बुधवार, 10 दिसंबर 2014

'चरवाहा' ने भी दी मंगलयान को उड़ान : चरवाहे से वैज्ञानिक तक का अमित यादव का सफर

उत्तर प्रदेश के  जौनपुर के एक गांव में गाय चराने वाला आज विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में विश्वभर में नाम कमा रहा है। प्रतिभा के दम पर ही उसने चरवाहा से मंगलयान का इंजन बनाने तक का सफर तय किया। 23 सितंबर को पहले प्रयास में ही सफलता पूर्वक मंगल पर जाने वाले यान के लिए दस से ज्यादा इंजन बनाने में सहयोग किया। इसकी चर्चा न्यूयार्क टाइम्स ने भी अपने छह अक्टूबर के अंक में संपादकीय पेज पर एक कार्टून बनाकर की है।

जौनपुर के खुटहन क्षेत्र के नेवादा गांव के अमित यादव का मन शुरुआती दिनों से ही पढ़ाई के साथ गाय चराने में लगता था। गाय चराने में व्यस्त अमित ने इंटरमीडिएट की बोर्ड परीक्षा में भौतिक विज्ञान का एक प्रश्नपत्र देना ही भूल गए थे। तेज दिमाग के धनी अमित ने एक प्रश्नपत्र में अधिक नंबर प्राप्त कर पूरे विषय में पास हो गए। इसके बाद चंद्रशेखर आजाद विश्वविद्यालय कानपुर से बीटेक, आइआइटी मुंबई से एमटेक की पढ़ाई पूरी की। 2007 में एलपीएससी इसरो तिरुअनंतपुरम केरल केंद्र में उनको पीएसएलवी प्रोग्राम में वैज्ञानिक सी के पद पर नियुक्त मिली। प्रमोशन मिलने के बाद अब वैज्ञानिक डी के पद पर तैनात हैं। इनका चयन भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर मुंबई के लिए भी हुआ था मगर अंतरिक्ष को जानने के जुनून और एपीजे अब्दुल कलाम की प्रेरणा के कारण इसरो जाना उचित समझा।

मंगलयान के चौथे इंजन पीएसएलवी में उनका अहम योगदान है। चंद्रयान, मंगलयान समेत कई और पीएसएलवी यान के लिए इंजन बनाने में मदद की है। अमित अपनी सफलताओं का श्रेय शिक्षक डा.बृजेश यदुवंशी व अपने खास मित्र ब्रह्मानंद यादव को देते हैं।

वैज्ञानिकों में भी चरवाहा के नाम से मशहूर
अमित ने विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में एक अलग पहचान बनाई है। इसके बाद भी वह वैज्ञानिकों के बीच अपने पुराने शौक गाय चराने के लिए हमेशा जाने जाते हैं।

न्यूयार्क टाइम्स में भी चर्चा
दि न्यूयार्क टाइम्स ने छह अक्टूबर को संपादकीय पेज पर कार्टून प्रकाशित किया, जिसमें दिखाया गया कि ग्रामीण वेशभूषा का एक शख्स गाय लेकर एलीटिस्ट स्पेस क्लब का दरवाजा खटखटा रहा है और अंदर संभ्रांत से दिख रहे कुछ लोग बैठे हैं। यह कार्टून सिंगापुर के हेंग किम सॉन्थ ने भारत के अंतरिक्ष में सशक्त प्रयासों पर बनाया था। अखबार के संपादक एंड्रयू शेसेंथल ने हेंग का बचाव करते हुए लिखा कि अंतरिक्ष अभियान पर अब केवल अमीरों का ही कब्जा नहीं रह गया है, जिसका मतलब पश्चिमी देशों से था।

शनिवार, 22 नवंबर 2014

मुलायम सिंह यादव : 75 साल, 75 बातें


मुलायम सिंह यादव 22 नवंबर, 2014 को जीवन के  75 साल पूरे कर चुके हैं। इन 75 सालों  उन्होंने पहलवानी से
लेकर राजनीति में खूब दांव चले और तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार में रक्षा मंत्री जैसा ओहदा संभाला। अपने परिवार की तीन पीढ़ियों को उन्होंने अपने सामने राजनीति में पल्ल्वित-पुष्पित किया, यद्यपि इसको लेकर उन्हें आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा। पर इन सबके बावजूद उनका सफर अनवरत जारी है। मुलायम सिंह  पर अब तक 28 किताबें लिखी गईं हैं। सभी में कुछ न कुछ नया तथ्य शामिल किया गया है। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन पर उनके जीवन से जुड़ी 75 रोचक बातें।


1. मुलायम सिंह यादव अपने परिवार में तीसरे नंबर के बेटे थे। जब वह पैदा हुए थे तो गांव के ही पंड़ित ने कहा था, यह लड़का पढ़ेगा और कुल का नाम रोशन करेगा। पंड़ित की बात सुनकर उनके पिता सुघर सिंह ने उन्हें पढ़ाने की ठान ली थी।

2 गांव के प्रधान महेंद्र सिंह इकलौते थोड़े बहुत पढ़े लिखे व्यक्ति थे। मुलायम सिंह यादव के पिता सुघर सिंह ने उनसे पढ़ाने की मिन्नतें की।  सुघर सिंह, मुलायम का पढ़ाई के प्रति जज्बा देख कर तैयार हो गए। उन्होंने मुलायम को पढ़ाना शुरू कर दिया। महेंद्र सिंह दिन भर गांव का काम निपटाते और रात में चौपाल पर मुलायम को पढ़ाते। 

3 मुलायम को पढ़ते देख अन्य परिवारों ने भी अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेजना शुरू किया। बच्चों की रूचि को देखकर महेंद्र सिंह ने गांव वालों के साथ मिलकर एक झोपड़ी का इंतजाम किया जहां सिर्फ बच्चों के जमीन में बैठने का इंतजाम था। 

4 उस स्कूल के पहले मास्टर सुजान ठाकुर हुए। सुजान ठाकुर ने बच्चों को बुलाकर उनसे सवाल जवाब किए और कुछ बच्चों को सीधे तीसरी कक्षा में दाखिला दिया। इसमें मुलायम सिंह यादव भी शामिल थे। 

5 मुलायम के पिता सुघर सिंह उन्हें बड़ा पहलवान बनाना चाहते थे। यही वजह थी कि उन्होंने पहलवानी भी सीखी और मुलायम का मनपसंद दांव था चरखा दांव।

6. अखिलेश का जैसे निक नेम है टीपू। मुलायम का इस तरह का कोई नाम नहीं है। बचपन में भी लोग उन्हें मुलायम पहलवान के नाम से बुलाते थे। 

7. मुलायम शुरू से ही जाति व्यवस्था में विश्वास नहीं करते थे। एक वाकया है, तीसरी कक्षा में एक उच्च जाति का लड़का एक जाटव छात्र को पीट रहा था। मुलायम ने ना सिर्फ मदद मांग रहे उस लड़के की मदद की, बल्कि पीटने वाले लड़के की पिटाई भी की थी। 

8. मुलायम के पसंदीदा खेल गुल्ली-डंडा, खो-खो, कबड्डी और कुश्ती थे।

9. मुलायम 15 वर्ष की उम्र में राजनीति से जुड़े और लोहिया के आंदोलन में भाग लिया। लोहिया आंदोलन से जुड़ने के बाद वह गांव-गांव जाया करते थे। इसी वजह से वह बगल के गांव में पहुंचे। जहां नीची जाति के लोग रहते थे। अपने साथियों के साथ पहुंचे मुलायम सिंह ने उनका आतिथ्य भी स्वीकार किया जोकि उस ज़माने में घ्रणित माना जाता था। नीची जाति का आतिथ्य स्वीकार करने की वजह से मुलायम को सैफई गांव में पंचायत में हाजिर होना पड़ा था, लेकिन मुलायम ही वह शख्सियत हैं, जो किसी भी दबाव में झुके नहीं। उनसे जब कहा गया कि या तो अब नीची जाति के लोगों से मिलना छोड़ दो या जुर्माना दो, तो उन्होंने कहा जुर्माना दूंगा।

10. मुलायम सिंह यादव का बाल विवाह हुआ था। जोकि उनके चाचा ने कराया था। जबकि वह विरोध में थे। बाद में उन्होंने बाल विवाह, दहेज, मृत्यु भोज और जातिप्रथा जैसी व्यवस्थाओं के खिलाफ अभियान भी चलाया था। 

11. मुलायम सिंह यादव पहला चुनाव छात्रसंघ का लड़े थे और जीते भी थे। उस समय उनके विरोध में खड़े लोग अमीर लोग थे। तब उन्होंने अपने संसाधन से फल-फूल खरीदे और अपने मित्र शिवराज सिंह यादव को दिए। तब उन्होंने यह फल लोगों तक पहुंचाए और लोगों को मुलायम के विचारों को बताया।

12. नत्थू सिंह मुलायम के राजनीतिक गुरु माने जाते हैं। मुलायम के करीबी बताते हैं कि मुलायम को राजनीति में लाने वाले नत्थू सिंह ही हैं। मुलायम की पहलवानी देखने आए वर्तमान समय के विधायक नत्थू सिंह उनके दाव पेंच से काफी खुश हुए। अखाड़े में जीते मुलायम को उन्होंने गले लगाया और कहा तुम बहुत आगे जाओगे। 

13. वर्ष 1966 में इटावा में सभा को संबोधित करने आए डॉ. राम मनोहर लोहिया पहले भी मुलायम का नाम सुन चुके थे। मुलायम की सक्रियता देख कर ही, उन्होंने मुलायम से मिलने की इच्छा जताई थी। 

14.पहली बार मुलायम सिंह यादव जब चुनाव लड़े, तो उनके खिलाफ कांग्रेस के लाखन सिंह यादव लड़े थे। विरोधी उनको नौसिखिया कह कर उनका मजाक उड़ाते थे, लेकिन जमीन से जुड़े मुलायम ने उन्हें झटका देते हुए विधायकी जीती थी। 

15.आपातकाल जब लगा था तो उसके दूसरे दिन ही मुलायम को मलेपूरा गांव से गिरफ्तार किया गया था। काफी भारी संख्या में फोर्स ने गांव को घेरकर यह करवाई की थी। जनता ने जब विरोध किया तो मुलायम ने सबको चुप करवा दिया था और गिरफ्तार हो गए थे। मुलायम गिरफ्तार होने के बाद 19 महीने इटावा जेल में रहे थे।


16.मुलायम की बढ़ती लोकप्रियता से परेशान होकर विरोधियों ने उन पर हमला भी करवाया था। 1984 में मैनपुरी के करहल ब्लाक के कुर्रा थाने के तहत महीखेडा गांव के बाहर उन पर लौटते वक्त हमला हो गया था। दरअसल मुलायम गांव में एक शादी में शामिल होने गए थे। तब हमलावरों ने उन पर झाड़ियों में छिपकर गोलियों से हमला कर दिया था। मुलायम ने चालाकी बरतते हुए सुरक्षाकर्मियों से कहा कि जोर जोर से चिल्लाओ नेताजी मार दिए गए। सुरक्षाकर्मियों ने वैसा ही किया और हमलावर उनकी बात सुनकर आश्वस्त होकर भाग गए। इस हमले में मुलायम के साथ चल रहे एक कार्यकर्ता की मौत हो गयी थी, जबकि एक अन्य घायल हो गया था। 

17.चौधरी चरण सिंह ने मुलायम से प्रभावित होकर जालौन में एक सभा के दौरान उन्हें अपना बेटा बताया था और बस्ती में सभा के दौरान उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। चौधरी चरण सिंह की मृत्यु के बाद उनकी समाधि राजघाट के बगल में बनाने पर मुलायम अड़ गए थे। काफी जद्दोजहद के बाद उन्हें सफलता मिली थी।

