अंतत: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी कि सत्ता में पुनर्वापसी... युवा अखिलेश यादव के जज्बे और करिश्मे ने रंग दिखाया और मुलायम सिंह यादव के अनुभवों ने. अखिलेश यादव यूँ ही युवराज नहीं बने हैं, बल्कि इसके पीछे भी कई दास्ताँ छुपी हुई है.
पत्नी डिम्पल यादव की हार अखिलेश के जीवन में एक निर्णायक मोड़ साबित हुई, जहाँ उन्हें यह फैसला करना था कि कौन उनका सगा है और कौन पराया. अमर सिंह के चंगुल में छटपटाती सपा, जातिवाद और गुंडाराज के आरोप, मुलायम सिंह यादव का गिरता स्वास्थ्य, मायावती का सपा के प्रति तानाशाही रवैया, समर्थन के बावजूद कांग्रेस की उपेक्षा और अंतत: राहुल फैक्टर, जिसने कभी मुलायम सिंह के करीबी रहे राजबब्बर को जिताने के लिए और डिम्पल यादव को हराने के लिए खुलकर मोर्चा लिया. उसी समय अखिलेश यादव ने कहा था कि शुरुआत राहुल की तरफ से हुई है. उसके बाद अखिलेश ने अपने को मुलायम सिंह के पुत्र की बजाय एक स्वतंत्र व्यक्तित्व के रूप में उभारना आरंभ किया. शर्मीला अखिलेश सड़कों पर लोहा लेने निकल पड़ा...और अंतत: वो खुशनसीब दिन आया, जब सपा ने अपने गठन के बाद सबसे बड़ी कामयाबी हासिल की.
पत्नी डिम्पल यादव की हार अखिलेश के जीवन में एक निर्णायक मोड़ साबित हुई, जहाँ उन्हें यह फैसला करना था कि कौन उनका सगा है और कौन पराया. अमर सिंह के चंगुल में छटपटाती सपा, जातिवाद और गुंडाराज के आरोप, मुलायम सिंह यादव का गिरता स्वास्थ्य, मायावती का सपा के प्रति तानाशाही रवैया, समर्थन के बावजूद कांग्रेस की उपेक्षा और अंतत: राहुल फैक्टर, जिसने कभी मुलायम सिंह के करीबी रहे राजबब्बर को जिताने के लिए और डिम्पल यादव को हराने के लिए खुलकर मोर्चा लिया. उसी समय अखिलेश यादव ने कहा था कि शुरुआत राहुल की तरफ से हुई है. उसके बाद अखिलेश ने अपने को मुलायम सिंह के पुत्र की बजाय एक स्वतंत्र व्यक्तित्व के रूप में उभारना आरंभ किया. शर्मीला अखिलेश सड़कों पर लोहा लेने निकल पड़ा...और अंतत: वो खुशनसीब दिन आया, जब सपा ने अपने गठन के बाद सबसे बड़ी कामयाबी हासिल की.
उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनावों में 224 सीटों पर जीत दर्ज कर न सिर्फ एक नई इबारत लिखी, बल्कि राहुल गाँधी के नेतृतव पर प्रश्न चिन्ह भी लगा दिया. एक डिम्पल की हार राहुल को इतनी महँगी पड़ेगी, कांग्रेसियों ने भी नहीं सोचा था. अंतत:, पहली बार राहुल गाँधी को प्रेस-कांफ्रेंस कर उत्तर प्रदेश में हुई हार की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेनी पड़ी, और मुलायम-अखिलेश को बधाई देनी पड़ी. जिस सपा का तथाकथित रूप से वे घोषणा-पत्र फाड़ कर एंग्री-यंगमैन बन रहे थे और इसे गुंडों की पार्टी बता रहे थे, उसी सपा ने अखिलेश यादव के नेतृतव में वो कर दिखाया, जिसने राहुल गाँधी का भावी प्रधानमंत्री के रूप में प्रोजेक्शन पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया. बहन प्रियंका गाँधी के कन्धों पर हाथ रखकर अपने निवास पर लौटते राहुल गाँधी को यह तो एहसास हो ही गया कि वे भले ही नाम के युवराज हों, पर असली युवराज तो अखिलेश हैं, जो लोगों के दिलों पर राज कर रहे हैं !!
-राम शिव मूर्ति यादव : यदुकुल
-राम शिव मूर्ति यादव : यदुकुल
4 टिप्पणियां:
बहुत अच्छी प्रस्तुति| होली की आपको हार्दिक शुभकामनाएँ|
इतमीनान रखिए राहुल गांधी कभी पी एम नाही बन पाएंगे।
अखिलेश और मुलायम सिंह जी की जीत पर मुबारकवाद।
जब आगरा मे मै सपा मे था मैंने सुझाव दिया था अखिलेश जी को आगे लाने का। किन्तु राम आसरे विश्वकर्म इस सुझाव का श्रेय ले गए। अखिलेश जी तब युवा मामलो के राष्ट्रीय प्रभारी बनाए गए थे। उचित समय पर पत्राचार अपने ब्लाग 'विद्रोही स्व-स्वर मे' दूंगा।
Sabse Pahle Uttar Pradesh Ki Mahan Janata TO Shat-Shat Naman ki unhone vikas ke liye Samawadi Party ko Chuna.Shri Akhilesh Yadav Jee Yuva Hai aur unpar Uttar Pradesh Ne Jaat Paat Se UPar Uthar bharosa kiya hai.Bharosa Kariye UP Viksit Pradesh Banega.Yadukul Blog ka hardik dhanyabaad.Holi Mubarak hai.
Ant bhala to sab bhala..
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