शनिवार, 22 नवंबर 2014

मुलायम सिंह यादव : 75 साल, 75 बातें


मुलायम सिंह यादव 22 नवंबर, 2014 को जीवन के  75 साल पूरे कर चुके हैं। इन 75 सालों  उन्होंने पहलवानी से
लेकर राजनीति में खूब दांव चले और तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार में रक्षा मंत्री जैसा ओहदा संभाला। अपने परिवार की तीन पीढ़ियों को उन्होंने अपने सामने राजनीति में पल्ल्वित-पुष्पित किया, यद्यपि इसको लेकर उन्हें आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा। पर इन सबके बावजूद उनका सफर अनवरत जारी है। मुलायम सिंह  पर अब तक 28 किताबें लिखी गईं हैं। सभी में कुछ न कुछ नया तथ्य शामिल किया गया है। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन पर उनके जीवन से जुड़ी 75 रोचक बातें।


1. मुलायम सिंह यादव अपने परिवार में तीसरे नंबर के बेटे थे। जब वह पैदा हुए थे तो गांव के ही पंड़ित ने कहा था, यह लड़का पढ़ेगा और कुल का नाम रोशन करेगा। पंड़ित की बात सुनकर उनके पिता सुघर सिंह ने उन्हें पढ़ाने की ठान ली थी।

2 गांव के प्रधान महेंद्र सिंह इकलौते थोड़े बहुत पढ़े लिखे व्यक्ति थे। मुलायम सिंह यादव के पिता सुघर सिंह ने उनसे पढ़ाने की मिन्नतें की।  सुघर सिंह, मुलायम का पढ़ाई के प्रति जज्बा देख कर तैयार हो गए। उन्होंने मुलायम को पढ़ाना शुरू कर दिया। महेंद्र सिंह दिन भर गांव का काम निपटाते और रात में चौपाल पर मुलायम को पढ़ाते। 

3 मुलायम को पढ़ते देख अन्य परिवारों ने भी अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेजना शुरू किया। बच्चों की रूचि को देखकर महेंद्र सिंह ने गांव वालों के साथ मिलकर एक झोपड़ी का इंतजाम किया जहां सिर्फ बच्चों के जमीन में बैठने का इंतजाम था। 

4 उस स्कूल के पहले मास्टर सुजान ठाकुर हुए। सुजान ठाकुर ने बच्चों को बुलाकर उनसे सवाल जवाब किए और कुछ बच्चों को सीधे तीसरी कक्षा में दाखिला दिया। इसमें मुलायम सिंह यादव भी शामिल थे। 

5 मुलायम के पिता सुघर सिंह उन्हें बड़ा पहलवान बनाना चाहते थे। यही वजह थी कि उन्होंने पहलवानी भी सीखी और मुलायम का मनपसंद दांव था चरखा दांव।

6. अखिलेश का जैसे निक नेम है टीपू। मुलायम का इस तरह का कोई नाम नहीं है। बचपन में भी लोग उन्हें मुलायम पहलवान के नाम से बुलाते थे। 

7. मुलायम शुरू से ही जाति व्यवस्था में विश्वास नहीं करते थे। एक वाकया है, तीसरी कक्षा में एक उच्च जाति का लड़का एक जाटव छात्र को पीट रहा था। मुलायम ने ना सिर्फ मदद मांग रहे उस लड़के की मदद की, बल्कि पीटने वाले लड़के की पिटाई भी की थी। 

8. मुलायम के पसंदीदा खेल गुल्ली-डंडा, खो-खो, कबड्डी और कुश्ती थे।

9. मुलायम 15 वर्ष की उम्र में राजनीति से जुड़े और लोहिया के आंदोलन में भाग लिया। लोहिया आंदोलन से जुड़ने के बाद वह गांव-गांव जाया करते थे। इसी वजह से वह बगल के गांव में पहुंचे। जहां नीची जाति के लोग रहते थे। अपने साथियों के साथ पहुंचे मुलायम सिंह ने उनका आतिथ्य भी स्वीकार किया जोकि उस ज़माने में घ्रणित माना जाता था। नीची जाति का आतिथ्य स्वीकार करने की वजह से मुलायम को सैफई गांव में पंचायत में हाजिर होना पड़ा था, लेकिन मुलायम ही वह शख्सियत हैं, जो किसी भी दबाव में झुके नहीं। उनसे जब कहा गया कि या तो अब नीची जाति के लोगों से मिलना छोड़ दो या जुर्माना दो, तो उन्होंने कहा जुर्माना दूंगा।

