शनिवार, 19 दिसंबर 2009

विवादों के घेरे में एक सार्थक पुस्तक : आल्हा-उदल और बुंदेलखंड

आजकल किताबें बाजार में बाद में आती हैं, उनकी चर्चा पहले आरंभ हो जाती है. किताब में कितने भी चैप्टर हों, पर यदि एक चैप्टर विवादित हो गया तो पूरी किताब को इसकी कीमत चुकानी पड़ती है. ऐसा ही हुआ है कौशलेन्द्र प्रताप यादव की पुस्तक "आल्हा-उदल और बुंदेलखंड" के साथ. कौशलेन्द्र उत्तर प्रदेश के बिजनौर जनपद में ARTO के पद पर तैनात हैं. 198 पृष्ठों की यह पुस्तक तीन में खण्डों विभाजित हैं- बुंदेलखंड, आल्ह खण्ड, महोबा खण्ड. प्रथम खंड में बुंदेलखंड की पूरी संस्कृति खूबसूरत चित्रों के साथ समाहित है. पुस्तक का पहला चैप्टर ही खजुराहो की मूर्तियों के बारे में है कि ये अश्लील नहीं हैं, बल्कि इनके पीछे तमाम रहस्य छुपे हुए हैं. बुंदेलखंड के तमाम अमर चरित्र और चर्चित स्थानों के बारे में पुस्तक में शोधपरक जानकारियां दी गई हैं. प्रथम खंड में सम्मलित अंतिम चैप्टर "1857 की झूठी वीरांगना-रानी लक्ष्मीबाई" को लेकर ही इस पुस्तक का तमाम लोगों द्वारा विरोध किया जा रहा है, यहाँ तक की लेखक के सर की कीमत भी 30,000 रूपये मुक़र्रर कर दी गई है. ऐसी घटनाओं को देखकर कई बार शक भी होता है कि हम एक लोकतान्त्रिक राष्ट्र हैं या नहीं. आल्हा-उदल-मलखान के किस्से हमने बहुत सुने हैं, पर यह पुस्तक उनके सम्बन्ध में तमाम जानकारी उपलब्ध कराती है. महोबा के तालाब-बावड़ियों कि कहानी यहाँ दर्ज है, तो लखनऊ में भी महोबा कि बात यहाँ दर्ज की गई है। लोक-भाषा में दिए गए तमाम उद्धरण पुस्तक को रोचक बनाते हैं. कुल मिलाकर पुस्तक काफी रोचक और शोधपूर्ण है. लेखक ने महोबा में अपनी पोस्टिंग के दौरान जो अनुभव बटोरे, उन्हें शब्दों की धार दी, जिसके चलते पुस्तक और भी महत्वपूर्ण हो गई है. ग्लेज़्ड पृष्ठों पर उकेरी गई इस पुस्तक को लेकर एक शिकायत हो सकती है कि इसका मूल्य हर किसी के वश में नहीं है, पर इस पुस्तक को पढ़ना एक सुखद अनुभव हो सकता है. लेखक कौशलेन्द्र प्रताप यादव इस पुस्तक के लिए साधुवाद के पात्र हैं !!

पुस्तक : आल्हा-उदल और बुन्देलखण्ड/ लेखक : कौशलेन्द्र प्रताप यादव /मूल्य : 650/- / पृष्ठ : 198/प्रकाशक : प्रगति प्रकाशन-240, वैस्टर्न कचहरी रोड, मेरठ

8 टिप्‍पणियां:

Amit Kumar Yadav ने कहा…

इतिहास के झरोखे से नई-नई बातें. कौशलेन्द्र जी का आभार.

Unknown ने कहा…

Nice Book...Congts.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

कृष्ण कुमार जी के बाद कौशलेन्द्र जी की चर्चा..वाकई प्रशासन और साहित्य का मेलजोल बड़ा विचित्र है...उस पर से इतनी भारी पुस्तकें लिखना, बधाई.

Bhanwar Singh ने कहा…

यदुकुल के माध्यम से यादवों द्वारा लिखी तमाम पुस्तकों के बारे में जानकारी...आप यादव समाज के हित में अच्छा कार्य कर रहे हैं.

raghav ने कहा…

Kahan milegi yah pustak.

R kumar ने कहा…

hello sir kya apne ye book read ki ya apke pass ho to plz call me 7906049214

Deepak Yadav ने कहा…

किताब में नाना साहब के बारे में भी लिखा गया है।

Unknown ने कहा…

ज्यादा जानकारी चाहिए तो आल्हा वंशजों से संपर्क करें