गुरुवार, 29 अगस्त 2013

ब्लागर दम्पति कृष्ण कुमार यादव-आकांक्षा यादव को मिलेगा ”परिकल्पना साहित्य व ब्लॉग विभूषण” सम्मान

 
हिंदी ब्लॉगिंग के माध्यम से समाज और साहित्य के बीच सेतु निर्माण के निमित्त चर्चित  ब्लागर एवं इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव और उनकी पत्नी आकांक्षा यादव को क्रमशः ”परिकल्पना साहित्य सम्मान” व  ”परिकल्पना ब्लॉग विभूषण सम्मान” के लिए चुना गया है। यह सम्मान 13-14 सितंबर 2013 को नेपाल की राजधानी काठमाण्डू के राजभवन में आयोजित ‘अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन‘ में प्रदान किया जायेगा। इन सम्मान के अंतर्गत स्मृति चिन्ह, सम्मान पत्र, श्री फल, पुस्तकें अंगवस्त्र और एक निश्चित धनराशि प्रदान किए जाएंगे। 

     गौरतलब है कि यादव दंपति एक लम्बे समय से साहित्य और ब्लागिंग से अनवरत जुडे़ हुए हैं। अभी पिछले वर्ष ही इन दम्पति को उ.प्र. के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा न्यू मीडिया ब्लागिंग हेतु ”अवध सम्मान” और हिन्दी ब्लागिंग के दस साल पूरे होने पर ”दशक के श्रेष्ठ हिन्दी ब्लागर दम्पति” सम्मान से भी नवाजा गया था। कृष्ण कुमार यादव जहाँ “शब्द-सृजन की ओर“ (www.kkyadav.blogspot.com/) और “डाकिया डाक लाया“ (www.dakbabu.blogspot.com/) ब्लॉग के माध्यम से सक्रिय हैं, वहीं आकांक्षा यादव “शब्द-शिखर“ (www.shabdshikhar.blogspot.com/) ब्लॉग के माध्यम से। इसके अलावा इस दंपत्ति द्वारा सप्तरंगी प्रेम, बाल-दुनिया और उत्सव के रंग ब्लॉगों का भी युगल संचालन किया जाता है। कृष्ण कुमार-आकांक्षा यादव ने वर्ष 2008 में ब्लॉग जगत में कदम रखा और 5 साल के भीतर ही विभिन्न विषयों पर आधारित दसियों ब्लॉग  का संचालन-सम्पादन करके कई लोगों को ब्लागिंग की तरफ प्रवृत्त किया और अपनी साहित्यिक रचनाधर्मिता के साथ-साथ ब्लागिंग को भी नये आयाम दिये। कृष्ण कुमार यादव के ब्लॉग सामयिक विषयों, मर्मस्पर्शी कविताओं व जानकारीपरक, शोधपूर्ण आलेखों से परिपूर्ण है; वहीं नारी विमर्श, बाल विमर्श एवं सामाजिक सरोकारों सम्बन्धी विमर्श में विशेष रुचि रखने वाली आकांक्षा यादव अग्रणी महिला ब्लॉगर हैं और इनकी रचनाओं में नारी-सशक्तीकरण बखूबी झलकता है। गौरतलब है कि इस ब्लागर दम्पति की सुपुत्री अक्षिता (पाखी) को ब्लागिंग हेतु 'पाखी की दुनिया' (www.pakhi-akshita.blogspot.com/) ब्लॉग के लिए सबसे कम उम्र में 'राष्ट्रीय बाल  पुरस्कार' प्राप्त हो चुका है। अक्षिता को परिकल्पना समूह द्वारा श्रेष्ठ नन्ही ब्लागर के ख़िताब से भी सम्मानित किया जा चुका है। 

    लगभग समान अभिरुचियों से युक्त इस दंपति की विभिन्न विधाओं में रचनाएँ देश-विदेश की प्रायः अधिकतर प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं और इंटरनेट पर वेब पत्रिकाओं व ब्लॉग पर निरंतर प्रकाशित होती रहती है। कृष्ण कुमार यादव की 6 कृतियाँ ”अभिलाषा” (काव्य संग्रह), ”अभिव्यक्तियों के बहाने” व ”अनुभूतियाँ और विमर्श” (निबंध संग्रह), इण्डिया पोस्ट: 150 ग्लोरियस ईयर्ज (2006) एवं ”क्रांतियज्ञ: 1857-1947 की गाथा” (2007), ”जंगल में क्रिकेट” (बालगीत संग्रह) प्रकाशित हैं, वहीं आकांक्षा यादव की एक मौलिक कृति ”चाँद पर पानी” (बालगीत संग्रह) प्रकाशित है।