18.1989 में जब मुलायम को राज्य का मुख्यमंत्री बनाने की बात हुई, तो कई लोगों ने विरोध किया, लेकिन 15 जनवरी 1989 को कानपुर में इकठ्ठा हुई दो लाख की भीड़ ने सबकी बोलती बंद कर दी। यही नहीं, पूरे राज्य से इकठ्ठा किया गया 51 लाख रुपए की थैली भी उन्हें पकड़ाई गई।

19.मुलायम को कमजोर करने के उद्देश्य से मुलायम के करीबी दर्शन सिंह यादव को विरोधियों ने तोड़ लिया इटावा में जिला परिषद के चुनाव को लेकर दर्शन सिंह और मुलायम में ठन गई थी। मुलायम ने राम गोपाल का नाम फाइनल किया, तो दर्शन सिंह विरोध में उतर आए और कांग्रेस की ओर से जसवंत नगर क्षेत्र में चुनाव लड़ा।

20.मुलायम पर एक बार फिर हमला हुआ था। चुनाव अभियान के तहत क्रांति रथ से चल रहे मुलायम पर हैवरा के पास एक मिल से काफी गोलियां चली। सड़क पर बम भी रखे गए थे। इस हमले में मुलायम क्रांति रथ के ड्राइवर हेतराम की चालाकी से बाल बाल बचे थे जबकि शिवपाल यादव इस हमले में जख्मी हो गए थे।

21. रामजन्म भूमि और बाबरी मस्जिद प्रकरण सुलझाने के लिए जो समिति बनायी गयी थी। उसमे मधु दंडवते, जार्ज फर्नांडिस और मुलायम सिंह थे। बाद में विरोध के चलते मुलायम को हटाकर मुख्तार अनीस को समिति में जगह दे दी गई। मुलायम से वीपी सिंह ने न तो समिति के बारे में शामिल करने के लिए पूछा था न ही बाहर करने के लिए।

22. मुलायम जब जैन इंटर कॉलेज में पढ़ा करते थे, तब एक बार कवि सम्मेलन हुआ था। जब कवि ने सरकार विरोधी कविता पढ़नी शुरू की तो वहां मौजूद पुलिस अफसर ने विरोध किया तो मुलायम तपाक से मंच पर चढ़े और उसे पटकनी मार दी। 

23.मुलायम ने शुरूआती दौर में पढ़ाया भी है। तब के समय में शिक्षक को आदर से देखा जाता था। इसी सोच के तहत उन्होंने शिक्षक का पेशा चुना। इसके लिए उन्होंने बीटीसी की ट्रेनिंग भी ली थी। मुलायम सिंह सन 1989 से पहले मैनपुरी के करहल कस्बे में स्थित जैन इंटर कॉलेज में पढ़ाते थे। अब वह रिटायरमेंट ले चुके हैं। शिक्षक रहते हुए मुलायम ने सहकारी आंदोलन चलाया था। इसकी वजह से उनके भाई शिवपाल यादव का राजनीति में आने का रास्ता खुला था। 

24.शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद ने जब दोबारा रामजन्म भूमि पर शिलान्यास करने का फैसला किया तो लाख विरोध के बावजूद मुलायम ने 30 अप्रैल 1990 को शंकराचार्य को गिरफ्तार कर लिया।

25.राजनीति में व्यस्त मुलायम ने हमेशा पढ़ाई को वरीयता दी। उन्होंने राजनीतिक जीवन से समय निकाल कर आगरा यूनिवर्सिटी से राजनीतिक शास्त्र की डिग्री ली। 

26.मुलायम के करीबी दोस्त थे शिवराज सिंह यादव और गरीब दास।

27. मुलायम सिंह का परिवार देश का सबसे बड़ा राजनीतिक कुनबा है। इस सबसे बड़े राजनीतिक कुनबे से कुल 13 लोग क्रमश: मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, डिंपल यादव, शिवपाल यादव, राम गोपाल यादव, अंशुल यादव, प्रेमलता यादव, अरविंद यादव, तेज प्रताप सिंह यादव, सरला यादव, अंकुर यादव, धर्मेंद्र यादव और अक्षय यादव राजनीतिक धरातल पर जोर-आजमाइश कर रहे हैं। 

28.पांच भाइयों में तीसरे नंबर के मुलायम सिंह के दो विवाह हुए हैं, पहली मालती देवी, रही हैं, जिनके निधन के पश्चात उन्होंने सुमन गुप्ता से विवाह किया। अखिलेश यादव मालती देवी के पुत्र हैं, जबकि मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक यादव को उनकी दूसरी पत्नी सुमन ने जन्म दिया है।

29.संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर पहली बार जसवंत नगर क्षेत्र से 28 वर्ष की आयु में मुलायम 1967 में विधानसभा सदस्य चुने गए। इसके बाद तो वे 1974, 77, 1985, 89, 1991, 93, 96 और 2004 और 2007 में बतौर विधान सभा सदस्य चुने गए। इस बीच वे 1982 से 1985 तक यूपी विधान परिषद के सदस्य और नेता विरोधी दल रहे। पहली बार 1977-78 में राम नरेश यादव और बनारसी दास के मुख्यमंत्रित्व काल में सहकारिता एवं पशुपालन मंत्री बनाए गए। इसके बाद से ही वे करीबी लोगों के बीच मंत्रीजी के नाम से जाने लगे।

 30. दो नवंबर 1990 को अयोध्या में बेकाबू हो गए कारसेवकों पर यूपी पुलिस को गोली चलने का आदेश देकर मुलायम विवादों में आ गए थे, इस फायरिंग में कई कारसेवक मारे गए थे।

31.मुलायम के करीबी बताते हैं कि मुलायम की राजनीति की शुरुआत भी सहकारी बैंकों से हुई थी। करीब चालीस साल पहले बलरई कस्बे में सहकारी बैंक की शाखा खुली जिसमे मुलायम सिंह यादव भी चुनाव लड़ने के लिए खड़े हुए और आसपास के क्षेत्रों के मास्टर जो सहकारी समिति के सदस्य थे उनके वोट से वह जीते थे।

32.लोहिया के 'नहर रेट आंदोलन' में मुलायम ने भाग लिया और पहली बार जेल गए। 

33.मुलायम को 1977-78 में जब पहली बार मंत्री बनाया गया, तो उन्होंने एक क्रान्तिकारी कदम उठाया था, जिससे न केवल प्रदेश को फायदा हुआ बल्कि कहने तो समाजवादी पार्टी में आज के परिवारवाद की नींव भी उसी समय पड़ी। बतौर उत्तर प्रदेश के सहकारिता एवं पशुपालन मंत्री मुलायम सिंह यादव ने पहले किसानों को एक लाख क्विंटल और उसके दूसरे साल 2160 लाख क्विंटल बीज बंटवाए। उनके इसी कार्यकाल में उत्तर प्रदेश में डेयरी का उत्पादन बढ़ा। 

34.मुलायम के सिर पर वर्ष 1992 में एक और सेहरा बंधा जब उन्होंने पांच नवंबर 1992 को लखनऊ में समाजवादी पार्टी की स्थापना की गई। भारत के राजनैतिक इतिहास में यह एक महत्वपूर्ण अध्याय था, क्योंकि लगभग डेढ़-दो दशकों से हाशिये पर जा चुके समाजवादी आंदोलन को मुलायम ने पुनर्जीवित किया था। 

35.इसके अगले वर्ष ही 1993 में हुए विधान सभा चुनावों में समाजवादी पार्टी का गठबंधन बीएसपी से हुआ। हालांकि इस गठजोड़ को पूर्ण बहुमत नहीं मिला, लेकिन जनता दल और कांग्रेस के समर्थन के साथ उन्होंने दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 

36. मुलायम सिंह यादव सपा के अध्यक्ष होने के पहले उत्तर प्रदेश लोकदल और उत्तर प्रदेश जनता दल के अध्यक्ष भी रहे हैं। 

37. मशहूर पत्रकार स्वर्गीय आलोक तोमर ने अपने संस्मरण में लगभग 42 वर्ष पुरानी घटना का जिक्र करते हुए एक जगह लिखा है, "उन दिनों बलरई में सहकारी बैंक खुली। ये चालीस साल पुरानी बात है। मास्टर मुलायम सिंह चुनाव में खड़े हुए और इलाके के बहुत सारे अध्यापकों और छात्रों के माता पिताओं को पांच पांच रुपए में सदस्य बना कर चुनाव भी जीत गए। 

38. मुलायम सिंह यादव कब किससे नाराज हो जाएं और कब किसको समर्थन दे बैठे, शायद उन्हें भी इसका अंदाजा नहीं रहता। मुलायम ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए पहले ममता बनर्जी के साथ जाने का एलान किया फिर पलट गए और कांग्रेस प्रत्याशी प्रणब मुखर्जी के नाम पर मुहर लगा दी। इसके बावजूद उन्होंने मतदान के समय पीए संगम के नाम के आगे मुहर लगा दी। 

39. मुलायम सिंह तीन बार यूपी की कमान बतौर सीएम संभल चुके हैं।

40. मुलायम सिंह यादव पर उनके कुछेक राजनैतिक मित्रों ने धोखा देने का आरोप भी लगाया।  जिसमे अजित सिंह, चंद्रशेखर, वामपंथी, ममता बनर्जी और यूपीए सरकार भी शामिल है। बदलती राजनीतिक परिस्थितियों के चलते मुलायम सिंह यादव ने कुछ ऐसे राजनीतिक दांव चले जो दोस्तों के लिए घातक  साबित हुए।

41.मुलायम सिंह यादव की पत्नी मालती  देवी को अखिलेश यादव के रूप में 16 साल बाद पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी।

42. 1967 में 28 साल के मुलायम सिंह यादव सबसे कम उम्र के विधायक बनके विधानसभा पहुंचे थे। यही से उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत हुई थी।

43.बाद में मुलायम सिंह यादव के विरोधी बने सैफई गांव के दर्शन सिंह ने मुलायम के पुत्र का नाम टीपू रखा था। दर्शन सिंह तर्क देते हैं कि उस ज़माने में या तो महापुरुषों के नाम पर नामकरण किया जाता था या फिर देवी देवताओं के नाम पर।

44.मुलायम सिंह यादव की इच्छा पर ही यूपी सरकार इटावा लायन सफारी को विकसित कर रही है।

45.जाति व्यवस्था को तोड़ते हुए मुलायम सिंह यादव और राजनारायण दलितों को लेकर काशी  विश्वनाथ मंदिर में घुसे थे

46.मुलायम सिंह यादव की तरह अखिलेश यादव ने भी कुछ दिनों तक सैफई गांव में पढ़ाई की है।

47.मुलायम सिंह यादव के बेटे 'टीपू' का दूसरा नाम उनके पारिवारिक दोस्त एडवोकेट एसएन तिवारी ने अखिलेश रखवाया था। एसएन तिवारी ने ही इटावा में अखिलेश का मुलायम के कहने पर सेंट मैरी स्कूल में एडमिशन करवाया था।

48.मुलायम सिंह यादव की पहली पत्नी मालती देवी अक्सर बीमार रहती थीं। हालांकि उनका बेहतरीन इलाज करवाया गया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ था।

49.अखिलेश के जन्म के समय तक मुलायम सिंह यादव इटावा से निकल कर लखनऊ में एक किराए के मकान में रह कर राजनीति करते थे।

50.मुलायम की पहली पत्नी मालती देवी की मौत 25 मई 2003 को हुई थी।

51.मुलायम सिंह यादव ने करनाल के जैन इंटर कॉलेज से इंटरमीडियट की पढ़ाई पूरी की। बाद में केके कॉलेज से पढ़े।