10. मुलायम सिंह यादव का बाल विवाह हुआ था। जोकि उनके चाचा ने कराया था। जबकि वह विरोध में थे। बाद में उन्होंने बाल विवाह, दहेज, मृत्यु भोज और जातिप्रथा जैसी व्यवस्थाओं के खिलाफ अभियान भी चलाया था। 

11. मुलायम सिंह यादव पहला चुनाव छात्रसंघ का लड़े थे और जीते भी थे। उस समय उनके विरोध में खड़े लोग अमीर लोग थे। तब उन्होंने अपने संसाधन से फल-फूल खरीदे और अपने मित्र शिवराज सिंह यादव को दिए। तब उन्होंने यह फल लोगों तक पहुंचाए और लोगों को मुलायम के विचारों को बताया।

12. नत्थू सिंह मुलायम के राजनीतिक गुरु माने जाते हैं। मुलायम के करीबी बताते हैं कि मुलायम को राजनीति में लाने वाले नत्थू सिंह ही हैं। मुलायम की पहलवानी देखने आए वर्तमान समय के विधायक नत्थू सिंह उनके दाव पेंच से काफी खुश हुए। अखाड़े में जीते मुलायम को उन्होंने गले लगाया और कहा तुम बहुत आगे जाओगे। 

13. वर्ष 1966 में इटावा में सभा को संबोधित करने आए डॉ. राम मनोहर लोहिया पहले भी मुलायम का नाम सुन चुके थे। मुलायम की सक्रियता देख कर ही, उन्होंने मुलायम से मिलने की इच्छा जताई थी। 

14.पहली बार मुलायम सिंह यादव जब चुनाव लड़े, तो उनके खिलाफ कांग्रेस के लाखन सिंह यादव लड़े थे। विरोधी उनको नौसिखिया कह कर उनका मजाक उड़ाते थे, लेकिन जमीन से जुड़े मुलायम ने उन्हें झटका देते हुए विधायकी जीती थी। 

15.आपातकाल जब लगा था तो उसके दूसरे दिन ही मुलायम को मलेपूरा गांव से गिरफ्तार किया गया था। काफी भारी संख्या में फोर्स ने गांव को घेरकर यह करवाई की थी। जनता ने जब विरोध किया तो मुलायम ने सबको चुप करवा दिया था और गिरफ्तार हो गए थे। मुलायम गिरफ्तार होने के बाद 19 महीने इटावा जेल में रहे थे।


16.मुलायम की बढ़ती लोकप्रियता से परेशान होकर विरोधियों ने उन पर हमला भी करवाया था। 1984 में मैनपुरी के करहल ब्लाक के कुर्रा थाने के तहत महीखेडा गांव के बाहर उन पर लौटते वक्त हमला हो गया था। दरअसल मुलायम गांव में एक शादी में शामिल होने गए थे। तब हमलावरों ने उन पर झाड़ियों में छिपकर गोलियों से हमला कर दिया था। मुलायम ने चालाकी बरतते हुए सुरक्षाकर्मियों से कहा कि जोर जोर से चिल्लाओ नेताजी मार दिए गए। सुरक्षाकर्मियों ने वैसा ही किया और हमलावर उनकी बात सुनकर आश्वस्त होकर भाग गए। इस हमले में मुलायम के साथ चल रहे एक कार्यकर्ता की मौत हो गयी थी, जबकि एक अन्य घायल हो गया था। 

17.चौधरी चरण सिंह ने मुलायम से प्रभावित होकर जालौन में एक सभा के दौरान उन्हें अपना बेटा बताया था और बस्ती में सभा के दौरान उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। चौधरी चरण सिंह की मृत्यु के बाद उनकी समाधि राजघाट के बगल में बनाने पर मुलायम अड़ गए थे। काफी जद्दोजहद के बाद उन्हें सफलता मिली थी।

18.1989 में जब मुलायम को राज्य का मुख्यमंत्री बनाने की बात हुई, तो कई लोगों ने विरोध किया, लेकिन 15 जनवरी 1989 को कानपुर में इकठ्ठा हुई दो लाख की भीड़ ने सबकी बोलती बंद कर दी। यही नहीं, पूरे राज्य से इकठ्ठा किया गया 51 लाख रुपए की थैली भी उन्हें पकड़ाई गई।

