शौर्य चक्र से सम्मानित वरिष्ठ सपा नेता चौधरी हरमोहन सिंह यादव का 24 जुलाई , 2012 दिन मंगलवार देर रात मेहरबान सिंह का पुरवा स्थित आवास पर हृदय गति रुकने से निधन हो गया। वह 91 वर्ष के थे। गुरुवार को घर के पास स्थित समाधि स्थल में उनका अंतिम संस्कार हुआ, जहाँ मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव सहित तमाम दिग्गज लोग अंतिम संस्कार में शामिल हुए.
18 अक्तूबर 1921 को कानपुर में चौधरी धनीराम सिंह के सुपुत्र रूप में जन्मे हरमोहन सिंह ने वक़्त के माथे पर एक लम्बी इबारत लिखी. मात्र हायर सेकेंडरी पास इस जुनूनी व्यक्तित्व ने छह दशक की राजनीति में ग्राम सभा से लेकर राज्य सभा के सफर में अपनी अलग पहचान बनायी। मुलायम सिंह यादव का हर कदम पर साथ देकर कभी मिनी मुख्यमंत्री तो कभी छोटे साहब कहलाये। हरमोहन सिंह को उनके बड़े भाई स्व. रामगोपाल सिंह यादव राजनीति में लाये थे। वह 31 की उम्र में गुजैनी ग्रामसभा के निर्विरोध प्रधान बने तब किसी ने सोचा न होगा कि एक दिन यही हरमोहन सिंह कानपुर में समाजवाद का मजबूत स्तंभ बनेंगे। ग्राम प्रधान से शुरू उनकी राजनीतिक यात्रा का सिलसिला आगे बढ़ता गया। वह नगर महापालिका में पार्षद बने और लगातार 42 वर्ष तक महापालिका, फिर नगर निगम के पदेन सदस्य रहे। उन्हें जिला सहकारी बैंक के प्रथम अध्यक्ष होने का गौरव भी हासिल हुआ। वर्ष 70 में वह एमएलसी बने और वर्ष 90 तक इस सफर में तीन बार एमएलसी रहे। 80 के दशक मेंअखिल भारतीय यादव महासभा के अध्यक्ष बने। इसी दशक में चौधरी चरण सिंह का उत्तराधिकार उनके पुत्र अजीत सिंह को मिलने के कारण मुलायम सिंह की उनसे खटपट हो गयी। मुलायम कमजोर पड़ रहे थे, तभी भरी सभा में हरमोहन सिंह ने कहा कि मुलायम सिंह यादव चाहे हीरो रहें या जीरो, हम तो मुलायम सिंह का ही साथ देंगे। उनके इस ऐलान के बाद मुलायम सिंह लोकदल से अलग हो गये तथा हेमवती नंदन बहुगुणा के साथ लोकदल (ब) गठित किया। तभी से हरमोहन सिंह, मुलायम सिंह के पारिवारिक सदस्य हो गये। चौधरी साहब ने 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद रतनलाल नगर में 4 -5 घंटे बेटे चौधरी सुखराम सिंह यादव के साथ दंगाइयों पर हवाई फायरिंग करके सिख भाइयों की रक्षा की थी। इस वजह से 1991 में तत्कालीन राष्ट्रपति आर. वेंकटरमन ने उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया था।
1989 में मुलायम सिंह के मुख्यमंत्री बनने पर हरमोहन सिंह का प्रभाव ऐसा बढ़ा कि लोग उन्हें मिनी मुख्यमंत्री कहने लगे। उनके आवास को साकेत धाम कहा गया तथा सत्ता की राजनीति में चौधरी हरमोहन सिंह कानपुर क्षेत्र का केंद्र बन गये थे। सपा के दायरे में तब से आज तक यही माना गया कि मुलायम सिंह यादव कभी चौधरी हरमोहन सिंह यादव की बात को टालते नहीं है। मुलायम सिंह ने नब्बे के दशक में चौधरी हरमोहन सिंह को दो बार राज्यसभा सदस्य बनाया। मुलायम सिंह उनको छोटे साहब कहकर बुलाते थे। चौधरी हरमोहन 18 वर्ष तक विधान परिषद और 12 वर्ष तक राज्यसभा में रहे। चौधरी हरमोहन सिंह के प्रभाव का ही कमाल रहा जो उनके पुत्र सुखराम सिंह एमएलसी और फिर विधान परिषद के सभापति बने। दूसरे पुत्र जगराम सिंह दो बार विधायक बने, स्व. हरनाम सिंह व अभिराम सिंह को भी पद दिलाये। कई नेताओं को विधान सभा व लोकसभा के लिये टिकट तथा अन्य पद दिलाये। यादव समाज के लिये गाजियाबाद में श्रीकृष्ण भवन बनवाया। मेहरबान सिंह पुरवा पर उनकी मेहरबानियां हमेशा बरसती रहीं। उनकी बदौलत वहां पर प्राइमरी से लेकर डिग्री विधि महाविद्यालय और पैरा मेडिकल कालेज स्थापित हो चुके हैं। हर तरफ से आने वाली रोड व नालियां चकाचक हैं और मनोरंजन एकता पार्क भी है। उम्र का बंधन उनकी राजनीतिक उमंग को कम नहीं कर पाया। वर्ष 2003 में राज्यसभा सांसद पद खत्म हो गया तो वह