52.यूपी के फिरोजाबाद जिले के बीटी डिग्री यानि शिक्षण में स्नातक की डिग्री हासिल करने मुलायम सिंह यादव शिकोहाबाद कॉलेज गए। उनके मन में शिक्षक बनने की इच्छा थी।

53.शिक्षक बन कर मुलायम ने जैन इंटर कॉलेज में ही बच्चों को पढ़ाने पहुंचे। यहां से मुलायम ने इंटर पास किया था।

54.मुलायम सिंह यादव ने अपने छोटे भाई शिवपाल यादव को जैन इंटर कॉलेज में बतौर शिक्षक पढ़ाया है।

55.मुलायम सिंह यादव ने विधायक बनने के बाद एमए किया। वह घंटी बजने के बाद परीक्षा हाल में पहुंचते थे और घंटी बजने से पहले पेपर ख़त्म कर चले जाते थे। ताकि उत्साही छात्रों की भीड़ से बच सके।

56.मुलायम सिंह यादव के साथ साथ उनके पांचों भाई और चचेरे भाई रामगोपाल यादव भी कुश्ती लड़ते थे।

57.मुलायम सिंह यादव जब से शिक्षक बने तब से उन्होंने अखाड़े में उतरना बंद कर दिया था। हालांकि वह कुश्ती के आयोजन करवाया करते थे।

58.मुलायम सिंह यादव का बड़ा राजनीतिक कुनबा होने के बावजूद उनके एक भाई अभय राम आज भी सादगी भरा जीवन सैफई में रहकर जीते हैं। आज भी वह खेतों में काम करते दिखेंगे। इसी तरह उनके भाई रतन सिंह भी किसानी में रमे थे, लेकिन उनकी हाल ही में मृत्यु हो गई।

59.जब मुलायम सिंह यादव जेल में थे तो उन्होंने अपने छोटे भाई शिवपाल यादव को अपना संदेशवाहक बनाया था। तब शिवपाल पढ़ाई करते थे और साथ साथ मुलायम के दिए सन्देश उनके समर्थकों को पहुंचाते थे।

60.38 साल की उम्र में मुलायम सिंह यादव पहली बार कैबिनेट मंत्री बने थे और 38 साल की उम्र में उनके बेटे अखिलेश यादव पहली बार यूपी के सीएम बने हैं।


61.मुलायम सिंह यादव की ससुराल रायपुरा में है।

62.पत्नी मालती देवी की मृत्यु के बाद मुलायम सिंह यादव ने साधना गुप्ता से शादी की थी। यह बहुत ही सादे समारोह की तरह ही था कुछ चुनिन्दा लोग पहुंचे थे। कहा जाता है कि इस शादी को अमर सिंह ने कानूनी जामा पहनाया था।

63.यह शादी तब सार्वजनिक हुई थी, जब मुलायम सिंह यादव ने सुप्रीम कोर्ट में एक एफिडेविट दाखिल किया था। सुप्रीम कोर्ट में मुलायम के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला चल रहा था।

64.साधना गुप्ता से भी मुलायम को एक बेटा है प्रतीक यादव।

65.मुलायम सिंह यादव के बड़े बेटे अखिलेश यादव की शादी डिम्पल यादव से 1999 में हुई थी। उनके तीन  बच्चे हैं

66.जबकि उनके दूसरे बेटे प्रतीक यादव की शादी अपर्णा यादव से 2011 में हुई है।

67.अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायम सिंह की दूसरी शादी का कभी विरोध नहीं किया है।

68.एक तथ्य यह भी है कि मुलायम के साथ जिन्होंने राजनीति शुरू की थी वह तो अब इस दुनिया में नहीं है या फिर किसी अन्य पार्टी में चले गए हैं। उनकी कमी आज भी मुलायम को खलती है।

69.मुलायम सिंह यादव के बड़े भाई रतन सिंह शुरूआती पढ़ाई के बाद सेना में भर्ती हो गए थे। उन्होंने 1962 और 1965 में चीन और पाकिस्तान से लड़ाइयां लड़ी थीं। गंभीर दुर्घटना के बाद उन्होंने फौज छोड़ दी थी।

70.मुलायम सिंह यादव के दोनों किसान भाई मुलायम के सीएम पद के शपथ ग्रहण में शामिल नहीं हुए और ना ही अखिलेश के शपथ ग्रहण में शामिल हुए हैं।


71.मुलायम के परिवार में बच्चों के निक नेम खूब है जैसे टीपू, बिल्लू, तेजू, सिल्लू, टिल्लू। धर्मियां, दीपू, छोटू और बब्बू है।

72.यादव परिवार में ज्यादातर बच्चों के नाम अ वर्णमाला से शुरू होते हैं।

73.ख़ास बात इनमें से ज्यादातर बच्चों की डेट ऑफ़ बर्थ जून या जुलाई के महीनों की है। ऐसा नहीं है कि यह सभी जून जुलाई में पैदा हुए हैं बल्कि इन्ही महीनों में स्कूलों में दाखिला होता है।

74.मुलायम सिंह यादव के चचेरे भाई रामगोपाल यादव के बेटे बिल्लू की मौत उसकी शादी के चालीस दिन बाद ही हो गई थी। तब बिल्लू की पत्नी का अकेलापन देख कर यादव परिवार ने उसकी शादी बिल्लू के चचेरे भाई अनुराग से करवा दी जोकि संसद धर्मेंद्र यादव के भाई हैं।

75.मुलायम सिंह यादव परिवार से राजनीति में प्रवेश करने वाली पहली महिला उनके भाई राजपाल सिंह यादव की पत्नी प्रेमलता यादव हैं। इनके बाद यादव परिवार की कई महिलाओं ने राजनीति में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। अखिलेश की पत्नी डिम्पल सांसद हैं।

मुलायम सिंह यादव हुए 75 साल के, प्रधानमंत्री मोदी ने भी दी बधाई

सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने जीवन के 75वें बसंत को भी पार कर लिया।  रामपुर में मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन को शाही अंदाज में मनाया जा रहा है। सपा प्रमुख ने खासकर लंदन से लाई गई विक्टोरियाई बग्घी से सीआरपीएफ कैम्प से मौलाना मुहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय स्थित आयोजन स्थल तक 14 किलोमीटर का सफर तय किया।  सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने जौहर विश्वविद्यालय में मध्यरात्रि के समय 75 फुट लंबा केक काटकर अपना 75 वां जन्मदिन मनाया. इस मौके पर राज्य के मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव, मंत्री आजम खान, सहित पार्टी के नेता, सांसद और विधायक मौजूद थे.

समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के  75 साल के होने पर यूपी के कैबिनेट मंत्री आजम खान के गृहनगर रामपुर में शुक्रवार को उनका जन्मदिन बेहद शाही अंदाज में मनाया गया। रात में आयोजित कार्यक्रम में मशहूर सूफी गायक हंसराज हंस और कव्वाली गायक साबरी ब्रदर्स ने प्रस्तुति दी।  पंडाल में रात 12 बजे मुलायम सिंह यादव ने 75 फीट लंबा केक काटा। इस मौके पर मुलायम ने रामपुर को मेडिकल कॉलेज का तोहफा दि‍या। सीएम अखिलेश यादव ने भी रामपुर के लिए कई योजनाओं की घोषणा की।

कार्यक्रम स्थल को सजाने के लिए 400 किलो फूलों का इस्तेमाल किया गया। कार्यक्रम के लाइव टेलिकास्ट का इंतजाम भी किया गया था। इसके लिए जौहर यूनिवर्सिटी कैंपस (जहां कार्यक्रम हुआ) के अलावा शहर में कई जगहों पर एलसीडी स्क्रीन लगवाई गई थी। मेहमानों की सुरक्षा में 15 सौ पुलिस वाले तैनात किए गए थे। बताया जा रहा है कि मेहमानों के लिए खास तरह के व्यंजनों का इंतजाम किया गया था। इसके लिए लखनऊ और दिल्ली से कारीगर बुलाए गए थे। आजम के नजदीकी सूत्रों के मुताबिक, वैसे तो कई व्यंजन तैयार किए गए, लेकिन लखनऊ के कबाब और बिरयानी का विशेष इंतजाम था। इसके अलावा, मेहमानों को केसरिया दूध भी परोसा गया।

 शुक्रवार दोपहर बाद मुलायम सिंह यादव अपने बेटे और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ विक्टोरियन स्टाइल की बग्घी पर बैठकर समारोह स्थल पहुंचे। मुलायम के साथ बग्घी में उनके बेटे अखिलेश, भाई शिवपाल यादव के अलावा आजम खान और विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय सवार थे। बग्घी के पीछे 50 कारों का काफिला था, जिनमें उत्तर प्रदेश सरकार के 40 मंत्री सवार थे। इस काफिले ने करीब 14 किलोमीटर की दूरी तय की।
मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवम्बर 1939 को इटावा जिले के सैफई गांव में मूर्ती देवी और सुघर सिंह के किसान परिवार में हुआ था। पिता सुघर सिंह उन्हें पहलवान बनाना चाहते थे, लेकिन पहलवानी में अपने राजनीतिक गुरू नत्थूसिंह को मैनपुरी में आयोजित एक कुश्ती प्रतियोगिता में प्रभावित करने के बाद उन्होंने नत्थूसिंह के परम्परागत विधान सभा क्षेत्र जसवन्त नगर से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया।

राजनीति में आने से पहले मुलायम सिंह आगरा विश्वविद्यालय से एमए और जैन इंटर कॉलेज मैनपुरी से बीटी की। इसके बाद कुछ दिनों तक इंटर कॉलेज में पढ़ाया भी। एक कवि सम्मेलन में उस समय के विख्यात कवि दामोदर स्वरूप विद्रोही ने अपनी चर्चित रचना दिल्ली की गद्दी सावधान! सुनाई तो पुलिस का एक दरोगा मंच पर चढ़ आया और विद्रोही से माइक छीन लिया। उस वक्त एक लड़का बड़ी फुर्ती से वहां पहुंचा और उसने उस दरोगा को मंच पर ही उठाकर दे मारा।

विद्रोही जी ने मंच पर बैठे कवि उदय प्रताप सिंह से पूछा ये नौजवान कौन है तो पता चला कि यह मुलायम सिंह यादव है। उस समय मुलायम सिंह उस कालेज के छात्र थे और उदय प्रताप सिंह वहाँ प्राध्यापक थे। बाद में यही मुलायम सिंह यादव जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने विद्रोही जी को उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का साहित्य भूषण सम्मान प्रदान किया।

मुलायम सिंह 1967 में पहली बार विधान सभा के सदस्य चुने गये और मंत्री बने, 1992 में उन्होंने समाजवादी पार्टी बनाई। वे तीन उत्तर प्रदेश के मुख्य मन्त्री रहे। इसके अतिरिक्त वे भारत सरकार में रक्षा मन्त्री भी रह चुके हैं। मुलायम सिंह पर कई पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं। इनमें पहला नाम मुलायम सिंह यादव-चिन्तन और विचार और मुलायम सिंह-पॉलिटिकल बायोग्राफी आदी है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव को जन्मदिन की बधाई दी। अपने बधाई संदेश में मोदी ने मुलायम के लिए लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना की। मुलायम सिंह यादव 75 साल के हो गए हैं। पीएम ने ट्वीट किया, 'मुलायम सिंह यादव जी के जन्मदिन पर मैं उन्हें शुभकामना देता हूं और प्रार्थना करता हूं कि उन्हें लंबा और स्वस्थ जीवन मिले।' पीएम की बधाई पर अखिलेश ने फेसबुक और ट्विटर के माध्यम से उनका शुक्रिया अदा किया। अखिलेश ने लिखा, '@narendramodi, आपकी शुभकामनाओं के लिए शुक्रिया।'

