शनिवार, 30 जुलाई 2011

संवेदनशील लेखिका और ब्लागर : आकांक्षा यादव

आज चर्चित ब्लागर, कवयित्री, लेखिका आकांक्षा यादव जी का जन्मदिन (30 जुलाई) है. कम समय में ही इन्होने साहित्य में अपनी शानदार पहचान बनाई है. कॉलेज में प्रवक्ता के साथ-साथ साहित्य की तरफ रुझान. पहली कविता कादम्बिनी में प्रकाशित. तत्पश्चात- इण्डिया टुडे, नवनीत, साहित्य अमृत, आजकल, दैनिक जागरण, जनसत्ता, राष्ट्रीय सहारा, अमर उजाला, स्वतंत्र भारत, आज, राजस्थान पत्रिका, इण्डिया न्यूज, उत्तर प्रदेश, अक्षर पर्व, शुभ तारिका, गोलकोण्डा दर्पण, युगतेवर, हरिगंधा, हिमप्रस्थ, युद्धरत आम आदमी, अरावली उद्घोष, प्रगतिशील आकल्प, राष्ट्रधर्म, नारी अस्मिता, अहल्या, गृहलक्ष्मी, गृहशोभा, मेरी संगिनी, वुमेन ऑन टॉप, बाल भारती, बाल साहित्य समीक्षा, बाल वाटिका, बाल प्रहरी, देव पुत्र, अनुराग, वात्सल्य जगत, इत्यादि सहित शताधिक पत्र-पत्रिकाओं में कविता, लेख और लघुकथाओं का अनवरत प्रकाशन.अंतर्जाल पर रचनाओं का प्रकाशन. शब्द-शिखर, सप्तरंगी प्रेम, उत्सव के रंग और बाल-दुनिया ब्लॉग का सञ्चालन. दो दर्जन से अधिक प्रतिष्ठित संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित.नारी विमर्श, बाल विमर्श और सामाजिक मुद्दों से सम्बंधित विषयों पर प्रमुखता से लेखन. "क्रांति-यज्ञ:1857-1947 की गाथा" में संपादन सहयोग. व्यक्तित्व-कृतित्व पर "बाल साहित्य समीक्षा (कानपुर)" द्वारा विशेषांक जारी. विभिन्न सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित. एक रचनाधर्मी के रूप में रचनाओं को जीवंतता के साथ सामाजिक संस्कार देने का प्रयास. बिना लाग-लपेट के सुलभ भाव-भंगिमा सहित जीवन के कठोर सत्य उभरें, यही मेरी लेखनी की शक्ति है !!
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'यदुकुल' की तरफ से आकांक्षा यादव को जन्म-दिन पर कोटिश: शुभकामनाएँ !!

मंगलवार, 26 जुलाई 2011

उपेक्षित जनकवि : बिसंभर यादव 'मरहा'

बिसंभर यादव मरहा जैसे योद्धा कवि का शरशैया पर लेटे रहना तथा निरुपाय एक- एक दिन गिनना हम सबको लज्जित करता है। समाज को मरहा जी जैसे कवियों ने खूब उल्लसित किया है। जीवन की संध्या में उनका उत्साह भी कम न हो यह जिम्मेदारी भी समाज की है।

जनकवि बिसंभर यादव 'मरहा' 83 वर्ष के हो गए। दो वर्ष पूर्व तक वे गांव- गांव की जन सभाओं, रामायण मेलों में सायकिल चलाकर जाते थे। बेहद गरीबी में पले बढ़े जनकवि बिसंभर यादव मरहा अनपढ़ हैं।

छत्तीसगढ़ के ग्रामीण जनों में वे सबसे लोकप्रिय कवि हैं। लेकिन विगत दो वर्षों से वे खाट पर हैं। गांव में टहल रहे थे कि एक बैल ने उन्हें उठाकर पटक दिया। मरहा जी यादव हैं उनके पुरखों ने बड़े से बड़े मरखंडा बैल को साधकर पोसवा बनाया। लेकिन दुखद संयोग रहा कि उन्हें एक बैल ने ही पटक दिया। जीवन भर समाज के अनुशासनहीन बैलों को कविता के सोंटे से पीट- पीट कर सीधा करते रहे। लेकिन दुर्घटना के बाद अब वे वस्त्र भी स्वयं नहीं पहन पाते। उनका बेरोजगार पुत्र उन्हें कपड़ा पहनाता है।

