कमरे में हुआ करती थी। वजह यह थी कि जो इसका मर्म समझे बस वही इसका आनन्द उठाए। पर मैं चाहता था कि दुनिया के हर कोने तक पहुँचे।‘‘........... खैर हरिदेव जी की मेहनत रंग लाई और भगवान कृष्ण की कृपा से आज वे भारत में रासलीला के सर्वोत्कृष्ट प्रस्तुतिकारों में जाने जाते हैं। रासलीला विधा को नूतन आयाम देने के लिए वर्ष 2006 में राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के हाथो उन्हें पदमश्री से भी नवाजा गया। कईयों के लिए यह आश्चर्य का विषय था कि यह प्रतिष्ठित सम्मान किसी को सामाजिक कार्य या साहित्य लेखन के लिए नहीं बल्कि ‘रासलीला‘ जैसी लोक कला को वैश्विक स्तर पर ले जाने के लिए मिला।
बाल दिवस के अवसर पर बाल दिवस सह खेल-कूद प्रतियोगिता का आयोजन
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महिला एवं बाल विकास निगम बिहार तथा जिलाधिकारी मधेपुरा के निदेशानुसार बेटी
बचाओ बेटी पढाओ योजना अंतर्गत उत्क्रमित मध्य विद्यालय इटवा, गम्हरिया में बाल
दिव...
12 घंटे पहले
10 टिप्पणियां:
पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण ने रासलीला की पवित्रता को न सिर्फ ठेस पहुँचाई बल्कि इसे लोगों से दूर भी कर दिया। सालों तक बंद कमरे में होती आ रही रासलीला की प्रस्तुति को आम लोगों तक पहुँचाने का बीड़ा उठाया है राजस्थान में भरतपुर के गाँव जनुथर में जन्मे हरिदेव गोविन्द ने....इस उपलब्धि पर ढेरों बधाई और इस अनुपम पोस्ट के लिए साधुवाद !!
....चलिए किसी को तो भगवन कृष्ण की रासलीला की सुध आई.
लाजवाब प्रस्तुति...रास लीला का तो नाम सुनकर ही भगवन कृष्ण की याद आने लगती है. ऐसे ही 'यदुकुल' पर नई-नई जानकारियां देते रहें.
...रास लीला का बहुत खुबसूरत चित्र लगाया है आपने.
हरे कृष्णा..हरे कृष्णा
Bahut achhi jankari.
रासलीला का मर्म किसी ने तो समझा.हरिदेव गोविन्द ने इसे जो रूप दिया है उसके लिए साधुवाद स्वीकारें !!
60 वें गणतंत्र दिवस की ढेरों शुभकामनायें !!
सुन्दर ब्लॉग...सुन्दर रचना...बधाई !!
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60 वें गणतंत्र दिवस के पावन-पर्व पर आपको ढेरों शुभकामनायें !! ''शब्द-शिखर'' पर ''लोक चेतना में स्वाधीनता की लय" के माध्यम से इसे महसूस करें और अपनी राय दें !!!
बहुत ही सुन्दर सर जी .. एक नई पोस्ट के लिए हम प्रतीक्षारत
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