उत्तर प्रदेश की राजनीति के सबसे शक्तिशाली यादव परिवार का एक और सदस्य अब सक्रिय राजनीति में दस्तक देने को तैयार है। समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादवको 2017 का यूपीविधानसभा चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी चल रही है। वे लखनऊ कैंट सीट से सपा प्रत्याशी होंगी। इसके चलते राजनीतिक परिवारों से अलग मुलायम का परिवार एक ही पार्टी में है यानि अपर्णा को मिलाकर सभी 16 सदस्य समाजवादी पार्टी का हिस्सा हैं जिसे 77 साल के मुलायम सिंह यादव ने खड़ा कर दिया है। मिलते है मुलायम सिंह की 16 सदस्यों से जो राजनीति में अपना रुतबा जमा रहे है।
मुलायम सिंह यादव
नेताजी के नाम फेमस मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी के अगुआ और पार्टी संस्थापक हैं। उन्होंने 4 अक्टूबर 1992 को समाजवादी पार्टी का गठन किया था। अपने राजनीतिक करियर में वह तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। फिलहाल उनके बेटे अखिलेश यादव यूपी के सीएम हैं और वह केंद्र की राजनीति पर फोकस किए हुए हैं। मुलायम सिंह यादव ने राजनीति में परिवार के 20 सदस्यों की एंट्री करा दी है, जिसके आधार पर मुलायम परिवार देश का सबसे बड़ा सियासी परिवार बना हुआ है।
शिवपाल सिंह यादव
जीती हुई सीट पर घरवालों को लड़ाने के इस खेल में सबसे पहले शिवपाल सिंह यादव शामिल हुए। हालांकि, सहकारिता आंदोलन के जरिए शिवपाल सिंह यादव ने राजनीति में अपनी पैठ बना ली थी। वे 1988 में पहली बार इटावा के जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष चुने गए। 1996 में सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने अपनी जसवंतनगर की सीट छोटे भाई शिवपाल के लिए खाली कर दी थी। साथ ही खुद मैनपुरी से लोकसभा का चुनाव लड़ा। इसके बाद से ही शिवपाल सिंह यादव का जसवंतनगर की विधानसभा सीट पर का कब्जा बरकरार है।
रामगोपाल सिंह यादव
सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के चचेरे भाई रामगोपाल यादव मौजूदा समय में भले की राज्यसभा से सांसद हो, लेकिन उन्होंने भी राजनीति में एंट्री इसी जुगाड़ से की थी। मुलायम सिंह ने 2004 में संभल सीट रामगोपाल के लिए छोड़ दी थी और खुद मैनपुरी से सांसद का चुनाव लड़ा था। रामगोपाल ने भी इस सीट से जीत हासिल करके संसद पहुंचे थे।
अखिलेश यादव
सपा मुखिया में अपने भाइयों को राजनीति में एंट्री कर दी थी। अब बारी बेटे अखिलेश यादव की थी। इसके लिए उन्होंने 1999 की लोकसभा चुनाव संभल और कन्नौज दोनों सीटों लड़ा और जीता। इसके बाद सीएम अखिलेश के लिए कन्नौज की सीट खाली कर दी। अखिलेश ने कन्नौज की सीट से चुनाव लड़ा और जीता। इसी के साथ उनकी भी राजनीति में एंट्री हो चुकी थी।
धर्मेंद्र यादव
अखिलेश के बाद यादव परिवार के दूसरी पीढ़ी से सबसे पहले धर्मेंद्र यादव का नंबर लगा। 2004 में सीएम रहते हुए मुलायम सिंह यादव मैनपुरी से चुनाव लड़ा और जीता। बाद में यह सीट अपने भतीजे धर्मेंद्र यादव के लिए खाली कर दी। 25 साल के भतीजे ने भी अपने चाचा मुलायम को निराश नहीं किया और रिकॉर्ड वोटों से जीत हासिल की। उस वक्त उन्होंने 14वीं लोकसभा में सबसे कम उम्र के सांसद बनने का रिकार्ड बनाया। इसी के साथ धर्मेंद्र का भी राजनीति में कैरियर शुरू हो गया।
डिंपल यादव