मुलायम सिंह यादव जी को जन्मदिन पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ।  उम्र के 75वें बसंत के पड़ाव को उन्होंने पूरा कर लिया है, कामना है कि शतायु हों, स्वस्थ और सुखी हों। 



इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष बने भूपेंद्र सिंह यादव और संदीप कुमार यादव बने महामंत्री

पूरब का ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले केंद्रीय इलाहाबाद विश्वविद्यालय  के छात्र संघ अध्यक्ष चुनावों में समाजवादी छात्र सभा को बड़ी सफलता मिली है। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में शुक्रवार, 21 नवम्बर 2014  को संपन्न छात्रसंघ चुनाव में समाजवादी छात्रसभा के भूपेंद्र सिंह यादव 'टिंकू' अध्यक्ष चुने गए। उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सनत कुमार मिश्रा को 676 मतों से पराजित किया। महामंत्री पद पर समाजवादी छात्रसभा के ही संदीप कुमार यादव 'झब्बू' ने एबीवीपी के राहुल चौरसिया को 378 मतों के अंतर से पराजित किया। झब्बू को 2245 वोट मिले। उपाध्यक्ष पद पर एक साल के अंतराल के बाद एक बार फिर किसी छात्रा ने जीत दर्ज की। नीलू जायसवाल भी आइसा से मैदान में थीं और 2489 वोट पाकर निकटतम प्रतिद्वंदी अभय कुमार सिंह को 213 मतों से पराजित किया। एबीवीपी के नव दिव्य कुमार मंगलम संयुक्त मंत्री तथा एआईडीएसओ के अंकुश दुबे सांस्कृतिक सचिव निर्वाचित हुए हैं। इनके अलावा संकाय प्रतिनिधियों के परिणाम भी घोषित कर दिए गए। उम्मीद की मुताबिक सभी पदों पर बहुकोणीय मुकाबला रहा। विजयी प्रत्याशियों को रविवार सुबह 10 बजे छात्रसंघ भवन पर शपथ दिलाई जाएगी।

इसी प्रकार सीएमपी डिग्री कॉलेज में पहली बार अध्यक्ष पद पर चुनी गई छात्रा पूजा मिश्रा ने इतिहास रचते हुए अपने प्रतिद्वंदी अंगद यादव को 239 वोट से परास्त किया। पूजा को कुल 752 वोट मिले। महामंत्री पद पर विजयी अंकित सिंह यादव ने 598 वोट पाकर अभिषेक पांडेय को 114 वोट से परास्त किया। उपाध्यक्ष पद पर नीरज कुमार सोनकर, संयुक्त मंत्री पद पर मान सिंह और सांस्कृतिक सचिव के पद पर अर्पित मिश्रा निर्वाचित घोषित किए गए। विजयी प्रत्याशियों को चुनाव अधिकारी डॉ. एके श्रीवास्तव ने शपथ दिलाई।

गुरुवार, 20 नवंबर 2014

इंदिरा मैराथन प्राइजमनी दौड़ में लालजी यादव बने विजेता


इलाहाबाद। इंदिरा गांधी जयंती पर प्रतिवर्ष इलाहाबाद में आयोजित होने वाली इंदिरा मैराथन को जीतना हर धावक का सपना होता है।  इस बार 19 नवम्बर 2014 को आयोजित 30वीं इंदिरा मैराथन प्राइजमनी दौड़ में  गाजीपुर निवासी सेना के  धावक लालजी यादव (चेस्ट नंबर 1352) ने अपने ही साथियों को पीछे छोड़ते हुए पुरुष वर्ग का खिताब अपने नाम कर लिया।  सेना के ही इंद्रजीत यादव (महाराज में बासपार नकहा के निवासी (चेस्ट नंबर 1343)) और सुनील कुमार ने क्रमश: दूसरा एवं तीसरा स्थान हासिल किया।

देश की प्रतिष्ठित मैराथन दौड़ों में शामिल इंदिरा मैराथन का आगाज बुधवार प्रात: 6.30 बजे आनंद भवन से हुआ। गौरतलब है कि  19 नवंबर को भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गाधी जी का जन्मदिन है। इंदिरा जी के नाम पर इलाहाबाद में हर वर्ष  मैराथन आयोजित किया जाता है। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और कमला नेहरू की बेटी इंदिरा गाधी के बचपन का नाम इंदिरा प्रियदर्शनी था। 19 नवंबर 1917 को यूपी के इलाहाबाद में उनका जन्म हुआ था। उनके घर का नाम 'इंदू' था वे अपने माता पिता की इकलौती संतान थीं। इंदिरा प्रियदर्शिनी का जन्म ऐसे परिवार में हुआ था जो आर्थिक और बौद्धिक दोनों रूप से काफी संपन्न था। इंदिरा का नाम उनके दादा मोतीलाल नेहरु ने रखा था। इंदिरा को पंडित नेहरु उन्हें प्रियदर्शिनी के नाम से पुकारते थे।

मंगलवार, 18 नवंबर 2014

युवा साहित्यकार कृष्ण कुमार यादव को मिलेगा ’दुष्यंत कुमार सम्मान’

प्रसिद्ध साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था ’आगमन’ ने लोकप्रिय युवा लेखक व साहित्यकार एवं इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव को इस वर्ष के ’दुष्यंत कुमार सम्मान-2014’ के लिए चयनित किया है। उक्त सम्मान श्री यादव को 23 नवम्बर को नोएडा में आयोजित आगमन वार्षिक सम्मान समारोह में प्रदान किया जायेगा। उक्त जानकारी संस्था के संस्थापक श्री पवन जैन ने दी।

गौरतलब है कि सरकारी सेवा में उच्च पदस्थ अधिकारी होने के साथ-साथ साहित्य, लेखन और ब्लाॅगिंग के क्षेत्र में भी चर्चित श्री यादव की अब तक कुल 7 पुस्तकें 'अभिलाषा' (काव्य-संग्रह, 2005) 'अभिव्यक्तियों के बहाने' व 'अनुभूतियाँ और विमर्श' (निबंध-संग्रह, 2006 व 2007), India Post : 150 glorious years  (2006), 'क्रांति-यज्ञ : 1857-1947 की गाथा' (संपादित, 2007), ’जंगल में क्रिकेट’ (बाल-गीत संग्रह-2012) एवं ’16 आने 16 लोग’(निबंध-संग्रह, 2014) प्रकाशित हो चुकी हैं। उनके व्यक्तित्व-कृतित्व पर एक पुस्तक ‘‘बढ़ते चरण शिखर की ओर: कृष्ण कुमार यादव‘‘ (सं0 डाॅ0 दुर्गाचरण मिश्र, 2009, आलोक प्रकाशन, इलाहाबाद) भी प्रकाशित हो चुकी  है। श्री यादव देश-विदेश से प्रकाशित तमाम पत्र पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर भी प्रमुखता से प्रकाशित होते रहते हैं।

 कृष्ण कुमार यादव को इससे पूर्व उ.प्र. के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव द्वारा ’’अवध सम्मान’’, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री केशरी नाथ त्रिपाठी द्वारा ’’साहित्य सम्मान’’, छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री शेखर दत्त द्वारा ”विज्ञान परिषद शताब्दी सम्मान”, परिकल्पना समूह द्वारा ’’दशक के श्रेष्ठ हिन्दी ब्लाॅगर दम्पति’’ सम्मान, विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर, बिहार द्वारा डाॅक्टरेट (विद्यावाचस्पति) की मानद उपाधि, भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा ‘’डाॅ0 अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान‘‘, साहित्य मंडल, श्रीनाथद्वारा, राजस्थान द्वारा ”हिंदी भाषा भूषण”, वैदिक क्रांति परिषद, देहरादून द्वारा ‘’श्रीमती सरस्वती सिंहजी सम्मान‘’, भारतीय बाल कल्याण संस्थान द्वारा ‘‘प्यारे मोहन स्मृति सम्मान‘‘, ग्वालियर साहित्य एवं कला परिषद द्वारा ”महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला‘ सम्मान”, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद द्वारा ‘‘भारती रत्न‘‘, अखिल भारतीय साहित्यकार अभिनन्दन समिति मथुरा द्वारा ‘‘महाकवि शेक्सपियर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान‘‘, भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ द्वारा ’’पं0 बाल कृष्ण पाण्डेय पत्रकारिता सम्मान’’, सहित विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता और प्रशासन के साथ-साथ सतत् साहित्य सृजनशीलता हेतु तमाम सम्मान और मानद उपाधियाँ प्राप्त हो चुकी हैं।   

सोमवार, 10 नवंबर 2014

रामकृपाल यादव के बहाने मोदी सरकार में यदुवंशियों का प्रतिनिधित्व

किसी जमाने में हर अच्छे बुरे दौर और सुख दुख में लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी रहे और राजद प्रमुख के हनुमान कहलाने वाले रामकृपाल यादव के लिए लोकसभा चुनाव से पूर्व बगावत कर भाजपा में शामिल होना किसी वरदान से कम नहीं रहा और 9 नवम्बर, 2014 को नरेन्द्र मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद यह वरदान फलीभूत हो गया। इसी  के साथ रामकृपाल मोदी सरकार में शामिल होने वाले पहले यदुवंशी बन गए। उन्हें पेयजल पेयजल एवं स्वच्छ्ता राज्यमंत्री बनाया गया है। 

रामकृपाल यादव  ने बिहार की पाटलीपुत्र सीट से लालू यादव की बेटी मीसा भारती को हराया था। इससे पूर्व केंद्र की तो बात ही छोड़ दीजिए वह कभी राज्य में भी मंत्री नहीं बने थे लेकिन  उन्हें मोदी मंत्रिपरिषद में शामिल कर लिया गया।

केंद्रीय मंत्रिपरिषद में रामकपाल को शामिल किए जाने को भाजपा की अगले साल बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से पूर्व लालू प्रसाद के यादव वोट बैंक में सेंध लगाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। बिहार में यादव समुदाय वोटों में 12 फीसदी से अधिक की भागीदारी रखता है और यह अब तक खुद को लालू प्रसाद के साथ चिन्हित करता आया है । 

पाटलीपुत्र से राजद द्वारा टिकट से इंकार किए जाने के बाद रामकृपाल अपने गुरु से अलग हो गए थे । वह भले ही भाजपा से पहली बार सांसद बने हों लेकिन चुनावी राजनीति में वह नौसिखिए नहीं हैं। मई 2014 के आम चुनाव के जरिए उन्होंने लोकसभा में चौथी बार प्रवेश किया है । पिछले तीन चुनाव उन्होंने राजद के टिकट पर जीते थे ।   -  राम शिव मूर्ति यादव @ यदुकुल ब्लॉग : http://yadukul.blogspot.in/

सोमवार, 3 नवंबर 2014

युवा चित्रकार धीरज यादव की कृति चयनित : यंग आर्टिस्ट स्कॉलरशिप भी

इलाहाबाद के युवा चित्रकार धीरज यादव ने एक बार फिर अपना जलवा बिखेरा है। उनकी कृति 'अनटाइटिल्ड-55' को नई दिल्ली में हुई 87वीं ऑल इंडिया फाइन आर्ट ऐंड क्राफ्ट सोसाइटी में चयनित किया गया है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय दृश्य कला विभाग मास्टर ऑफ फाइन आर्ट के छात्र रहे धीरज को अनेक राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। 

