जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा-पुंज बनी रहेगी ...श्रद्धांजलि !!
मेरी विनम्र श्रद्धांजलि .
एक टिप्पणी भेजें