पिता द्वारा राजनीति पदार्पण करने के इस नायाब तरीके को बेटे अखिलेश यादव ने भी अाजमाया। 2009 के लोकसभा चुनाव में कन्नौज और फिरोजाबाद से जीतकर फिरोजाबाद की सीट की अपनी पत्नी डिंपल यादव के लिए छोड़ दी, लेकिन इस बार पासा उलट पड़ गया और डिंपल को कांग्रेस उम्मीदवार राजबब्बर ने हारा दिया।
पहली बार में इस खेल में मात खाने बावजूद अखिलेश का भरोसा इस फार्मूले से नहीं टूटा। 2012 में मुख्यमंत्री बनने के बाद अखिलेश ने अपनी कन्नौज लोकसभा सीट एक बार फिर डिंपल के लिए खाली की। इसबार सूबे में सपा की लहर का आलम ये था कि किसी भी पार्टी की डिंपल के खिलाफ प्रत्याशी उतारने की हिम्मत नहीं हुई और वो निर्विरोध जीती।
तेज प्रताप यादव
तेजप्रताप यादव सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के पोते हैं। वे मैनपुरी से सांसद हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी और आजमगढ़ दोनों सीटों से चुनाव लड़ा था। इसके बाद उन्होंने अपनी पारंपरिक सीट मैनपुरी खाली कर दी थी। इस सीट पर उन्होंने अपने पोते तेज प्रताप यादव को चुनाव लड़ाया। तेजप्रताप ने भी अपने दादा को निराश नहीं किया और बंपर वोटों से चुनाव में जीत हासिल की। साथ ही इस राजनीति में धमाकेदार एंट्री की।
अक्षय यादव
अक्षय यादव मौजूदा समय में फिरोजाबाद से सपा सांसद हैं। अक्षय यादव भी पहली बार चुनाव जीतकर सक्रिया राजनीति में उतरे हैं। यह सीट यादव परिवार की पारंपरिक संसदीय सीट रही है। जब अखिलेश यादव ने वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में फिरोजाबाद और कन्नौज से चुनाव लड़ा था, उस समय फिरोजाबाद के चुनाव प्रबंधन की कमान अक्षय यादव ने संभाली थी। इसके बाद अखिलेश ने फिरोजाबाद सीट छोड़ दी और उपचुनाव में पत्नी डिंपल यादव को चुनाव लड़ाया। भाभी डिंपल का चुनाव प्रबंधन भी अक्षय ने संभाला था, लेकिन कांग्रेस नेता राज बब्बर ने डिंपल को हरा दिया था।
प्रेमलता यादव
मुलायम सिंह यादव के भाई राजपाल यादव की पत्नी हैं प्रेमलता यादव। 2005 में वह इटावा की जिला पंचायत अध्यक्ष चुनी गई थीं।
सरला यादव
यूपी के कैबिनेट मिनिस्टर शिवपाल यादव की पत्नी हैं सरला यादव। 2007 में जिला सहकारी बैंक इटावा की राज्य प्रतिनिधि बनाया गया था।
अरविन्द यादव
2012 में वह छिबरामऊ से विधानसभा चुनाव जीते थे। इससे पहले भी वह इसी सीट से विधायक बने थे।
अक्षय यादव
रामगोपाल यादव का बड़े बेटे हैं अक्षय यादव। फिरोजाबाद से लोकसभा सांसद हैं अक्षय यादव।
आदित्य यादव
शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव को जसवंत नगर लोकसभा सीट से एरिया इंचार्ज थे। मौजूदा समय में वह यूपीपीसीएफ के चेयरमैन हैं।
अंशुल यादव
राजपाल और प्रेमलता यादव के बड़े बेटे हैं अंशुल यादव। 2016 में इटावा से निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए हैं अंशुल यादव।
संध्या यादव
सपा सुप्रीमो की भतीजी और सांसद धर्मेंद्र यादव की बहन संध्या यादव ने जिला पंचायत अध्यक्ष के जरिए राजनीतिक एंट्री की है। उन्हें मैनपुरी से जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए निर्विरोध चुना गया है।
1 टिप्पणी:
परिवारवाद आजकल हर राजनैतिक पार्टी में घुसा हुआ है, बस कहीं ज्यादा और कहीं कम।
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