(इण्डिया टुडे के 11 नबम्बर 2009 अंक में यू0पी0- उत्तराखण्ड के कुछ ऐसे विलक्षण परन्तु अनचीन्ही शख्सियतों के बारे में चर्चा है जिन्होने जीवन के विविध क्षेत्रों में परिश्रम और दृढ़ संकल्प के बूते कुछ अलग कार्य किया है। इनमें से कुछ एक नाम यदुवंश से हैं, इन सभी को यदुकुल की तरफ से बधाई)-
आज संगीत की एक विधा बिरहा को बचाने में लगे हैं 37 वर्षीय डाॅ0 मन्नू यादव। चौथी कक्षा से बिरहा सीखने लग गए मन्नू यादव ने इस विधा की मौलिकता बनाकर रखी और उसे विश्व पटल पर ले जाने के लिए प्रयासरत हैं. नौंवी कक्षा तक जाते-जाते वे बाल कलाकार के रूप में विख्यात हो चुके थे और रामदेव, परशूराम तथा बुल्लू जैसे कलाकारों से उनका मुकाबला होने लगा था. मूलरूप से मिर्जापुर जिले के निवासी मन्नू यादव की गायकी में अश्लीलता और फूहड़ता की बजाए छंद, मात्रा, पिंगल, अलंकार, बंदिश, कलाघर छंद, माधवी छंद, जवाब बंद और अक्षर छंदों की सुन्दर मंचीय प्रस्तुती को लोगों ने खूब सराहा. नतीजतन उनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी और उन्हें बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बुलाया जाने लगा. वे विभिन्न राज्यों में बिरहा गायन शैली प्रस्तुत कर चुके हैं. 2007 मे सार्क देशों के फोर फेस्टिवल में भी वे बिरहा प्रस्तुति के लिए आमंत्रित किए गए, जहाँ उन्होंने अपने गायन से लोगों का मन मोह लिया।
सफलता का गुरः ईमानदारी और सच्चाई का पालन करना
सबसे बड़ी बाधा : ईर्ष्या करने वाले लोग हैं जो दूसरों को आगे बढ़ने नहीं देना चाहते।
सबसे बड़ी ताकतः खुद पर भरोसा रखना, जिससे आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है.
जिंदगी का सबसे अहम क्षणः सन् 1857 की क्रांति के 150 वर्ष पूरे होने पर लालकिले से जब राष्ट्रपति की उपस्थिति में उन्होने बिरहा गायन किया.
सबसे बड़ी बाधा : ईर्ष्या करने वाले लोग हैं जो दूसरों को आगे बढ़ने नहीं देना चाहते।
सबसे बड़ी ताकतः खुद पर भरोसा रखना, जिससे आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है.
जिंदगी का सबसे अहम क्षणः सन् 1857 की क्रांति के 150 वर्ष पूरे होने पर लालकिले से जब राष्ट्रपति की उपस्थिति में उन्होने बिरहा गायन किया.
5 टिप्पणियां:
बिरहा विधा को संवर्धित करने हेतु मन्नू यादव जी का योगदान स्तुत्य है.
पढाई के दिनों में हम लोग बिरहा खूब सुनते थे, पर अब तो शहरों में इसके बोल सुनाई भी नहीं देते. ऐसे में बिरहा के बारे में पढ़कर बड़ी प्रसन्नता हुई. मन्नू यादव जी को इस अप्रतिम विधा के उन्नयन में सहयोग के लिए हार्दिक शुभकामनायें.
जिंदगी का सबसे अहम क्षणः सन् 1857 की क्रांति के 150 वर्ष पूरे होने पर लालकिले से जब राष्ट्रपति की उपस्थिति में उन्होने बिरहा गायन किया....Thats great !!
Ab to birha sunana hi padega.
मन्नू यादव जी आप ने इन्सान के दर्द की भाषा को चुना है .निरंतर समाज को कला कि ऊंचाई दें मेरी शुभ कामनाएं;.09818032913
एक टिप्पणी भेजें