83 वर्षीय जनकवि अब साधनहीन हैं। पहले गांव- गांव जाकर कविता सुनाते थे तो कविता का पारिश्रमिक पा जाते थे। विगत बीस वर्ष उनके घर की गाड़ी काव्य मंचों से प्राप्त पारिश्रमिक से चली। बेटा सिंचाई विभाग में दिहाड़ी मजदूर था। शासन से गुहार लगाने के बावजूद अब घर बैठा दिया गया है।

अत्यंत गरीबी और साधनहीनता में जीवन भर संघर्ष करते हुए आगे ही आगे बढऩे वाले जनकवि बिसंभर यादव मरहा को शासन से प्रतिमाह 1500 रुपए की राशि साहित्यकार पेंशन के रूप में मिलती है। इलाज के लिए सहायता के बावजूद मरहा जी शैया सायी होकर रह गये। न केवल मरहा जी बल्कि बहुतेरे साहित्यकार जीवन की संध्या में कष्ट भोग रहे हैं। डॉ. विमलकुमार पाठक, डॉ. बलदेव लगातार शारीरिक कष्ट से उबरने के लिए संघर्षरत हैं। शासन की सदाशयता ने उन्हें संबल आवश्य प्रदान किया किन्तु 15 सौ रुपए की पेंशन बहुत कम है। सुझाव यह भी है कि राज्य शासन के मानदंडों के अनुसार जो साहित्यकार पेंशन की पात्रता रखते हैं उनका व्यापक सर्वे भी प्रतिवर्ष शासकीय स्तर पर होना चाहिए।

छत्तीसगढ़ शासन द्वारा साहित्य के लिए दो लाख का एक ही पुरस्कार दिया जाता है। देश के अन्य प्रांतों में एक वर्ष में साहित्य के क्षेत्र में बीस पचीस छोटी बड़ी राशियों के सम्मान दिए जाते हैं। छत्तीसगढ़ में भी इश तरह के प्रयास किए जाएं। इससे बड़ी संख्या में साहित्यकार अपने लेखकीय श्रम के लिए सम्मान प्राप्त कर संतोष पा सकेंगे।

अभी- अभी नायडू स्मृति लाइफ टाइम सम्मान क्रिकेट के पुराने स्टार सलीम दुर्रानी को दिया जा रहा है। राशि भी पंद्रह लाख की है। साहित्य उस तरह लाभ का धंधा नहीं है जिस तरह खेल या फिल्म है। लेकिन साहित्य की अपनी महत्ता है। समाज में समरसता एवं एकता के लिए साहित्यकार जीवन भर चुपके- चुपके जो काम करता है, महसूस करने वाले ही उसकी महत्ता जान पाते हैं। इसीलिए बिसंभर यादव मरहा जैसे योद्धा कवि का शरशैया पर लेटे रहना तथा निरुपाय एक- एक दिन गिनना हम सबको लज्जित करता है। समाज को मरहा जी जैसे कवियों ने खूब उल्लसित किया है। जीवन की संध्या में उनका उत्साह भी कम न हो यह जिम्मेदारी भी समाज की है।

मरहा जी ने देशप्रेम की कविताओं का खूब सृजन किया। कुछ वर्ष पूर्व तक 'मरहा नाइट' का आयोजन भी होता था जिसमें यह अकेला कवि रात- रात भर कविता सुनाकर श्रोताओं को विभोर कर देता था।

छत्तीसगढ़ में भिन्न- भिन्न क्षेत्रों में समृद्धि के द्वीप हम देखते हैं। यह तेजी से विकसित हो रहा राज्य सबकी आंखों का तारा है। ऐसे में इस राज्य के साहित्यकार भी इसकी समृद्धि को महसूस करें, ऐसा प्रयास जरुरी हो जाता है। अभी तो स्थिति शंकर सक्सेना के इस दोहे सी है ...
'प्यासा का प्यासा रहा द्वीप नदी के बीच
सारी नदियां पी गया, सागर आंखें मींच।'

डॉ. परदेशीराम वर्मा
एलआईजी-18, आमदीनगर, हुडको, भिलाईनगर 490009, मो. 9827993494

साभार : उदंती

गुरुवार, 7 जुलाई 2011

हैदराबाद से प्रकाशित : यादव टुडे (Yadav Today)


हैदराबाद से निकालने वाली दि-भाषीय पत्रिका 'यादव टुडे' के संपादक श्री बी.बी. यादव इसे बड़े जतन के साथ प्रकाशित-सम्पादित कर रहे हैं. यह अंग्रेजी और तेलगु में प्रकाशित होने वाली पत्रिका है. पत्रिका में यादव-समाज से जुडी विभूतियों पर रचनाएँ हैं, उनके अवदान की बातें हैं, प्रेरक प्रसंग हैं और समसामयिक विषयों पर भी नजर है.

