बुधवार, 14 अगस्त 2013

किताबों की दुनिया से जोड़ते बीरेंद्र कुमार यादव





पटना शहर के एक पत्रकार बीरेंद्र कुमार यादव ने संपूर्ण क्रांति, सर्वोदय और समाजवाद से जुड़े साहित्य को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए एक खास और दिलचस्प पहल की है। वे एक अभियान चला रहे हैं। यह लोगों में खासा लोकप्रिय भी होता जा रहा है और उनके चलते-फिरते या कहें खुले स्टाल पर रोजाना लोगों की न सिर्फ दिलचस्पी बढ़ रही है, बल्कि यहां से किताब खरीदने या उसके प्रति दिलचस्पी रखने वालों की संख्या भी निरंतर बढ़ रही है।

बीरेंद्र कुमार रोजाना सुबह सुबह की सैर के लिए पटना के इको पार्क आते हैं और फिर गेट के सामने अपने अभियान 'आमने-सामने : एक वैचारिक पहल' का बैनर रेलिंग की ग्रिल पर टांग कर अपने साथ लाए पुस्तकों को वहीं जमीन पर सजा देते हैं। बस शुरू हो जाता है यहीं से उनका अभियान-लोगों को किताबों से जोड़ने का।

यहां वे किताबों की बिक्री से कहीं अधिक उनकी प्रदर्शनी और इनके प्रति लोगों में एक नया उत्साह, नई दिलचस्पी जगाने में लग जाते हैं। वे यहां सुबह छह से आठ बजे तक पुस्तकों के साथ लोगों के समक्ष होते हैं।

वे गांधी, विनोबा, जयप्रकाश व लोहिया साहित्य को रखते हैं। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही परिवर्तनवादी व समतावादी पुस्तकों को भी वे रख रहे हैं ताकि सर्वोदय व समाजवाद के विविधि आयामों पर बहस हो। उनकी कोशिश है कि बिहारवासी लेखकों की उन पुस्तकों को भी प्रदर्शित करें, जो समतावादी, परिवर्तनवादी और सम्मानवादी विचारधारा को बढ़ावा देते हैं।


साभार जानकारी : फेसबुक पर जयप्रकाश मानस 

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