19.मुलायम को कमजोर करने के उद्देश्य से मुलायम के करीबी दर्शन सिंह यादव को विरोधियों ने तोड़ लिया इटावा में जिला परिषद के चुनाव को लेकर दर्शन सिंह और मुलायम में ठन गई थी। मुलायम ने राम गोपाल का नाम फाइनल किया, तो दर्शन सिंह विरोध में उतर आए और कांग्रेस की ओर से जसवंत नगर क्षेत्र में चुनाव लड़ा।

20.मुलायम पर एक बार फिर हमला हुआ था। चुनाव अभियान के तहत क्रांति रथ से चल रहे मुलायम पर हैवरा के पास एक मिल से काफी गोलियां चली। सड़क पर बम भी रखे गए थे। इस हमले में मुलायम क्रांति रथ के ड्राइवर हेतराम की चालाकी से बाल बाल बचे थे जबकि शिवपाल यादव इस हमले में जख्मी हो गए थे।

21. रामजन्म भूमि और बाबरी मस्जिद प्रकरण सुलझाने के लिए जो समिति बनायी गयी थी। उसमे मधु दंडवते, जार्ज फर्नांडिस और मुलायम सिंह थे। बाद में विरोध के चलते मुलायम को हटाकर मुख्तार अनीस को समिति में जगह दे दी गई। मुलायम से वीपी सिंह ने न तो समिति के बारे में शामिल करने के लिए पूछा था न ही बाहर करने के लिए।

22. मुलायम जब जैन इंटर कॉलेज में पढ़ा करते थे, तब एक बार कवि सम्मेलन हुआ था। जब कवि ने सरकार विरोधी कविता पढ़नी शुरू की तो वहां मौजूद पुलिस अफसर ने विरोध किया तो मुलायम तपाक से मंच पर चढ़े और उसे पटकनी मार दी। 

23.मुलायम ने शुरूआती दौर में पढ़ाया भी है। तब के समय में शिक्षक को आदर से देखा जाता था। इसी सोच के तहत उन्होंने शिक्षक का पेशा चुना। इसके लिए उन्होंने बीटीसी की ट्रेनिंग भी ली थी। मुलायम सिंह सन 1989 से पहले मैनपुरी के करहल कस्बे में स्थित जैन इंटर कॉलेज में पढ़ाते थे। अब वह रिटायरमेंट ले चुके हैं। शिक्षक रहते हुए मुलायम ने सहकारी आंदोलन चलाया था। इसकी वजह से उनके भाई शिवपाल यादव का राजनीति में आने का रास्ता खुला था। 

24.शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद ने जब दोबारा रामजन्म भूमि पर शिलान्यास करने का फैसला किया तो लाख विरोध के बावजूद मुलायम ने 30 अप्रैल 1990 को शंकराचार्य को गिरफ्तार कर लिया।

25.राजनीति में व्यस्त मुलायम ने हमेशा पढ़ाई को वरीयता दी। उन्होंने राजनीतिक जीवन से समय निकाल कर आगरा यूनिवर्सिटी से राजनीतिक शास्त्र की डिग्री ली। 

26.मुलायम के करीबी दोस्त थे शिवराज सिंह यादव और गरीब दास।

27. मुलायम सिंह का परिवार देश का सबसे बड़ा राजनीतिक कुनबा है। इस सबसे बड़े राजनीतिक कुनबे से कुल 13 लोग क्रमश: मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, डिंपल यादव, शिवपाल यादव, राम गोपाल यादव, अंशुल यादव, प्रेमलता यादव, अरविंद यादव, तेज प्रताप सिंह यादव, सरला यादव, अंकुर यादव, धर्मेंद्र यादव और अक्षय यादव राजनीतिक धरातल पर जोर-आजमाइश कर रहे हैं। 

28.पांच भाइयों में तीसरे नंबर के मुलायम सिंह के दो विवाह हुए हैं, पहली मालती देवी, रही हैं, जिनके निधन के पश्चात उन्होंने सुमन गुप्ता से विवाह किया। अखिलेश यादव मालती देवी के पुत्र हैं, जबकि मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक यादव को उनकी दूसरी पत्नी सुमन ने जन्म दिया है।

