बुधवार, 28 अगस्त 2013

हिंदू धर्म के सबसे बड़े पथ-प्रदर्शक हैं श्री कृष्ण

आज जन्माष्टमी है जिसे पूरे देश में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है. श्रीकृष्ण द्वारिकाधीश, केशव, गोपाल, नंदलाल, बांके बिहारी, कन्हैया, गिरधारी, मुरारी जैसे हजारों नामों से पहचाने जाने वाले भगवान श्रीकृष्ण को हिन्दू धर्म में विष्णु का अवतार माना गया है. वह एक साधारण व्यक्ति न होकर युग पुरुष थे. उनके द्वारा बताई गई गीता को हिंदू धर्म के सबसे बड़े ग्रंथ और पथ प्रदर्शक के रूप में माना जाता है.

मान्यता है कि द्वापर युग के अंतिम चरण में भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को मध्यरात्रि में  श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. इसी कारण शास्त्रों में भाद्रपद कृष्ण अष्टमी के दिन अर्द्धरात्रि में श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी मनाने का उल्लेख मिलता है. पुराणों में इस दिन व्रत रखने को बेहद अहम बताया गया है. 

उपवास की पूर्व रात्रि को हल्का भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें.

भगवान श्रीकृष्ण के व्रत-पूजन: उपवास के दिन प्रातःकाल स्नानादि नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं. पश्चात सूर्य, सोम, यम, काल, संधि, भूत, पवन, दिक्‌पति, भूमि, आकाश, खेचर, अमर और ब्रह्मादि को नमस्कार कर पूर्व या उत्तर मुख बैठें. इसके बाद जल, फल, कुश और गंध लेकर संकल्प करें-

ममखिलपापप्रशमनपूर्वक सर्वाभीष्ट सिद्धये
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रतमहं करिष्ये॥

अब मध्याह्न के समय काले तिलों के जल से स्नान कर देवकीजी के लिए ‘सूतिकागृह’ नियत करें. तत्पश्चात भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. मूर्ति में बालक श्रीकृष्ण को स्तनपान कराती हुई देवकी हों और लक्ष्मीजी उनके चरण स्पर्श किए हों अथवा ऐसे भाव हों अथवा ऐसे भाव हों तो अति उत्तम है. इसके बाद विधि-विधान से पूजन करें. पूजन में देवकी, वासुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा और लक्ष्मी इन सबका नाम क्रमशः निर्दिष्ट करना चाहिए.

फिर निम्न मंत्र से पुष्पांजलि अर्पण करें:

‘प्रणमे देव जननी त्वया जातस्तु वामनः।
वसुदेवात तथा कृष्णो नमस्तुभ्यं नमो नमः।
सुपुत्रार्घ्यं प्रदत्तं में गृहाणेमं नमोऽस्तुते।’

अंत में रतजगा रखकर भजन-कीर्तन करें. जन्माष्टमी के दिन रात्रि जाग कर भगवान का स्मरण व स्तुति करें अगर नहीं तो कम से कम बारह बजे रात्रि तक कृष्ण जन्म के समय तक अवश्य जागरण करें. साथ ही प्रसाद वितरण करके कृष्ण जन्माष्टमी पर्व मनाएं.

कृष्ण की स्तुति लगभग सारे भारत में किसी न किसी रूप में की जाती है. फिर भी कुछ ऐसे प्रमुख स्थल हैं जिनकी चर्चा केवल भगवान श्रीकृष्ण के संबंध में ही की जाती है.

मथुरा: उत्तर प्रदेश में यमुना नदी के पश्चिम किनारे पर बसा मथुरा शहर एक ऐतिहासिक एवं धार्मिक नगर के रूप में जाना जाता है. यह भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली और भारत की परम प्राचीन तथा जगद्-विख्यात नगरी है जिसकी व्याख्या शास्त्रों में युगों-युगों से की जा रही है.

वृंदावन: तीर्थस्थल वृंदावन उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के अंतर्गत आता है. वृंदावन श्रीकृष्ण की रासलीला का स्थल है. श्रीकृष्ण गोपियों के साथ यहां रास रचाने के लिए आते थे. यहां के कण-कण में कृष्ण और राधा का प्रेम बसा है.

गोकुल: गोकुल गांव भगवान कृष्ण से संबंधित प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। यमुना किनारे बसा यह गांव भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला का साक्षी है. भगवान श्रीकृष्ण ने बालपन में ज्यादातर लीलाएं यहीं पर रचाई थीं.

द्वारका: हिंदुओं का पवित्र स्थल द्वारका दक्षिण-पश्चिम गुजरात राज्य, पश्चिम-मध्य भारत का प्रसिद्ध नगर है. यह जगह भगवान कृष्ण की पौराणिक राजधानी थी, जिन्होंने मथुरा से पलायन के बाद इसकी स्थापना की थी.

गोकुल में जो करे निवास
गोपियों संग जो रचाए रास
देवकी-यशोदा है जिनकी मैया
ऐसे ही हमारे कृष्ण कन्हैया!

*********************
आओ मिलकर सजाये नन्दलाल को
आओ मिलकर करें उनका गुणगान!
जो सबको राह दिखाते हैं
और सबकी बिगड़ी बनाते हैं!

...आप सभी को 'कृष्ण-जन्माष्टमीपर्व की ढेरों बधाइयाँ !!

कोई टिप्पणी नहीं: