15वीं लोकसभा के नतीजे आ चुके हैं। तमाम दावों के बावजूद जहां मत प्रतिशत काफी कम रहा, वहीं राजनैतिक पंडितों एवं विश्लेषकों के पूर्वानुमान को धता बताते हुए जनता ने अपने वोट द्वारा एक बार फिर से सिद्ध कर दिया कि उसे स्थायित्व एवं शालीनता की राजनीति चाहिए न कि आरोप-प्रत्यारोप, ग्लैमर एवं बाहुबल की। इसके बावजूद आंकड़ों पर सरसरी नजर डाली जाए तो इस नवनिर्वाचित लोकसभा में 150 ऐसे प्रत्याशियों ने चुनाव जीता है जिन पर कई अपराधिक मामले लंबित हैं। इनमें 73 प्रत्याशियों पर कुल 412 संगीन मामले चल रहे हैं, जिसमें अकेले 213 गंभीर प्रकृति के हैं। पिछले 2004 के लोक सभा चुनाव में 128 सांसद आपराधिक पृष्ठभूमि के थे। उन पर 302 संगीन गंभीर प्रकृति के मामले चल रहे थे। इस प्रकार इस बार अपराधी छवि वाले सांसदों में 30।9 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। संतोष की बात यह है कि संगीन अपराध वाले बाहुबलियों की संसद में संख्या इस बार घटी है। फिलहाल यह गम्भीर विषय है कि नवनिर्वाचित लोकसभा में हर तीसरा सांसद आपराधिक पृष्ठभूमि वाला है।
नवनिर्वाचित 15वीं लोकसभा में करोड़पतियों की भी कोई कमी नहीं दिखती। हर दूसरा सांसद करोड़पति और तीसरा आपराधिक पृष्ठभूमि वाला है। 300 सौ सांसदों की संपत्ति करोड़ों में हैं। जहाँ आपराधिक पृष्ठभूमि में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है वहीं करोड़पतियों की फेहरिस्त में भी उत्तर प्रदेश के ही प्रत्याशी छाये हुए हैं।
तो ये हैं नई संसद की तस्वीर। जिस संसद से हम देश को प्रतिष्ठा एवं सामाजिक न्याय दिलाने की आशा करते हैं, दुर्भाग्यवश वही संसद अपने निर्वाचित सदस्यो ंके चलते कटघरे में खड़ी होती नजर आती है। धनबल-बाहुबल के बीच जनता की इच्छााओं का कितना सम्मान होगा, यह तो वक्त ही बतायेगा। फिलहाल हम तो प्रधानमंत्री जी से इतनी अपेक्षा अवश्य कर सकते हैं कि मंत्रिपरिषद से दागियों को बाहर रखकर एक नजीर प्रस्तुत करें।
नवनिर्वाचित 15वीं लोकसभा में करोड़पतियों की भी कोई कमी नहीं दिखती। हर दूसरा सांसद करोड़पति और तीसरा आपराधिक पृष्ठभूमि वाला है। 300 सौ सांसदों की संपत्ति करोड़ों में हैं। जहाँ आपराधिक पृष्ठभूमि में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है वहीं करोड़पतियों की फेहरिस्त में भी उत्तर प्रदेश के ही प्रत्याशी छाये हुए हैं।
तो ये हैं नई संसद की तस्वीर। जिस संसद से हम देश को प्रतिष्ठा एवं सामाजिक न्याय दिलाने की आशा करते हैं, दुर्भाग्यवश वही संसद अपने निर्वाचित सदस्यो ंके चलते कटघरे में खड़ी होती नजर आती है। धनबल-बाहुबल के बीच जनता की इच्छााओं का कितना सम्मान होगा, यह तो वक्त ही बतायेगा। फिलहाल हम तो प्रधानमंत्री जी से इतनी अपेक्षा अवश्य कर सकते हैं कि मंत्रिपरिषद से दागियों को बाहर रखकर एक नजीर प्रस्तुत करें।
6 टिप्पणियां:
लोकसभा को अपराधियों और करोड़पतियों की नहीं युवा सांसदों की जरुरत है, जिनके अन्दर लीक से हट कर कार्य करने का जज्बा हो.
....तो फिर संसद में गरीबों को कौन पूछेगा ??
...तो फिर आम जनता के प्रतिनिधि कहाँ हैं.
यही तो लोकतंत्र की विडम्बना है.
अपराधियों को तो संसद में बैठने का हक़ भी नहीं होना चाहिए.
एक टिप्पणी भेजें