बुधवार, 28 अगस्त 2013

हिंदू धर्म के सबसे बड़े पथ-प्रदर्शक हैं श्री कृष्ण

आज जन्माष्टमी है जिसे पूरे देश में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है. श्रीकृष्ण द्वारिकाधीश, केशव, गोपाल, नंदलाल, बांके बिहारी, कन्हैया, गिरधारी, मुरारी जैसे हजारों नामों से पहचाने जाने वाले भगवान श्रीकृष्ण को हिन्दू धर्म में विष्णु का अवतार माना गया है. वह एक साधारण व्यक्ति न होकर युग पुरुष थे. उनके द्वारा बताई गई गीता को हिंदू धर्म के सबसे बड़े ग्रंथ और पथ प्रदर्शक के रूप में माना जाता है.

मान्यता है कि द्वापर युग के अंतिम चरण में भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को मध्यरात्रि में  श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. इसी कारण शास्त्रों में भाद्रपद कृष्ण अष्टमी के दिन अर्द्धरात्रि में श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी मनाने का उल्लेख मिलता है. पुराणों में इस दिन व्रत रखने को बेहद अहम बताया गया है. 

उपवास की पूर्व रात्रि को हल्का भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें.

भगवान श्रीकृष्ण के व्रत-पूजन: उपवास के दिन प्रातःकाल स्नानादि नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं. पश्चात सूर्य, सोम, यम, काल, संधि, भूत, पवन, दिक्‌पति, भूमि, आकाश, खेचर, अमर और ब्रह्मादि को नमस्कार कर पूर्व या उत्तर मुख बैठें. इसके बाद जल, फल, कुश और गंध लेकर संकल्प करें-

ममखिलपापप्रशमनपूर्वक सर्वाभीष्ट सिद्धये
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रतमहं करिष्ये॥

अब मध्याह्न के समय काले तिलों के जल से स्नान कर देवकीजी के लिए ‘सूतिकागृह’ नियत करें. तत्पश्चात भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. मूर्ति में बालक श्रीकृष्ण को स्तनपान कराती हुई देवकी हों और लक्ष्मीजी उनके चरण स्पर्श किए हों अथवा ऐसे भाव हों अथवा ऐसे भाव हों तो अति उत्तम है. इसके बाद विधि-विधान से पूजन करें. पूजन में देवकी, वासुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा और लक्ष्मी इन सबका नाम क्रमशः निर्दिष्ट करना चाहिए.

फिर निम्न मंत्र से पुष्पांजलि अर्पण करें:

‘प्रणमे देव जननी त्वया जातस्तु वामनः।
वसुदेवात तथा कृष्णो नमस्तुभ्यं नमो नमः।
सुपुत्रार्घ्यं प्रदत्तं में गृहाणेमं नमोऽस्तुते।’

अंत में रतजगा रखकर भजन-कीर्तन करें. जन्माष्टमी के दिन रात्रि जाग कर भगवान का स्मरण व स्तुति करें अगर नहीं तो कम से कम बारह बजे रात्रि तक कृष्ण जन्म के समय तक अवश्य जागरण करें. साथ ही प्रसाद वितरण करके कृष्ण जन्माष्टमी पर्व मनाएं.

कृष्ण की स्तुति लगभग सारे भारत में किसी न किसी रूप में की जाती है. फिर भी कुछ ऐसे प्रमुख स्थल हैं जिनकी चर्चा केवल भगवान श्रीकृष्ण के संबंध में ही की जाती है.

मथुरा: उत्तर प्रदेश में यमुना नदी के पश्चिम किनारे पर बसा मथुरा शहर एक ऐतिहासिक एवं धार्मिक नगर के रूप में जाना जाता है. यह भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली और भारत की परम प्राचीन तथा जगद्-विख्यात नगरी है जिसकी व्याख्या शास्त्रों में युगों-युगों से की जा रही है.