 इसके अलावा इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दृश्य कला विभाग में मास्टर ऑफ फाइन आर्ट्स के छात्र रहे धीरज यादव को संस्कृति मंत्रालय की ओर से यंग आर्टिस्ट स्कॉलरशिप-2013-14 के लिए चुना गया है। स्कॉलरशिप के तहत धीरज विभागाध्यक्ष डॉ.अजय जैतली के निर्देशन में दो वर्ष तक कार्य करेंगे।

बहुत सारी शुभकामनायें और बधाइयाँ !! @ www.yadukul.blogspot.com/ 

शनिवार, 25 अक्टूबर 2014

‘आत्मदीपो भव’ बन आगे बढ़ती रहीं कविता

जज्बा हो तो कुछ भी असंभव नहीं। यह बात सच लागू होती है कविता यादव पर।  बारहवीं पास करने के बाद ही इलाहाबाद शहर के एक प्रतिष्ठित परिवार में शादी हो गई। तकरीबन सात बरस का खुशहाल पारिवारिक जीवन बीता लेकिन एक दिन अचानक पति विजय सिंह यादव को ‘साइलेंस हार्ट हटैक’ हुआ और कविता अकेली हो गई। यह हादसा उसकी कल्पना से परे था लेकिन उसने बड़ी मुश्किल से खुद और पति की ओर से छोड़े गए गैस एंजेसी के कारोबार को संभाला। छह बरस के मितुल और ढाई बरस के तेजस की देखभाल भी बड़ी जिम्मेदारी थी लेकिन ससुर रिटायर्ड जस्टिस सखाराम सिंह यादव सहित पूरे परिवार ने भरपूर सहयोग दिया।

शुरुआत में तो कविता कभी कभार ही किसी जरूरी काम से एजेंसी पर जाती थीं लेकिन उन्हें अपने पर पूरा भरोसा था सो साल भर छह बरस के मितुल को पढ़ने के लिए देहरादून भेजने के बाद उन्होंने पूरी तरह काम संभाल लिया। डिलेवरी मैन और उपभोक्ताओं से लेकर इंडियन ऑयल के अधिकारियों तक से आए दिन जूझना उनकी दिनचर्या बन गई। धैर्य से लोगों की शिकायतें दूर करने सहित काम को बेहतर बनाने का क्रम जारी रहा।

एक बार एक वरिष्ठ अधिकारी ने मामूली सी बात पर तीन वर्ष के लिए उनकी एजेंसी के लिए गैस के नए कनेक्शन पर रोक लगा दी। कागजी औपचारिकताओं के बाद भी आदेश बहाल नहीं हुआ तो कविता ने दफ्तर पहुंचकर सबके सामने कारण पूछा, तब जाकर मामला सुलझा। कई बार शिकायतें दूर करने के लिए वह उपभोक्ताओं के घर तक भी गईं। शुरुआत में संकोची कविता दफ्तर की मीटिंग में पीछे बैठतीं लेकिन बेहतर काम से उन्होंने अगली पंक्ति में जगह बना ली।

‘आत्मदीपो भव’ यानी खुद अपना प्रकाश बनती कविता आगे बढ़ते हुए दूसरों की मुश्किलों में भी खड़ी रहीं। बिना जान पहचान किसी मरीज की जिंदगी बचाने के लिए खून देने से लेकर किसी जरूरतमंद की बेटी की शादी सहित अनाथालय, विकलांग केंद्र के किसी बच्चे को हर तरह से मदद जैसे कामों में वह हमेशा आगे रहीं। कुल मिलाकर अपने आंगन की लक्ष्मी बनने सहित कविता, कई परिवारों के लिए भी किसी ‘लक्ष्मी’ से कम नहीं।

गुरुवार, 9 अक्टूबर 2014

मुलायम सिंह यादव नौवीं बार सपा अध्यक्ष


मुलायम सिंह यादव लगातार नौवीं बार समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं।  8 अक्टूबर 2014 को समाजवादी पार्टी के नौंवे राष्ट्रीय अधिवेशन में  मुलायम सिंह को लगातार नौवीं बार सर्वसम्मति से पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है।  मुलायम अगले तीन साल तक पार्टी के अध्यक्ष रहेंगे। प्रो. राम गोपाल यादव ने बतौर निर्वाचन अधिकारी उन्हें तीन साल के लिए सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया। जनेश्वर मिश्र पार्क, लखनऊ  में चल रहे सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव और कई अन्य नेता मौजूद रहें। इस अवसर पर सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक सफर पर एक डाक्युमेंट्री भी  बड़ी एलईडी स्क्रीन पर दिखाई गई । 

सोमवार, 6 अक्टूबर 2014

साहित्य में योगदान हेतु कृष्ण कुमार यादव को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने किया सम्मानित


पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री केशरी नाथ त्रिपाठी ने साहित्य के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव को सम्मानित किया। उक्त सम्मान श्री यादव को मिर्जापुर में आयोजित एक कार्यक्रम में 5 अक्टूबर, 2014 को प्रदान किया गया। राज्यपाल ने शाल ओढाकर  और सम्मान पत्र देकर श्री यादव को सम्मानित किया। गौरतलब है कि सरकारी सेवा में उच्च पदस्थ अधिकारी होने के साथ-साथ साहित्य, लेखन और ब्लाॅगिंग के क्षेत्र में भी चर्चित श्री यादव की अब तक कुल 7 पुस्तकें 'अभिलाषा' (काव्य-संग्रह, 2005) 'अभिव्यक्तियों के बहाने' व 'अनुभूतियाँ और विमर्श' (निबंध-संग्रह, 2006 व 2007), India Post : 150 glorious years  (2006), 'क्रांति-यज्ञ : 1857-1947 की गाथा' (संपादित, 2007), ’जंगल में क्रिकेट’ (बाल-गीत संग्रह-2012) एवं ’16 आने 16 लोग’(निबंध-संग्रह, 2014) प्रकाशित हो चुकी हैं। उनके व्यक्तित्व-कृतित्व पर एक पुस्तक ‘‘बढ़ते चरण शिखर की ओर: कृष्ण कुमार यादव‘‘ (सं0 डाॅ0 दुर्गाचरण मिश्र, 2009, आलोक प्रकाशन, इलाहाबाद) भी प्रकाशित हो चुकी  है। श्री यादव देश-विदेश से प्रकाशित तमाम रिसर्च जनरल, पत्र पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर भी प्रमुखता से प्रकाशित होते रहते हैं।

श्री कृष्ण कुमार यादव को इससे पूर्व उ.प्र. के मुख्यमंत्री द्वारा ’’अवध सम्मान’’, परिकल्पना समूह द्वारा ’’दशक के श्रेष्ठ हिन्दी ब्लाॅगर दम्पति’’ सम्मान, विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर, बिहार द्वारा डाॅक्टरेट (विद्यावाचस्पति) की मानद उपाधि, भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा ‘’डाॅ0 अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान‘‘, छत्तीसगढ़ के राज्यपाल द्वारा ”विज्ञान परिषद शताब्दी सम्मान”, साहित्य मंडल, श्रीनाथद्वारा, राजस्थान द्वारा ”हिंदी भाषा भूषण”, वैदिक क्रांति परिषद, देहरादून द्वारा ‘’श्रीमती सरस्वती सिंहजी सम्मान‘’, भारतीय बाल कल्याण संस्थान द्वारा ‘‘प्यारे मोहन स्मृति सम्मान‘‘, ग्वालियर साहित्य एवं कला परिषद द्वारा ”महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला‘ सम्मान”, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद द्वारा ‘‘भारती रत्न‘‘, अखिल भारतीय साहित्यकार अभिनन्दन समिति मथुरा द्वारा ‘‘महाकवि शेक्सपियर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान‘‘, भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ द्वारा ’’पं0 बाल कृष्ण पाण्डेय पत्रकारिता सम्मान’’, सहित विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता और प्रशासन के साथ-साथ सतत् साहित्य सृजनशीलता हेतु शताधिक सम्मान और मानद उपाधियाँ प्राप्त हो चुकी हैं।   

उक्त अवसर पर न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय, पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर  के कुलपति प्रो0 पीयूष रंजन अग्रवाल, इग्नू के प्रो चांसलर प्रो0  नागेश्वर राव, बनारस हिन्दू विश्विद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो0 पंजाब सिंह, भोजपुरी फिल्म अभिनेता कुणाल सिंह, पूर्व शिक्षा मंत्री सुरजीत सिंह डंग सहित तमाम साहित्यकार, शिक्षाविद, संस्कृतिकर्मी व अधिकारीगण मौजूद रहे।

रविवार, 5 अक्टूबर 2014

इण्टरनेशनल कोआपरेटिव एलायन्स (आईसीए) के सबसे कम उम्र के निदेशक बने आदित्य यादव

इफ्को के निदेशक तथा पीसीएफ के सभापति आदित्य यादव ने भारतीय सहकारिता आन्दोलन तथा समाजवादी विचारधारा का परचम कनाडा में लहराते हुए इण्टरनेशनल कोआपरेटिव एलायन्स (आईसीए) के निदेशक निर्वाचित हुये हैं। श्री यादव ब्रिटेन, पोलैंण्ड, ईरान समेत 7 देशों के कद्दावार प्रतिनिधियों को पराजित कर निर्वाचित हुए हैं। आईसीए और वैश्विक सहकारिता के इतिहास में आदित्य यादव यह गौरव हासिल करने वाले प्रदेश के पहले और भारत के तीसरे व्यक्ति हैं। उन्हें सबसे कम उम्र के निदेशक होने का भी सम्मान मिला है।

 उल्लेखनीय है कि आईसीए सहकारिता की सर्वोच्च निकाय है जो 94 देशों का प्रतिनिधित्व करता है। सहकारिता के जानकारों के अनुसार इस उपलब्धि से देश की पकड़ और प्रभाव में काफी वृद्धि होगी। 5 अक्टूबर, 2014 को कनाडा के क्यूबेक शहर में हुए आईसीए के इस प्रतिष्ठापरक चुनाव में आदित्य यादव ब्रिटेन के विवियन स्टेनली, पोलैंड के जे0पाकोस्की, बेल्जियम के हार्वेगाइडर, ईरान के एम0जकरिया, मलेशिया के इस्माइल कमरूद्दीन, डोमिनिकल गणराज्य के वैलेन्टिन मेड्रोनो एवं नाइजीरिया के एडेलेक ओजेयामी जैसे कद्दावर नेताओं को हराया। आदिम्य यादव उत्तर प्रदेश सरकार में वरिष्ठ मंत्री शिवपाल सिंह यादव के पुत्र हैं। उनकी इस उपलब्धि पर हार्दिक बधाई !!