29.संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर पहली बार जसवंत नगर क्षेत्र से 28 वर्ष की आयु में मुलायम 1967 में विधानसभा सदस्य चुने गए। इसके बाद तो वे 1974, 77, 1985, 89, 1991, 93, 96 और 2004 और 2007 में बतौर विधान सभा सदस्य चुने गए। इस बीच वे 1982 से 1985 तक यूपी विधान परिषद के सदस्य और नेता विरोधी दल रहे। पहली बार 1977-78 में राम नरेश यादव और बनारसी दास के मुख्यमंत्रित्व काल में सहकारिता एवं पशुपालन मंत्री बनाए गए। इसके बाद से ही वे करीबी लोगों के बीच मंत्रीजी के नाम से जाने लगे।

 30. दो नवंबर 1990 को अयोध्या में बेकाबू हो गए कारसेवकों पर यूपी पुलिस को गोली चलने का आदेश देकर मुलायम विवादों में आ गए थे, इस फायरिंग में कई कारसेवक मारे गए थे।

31.मुलायम के करीबी बताते हैं कि मुलायम की राजनीति की शुरुआत भी सहकारी बैंकों से हुई थी। करीब चालीस साल पहले बलरई कस्बे में सहकारी बैंक की शाखा खुली जिसमे मुलायम सिंह यादव भी चुनाव लड़ने के लिए खड़े हुए और आसपास के क्षेत्रों के मास्टर जो सहकारी समिति के सदस्य थे उनके वोट से वह जीते थे।

32.लोहिया के 'नहर रेट आंदोलन' में मुलायम ने भाग लिया और पहली बार जेल गए। 

33.मुलायम को 1977-78 में जब पहली बार मंत्री बनाया गया, तो उन्होंने एक क्रान्तिकारी कदम उठाया था, जिससे न केवल प्रदेश को फायदा हुआ बल्कि कहने तो समाजवादी पार्टी में आज के परिवारवाद की नींव भी उसी समय पड़ी। बतौर उत्तर प्रदेश के सहकारिता एवं पशुपालन मंत्री मुलायम सिंह यादव ने पहले किसानों को एक लाख क्विंटल और उसके दूसरे साल 2160 लाख क्विंटल बीज बंटवाए। उनके इसी कार्यकाल में उत्तर प्रदेश में डेयरी का उत्पादन बढ़ा। 

34.मुलायम के सिर पर वर्ष 1992 में एक और सेहरा बंधा जब उन्होंने पांच नवंबर 1992 को लखनऊ में समाजवादी पार्टी की स्थापना की गई। भारत के राजनैतिक इतिहास में यह एक महत्वपूर्ण अध्याय था, क्योंकि लगभग डेढ़-दो दशकों से हाशिये पर जा चुके समाजवादी आंदोलन को मुलायम ने पुनर्जीवित किया था। 

35.इसके अगले वर्ष ही 1993 में हुए विधान सभा चुनावों में समाजवादी पार्टी का गठबंधन बीएसपी से हुआ। हालांकि इस गठजोड़ को पूर्ण बहुमत नहीं मिला, लेकिन जनता दल और कांग्रेस के समर्थन के साथ उन्होंने दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 

36. मुलायम सिंह यादव सपा के अध्यक्ष होने के पहले उत्तर प्रदेश लोकदल और उत्तर प्रदेश जनता दल के अध्यक्ष भी रहे हैं। 

37. मशहूर पत्रकार स्वर्गीय आलोक तोमर ने अपने संस्मरण में लगभग 42 वर्ष पुरानी घटना का जिक्र करते हुए एक जगह लिखा है, "उन दिनों बलरई में सहकारी बैंक खुली। ये चालीस साल पुरानी बात है। मास्टर मुलायम सिंह चुनाव में खड़े हुए और इलाके के बहुत सारे अध्यापकों और छात्रों के माता पिताओं को पांच पांच रुपए में सदस्य बना कर चुनाव भी जीत गए। 

38. मुलायम सिंह यादव कब किससे नाराज हो जाएं और कब किसको समर्थन दे बैठे, शायद उन्हें भी इसका अंदाजा नहीं रहता। मुलायम ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए पहले ममता बनर्जी के साथ जाने का एलान किया फिर पलट गए और कांग्रेस प्रत्याशी प्रणब मुखर्जी के नाम पर मुहर लगा दी। इसके बावजूद उन्होंने मतदान के समय पीए संगम के नाम के आगे मुहर लगा दी। 

