यह एक भ्रम मात्र है। इस जनगणना से हमें समाज का वास्तविक रुप पता चल सकेगा। भारतीय समाज के समाजशास्त्रीय-नृतत्वशास्त्रीय अध्ययन में ये सूचनाएं काफी सहायक सिद्ध होंगी। इसके अलावा सामाजिक न्याय को भी इन सूचनाओं के संग्रहण द्वारा नए आयाम दिये जा सकेंगे। जाति आधारित जनगणना कई आयामों में एक बेहतर कदम होगा। अभी भी केंद्र सरकार के पास जाति आधारित अपना कोई आंकड़ा नहीं है, इस संबंध में वह राज्यों पर निर्भर है। ऐसे में विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं एवं आरक्षण नीति के सम्यक अनुपालन के लिए यह प्रमाणिक जानकारी बेहद जरुरी है।
(जातिवार गणना के विरोध में उठाये गए हर सवाल का जवाब क्रमश: अगले खंड में)
2 टिप्पणियां:
जब तक जाति आधारित जनगणना खत्म नहीं होगी जातिवाद भी खत्म नहीं हो सकता.
जाति आधारित जनगणना कदापि नहीं होनी चाहिए.
बहुत सही लिखा आपने. जिन लोगों ने जाति की आड में सदियों तक शोषण किया, आज अपने हितों पर पड़ती चोट को देखकर बौखला गए हैं. जातिवाद के पोषक ही आज जाति आधारित जनगणना के आधार पर जातिवाद के बढ़ने का रोना रो रहे हैं. इस सारगर्भित लेख के लिए आपकी जितनी भी बड़ाई करूँ कम ही होगी. अपने तार्किक आधार पर जाति-गणना के पक्ष में सही तर्क व तथ्य पेश किये हैं..साधुवाद !!
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