Magazine : Yadav Today (Bi-monthely, English & Telugu)
Editor : Mr. Bikshapathi B. Yadav
Yearly Subscription : Rs. 100/-
Address : H. No. 5-35, Kailash Bhavan, Opp Malkajgiri Post Office, Malkajgiri, RR Dist., Andhra Pradesh-500047
email : yadavtoday@gmail.com
website : http://www.yadavtoday.org/

सोमवार, 4 जुलाई 2011

एक सन्देश बाबा रामदेव के लिए


भ्रष्टाचार करना कुछ व्यक्तियों का, जातियों का, वर्गों, धर्मों, दलों का जन्मना हक़ है, बाबा तेरी सामत आयी थी क्या ? जो नज़र उठाकर उनको देखने की कोशिश की. वैसे तो यह कहते हैं कि जाति न पूछो साधू की, पर बाबा तू ठहरे 'यादव' जाति के इसलिए इन्होने जो किया है, बाबा वक्त तो ठीक है पर जो आपके साथ हैं वह 'आनंद' लेने इलाज कराने और आपके नाम पर दुकान चलाने वाले हैं , संघर्षों में इनका रूप आपकी समझ में आ गया होगा. आपके असली वफादार इंतजार में हैं, पहले अपने आस पास के भ्रष्टाचारियों से निजात पाईये.

फेसबुक पर डा. लाल रत्नाकर

शुक्रवार, 1 जुलाई 2011

राजभाषा हिंदी के विकास के लिए सक्रिय : डा. दलसिंगार यादव

डॉ.दलसिंगार यादव का नाम ब्लागिंग के लिए अ-परिचित नहीं है. अपने ब्लॉग 'राजभाषा विकास परिषद्' के माध्यम से वे लगातार सक्रिय हैं. एक तरफ इस पर वे समसामयिक विषयों पर लिख रहे हैं, वहीँ हिंदी और उसके तकनीकी पक्ष को लेकर भी ब्लॉग के माध्यम से उन्होंने एक अनूठी पहल छेड़ रखी है. डॉ. दलसिंगार यादव का जन्म आज़मगढ़ (उत्तर प्रदेश) में हुआ और प्रारंभिक शिक्षा गांव व आज़मगढ़ में, बी.ए. व एम.ए. बी.एच.यू. वाराणसी, एलएल. बी. व पीएच. डी. पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़, कंप्यूटर शिक्षा पुणे, कानपुर से। बी.ए. की पढ़ाई के दौरान 1967 में हिंदी आंदोलन में भाग लिया।

उन्होंने भारतीय रिज़र्व बैंक से उप महाप्रबंधक (राजभाषा)के पद से सेवा निवृत्त होकर राजभाषा विकास परिषद की स्थापना की और सम्प्रति इसके संस्थापक निदेशक के रूप में कार्यरत हैं. इन्होंने सेवा काल में 9 पुस्तकें, बैंकिंग व भाषा तथा पशुपालन पर लिखीं। एक पुस्तक इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार से सम्मानित। फ़िलहाल नागपुर हाई कोर्ट में कानून की प्रैक्टिस कर रहे डा. यादव सामाजिक तौर पर भी काफी सक्रिय हैं।


आज डा. दलसिंगार यादव जी का जन्म-दिवस है और इस अवसर पर यदुकुल परिवार की तरफ से उन्हें ढेरों शुभकामनायें. आप यूँ ही उन्नति के पथ पर प्रशस्त हों और समाज को नए आयाम दें !!

चर्चित साहित्यकार व ब्लॉगर कृष्ण कुमार यादव के संपादन में प्रकाशित 'सरस्वती सुमन' का लघुकथा अंक अंडमान में लोकार्पित

अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्टब्लेयर में सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था ‘चेतना’ के तत्वाधान में स्वर्गीय सरस्वती सिंह की 11 वीं पुण्यतिथि पर 26 जून, 2011 को मेगापोड नेस्ट रिसार्ट में आयोजित एक कार्यक्रम में देहरादून से प्रकाशित 'सरस्वती सुमन' पत्रिका के लघुकथा विशेषांक का विमोचन किया गया. इस अवसर पर ''बदलते दौर में साहित्य के सरोकार'' विषय पर संगोष्ठी का आयोजन भी किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में श्री एस. एस. चौधरी, प्रधान वन सचिव, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, अध्यक्षता देहरादून से पधारे डा. आनंद सुमन 'सिंह', प्रधान संपादक-सरस्वती सुमन एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री कृष्ण कुमार यादव, निदेशक डाक सेवाएँ, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, डा. आर. एन. रथ, विभागाध्यक्ष, राजनीति शास्त्र, जवाहर लाल नेहरु राजकीय महाविद्यालय, पोर्टब्लेयर एवं डा. जयदेव सिंह, प्राचार्य टैगोर राजकीय शिक्षा महाविद्यालय, पोर्टब्लेयर उपस्थित रहे. कार्यक्रम का आरंभ पुण्य तिथि पर स्वर्गीय सरस्वती सिंह के स्मरण और तत्पश्चात उनकी स्मृति में जारी पत्रिका 'सरस्वती सुमन' के लघुकथा विशेषांक के विमोचन से हुआ. इस विशेषांक का अतिथि संपादन चर्चित साहित्यकार और द्वीप समूह के निदेशक डाक सेवा श्री कृष्ण कुमार यादव द्वारा किया गया है. अपने संबोधन में मुख्य अतिथि एवं द्वीप समूह के प्रधान वन सचिव श्री एस.एस. चौधरी ने कहा कि सामाजिक मूल्यों में लगातार गिरावट के कारण चिंताजनक स्थिति पैदा हो गई है । >ऐसे में साहित्यकारों को अपनी लेखनी के माध्यम से जन जागरण अभियान शुरू करना चाहिए । उन्होंने कहा कि आज के समय में लघु कथाओं का विशेष महत्व है क्योंकि इस विधा में कम से कम शब्दों के माध्यम से एक बड़े घटनाक्रम को समझने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि देश-विदेश के 126 लघुकथाकारों की लघुकथाओं और 10 सारगर्भित आलेखों को समेटे सरस्वती सुमन के इस अंक का सुदूर अंडमान से संपादन आपने आप में एक गौरवमयी उपलब्धि मानी जानी चाहिए.

मूलत: आजमगढ़ के वासी युवा साहित्यकार एवं निदेशक डाक सेवा श्री कृष्ण कुमार यादव ने बदलते दौर में लघुकथाओं के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि भूमण्डलीकरण एवं उपभोक्तावाद के इस दौर में साहित्य को संवेदना के उच्च स्तर को जीवन्त रखते हुए समकालीन समाज के विभिन्न अंतर्विरोधों को अपने आप में समेटकर देखना चाहिए एवं साहित्यकार के सत्य और समाज के सत्य को मानवीय संवेदना की गहराई से भी जोड़ने का प्रयास करना चाहिये। श्री यादव ने समाज के साथ-साथ साहित्य पर भी संकट की चर्चा की और कहा कि संवेदनात्मक सहजता व अनुभवीय आत्मीयता की बजाय साहित्य जटिल उपमानों और रूपकों में उलझा जा रहा है, ऐसे में इस ओर सभी को विचार करने की जरुरत है.

संगोष्ठी को आगे बढ़ाते हुए डा. जयदेव सिंह, प्राचार्य टैगोर राजकीय शिक्षा महाविद्यालय, पोर्टब्लेयर ने कहा कि साहित्य के क्षेत्र में समग्रता के स्थान पर सीमित सोच के कारण उन विषयों पर लेखन होने लगा है जिनका सामाजिक उत्थान और जन कल्याण से कोई सरोकार नहीं है । केंद्रीय कृषि अनुसन्धान संस्थान के निदेशक डा. आर. सी. श्रीवास्तव ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि आज बड़े पैमाने पर लेखन हो रहा है लेकिन रचनाकारों के सामने प्रकाशन और पुस्तकों के वितरण की समस्या आज भी मौजूद है । उन्होंने समाज में नैतिकता और मूल्यों के संर्वधन में साहित्य के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला । डा. आर. एन. रथ, विभागाध्यक्ष, राजनीति शास्त्र, जवाहर लाल नेहरु राजकीय महाविद्यालय ने अंडमान के सन्दर्भ में भाषाओँ और साहित्य की चर्चा करते हुए कहा कि यहाँ हिंदी का एक दूसरा ही रूप उभर कर सामने आया है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि साहित्य का एक विज्ञान है और यही उसे दृढ़ता भी देता है.अंडमान से प्रकाशित एकमात्र साहित्यिक पत्रिका 'द्वीप लहरी' के संपादक डा. व्यास मणि त्रिपाठी ने ने साहित्य में उभरते दलित विमर्श, नारी विमर्श, विकलांग विमर्श को केन्द्रीय विमर्श से जोड़कर चर्चा की और बदलते दौर में इसकी प्रासंगिकता को रेखांकित किया. उन्होंने साहित्य पर हावी होते बाजारवाद की भी चर्चा की और कहा कि कला व साहित्य को बढ़ावा देने के लिए लोगों को आगे आना होगा। पूर्व प्राचार्य डा. संत प्रसाद राय ने कहा कि कहा कि समाज और साहित्य एक सिक्के के दो पहलू हैं और इनमें से यदि किसी एक पर भी संकट आता है, तो दूसरा उससे अछूता नहीं रह सकता।