39. मुलायम सिंह तीन बार यूपी की कमान बतौर सीएम संभल चुके हैं।

40. मुलायम सिंह यादव पर उनके कुछेक राजनैतिक मित्रों ने धोखा देने का आरोप भी लगाया।  जिसमे अजित सिंह, चंद्रशेखर, वामपंथी, ममता बनर्जी और यूपीए सरकार भी शामिल है। बदलती राजनीतिक परिस्थितियों के चलते मुलायम सिंह यादव ने कुछ ऐसे राजनीतिक दांव चले जो दोस्तों के लिए घातक  साबित हुए।

41.मुलायम सिंह यादव की पत्नी मालती  देवी को अखिलेश यादव के रूप में 16 साल बाद पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी।

42. 1967 में 28 साल के मुलायम सिंह यादव सबसे कम उम्र के विधायक बनके विधानसभा पहुंचे थे। यही से उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत हुई थी।

43.बाद में मुलायम सिंह यादव के विरोधी बने सैफई गांव के दर्शन सिंह ने मुलायम के पुत्र का नाम टीपू रखा था। दर्शन सिंह तर्क देते हैं कि उस ज़माने में या तो महापुरुषों के नाम पर नामकरण किया जाता था या फिर देवी देवताओं के नाम पर।

44.मुलायम सिंह यादव की इच्छा पर ही यूपी सरकार इटावा लायन सफारी को विकसित कर रही है।

45.जाति व्यवस्था को तोड़ते हुए मुलायम सिंह यादव और राजनारायण दलितों को लेकर काशी  विश्वनाथ मंदिर में घुसे थे

46.मुलायम सिंह यादव की तरह अखिलेश यादव ने भी कुछ दिनों तक सैफई गांव में पढ़ाई की है।

47.मुलायम सिंह यादव के बेटे 'टीपू' का दूसरा नाम उनके पारिवारिक दोस्त एडवोकेट एसएन तिवारी ने अखिलेश रखवाया था। एसएन तिवारी ने ही इटावा में अखिलेश का मुलायम के कहने पर सेंट मैरी स्कूल में एडमिशन करवाया था।

48.मुलायम सिंह यादव की पहली पत्नी मालती देवी अक्सर बीमार रहती थीं। हालांकि उनका बेहतरीन इलाज करवाया गया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ था।

49.अखिलेश के जन्म के समय तक मुलायम सिंह यादव इटावा से निकल कर लखनऊ में एक किराए के मकान में रह कर राजनीति करते थे।

50.मुलायम की पहली पत्नी मालती देवी की मौत 25 मई 2003 को हुई थी।

51.मुलायम सिंह यादव ने करनाल के जैन इंटर कॉलेज से इंटरमीडियट की पढ़ाई पूरी की। बाद में केके कॉलेज से पढ़े।

52.यूपी के फिरोजाबाद जिले के बीटी डिग्री यानि शिक्षण में स्नातक की डिग्री हासिल करने मुलायम सिंह यादव शिकोहाबाद कॉलेज गए। उनके मन में शिक्षक बनने की इच्छा थी।

53.शिक्षक बन कर मुलायम ने जैन इंटर कॉलेज में ही बच्चों को पढ़ाने पहुंचे। यहां से मुलायम ने इंटर पास किया था।

54.मुलायम सिंह यादव ने अपने छोटे भाई शिवपाल यादव को जैन इंटर कॉलेज में बतौर शिक्षक पढ़ाया है।

55.मुलायम सिंह यादव ने विधायक बनने के बाद एमए किया। वह घंटी बजने के बाद परीक्षा हाल में पहुंचते थे और घंटी बजने से पहले पेपर ख़त्म कर चले जाते थे। ताकि उत्साही छात्रों की भीड़ से बच सके।

56.मुलायम सिंह यादव के साथ साथ उनके पांचों भाई और चचेरे भाई रामगोपाल यादव भी कुश्ती लड़ते थे।

57.मुलायम सिंह यादव जब से शिक्षक बने तब से उन्होंने अखाड़े में उतरना बंद कर दिया था। हालांकि वह कुश्ती के आयोजन करवाया करते थे।

58.मुलायम सिंह यादव का बड़ा राजनीतिक कुनबा होने के बावजूद उनके एक भाई अभय राम आज भी सादगी भरा जीवन सैफई में रहकर जीते हैं। आज भी वह खेतों में काम करते दिखेंगे। इसी तरह उनके भाई रतन सिंह भी किसानी में रमे थे, लेकिन उनकी हाल ही में मृत्यु हो गई।