गुरुवार, 2 अक्टूबर 2014

21वीं सदी बेटियों की है


बेटियाँ हमारी शान हैं और इनके उपर हमें गर्व है। यह कहना है इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव और उनकी पत्नी आकांक्षा यादव का। दोनों ही जन साहित्य और ब्लॉगिंग के क्षेत्र में चर्चित नाम हैं और उनकी इस परम्परा को बेटियाँ भी बढ़ा रही हैं। इनकी अक्षिता और अपूर्वा नामक दो बेटियाँ हैं, एक साढ़े सात साल की तो दूसरी चार साल की। जीएचएस  में क्लास 2 की स्टूडेंट अक्षिता जहाँ नन्ही ब्लॉगर के रूप में पॉपुलर है, वहीं इतनी कम उम्र में राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड्स पाने के रिकार्ड भी हैं। अपने ब्लॉग 'पाखी की दुनिया' लिए उसे वर्ष 2011 में दिल्ली में आयोजित इंटरनेशनल ब्लॉगर्स कांफ्रेंस में 'बेस्ट नन्ही ब्लॉगर' ख़िताब से सम्मानित किया गया, वहीं मात्र मात्र साढ़े चार साल की उम्र में 'नेशनल चाइल्ड अवार्ड' (2011) पाकर वह इण्डिया की सबसे कम उम्र की विजेता भी बनी। अब यादव दंपती की दूसरी बेटी अपूर्वा भी अपनी सिस्टर के साथ क्रिएटिविटी सीख रही हैं।यादव दम्पति को जहाँ अपनी बेटियों पर नाज है। इनका मानना है कि बेटियां किसी से कमतर नहीं, बशर्ते आप उनकी भावनाओं और इच्छाओं को समझते हुए उन्हें प्रोत्साहित करें। 21वीं सदी बेटियों की है और वे नया मुकाम रचने को तैयार हैं। 

(साभार : 'आई-नेक्स्ट' अख़बार की पहल 'नवरात्रि में लीजिये संकल्प : बेटियों को बचाओ' अभियान के तहत 2 अक्टूबर (इलाहाबाद संस्करण) में   जिक्र।)

गुरुवार, 25 सितंबर 2014

नन्ही ब्लाॅगर अक्षिता (पाखी) की बड़ी कामयाबी


ककहरा सीखने की उम्र में नन्ही अक्षिता (पाखी) ने अपनी सृजनात्मक क्षमता के बल पर मात्र सात साल में बड़े रिकार्ड कायम किए हैं। ‘पाखी की दुनिया’ ब्लाग का संचालन 24 जून 2009 से कर रही अक्षिता (पाखी) को सबसे कम उम्र की ब्लागर के तौर पर भारत सरकार की ओर से 2012 में राष्ट्रीय बाल पुरस्कार’ मिल चुका है। उसे मात्र चार वर्ष आठ माह की अवस्था में आर्ट और ब्लागिंग के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया। इसको 66 हजार से अधिक लोगों ने पढ़ा।

भारत सरकार की ओर से ब्लागिंंग के क्षेत्र में सम्मानित होने वाली अक्षिता पहली बाल प्रतिभा है। इससे पहले भी अक्षिता को 2011 में अंतरराष्ट्रीय ब्लागर सम्मेलन में ‘श्रेष्ठ नन्ही ब्लागर’ के सम्मान से नवाजा जा चुका है। सितंबर 2013 में काठमांडू (नेपाल) में आयोजित अंतरराष्ट्रीय ब्लागर सम्मेलन में अक्षिता ने एकमात्र ब्लागर के तौर पर भाग लेकर सम्मान पाया।

ड्राइंग और कविता पहली पसंद

25 मार्च 2007 को कानपुर में जन्मी अक्षिता वर्तमान में गर्ल्स हाई स्कूल इलाहाबाद में दूसरी कक्षा की छात्रा हैं। पिता कृष्ण कुमार यादव इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं पद पर तैनात होने के साथ चर्चित ब्लागर हैं। माता आकांक्षा यादव भी साहित्य लेखन के साथ ब्लागर हैं। अक्षिता ने बताया कि उसे ड्राइंग बनाना, कविता कहना और लिखना पसंद है।

( अक्षिता (पाखी) के बारे में अमर उजाला (इलाहाबाद, 25 सितंबर 2014) में प्रकाशित रिपोर्ताज़।)

मंगलवार, 16 सितंबर 2014

तेज प्रताप यादव के साथ मुलायम सिंह की तीसरी पीढ़ी भी संसदीय राजनीति में


मैनपुरी में तेज प्रताप यादव के सांसद बनते ही मुलायम सिंह की तीसरी पीढ़ी भी संसदीय राजनीति में प्रवेश कर गई।  16 सितम्बर 2014 को को मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद  सपा प्रत्याशी तेज प्रताप यादव ने भाजपाई उम्मीदों और अपेक्षाओं को झटका देते हुए बडे़ अंतर से उपचुनाव जीता। पांचों विधानसभाओं में सपा प्रत्याशी को 6 लाख 53 हजार 686 वोट मिले। वहीं भाजपा प्रत्याशी प्रेम सिंह को 3 लाख 32 हजार 557 वोट ही मिल सके। इस तरह तेज प्रताप ने 3 लाख 21 हजार 149 मतों से भाजपा प्रत्याशी को करारी शिकस्त दी । इंग्लैंड की लीड्स यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने वाले तेजप्रताप के पिता स्व. रणवीर सिंह सैफई के पहले ब्लॉक प्रमुख थे। रणवीर सिंह का 13 नवंबर, 2002 में आकस्मिक निधन हो गया था। साल 2011 में 28 साल के तेजप्रताप सिंह यादव सैफई ब्लॉक प्रमुख निर्वाचित हुए थे। उन्होंने इंग्लैंड की लीड्स यूनिवर्सिटी से मैनेजमेंट साइंस में मास्टर्स डिग्री हासिल की है। तेज प्रताप यादव को इस उपलब्धि पर हार्दिक बधाइयाँ !!
(चित्र में : अपनी माँ के साथ तेज प्रताप)

सोमवार, 15 सितंबर 2014

हिन्दी के क्षेत्र में सम्मान का सैकड़ा


आज के दौर में प्रशासनिक सेवा में रहकर राजभाषा हिंदी के विकास के लिए चिंतन मनन करना अपने आप में एक उपलब्धि है। राजकीय सेवा के दायित्वों का निर्वहन और श्रेष्ठ कृतियों की सर्जना का यह मणिकांचन योग विरले ही मिलता है। समकालीन साहित्यकारों में उभरते चर्चित कवि, लेखक एवं चिंतक तथा जौनपुर जिले के बरसठी विकास खंड के सरावां गांँव निवासी और मौजूदा समय में डाक निदेशक इलाहाबाद परिक्षेत्र कृष्ण कुमार यादव इस विरले योग के ही प्रतीक हैं। श्री यादव को इसके लिए अब तक 102 बार सम्मान व मानद उपाधियाँ प्राप्त हो चुकी हैं। 

दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक गणराज्य देश भारत के पास अपनी कोई राष्ट्रभाषा नहीं है। 14 सितंबर, 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला, पर आधुनिक दौर में हर व्यक्ति अंग्रेजी की ओर भाग रहा है। खासकर प्रोफेशनल और सरकारी नौकरियों में अंगे्रजी को महत्वपूर्ण अंग के रूप में लिया जा रहा है। ऐसे में श्री यादव लोगों को बताते हैं कि कक्षा छह से ही हिंदी के सहारे मंजिल पाने का सपना देखना शुरू किया। इस सपने को साकार कराने में उनके पिता श्री राम शिव मूर्ति यादव का विशेष योगदान रहा है। जिसकी बदौलत उन्हें वर्ष 2001 में सिविल सेवा में सफलता मिली। इसके बाद तमाम पत्र-पत्रिकाओं में लेखन के साथ ही उन्होंने ब्लाॅगिंग के सहारे हिंदी के विकास के लिए कार्य करना शुरू किया। धीरे-धीरे उनकी जीवन संगिनीआंकाक्षा यादव और पुत्री अक्षिता (पाखी) भी लेखन ब्लाॅगिंग में सक्रिय हो गईं। परिणाम रहा कि तीन पीढि़यों संग हिन्दी के विकास में जुटे कृष्ण कुमार यादव को 102 बार हिंदी के विकास हेतु विभिन्न सम्मान व मानद उपाधियांँ प्राप्त हुई। 

दो बार मिला अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लाॅगर पुरस्कार

हिंदी के विकास में जुटे डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव  को उत्कृष्ट कार्य के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी सम्मानित कर चुके हैं।  उन्होंने 'अवध सम्मान’ से श्री यादव को नवाजा था। लखनऊ में आयोजित द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लाॅगर सम्मलेन में ’दशक के श्रेष्ठ हिन्दी ब्लाॅगर दंपती’ का सम्मान श्री यादव को प्रदान किया गया। इसके अलावा काठमांडू में हुए तृतीय अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लाॅगर सम्मेलन में नेपाल के संविधान सभा के अध्यक्ष नरसिंह केसी ने उन्हें  ’परिकल्पना साहित्य सम्मान’ दिया था।

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हिन्दी के क्षेत्र में सम्मान का सैकड़ा
तीन पीढि़यों संग हिन्दी के विकास में जुटे हैं डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव
102 बार मिल चुका है पुरस्कार और मानद उपाधियाँ
(साभार : दैनिक जागरण, जौनपुर-वाराणसी संस्करण, 15 सितंबर, 2014) 

रविवार, 31 अगस्त 2014

जब असली जीवन की 'मर्दानी' बनीं ममता यादव

'मर्दानी' फिल्म आजकल चर्चा में है। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के ऊपर लिखी सुभद्रा कुमारी चौहान की पंक्तियाँ  'खूब लड़ी मर्दानी, वह तो झाँसी वाली रानी थी' भला किसे न याद होंगी। बदलते वक़्त और परिप्रेक्ष्य के साथ इस प्रकार की तमाम घटनाएँ सामने आती हैं तो अनायास ही लोगों के मुँह से निकला पड़ता है -खूब लड़ी मर्दानी।

अपने देश भारत के तमाम अंचलों  में महिलाओं पर हो रहे जुल्म-ओ-सितम के बीच भय और आतंक के साए में सांस ले रही महिलाओं ने खुद पर भरोसा करना सीख लिया है। इन सबके बीच मेरठ की एक दिलेर महिला ममता यादव नई मिसाल बनकर उभरी हैं। मेरठ के  सिविल लाइन क्षेत्र में 19 अगस्त, 2014 को कचहरी पुल के पास  अपनी अस्मिता और पति की रक्षा के लिए ममता ने हमलावर युवकों की पिटाई कर डाली थी। इस दौरान पुलिस  तमाशबीन बनी रही तो कुछ लोग नैतिकता का प्रवचन झाड़ रहे थे। जब वह लोगों से अपील कर रही थी, तो इन युवकों में से कुछ युवक अश्लील टिप्पणियां भी कर रहे थे और कुछ उनकी फोटो और वीडियो उतारने में लगे हुए थे।  

वस्तुत:  कार में सवार कुछ मनचले, बाइक पर पति के साथ जा रही युवती ममता यादव पर छींटाकशी करते चल रहे थे। इसी दौरान मनचलों ने कार बाइक में भिड़ा दी। जब बाइक सवार पति-पत्नी ने इसका विरोध किया तो मनचलों ने गाली- गलौज करते हुए पति पर हमला बोल दिया। यह सब देख युवती असहज हो गई। आसपास नजर घुमाकर देखा, तो पूरी भीड़ बेजान नजर आई। बुजदिल जमाने में उसे कोई अपना नहीं लगा। पास में खड़े पुलिस के जवानों में भी कोई हरकत नहीं हुई। लफंगों के हाथ से पिट रहे अधेड़ व्यक्ति को छुड़ाने के लिए कोई हाथ आगे नहीं बढ़ा। बेशर्मी की हद तो तब पार हो गई जब कइयों ने मारपीट सीन पर अपने मोबाइल के कैमरे की फ्लैश डालनी शुरू कर दी। ऐसे में भय की आबोहवा में कायर होते जा रहे समाज का घिनौने चेहरे ने युवती के अंदर हौसला भर दिया। उसने ताल ठोंकी और आधा दर्जन लड़कों से अकेले मुकाबला करते हुए उन्हें भागने पर मजबूर किया। लफंगे युवाओं ने ममता यादव  पर काबू जमाने की भरपूर कोशिश की, किंतु नारी की शक्ति और स्वाभिमान ने उनके पैर उखाड़ दिए। मामला बिगड़ता देख जब भी युवाओं ने भागने का प्रयास किया तो ममता  ने उनका रास्ता रोक लिया। तमाशबीन व जड़ हो चुकी भीड़ भी दृश्य को देख शर्मसार हो गई। कइयों ने बाद में ममता  के समर्थन में आवाज ऊंची करने की कोशिश की, जिसे उन्होंने  ने डांटकर चुप करा दिया। तमाशबीन लोगों के बीच घायल अवस्था में ही वे घर लौट आए। ममता ने कहा कि वे विक्टोरिया पार्क स्थित बिजली विभाग कार्यालय में बिल जमा कराने के लिए 23 हजार रुपये लेकर जा रहीं थीं। पैसे तो बच गए, लेकिन पति को बचाने की जद्दोजहद में उनकी चेन टूट गई। ममता यादव एलआइसी की एजेंट है और उनके पति कपड़े का व्यवसाय करते हैं। बहरहाल, लफंगों के आतंक से भयभीत भीड़ को ममता ने बहादुरी से अन्याय के खिलाफ लडऩे का संदेश दिया। लगे हाथ पुलिस को आइना दिखाया।