कार्यक्रम के अंत में अपने अध्यक्षीय संबोधन में ‘‘सरस्वती सुमन’’ पत्रिका के प्रधान सम्पादक डाॅ0 आनंद सुमन सिंह ने पत्रिका के लघु कथा विशेषांक के सुन्दर संपादन के लिए श्री कृष्ण कुमार यादव को बधाई देते हुए कहा कि कभी 'काला-पानी' कहे जानी वाली यह धरती क्रन्तिकारी साहित्य को अपने में समेटे हुए है, ऐसे में 'सरस्वती सुमन' पत्रिका भविष्य में अंडमान-निकोबार पर एक विशेषांक केन्द्रित कर उसमें एक आहुति देने का प्रयास करेगी. उन्होंने कहा कि सुदूर विगत समय में राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर तमाम घटनाएं घटी हैं और साहित्य इनसे अछूता नहीं रह सकता है। अपने देश में जिस तरह से लोगों में पाश्चात्य संस्कृति के प्रति अनुराग बढ़ रहा है, वह चिन्ताजनक है एवं इस स्तर पर साहित्य को प्रभावी भूमिका का निर्वहन करना होगा। उन्होंने रचनाकरों से अपील की कि वे सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों को ध्यान में रखकर स्वास्थ्य समाज के निर्माण में अपनी रचनात्मक भूमिका निभाएं। इस अवसर पर डा. सिंह ने द्वीप समूह में साहित्यिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए और स्व. सरस्वती सिंह की स्मृति में पुस्तकालय खोलने हेतु अपनी ओर से हर संभव सहयोग देने का आश्वासन दिया।

कार्यक्रम के आरंभ में संस्था के संस्थापक महासचिव दुर्ग विजय सिंह दीप ने अतिथियों और उपस्थिति का स्वागत करते हुए आज के दौर में हो रहे सामाजिक अवमूल्यन पर चिंता व्यक्त की । कार्यक्रम का संचालन संस्था के उपाध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने किया और संस्था की निगरानी समिति के सदस्य आई.ए. खान ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर विभिन्न द्वीपों से आये तमाम साहित्यकार, पत्रकार व बुद्धिजीवी उपस्थित थे.

प्रस्तुति : दुर्ग विजय सिंह दीप
संयोजक- 'चेतना' (सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था)
उपनिदेशक- आकाशवाणी (समाचार अनुभाग)
पोर्टब्लेयर -744102











विमल यादव बने गुडग़ांव के पहले महापौर


गुडगाँव की गिनती आज देश के सर्वाधिक समृद्ध नगरों में होती है. हाल ही में 21 जून को हुए चुनाव में विमल यादव गुड़गांव नगर निगम के पहले महापौर निर्वाचित हुए। कहा जाता है कि राव इंद्रजीत समर्थक विमल यादव को कांग्रेस का समर्थन प्राप्त था। उन्होंने 20 मत हासिल कर भाजपा प्रत्याशी सीमा पहेजा को हराया, जिन्हें केवल नौ मत मिले। विमल यादव के नाम का प्रस्ताव वार्ड 9 के पार्षद लखपत ने किया था जिसका अनुमोदन वार्ड नं0 35 के पार्षद सुन्दर ने किया। अपनी विजय के बाद विमल यादव ने कहा कि मिलेनियम सिटी में पेयजल तथा जलनिकासी की सुविधा बढ़ाना उनकी प्राथमिकता होगी। 'यदुकुल'' की तरफ से विमल यादव हो हार्दिक बधाई !!


(चित्र में : नव निर्वाचित मेयर विमल यादव (बीच में)