वृंदावन: तीर्थस्थल वृंदावन उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के अंतर्गत आता है. वृंदावन श्रीकृष्ण की रासलीला का स्थल है. श्रीकृष्ण गोपियों के साथ यहां रास रचाने के लिए आते थे. यहां के कण-कण में कृष्ण और राधा का प्रेम बसा है.

गोकुल: गोकुल गांव भगवान कृष्ण से संबंधित प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। यमुना किनारे बसा यह गांव भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला का साक्षी है. भगवान श्रीकृष्ण ने बालपन में ज्यादातर लीलाएं यहीं पर रचाई थीं.

द्वारका: हिंदुओं का पवित्र स्थल द्वारका दक्षिण-पश्चिम गुजरात राज्य, पश्चिम-मध्य भारत का प्रसिद्ध नगर है. यह जगह भगवान कृष्ण की पौराणिक राजधानी थी, जिन्होंने मथुरा से पलायन के बाद इसकी स्थापना की थी.

गोकुल में जो करे निवास
गोपियों संग जो रचाए रास
देवकी-यशोदा है जिनकी मैया
ऐसे ही हमारे कृष्ण कन्हैया!

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आओ मिलकर सजाये नन्दलाल को
आओ मिलकर करें उनका गुणगान!
जो सबको राह दिखाते हैं
और सबकी बिगड़ी बनाते हैं!

...आप सभी को 'कृष्ण-जन्माष्टमीपर्व की ढेरों बधाइयाँ !!

बुधवार, 14 अगस्त 2013

समाज व परिवेश को प्रतिबिंबित करती है फोटोग्राफी - कृष्ण कुमार यादव


श्री गंगा कल्याण समिति की ओर से दो दिवसीय नौवीं अखिल भारतीय लक्ष्मी छायाचित्र प्रदर्शनी इलाहाबाद विश्वविद्यालय के निराला आर्ट गैलरी में शुरू हुई। प्रदर्शनी का उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप में इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवायें, कृष्ण कुमार यादव ने दीप प्रज्जवलित कर किया। उन्होंने प्रदर्शनी का अवलोकन करने के बाद कहा कि इस तरह की छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन नियमित रूप से होना चाहिए। इससे युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिलती है। डाक निदेशक श्री यादव ने कहा कि फोटोग्राफी एक विधा के साथ-साथ हमारे समाज और परिवेश का प्रतिबिंब भी है। मात्र आड़ी तिरछी लाइनें खींचनी ही फोटोग्राफी नहीं हैं बल्कि उसका यथार्थ भी निकलना चाहिए।

विशिष्ट अतिथि जिलाधिकारी राजशेखर ने फोटो प्रदर्शनी की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसी छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन होना चाहिए जिससे कि कुछ नयापन लोगों को देखने को मिले। उन्होंने कहा कि छायाचित्र अपनी संस्कृति की पहचान को बढ़ावा देते हैं।  इससे अधिक से अधिक लोगों को जुड़ना चाहिए।

अध्यक्षता करते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दृश्य कला विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो0 अजय जेतली ने कहा कि इलाहाबाद शुरू से ही साहित्यकारों, कलाकारो का कर्मक्षेत्र रहा है। इस शहर से सभी क्षेत्रों में लोगांे में पहचान भी बनायी है।

छायाचित्र प्रदर्शनी के सचिव जितेन्द्र प्रकाश ने प्रदर्शनी पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि अगले वर्ष से अंतर्राष्ट्रीय स्तर के छायाकारों के भी छायाचित्र प्रदर्शनी में देखने को मिलेगा। उन्होंने बताया कि इस बार छायाचित्र प्रदर्शनी में 119 फोटोग्राफरों की 1160 तस्वीरें आयी थीं। श्रीमती लक्ष्मी अवस्थी ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में वीरेन्द्र पाठक, एस के यादव, राजेश सिंह, पवन द्विवेदी, संजोग मिश्रा, विरेन्द्र प्रकाश, केनिथ जान, अनुराग अस्थाना, अमरदीप, रजत शर्मा, संजीव बनर्जी, संजय सक्सेना सहित बड़ी संख्या में छायाकार और अन्य लोग मौजूद रहे। संचालन वरिष्ठ पत्रकार अभिलाष नारायण ने किया।