इस घटना के समय ममता ने हिम्मत तो दिखाई, पर इससे  वह बेहद घबराई भी हुई थीं। उन्हें  डर था कि उनके सामने आने के बाद हमलावर उनके घर तक नहीं पहुंच जाए। इसलिए वह तीन दिन से घर में चुप बैठी थीं। ममता की बड़ी बहन शशि यादव को जब पूरी घटना का पता चला तो वे दिल्ली से मेरठ पहुंचीं और ममता को मीडिया के सामने आने व पुलिस में अपनी ओर से शिकायत देने के लिए तैयार कराया। घटना के तीन दिन बाद 23 अगस्त को अंतत : तमाम झिझक को ताक पर रखकर ममता  मीडिया से मुखातिब हुई और पूरे वाकये को दोहराया। ऐसे में  अकेले दम कई युवाओं को धूल चटाने वाली ममता यादव के जज्बे की खबर राष्ट्रीय स्तर पर अख़बारों और तमाम  टीवी चैनलों की सुर्खियां बन गई।  ममता ने इस मामले की लिखित शिकायत पुलिस में की है। सामान्य सी जिंदगी जी रही ममता हाल-फिलहाल कैमरे की चकाचौंध और अखबारनवीसों के सवालों से घिरी हैं। यहाँ तक कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के आदेश पर जिले के आला अफसरान ने ममता यादव के घर जाकर उन्हें एक लाख रुपये का चेक सौंपा। ममता का कहना है कि वह चाहती है कि हमलावरों को कड़ी से कड़ी सजा मिले, जिससे समाज में संदेश जाए कि ऐसे बदमाशों के सामने हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाने की बजाए उनका सामना करना चाहिए।

हमलावरों के ग्रुप से अकेली लड़ने वाली साहसी महिला ममता यादव ने रविवार को साफ कहा है कि मुझे इनाम नहीं, न्याय चाहिए।ममता ने कहा कि मैं किसी व्यक्ति या पार्टी विशेष नहीं बल्कि व्यवस्था के खिलाफ बोल रही हूं। रविवार को महिला की तरफ से भी पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर ली है और उसका मेडिकल भी करा दिया है। ममता ने कहा कि यदि मुझे तीन दिनों में न्याय नहीं मिला तो जान देने से भी नहीं हिचकूंगी। मीडिया से बातचीत में  ममता यादव ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि तीन दिन के बाद रविवार शाम को उनकी तहरीर रिसीव की गई। इसके बाद सीओ ने उनका मेडिकल परीक्षण कराया जिसमें उनके हाथ में फैक्चर आया है।ममता ने कहा कि मैं और मेरा परिवार खौफ में जी रहे हैं। चार आरोपियों में से अभी केवल एक ही आरोपी गिरफ्तार हुआ है।  ऐसे में मैं कैसे खुद को सुरक्षित महसूस कर सकती हूं। ममता ने कहा कि मैं किसी भी पार्टी पर अंगुली नहीं उठा रही हूं। बस न्याय मांग रही हूं। ममता ने कहा कि मेरे पति की जिंदगी पर खतरा मंडराया तो मैं हमलावरों से जा भिड़ी। मैंने भीड़ से मदद मांगी लेकिन कोई आगे नहीं आया था। मुझे सरकारी इनाम नहीं बल्कि न्याय चाहिए।अपने सम्मान की रक्षा करना अपराध नहीं है। ममता ने कहा कि मैंने जो किया, वह वक्त की नजाकत थी। हर इज्जतदार महिला को वही करना चाहिए जो मैंने किया। 

 .............पर यह लड़ाई तो अभी अधूरी है क्योंकि अब ममता यादव इंसाफ के लिए व्यवस्था से लड़ रही हैं !!
साभार : आकांक्षा यादव @ शब्द-शिखर 
http://www.shabdshikhar.blogspot.in/

मंगलवार, 26 अगस्त 2014

रोहित कुमार यादव बने दिल्ली के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफंस कॉलेज के अध्यक्ष

आईएएस की परीक्षा में सी-सैट के बहाने भले ही हिंदी को नजरअंदाज कर अंग्रेजी को बढ़ावा दिया जा रहा हो और सामाजिक न्याय की अवधारणा को कुंद किया जा रहा हो, पर दिल्ली विश्वविद्यालय  के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफंस कॉलेज में 24 अगस्त 2014 को वहाँ माली का कार्य करने वाले व्यक्ति के बेटे रोहित कुमार यादव ने छात्र संघ अध्यक्ष का चुनाव जीतकर इतिहास रचा है। खास बात यह है कि जहां हर कोई ऑक्सफर्ड एक्सेंट की अंग्रेजी में बात करता हो वहां रोहित ने अपना चुनाव प्रचार हिंदी में किया। रोहित के पिता कॉलेज में ही माली का काम करते हैं।यह चुनाव कई मायनों में काफी प्रतिष्ठित माना जाता है, क्योंकि शशि थरूर भी सेंट स्टीफेंस कॉलेज के प्रेसीडेंट रह चुके हैं और सलमान खुर्शीद ये चुनाव हार गए थे।

स्टीफंस में पढ़ना किसी भी स्टूडेंट के लिए सपने की तरह होता है। देश के सबसे प्रतिष्ठित माने जाने वाले इस कॉलेज में इस साल के सीबीएसई टॉपर सार्थक का नाम भी ऐडमिशन के लिए वेटिंग लिस्ट में था। रोहित इतिहास से बीए कर रहे हैं। 12वीं तक की पढ़ाई उन्होंने इलाहाबाद से की है।

रोहित का कहना है कि उन्होंने प्रेसिडेंशियल डिबेट के दौरान भी हिन्दी में ही बात की थी। उन्होंने स्टूडेंट्स से कहा कि मैं आपके हक और समस्याओं के लिए आवाज उठाना चाहता हूं, हमारा अजेंडा वही है जो छात्रों से जुड़ा हो। इसके जवाब में तालियों की गड़गड़ाहट के साथ स्टूडेंट्स ने स्वागत किया। कॉलेज के इतने सालों के इतिहास में यह पहला मौका था जब किसी स्टूडेंट ने हिन्दी में चुनाव प्रचार किया हो।

डूटा प्रेजिडेंट और सेंट स्टीफंस में गणित की प्रफेसर नंदिता नारायण ने रोहित की जीत पर कहा कि कॉलेज स्टाफ के बच्चों को ऐडमिशन मिल जाता है। रोहित जैसे स्टूडेंट्स अब पूरे आत्मविश्वास के साथ आगे आ रहे हैं और बराबर की भागीदारी निभा रहे हैं यह देखना हमारे लिए सुखद है।

रोहित ने अपनी जीत का श्रेय कॉलेज के दोस्तों और प्रिंसिपल को दिया। जिन्होंने चुनाव लड़ने के उसके फैसले का न सिर्फ स्वागत किया बल्कि हर संभव मदद भी की। रोहित के दोस्तों ने चुनाव प्रचार के दौरान उसकी बातों को अंग्रेजी में लिख कर स्टूडेंट्स तक पहुंचाया। इस जीत के बाद रोहित का कहना है कि मेरे लिए यह गर्व का विषय है, लेकिन मैं चाहता हूं कि चुनाव जीतने के बाद स्टूडेंट्स के हक की आवाज उठा सकूं।

सेंट स्टीफेंस कॉलेज के बारे में आमतौर पर धारणा है कि यहां अंग्रेजियत और इलीटिसिज्म बहुत ज्यादा हावी है। इस कॉलेज ने राष्ट्रपति रह चुके फखरुद्दीन अली अहमद, कपिल सिब्बल, चंदन मित्रा, पुलक चटर्जी जैसे कई ताकतवर नेता और नौकरशाह दिए हैं। यहां दाखिले के लिए 95 परसेंट से ज्यादा नंबर के साथ इंटरव्यू में पास होना ज़रूरी है। लेकिन हाल के दिनों में सुल्तानपुर के सेंट्रल स्कूल से पढ़े वैभव, मुंबई की श्रेया सिन्हा, लखनऊ की फालगुनी तिवारी और अशोक वर्द्धन जैसे स्टूडेंटस ने कॉलेज की इस छवि या धारणा को तोड़ने की ठानी।

रोहित यादव के पीछे बीए थर्ड ईयर की यही टीम है, जिसने सेंट स्टीफेंस कॉलेज के तमाम स्टूडेंट के जेहन को बदला। तभी तो 21 अगस्त को सेंट स्टीफेंस के ओपेन कोर्ट के नाम से होने वाली प्रेसीडेंशियल स्पीच में जब 22 साल के सांवले रंग और दरम्याने कद के इस  लड़के ने एक हज़ार स्टूडेंटस के सामने हिंदी में कहा कि मेरा एजेंडा वहीं है, जो आप की ज़रूरत है.. तो तालियों की गड़गड़ाहट देर तक गूंजती रही। खुद वैभव मानते हैं कि रोहित के खिलाफ लड़ रहे कुछ लोगों ने उसके हिन्दी बोलने और गरीब परिवार को मुद्दा बनाया। लेकिन उसके काम को देखते हुए कॉलेज ने इस बदलाव की बयार के साथ बहना मंजूर किया। खुद श्रेया सिन्हा कहती हैं कि कॉलेज के प्रिंसीपल थंपू सर ने भी रोहित का आत्म विश्वास बढ़ाया।

रोहित कुमार यादव जैसे छात्र का अध्यक्ष बनना ये भरोसा भी दिलाता है कि नई पीढ़ी जात−पात, अमीरी गरीबी के फर्क को फेंक कर समानता के आधार पर तरक्की करने की हिमायती है।

सोमवार, 18 अगस्त 2014

योगी श्रीकृष्ण के चरित्र में विरोधाभास क्यों


कृष्ण को संपूर्ण अवतार माना जाता है, लेकिन फिर भी उनके जीवन से जुड़े कई ऐसे सवाल हैं, जिन्हें लेकर मन में अक्सर दुविधा रहती है। आइए जानें ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब : 

सवाल : वैसे तो भगवान कृष्ण धर्म की बात करते हैं लेकिन महाभारत के युद्ध में उन्होंने खुद छल और अधर्म का इस्तेमाल क्यों किया? 