मेहरबान सिंह पुरवा में ही अपना आवास बना कर सपाइयों का हौसला बढ़ाते रहे। अभी दस दिन पहले उनके बुलावे पर मेहरबान सिंह पुरवा आये मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने खुले मंच से कहा था कि चौधरी हरमोहन सिंह के बताये हर काम होंगे। उनसे हमारे परिवार का रिश्ता कभी कम न होगा और उसी रिश्ते को निभाने के लिये मुख्यमंत्री फिर से मेहरबान सिंह पुरवा आकर छोटे साहब को अंतिम सलामी देंगे। उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा था कि कानपुर का सौंदर्यीकरण करा दो, उसके पहले ड्रेनेज सिस्टम सुधारा जाये। इस इच्छा को पूर्ण देखे बिना वह चले तो गये लेकिन उनका ग्राम सभा से लेकर राज्यसभा का सफर इतिहास बन गया।
-राम शिव मूर्ति यादव : यदुकुलनाम -चौधरी हरमोहन सिंह यादव/
जन्म - 18 अक्टूबर, 1921, मेहरबान सिंह का पुरवा, कानपुर नगर/
पिता -चौधरी धनीराम सिंह यादव/
वैवाहिक स्थति - विवाह, श्रीमती गयाकुमारी जी के साथ। आपके पाँच पुत्र एवं एक पुत्री है/
शिक्षा -हायर सेकेण्डरी/
राष्ट्रीय अध्यक्षःअखिल भारतीय यादव महासभा, सन् 1980 (मथुरा)/
अखिल भारतीय यादव महासभा, सन् 1993 (हैदराबाद)/
अखिल भारतीय यादव सभा, सन् 1994 /
अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा के का0 अध्यक्ष 2007 तक/
संस्थापकः श्रीकृष्ण भवन, वैशाली, गाजियाबाद/
कैलाश विद्यालोक इण्टर काॅलेज/
चौधरी रामगोपाल सिंह विधि महाविद्यालय, मेहरबान सिंह का पुरवा, कानपुर/
मनोरंजन एकता पार्क, कानपुर/
गयाकुमार इण्टर काॅलेज एवं छात्रावास, मेहरबान सिंह का पुरवा, कानपुर/
मोहन मंदिर, मेहरबान सिंह का पुरवा, कानपुर/
राजनैतिक :प्रधान (निर्विरोध), लगातार दो बार, ग्रामसभा गुजैनी, सन् 1952/
सदस्य, (निर्विरोध), अंतरिम जिलापरिषद/
सभासद, कानपुर महापालिका सन् 1959, दूसरी बार, 1967/
पदेन सदस्य, कानपुर नगर निगम, लगभग 42 वर्ष/
जिला सहकारी बैंक के प्रथम अध्यक्ष/
उत्तर प्रदेश भूमि विकास बैंक के उपाध्यक्ष (निर्विरोध)/
दिनांक 06 मई, 1970 को प्रथम बार कानपुर-फर्रूखाबाद स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र से उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य निर्वाचित। आपका कार्यकाल 05 मई, 1976 तक रहा।/
द्वितीय बार दिनांक 06 मई, 1976 को कानपुर-फर्रूखाबाद स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र से उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य निर्वाचित। आपका कार्यकाल 05 मई, 1982 तक रहा। /
तृतीय बार दिनांक 06 मई, 1984 से जनता दल समाजवादी के टिकट पर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य निर्वाचित। आपका कार्यकाल 05 मई, 1990 तक रहा।/
सभापति (दो बार) उत्तर प्रदेश विधान परिषद की आश्वासन समिति के। /
संसदीय राजभाषा समिति के सदस्य रहे।/
पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष, लोकदल।/
पूर्व सदस्य, राष्ट्रीय कार्यकारिणी, लोकदल एवं जनता दल।/
सदस्य, राज्य सभा सन् 1990 से 1996 तक।/
सदस्य राज्यसभा सन् 1997 से 2003/
महामहिम राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत।/
रुचिः समाजसेवा, ग्रामीण विकास एवं किसानों के हितों की रक्षा में। /
अन्यः सन् 1984 में श्रीमती इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद रतन लाल नगर, कानपुर के सिख भाइयों की लगभग 4-5 घण्टे अपने सुपुत्र चौधरी सुखराम सिंह यादव (सभापति, विधान परिषद उत्तर प्रदेश) के साथ हवाई फायरिंग करके दंगाइयों से रक्षा करने के कारण सन् 1991 में भारत के महामहिम राष्ट्रपति द्वारा
शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया।/
स्थायी पताः ग्राम मेहरबान सिंह का पुरवा, तहसील व जिला-कानपुर, उ0प्र0।
देहावसान : 24 जुलाई , 2012
-राम शिव मूर्ति यादव : यदुकुल