किताबों की दुनिया से जोड़ते बीरेंद्र कुमार यादव





पटना शहर के एक पत्रकार बीरेंद्र कुमार यादव ने संपूर्ण क्रांति, सर्वोदय और समाजवाद से जुड़े साहित्य को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए एक खास और दिलचस्प पहल की है। वे एक अभियान चला रहे हैं। यह लोगों में खासा लोकप्रिय भी होता जा रहा है और उनके चलते-फिरते या कहें खुले स्टाल पर रोजाना लोगों की न सिर्फ दिलचस्पी बढ़ रही है, बल्कि यहां से किताब खरीदने या उसके प्रति दिलचस्पी रखने वालों की संख्या भी निरंतर बढ़ रही है।

बीरेंद्र कुमार रोजाना सुबह सुबह की सैर के लिए पटना के इको पार्क आते हैं और फिर गेट के सामने अपने अभियान 'आमने-सामने : एक वैचारिक पहल' का बैनर रेलिंग की ग्रिल पर टांग कर अपने साथ लाए पुस्तकों को वहीं जमीन पर सजा देते हैं। बस शुरू हो जाता है यहीं से उनका अभियान-लोगों को किताबों से जोड़ने का।

यहां वे किताबों की बिक्री से कहीं अधिक उनकी प्रदर्शनी और इनके प्रति लोगों में एक नया उत्साह, नई दिलचस्पी जगाने में लग जाते हैं। वे यहां सुबह छह से आठ बजे तक पुस्तकों के साथ लोगों के समक्ष होते हैं।

वे गांधी, विनोबा, जयप्रकाश व लोहिया साहित्य को रखते हैं। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही परिवर्तनवादी व समतावादी पुस्तकों को भी वे रख रहे हैं ताकि सर्वोदय व समाजवाद के विविधि आयामों पर बहस हो। उनकी कोशिश है कि बिहारवासी लेखकों की उन पुस्तकों को भी प्रदर्शित करें, जो समतावादी, परिवर्तनवादी और सम्मानवादी विचारधारा को बढ़ावा देते हैं।


साभार जानकारी : फेसबुक पर जयप्रकाश मानस 

सोमवार, 12 अगस्त 2013

पूर्व केंद्रीय मंत्री डीपी यादव का जाना

पूर्व केंद्रीय मंत्री डीपी यादव के नाम से भला कौन अपरिचित होगा। वह उन राजनेताओं में से थे, जिन्होंने अंत तक शुचिता का दमन नहीं छोड़ा।11 अगस्त को उनके  निधन के साथ ही इस परंपरा का एक वाहक भी ख़त्म हो गया। उन्होंने दिल्ली के मैक्स अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे 76 वर्ष के थे। 

 गौरतलब है कि डीपी यादव 1972 में पहली बार सांसद बने थे। उस वक्त उनकी उम्र महज 34 वर्ष थी। कांग्रेस के टिकट पर उन्होंने महान समाजवादी नेता मधुलिमये को पराजित किया था। 1977 के चुनावों में वे कृष्ण सिंह से पराजित हो गए थे। मगर, 1980 के चुनावों में उन्होंने कृष्ण सिंह को पराजित कर बदला चुकता कर लिया था।

डीपी यादव इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में केंद्रीय उप शिक्षा मंत्री बने।  नई दिल्ली स्थित राजेंद्र भवन ट्रस्ट के उपाध्यक्ष रहे डीपी यादव महान शिक्षाविद भी थे। ‘मेरे सपनों का मुंगेर’, ‘बिहार आज और कल’, ‘ बिहार भविष्य के पांच साल ‘, ‘जागृत बिहार की तस्वीर’ जैसी दर्जनों पुस्तकें भी उन्होंने लिखीं।तीन बार मुंगेर संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके यादव अपने जीवन के अंतिम क्षणों तक अपने क्षेत्र की समस्याओं के प्रति जागरुक रहे।

शनिवार, 10 अगस्त 2013

बनारस के डॉ. चौथी राम यादव को लोहिया साहित्य सम्मान


उप्र हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह की अध्यक्षता में बुधवार को लगभग छह घंटे चली बैठक के बाद पुरस्कारों की घोषणा की गई। उप्र हिंदी संस्थान का प्रतिष्ठित भारत भारती पुरस्कार पद्मभूषण गोपाल दास नीरज को दिया जाएगा। जाने-माने गीतकार और उप्र भाषा संस्थान के अध्यक्ष नीरज को पुरस्कार के तहत पांच लाख दो हजार रुपये नगद दिए जाएंगे। बनारस के डॉ. चौथी राम यादव को लोहिया साहित्य सम्मान से नवाजा जाएगा। वरिष्ठ साहित्यकार सोम ठाकुर को हिंदी गौरव सम्मान, मन्नू भंडारी को महात्मा गांधी साहित्य सम्मान, डॉ. बलदेव बंशी को पं. दीनदयाल उपाध्याय सम्मान और चित्रा मुद्गल को अवंती बाई सम्मान प्रदान किया जाएगा।

