उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का 39वां जन्मदिन बड़ी सादगी से बिना किसी खर्चीले समारोह के मनाया गया. उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में कहीं बधाइयों के बैनर-होर्डिग नहीं दिख रहे हैं. सरकारी और गैर सरकारी किसी भी आयोजन की सुगबुगाहट भी नहीं है. अगर बताया न जाए तो शायद आम जनता को पता भी नहीं चलेगा कि एक जुलाई को सूबे के मुख्यमंत्री का 39 वां जन्मदिन है.
शनिवार को समाजवादी पार्टी के कार्यालय में आने वाले सैकड़ों कार्यकर्ताओं में यह जानने की उत्सुकता दिखायी दे रही थी कि मुख्यमंत्री के रूप में अपना पहला जन्मदिन अखिलेश किस रूप में मनाएंगे. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी सब को एक ही जवाब दे रहे थे कि वह जन्मदिन मनाते कहां हैं, जो यह बताऊं कि कैसे मनाएंगे.
सत्ता के केन्द्र कालिदास मार्ग और विक्रमादित्य मार्ग पर शनिवार को रोज की तरह ही चहल-पहल थी. कालिदास मार्ग पर मुख्यमंत्री का सरकारी आवास है और विक्रमादित्य मार्ग पर उनका व उनके पिता का गैर सरकारी आवास और समाजवादी पार्टी का प्रदेश मुख्यालय है.
विक्रमादित्य मार्ग से ले कर कालिदास मार्ग तक कहीं भी अखिलेश यादव के जन्मदिन से संबंधित कोई होर्डिंग नहीं लगी है और न कोई बैनर या पोस्टर. जबकि कालिदास मार्ग और उसके आसपास के सारे इलाके पिछले पांच साल के दौरान प्रदेश की पूर्व मुखिया के जन्मदिन पर होर्डिगों, बैनरों व पोस्टरों से पट जाते थे और पूरी राजधानी पर नीला रंग छा जाता था.
भव्य आयोजनों की तैयारियां महीने भर पहले से की जाने लगती थीं. जन्मदिन तो बहाना होता था अपनी सरकार की उपलब्धियों को गिनाने और जनता का दिल जीतने के लिए घोषणाएं करने का लेकिन अखिलेश ने अपनी उपलब्धियों का ढिंढोरा पीटने के लिए जन्मदिन का सहारा नहीं लिया. हालांकि मात्र एक सौ आठ दिन के कार्यकाल में उपलब्धियों के रूप में गिनाने के लिए उनके पास बहुत कुछ है.
सूबे की कमान सम्भालने के बाद अपनी कार्यशैली से उन्होंने ऐसा माहौल दिया कि नौकरशाही ने भी तनावमुक्त होकर उनके दिशानिर्देशन में प्रदेश के विकास का खाका तैयार किया और उस पर काम शुरू हो गया. जनता दर्शन के माध्यम से जनता का उनसे सीधा जुड़ाव सम्भव हो सका. वर्षों से लटकी योजनाओं और जनता की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए अनेक योजनाओं को धरातल पर लाने का काम चल रहा है.
राज्य की 20 करोड़ की आबादी को इस बात का सुकून है कि सचिवालय से लेकर सरकारी दफ्तरों तक उसकी आवाज सुनी जा रही है. जनप्रतिनिधि सदन में जनता की आवाज बन रहे हैं. फिर भी अखिलेश ने जन्मदिन के मौके का फायदा नहीं उठाया. किसी खर्चीले समारोह का आयोजन न किया जाना, उनकी सादगी और सरलता का परिचायक है.
प्रदेश के नये मुखिया ने शपथ ग्रहण के बाद से अब तक कई बार सादगी का संदेश दिया है. उन्होंने कालिदास मार्ग के सारे बैरियर हटवा कर एक बार फिर यह रास्ता आम लोगों के लिए खोल दिया.