जवाब : महाभारत के युद्ध को केवल दो राज्यों या राजाओं का युद्ध न होकर अच्छाई और बुराई का युद्ध कहा जा सकता है। कौरवों ने इस युद्ध से बहुत पहले ही अधर्म और छल-कपट से पांडवों को खत्म करने की साजिश शुरू कर दी थी, चाहे वह भीम को जहर खिलाकर पानी में डुबोने की कोशिश हो या लाक्षागृह को आग लगाकर पांडवों को मारने का षडयंत्र। जब इससे भी बात न बनी तो उन्होंने जुए का ऐसा खेल रचा जो पांडवों को पूरी तरह खत्म कर दे। इस अनीति और अधर्म के खात्मे के लिए कृष्ण से धर्म की अपेक्षा करना बेमायने है। भगवान कहते हैं कि जो वो कर रहे हैं, वह अधर्म है और जो हम कर रहे हैं, वह भी अधर्म है लेकिन हममें और उनमें फर्क यह है कि हम यह सब धर्म की रक्षा के लिए कर रहे हैं। धर्म की रक्षा करने की यह महान इच्छा ही हमें धर्म-अधर्म के बंधनों से मुक्त कर देती है। कृष्ण कभी नहीं कहते कि वह जो कर रहे हैं, वह सही है लेकिन वह यह जरूर कहते हैं कि वह जिस उद्देश्य से यह कर रहे हैं, वह बिल्कुल सही है। 

सवाल : कृष्ण माखन चुराते हैं और गोपियों के कपड़े उठा लेते हैं। ऐसे में उन्हें योगी कैसे कह सकते हैं? 

जवाब : यह आश्चर्य की बात है कि जो कृष्ण माखन चुराता है, गोपियों के कपड़े लेकर छुप जाता है, वह गीता का गंभीर योगी कैसे हो जाता है। यही कृष्ण के व्यक्तित्व की निजता है। यही वह विशेषता है जिससे कृष्ण हमारे इतने नज़दीक लगते हैं। कृष्ण इन विरोधों से मिलकर ही बने हैं। हमारा सारा जीवन ही विरोधों पर खड़ा है लेकिन इन विरोधों में एक लय है, एक प्रवाह है। सुख-दुख, बचपन-बुढ़ापा, रोशनी-अंधेरा, जन्म-मृत्यु ये सब विरोधी बातें हैं लेकिन एक लय में बंधे होते हैं। इसी लय में जीवन संभव होता है और इस संतुलन को साधने का संदेश देता है कृष्ण चरित्र। 

सवाल : कृष्ण ने राधा से प्रेम किया लेकिन विवाह नहीं किया? 

जवाब : कृष्ण जीवन के इस प्रसंग को लेकर तरह-तरह के तर्क और कहानियां सुनने को मिलती हैं। श्रीकृष्ण के गुरु गर्गाचार्य जी द्वारा रचित गर्ग संहिता में वर्णन मिलता है कि राधा-कृष्ण का विवाह हुआ था। आध्यात्मिक स्तर पर प्रेम की बात करने वालों के अनुसार एक विवाह न करने को लेकर यह सवाल खुद राधा ने भगवान कृष्ण से किया कि आपने मुझसे विवाह क्यों नही किया। इस पर कृष्ण बोले कि विवाह तो दो अलग-अलग मनुष्यों के बीच होता है और मैं और तुम अलग नहीं हैं। ऐसे में हमें विवाह की क्या जरूरत! तार्किकता से बात करने वाले कहते हैं कि कृष्ण से जुड़े प्रामाणिक ग्रंथों जैसे महाभारत या भागवत पुराण में राधा के नाम का उल्लेख ही नहीं मिलता और राधा नाम के चरित्र को भक्तिकाल में ही ज्यादा विस्तार मिला। राधा-कृष्ण की भक्ति की शुरुआत निम्बार्क संप्रदाय, वल्लभ-संप्रदाय, राधावल्लभ संप्रदाय, सखीभाव संप्रदाय आदि ने की। 

कृष्ण भोग, कृष्ण त्याग, कृष्ण तत्व ज्ञान है


कृष्ण उठत कृष्ण चलत कृष्ण शाम भोर है, 
कृष्ण बुद्धि कृष्ण चित्त कृष्ण मन विभोर है।

कृष्ण रात्रि कृष्ण दिवस कृष्ण स्वप्न शयन है, 
कृष्ण काल कृष्ण कला कृष्ण मास अयन है।

कृष्ण शब्द कृष्ण अर्थ कृष्ण ही परमार्थ है, 
कृष्ण कर्म कृष्ण भाग्य कृष्णहि पुरुषार्थ है।

कृष्ण स्नेह कृष्ण राग कृष्णहि अनुराग है, 
कृष्ण कली कृष्ण कुसुम कृष्ण ही पराग है।

कृष्ण भोग कृष्ण त्याग कृष्ण तत्व ज्ञान है, 
कृष्ण भक्ति कृष्ण प्रेम कृष्णहि विज्ञान है।

कृष्ण स्वर्ग कृष्ण मोक्ष कृष्ण परम साध्य है,
कृष्ण जीव कृष्ण ब्रह्म कृष्णहि आराध्य है।

जय श्री कृष्ण....!!

!! कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ !!

(  सन्देश के रूप में  प्राप्त श्रीकृष्ण-काव्य आप सभी के साथ साभार शेयर कर रहा हूँ. इसके स्रोत या रचयिता का नाम पता हो तो जरूर बताइयेगा )


शुक्रवार, 1 अगस्त 2014

निदेशक डाक सेवाएं कृष्ण कुमार यादव को सेवा में पदोन्नति

इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं कृष्ण कुमार यादव को भारत सरकार ने सेलेक्शन ग्रेड में पदोन्नत किया है। भारतीय डाक सेवा के 2001 बैच के अधिकारी कृष्ण कुमार यादव वर्तमान में जूनियर एडमिनिस्ट्रेटिव ग्रेड में थे और अब उन्हें भारत सरकार ने पे बैंड-4 में नान फंक्शनल सेलेक्शन ग्रेड (वेतनमान-रू 37,400-67,000, ग्रेड पे-8700) में पदोन्नत किया है।  कृष्ण कुमार यादव सहित उनके बैच के सभी 9 अधिकारियों को यह पदोन्नति 1 जनवरी 2014 से दी गयी है। 

कृष्ण कुमार यादव भारतीय डाक सेवा के लोकप्रिय अधिकारियों में गिने जाते हैं। उन्होंने भारतीय डाक सेवाओं को आम जन में और ज्यादा उपयोगी बनाने के लिए सतत् प्रयास किए हैं। उनका विभिन्न विषयों पर साहित्य लेखन बहुत सशक्त है, जिसके लिए उनको कई प्रतिष्ठित सम्मान भी मिले हैं। उन्होंने अपने मूल कार्य क्षेत्र में भी हिंदी के उपयोग और विकास में बेहतर योगदान दिया है। कृष्ण कुमार यादव के पिताश्री श्रीराम शिवमूर्ति यादव भी हिंदी साहित्य के क्षेत्र में एक नाम हैं।  इनकी पत्नी श्रीमती आकांक्षा यादव जहाँ  हिंदी साहित्य, लेखन और ब्लागिंग में बखूबी सक्रिय हैं, वहीँ  इनकी पुत्री अक्षिता (पाखी) भी एक नवोदित ब्लागर है। कृष्ण कुमार यादव की कार्यप्रणाली में उच्चकोटि की रचनात्मकता और व्यवहार कुशलता देखने को मिलती है।



मंगलवार, 29 जुलाई 2014

अभावों के बीच पूनम यादव ने कॉमनवेल्थ गेम्स में जीता कांस्य


मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है।
पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।।

ये पंक्तियां एकदम सही बैठती हैं वाराणसी की 19 वर्षीया पूनम यादव पर। अभावों के बीच पली-बढ़ी पूनम यादव ने स्कॉटलैंड के ग्लासगो में हो रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में देश का झंडा ऊंचा किया हैं। उन्होंने भारोत्तोलन में महिलाओं के 63 किग्रा वर्ग में कुल 202 किग्रा का भार उठाकर कांस्य पदक जीता है। भारत का 20वें राष्ट्रमंडल खेलों की इस प्रतियोगिता में सातवां पदक है। उन्हें नाईजीरियाई खिलाड़ी ओबियोमा ओकोली और ओलेयुवाटोयिन अदेसनमी सेे कड़ी टक्कर मिली। दोनों एथलीटों ने  पांच किलो अधिक का वजन उठाया और क्रमश: स्वर्ण और रजत पदक अपने नाम किया।

 पूनम के सपनों को पूरा करने के लिए गरीब परिवार ने भी अपना  सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। गरीब पिता ने अपनी आमदनी का साधन दोनों भैंसें तक बेच दी और पूनम की दोनों बहनों ने पूनम की जिंदगी में ये दिन देखने के लिए अपनी महत्वाकांक्षाओं को त्याग दिया। पूनम के पिता कैलाश यादव  बेटी की इस जीत से काफी उत्साहित हैं। वह बताते हैं कि 2011 में जब पूनम ने खेलना शुरू किया था तो  धीरे-धीरे वह जिला, मंडल, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर बेहतरीन प्रदर्शन करने लगी। उन्होंने बताया कि कॉमनवेल्थ की तैयारी में आर्थिक परेशानियां भी सामने आने लगीं। पूनम के खेल और उसके डाइट के लिए दो भैसों को बेच दिया गया। परिवार ने भूखे रहकर पूनम को मौका दिया। छोटा सा खेत है, उसी से किसी तरह परिवार का गुजारा होता है। साथ ही, पूनम को सारी सुविधाएं देने की कोशिश जाती हैं। 

कहते हैं आगे बढ़िए तो रास्ते  स्वमेव खुलते जाते हैं। गरीबी और लाचारी से जूझ रहे परिवार की मदद एक साल पहले एक स्थानीय नेता सतीश फौजी ने की थी। उन्होंने बताया कि पूनम के पिता से उनकी मुलाकात एक संत के यहां हुई थी। उनके घर की परेशानी सुनकर उन्हें काफी तकलीफ हुई। ऐसे में उनकी बेटी की सारी जिम्मेदारियां उन्होंने खुद पर ले ली। उन्होंने बताया कि थाईलैंड एशियाड में सिलेक्शन के पहले उसकी डाइट पर हर महीने 25,000 रुपए खर्च होते थे। ऐसे में उन्होंने उसे अपनी बेटी मानकर उसकी सारी जरूरतें पूरी की। वह चाहते हैं कि वह देश के लिए मेडल जीते। साथ ही, अपने परिवार का नाम रोशन करे।

बड़ी बहन किरण यादव ने बताया कि पहले जब घर में भैंसे थी, तो पूनम ही उनकी देखभाल किया करती थी। हालांकि, गरीबी के चलते भैंस भी बिक गए। उम्मीद है कि घरवालों की मेहनत और कुर्बानी रंग लाएगी। उनकी बहन देश के लिए मेडल जरूर जीतेगी। वहीं, चाचा गुलाब यादव बताते हैं कि उसके पिता ने कभी हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने बेटी के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया। दोनों भाई भी भगवान से बहन की जीत की कामना करते रहते थे।  

पूनम का प्रोफाइल

1. नाम: पूनम यादव
2. गांव: क्राइस्ट नगर
3. पिता: कैलाश यादव (किसान)
4. पढ़ाई: बीए, थर्ड ईयर (परीक्षा छूट गई)
5. भाई-बहन: चार बहनें दो भाई
बड़ी बहन किरण यादव, शशिलता यादव, शशि, पूनम, पूजा। छोटे भाई आशुतोष यादव और अभिषेक यादव (नेशनल  हॉकी प्लेयर)
6. कैटगरी: वजन 63 Kg महिला वर्ग
7. मेडल: एशियाड 2014 में सिल्वर मेडल, सीनियर नेशनल 2014 में सिल्वर मेडल

वाकई सोना तप कर ही खरा होता है।  पूनम की इस होनहार उपलब्धि पर हम सभी को गर्व है !!

- राम शिव मूर्ति यादव @ यदुकुल : www.yadukul.blogspot.com/
https://www.facebook.com/ramshivmurti.yadav





वाकई सोना तप कर ही खरा होता है।  पूनम की इस होनहार उपलब्धि पर हम सभी को गर्व है !!