(इण्डिया टुडे के 11 नबम्बर 2009 अंक में यू0पी0- उत्तराखण्ड के कुछ ऐसे विलक्षण परन्तु अनचीन्ही शख्सियतों के बारे में चर्चा है जिन्होने जीवन के विविध क्षेत्रों में परिश्रम और दृढ़ संकल्प के बूते कुछ अलग कार्य किया है। इनमें से कुछ एक नाम यदुवंश से हैं, इन सभी को यदुकुल की तरफ से बधाई)--
वर्तमान में सुखद भविष्य के अंकुर दिखते हैं, आजमगढ़ के एक प्राइमरी अध्यापक के बेटे 26 वर्षीय डाॅ0 अनिल कुमार यादव को भारतीय अल्ट्रासोनिक सोसाइटी ने पिछले साल डाॅ0 एम।पांचोली सम्मान के लिए चुना, यह उनके उस निष्कर्ष का सम्मान था जिसमें उन्होने पता लगाया कि गैलियम नाइट्राइड नैनोट्यूब की मोटाई बदलने से उसकी ऊष्मा चालकता कितनी बदलती है, इसका उपयोग ऊर्जा संरक्षण, हाइपावर-हाइफ्रेक्वेंसी इलेक्ट्रानिक उपकरण, ब्लू लाइट एमिटिंग उपकरण, चिकित्सकीय परीक्षणों और बायोकेमिकल सेंसिंग उपकरणों को किफायती बना सकता है। सम्मान के निर्णायकों में देश और विदेश के नामी वैज्ञानिक थे. अनिल कुमार यादव कहते हैं, ’’अच्छा शिक्षक और वैज्ञानिक बनना मेरी तमन्ना है.’’ बतौर डा0 राजाराम यादव, रीडर, इलाहबाद विश्वविद्यालय-"अन्वेषी मष्तिक, टीम भावना, अहंकार शून्यता, जल्दी समझने की शक्ति अनिल कुमार यादव के गुण हैं।"
सफलता का गुरः हर काम को नये ढंग से और समर्पित भाव से करना.
सबसे बड़ी बाधाः इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अनुसंधान के लिए संसाधनों की कमी.
सबसे बड़ी ताकतः पढ़ाई, अध्यापन और अनुसंधान में दिलचस्पी,
जिंदगी का सबसे अहम क्षणः जब प्रथम डाॅ0 एम पंचोली अवार्ड के लिए चुना गया.
4 टिप्पणियां:
भावी वैज्ञानिक का स्वागत है...
इलाहाबादी की जय हो...जमे रहो गुरु.
जिंदगी का सबसे अहम क्षणः जब प्रथम डाॅ0 एम पंचोली अवार्ड के लिए चुना गया....Ap hamesha pratham hi rahen...shubhkamnayen !!
डा. अनिल कुमार यादव आप को हार्दिक बधाई. m 09818032913
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