अपने काफिले में 40 कारों की संख्या घटा कर केवल 8 कर दी. मुख्यमंत्री के गुजरने वाले रास्तों पर आधे घण्टे पूर्व से यातायात पर लगने वाले प्रतिबंध को समाप्त कर यह एहसास कराया कि वह भी आम आदमी से अलग नहीं हैं.
ताहिर अब्बास : सहारा न्यूज ब्यूरो
शनिवार को समाजवादी पार्टी के कार्यालय में आने वाले सैकड़ों कार्यकर्ताओं में यह जानने की उत्सुकता दिखायी दे रही थी कि मुख्यमंत्री के रूप में अपना पहला जन्मदिन अखिलेश किस रूप में मनाएंगे. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी सब को एक ही जवाब दे रहे थे कि वह जन्मदिन मनाते कहां हैं, जो यह बताऊं कि कैसे मनाएंगे.
सत्ता के केन्द्र कालिदास मार्ग और विक्रमादित्य मार्ग पर शनिवार को रोज की तरह ही चहल-पहल थी. कालिदास मार्ग पर मुख्यमंत्री का सरकारी आवास है और विक्रमादित्य मार्ग पर उनका व उनके पिता का गैर सरकारी आवास और समाजवादी पार्टी का प्रदेश मुख्यालय है.
विक्रमादित्य मार्ग से ले कर कालिदास मार्ग तक कहीं भी अखिलेश यादव के जन्मदिन से संबंधित कोई होर्डिंग नहीं लगी है और न कोई बैनर या पोस्टर. जबकि कालिदास मार्ग और उसके आसपास के सारे इलाके पिछले पांच साल के दौरान प्रदेश की पूर्व मुखिया के जन्मदिन पर होर्डिगों, बैनरों व पोस्टरों से पट जाते थे और पूरी राजधानी पर नीला रंग छा जाता था.
भव्य आयोजनों की तैयारियां महीने भर पहले से की जाने लगती थीं. जन्मदिन तो बहाना होता था अपनी सरकार की उपलब्धियों को गिनाने और जनता का दिल जीतने के लिए घोषणाएं करने का लेकिन अखिलेश ने अपनी उपलब्धियों का ढिंढोरा पीटने के लिए जन्मदिन का सहारा नहीं लिया. हालांकि मात्र एक सौ आठ दिन के कार्यकाल में उपलब्धियों के रूप में गिनाने के लिए उनके पास बहुत कुछ है.
सूबे की कमान सम्भालने के बाद अपनी कार्यशैली से उन्होंने ऐसा माहौल दिया कि नौकरशाही ने भी तनावमुक्त होकर उनके दिशानिर्देशन में प्रदेश के विकास का खाका तैयार किया और उस पर काम शुरू हो गया. जनता दर्शन के माध्यम से जनता का उनसे सीधा जुड़ाव सम्भव हो सका. वर्षों से लटकी योजनाओं और जनता की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए अनेक योजनाओं को धरातल पर लाने का काम चल रहा है.
राज्य की 20 करोड़ की आबादी को इस बात का सुकून है कि सचिवालय से लेकर सरकारी दफ्तरों तक उसकी आवाज सुनी जा रही है. जनप्रतिनिधि सदन में जनता की आवाज बन रहे हैं. फिर भी अखिलेश ने जन्मदिन के मौके का फायदा नहीं उठाया. किसी खर्चीले समारोह का आयोजन न किया जाना, उनकी सादगी और सरलता का परिचायक है.
प्रदेश के नये मुखिया ने शपथ ग्रहण के बाद से अब तक कई बार सादगी का संदेश दिया है. उन्होंने कालिदास मार्ग के सारे बैरियर हटवा कर एक बार फिर यह रास्ता आम लोगों के लिए खोल दिया.
अपने काफिले में 40 कारों की संख्या घटा कर केवल 8 कर दी. मुख्यमंत्री के गुजरने वाले रास्तों पर आधे घण्टे पूर्व से यातायात पर लगने वाले प्रतिबंध को समाप्त कर यह एहसास कराया कि वह भी आम आदमी से अलग नहीं हैं.
ताहिर अब्बास : सहारा न्यूज ब्यूरो
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