इन सभी को 4-4 लाख रुपये नगद दिए जाएंगे। उप्र हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह की अध्यक्षता में बुधवार को लगभग छह घंटे चली बैठक के बाद पुरस्कारों की घोषणा की गई।

बैठक में 112 पुरस्कारों के लिए नामों पर सहमति बनी। उम्मीद जताई जा रही है कि हिंदी संस्थान के अध्यक्ष मुख्यमंत्री से अनुमोदन मिलने के बाद 14 सितंबर को होने वाले भव्य आयोजन में सभी को पुरस्कृत किया जाएगा।

इनका भी होगा सम्मान

उप्र हिंदी संस्थान के निदेशक डॉ. सुधाकर अदीब ने बताया कि पुरस्कार समिति ने लोकभूषण सम्मान के लिए डॉ. अवध किशोर जड़िया, कला भूषण सम्मान के लिए वरिष्ठ रंगकर्मी डॉ. सूर्यमोहन कुलश्रेष्ठ, विद्याभूषण सम्मान के लिए डॉ. अशोक चक्रधर, विज्ञान भूषण सम्मान के लिए प्रो. कृष्णा मुखर्जी, पत्रकारिता भूषण सम्मान के लिए त्रिलोकदीप, प्रवासी भारतीय हिंदी भूषण सम्मान के लिए तेजेंद्र शर्मा और बाल साहित्य भारती सम्मान के लिए प्रकाश मनु को चयनित किया। 

सभी को दो-दो लाख रुपये की पुरस्कार राशि प्रदान की जाएगी। संस्थान की ओर से वर्ष 2012 का हिंदी विदेश प्रसार सम्मान डॉ. विमलेश कांति वर्मा को और विश्वविद्यालय स्तरीय सम्मान प्रो. आरिफ नजीर व डॉ. सोमेश कुमार शुक्ला को दिया जाएगा।

इन सभी को 50 हजार रुपये की पुरस्कार राशि दी जाएगी। अशोक निगम को मधु लिमये सम्मान और राजर्षि पुरुषोत्तम टंडन सम्मान तिरुवनंतपुरम की केरल हिंदी प्रचार सभा को दिया जाएगा।

दोनों को दो-दो लाख रुपये की सम्मान राशि दी जाएगी। इन पुरस्कारों के अलावा पुरस्कार समिति ने 10 साहित्यकारों को साहित्य भूषण और 11 साहित्यकारों को सौहार्द सम्मान के लिए चुना है।

इनके अलावा अलग-अलग पुस्तकों पर कई श्रेणियों में लेखकों को पुरस्कृत किया जाएगा। 

साहित्य भूषण सम्मान: पुरस्कार राशि दो लाख रुपये
डॉ. पुष्पपाल सिंह, नसीम साकेती, डॉ. जितेंद्रनाथ मिश्र, शैलेंद्र सागर, डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र, वीरेंद्र यादव, डॉ. शिवओम अंबर, चंद्रसेन विराट, डॉ. रामशंकर त्रिपाठी और विनोद चंद्र पांडेय विनोद। �

सौहार्द सम्मान: पुरस्कार राशि दो लाख दो हजार रुपये 
डॉ. कीर्ति केसर (पंजाबी), डॉ. विद्या केशव चिटको (मराठी), चिङगांबम निशान निङतम्बा (मणिपुरी), महेंद्र शर्मा (उड़िया), डॉ. हरीश रमणलाल द्विवेदी (गुजराती), डॉ. नागलक्ष्मी (तमिल), विष्णु राजाराम देवगिरि (कन्नड़), रजनी पाथरे ‘राजदान’ (कश्मीरी), डॉ. प्रभात कुमार भट्टचार्य (बंगला), पारनन्दि निर्मला (तेलुगु) और डॉ. वीवी विश्वम (मलयालम)।