59.जब मुलायम सिंह यादव जेल में थे तो उन्होंने अपने छोटे भाई शिवपाल यादव को अपना संदेशवाहक बनाया था। तब शिवपाल पढ़ाई करते थे और साथ साथ मुलायम के दिए सन्देश उनके समर्थकों को पहुंचाते थे।

60.38 साल की उम्र में मुलायम सिंह यादव पहली बार कैबिनेट मंत्री बने थे और 38 साल की उम्र में उनके बेटे अखिलेश यादव पहली बार यूपी के सीएम बने हैं।


61.मुलायम सिंह यादव की ससुराल रायपुरा में है।

62.पत्नी मालती देवी की मृत्यु के बाद मुलायम सिंह यादव ने साधना गुप्ता से शादी की थी। यह बहुत ही सादे समारोह की तरह ही था कुछ चुनिन्दा लोग पहुंचे थे। कहा जाता है कि इस शादी को अमर सिंह ने कानूनी जामा पहनाया था।

63.यह शादी तब सार्वजनिक हुई थी, जब मुलायम सिंह यादव ने सुप्रीम कोर्ट में एक एफिडेविट दाखिल किया था। सुप्रीम कोर्ट में मुलायम के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला चल रहा था।

64.साधना गुप्ता से भी मुलायम को एक बेटा है प्रतीक यादव।

65.मुलायम सिंह यादव के बड़े बेटे अखिलेश यादव की शादी डिम्पल यादव से 1999 में हुई थी। उनके तीन  बच्चे हैं

66.जबकि उनके दूसरे बेटे प्रतीक यादव की शादी अपर्णा यादव से 2011 में हुई है।

67.अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायम सिंह की दूसरी शादी का कभी विरोध नहीं किया है।

68.एक तथ्य यह भी है कि मुलायम के साथ जिन्होंने राजनीति शुरू की थी वह तो अब इस दुनिया में नहीं है या फिर किसी अन्य पार्टी में चले गए हैं। उनकी कमी आज भी मुलायम को खलती है।

69.मुलायम सिंह यादव के बड़े भाई रतन सिंह शुरूआती पढ़ाई के बाद सेना में भर्ती हो गए थे। उन्होंने 1962 और 1965 में चीन और पाकिस्तान से लड़ाइयां लड़ी थीं। गंभीर दुर्घटना के बाद उन्होंने फौज छोड़ दी थी।

70.मुलायम सिंह यादव के दोनों किसान भाई मुलायम के सीएम पद के शपथ ग्रहण में शामिल नहीं हुए और ना ही अखिलेश के शपथ ग्रहण में शामिल हुए हैं।


71.मुलायम के परिवार में बच्चों के निक नेम खूब है जैसे टीपू, बिल्लू, तेजू, सिल्लू, टिल्लू। धर्मियां, दीपू, छोटू और बब्बू है।

72.यादव परिवार में ज्यादातर बच्चों के नाम अ वर्णमाला से शुरू होते हैं।

73.ख़ास बात इनमें से ज्यादातर बच्चों की डेट ऑफ़ बर्थ जून या जुलाई के महीनों की है। ऐसा नहीं है कि यह सभी जून जुलाई में पैदा हुए हैं बल्कि इन्ही महीनों में स्कूलों में दाखिला होता है।

74.मुलायम सिंह यादव के चचेरे भाई रामगोपाल यादव के बेटे बिल्लू की मौत उसकी शादी के चालीस दिन बाद ही हो गई थी। तब बिल्लू की पत्नी का अकेलापन देख कर यादव परिवार ने उसकी शादी बिल्लू के चचेरे भाई अनुराग से करवा दी जोकि संसद धर्मेंद्र यादव के भाई हैं।

75.मुलायम सिंह यादव परिवार से राजनीति में प्रवेश करने वाली पहली महिला उनके भाई राजपाल सिंह यादव की पत्नी प्रेमलता यादव हैं। इनके बाद यादव परिवार की कई महिलाओं ने राजनीति में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। अखिलेश की पत्नी डिम्पल सांसद हैं।

मुलायम सिंह यादव हुए 75 साल के, प्रधानमंत्री मोदी ने भी दी बधाई

सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने जीवन के 75वें बसंत को भी पार कर लिया।  रामपुर में मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन को शाही अंदाज में मनाया जा रहा है। सपा प्रमुख ने खासकर लंदन से लाई गई विक्टोरियाई बग्घी से सीआरपीएफ कैम्प से मौलाना मुहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय स्थित आयोजन स्थल तक 14 किलोमीटर का सफर तय किया।  सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने जौहर विश्वविद्यालय में मध्यरात्रि के समय 75 फुट लंबा केक काटकर अपना 75 वां जन्मदिन मनाया. इस मौके पर राज्य के मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव, मंत्री आजम खान, सहित पार्टी के नेता, सांसद और विधायक मौजूद थे.

समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के  75 साल के होने पर यूपी के कैबिनेट मंत्री आजम खान के गृहनगर रामपुर में शुक्रवार को उनका जन्मदिन बेहद शाही अंदाज में मनाया गया। रात में आयोजित कार्यक्रम में मशहूर सूफी गायक हंसराज हंस और कव्वाली गायक साबरी ब्रदर्स ने प्रस्तुति दी।  पंडाल में रात 12 बजे मुलायम सिंह यादव ने 75 फीट लंबा केक काटा। इस मौके पर मुलायम ने रामपुर को मेडिकल कॉलेज का तोहफा दि‍या। सीएम अखिलेश यादव ने भी रामपुर के लिए कई योजनाओं की घोषणा की।

कार्यक्रम स्थल को सजाने के लिए 400 किलो फूलों का इस्तेमाल किया गया। कार्यक्रम के लाइव टेलिकास्ट का इंतजाम भी किया गया था। इसके लिए जौहर यूनिवर्सिटी कैंपस (जहां कार्यक्रम हुआ) के अलावा शहर में कई जगहों पर एलसीडी स्क्रीन लगवाई गई थी। मेहमानों की सुरक्षा में 15 सौ पुलिस वाले तैनात किए गए थे। बताया जा रहा है कि मेहमानों के लिए खास तरह के व्यंजनों का इंतजाम किया गया था। इसके लिए लखनऊ और दिल्ली से कारीगर बुलाए गए थे। आजम के नजदीकी सूत्रों के मुताबिक, वैसे तो कई व्यंजन तैयार किए गए, लेकिन लखनऊ के कबाब और बिरयानी का विशेष इंतजाम था। इसके अलावा, मेहमानों को केसरिया दूध भी परोसा गया।

 शुक्रवार दोपहर बाद मुलायम सिंह यादव अपने बेटे और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ विक्टोरियन स्टाइल की बग्घी पर बैठकर समारोह स्थल पहुंचे। मुलायम के साथ बग्घी में उनके बेटे अखिलेश, भाई शिवपाल यादव के अलावा आजम खान और विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय सवार थे। बग्घी के पीछे 50 कारों का काफिला था, जिनमें उत्तर प्रदेश सरकार के 40 मंत्री सवार थे। इस काफिले ने करीब 14 किलोमीटर की दूरी तय की।
मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवम्बर 1939 को इटावा जिले के सैफई गांव में मूर्ती देवी और सुघर सिंह के किसान परिवार में हुआ था। पिता सुघर सिंह उन्हें पहलवान बनाना चाहते थे, लेकिन पहलवानी में अपने राजनीतिक गुरू नत्थूसिंह को मैनपुरी में आयोजित एक कुश्ती प्रतियोगिता में प्रभावित करने के बाद उन्होंने नत्थूसिंह के परम्परागत विधान सभा क्षेत्र जसवन्त नगर से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया।

राजनीति में आने से पहले मुलायम सिंह आगरा विश्वविद्यालय से एमए और जैन इंटर कॉलेज मैनपुरी से बीटी की। इसके बाद कुछ दिनों तक इंटर कॉलेज में पढ़ाया भी। एक कवि सम्मेलन में उस समय के विख्यात कवि दामोदर स्वरूप विद्रोही ने अपनी चर्चित रचना दिल्ली की गद्दी सावधान! सुनाई तो पुलिस का एक दरोगा मंच पर चढ़ आया और विद्रोही से माइक छीन लिया। उस वक्त एक लड़का बड़ी फुर्ती से वहां पहुंचा और उसने उस दरोगा को मंच पर ही उठाकर दे मारा।

विद्रोही जी ने मंच पर बैठे कवि उदय प्रताप सिंह से पूछा ये नौजवान कौन है तो पता चला कि यह मुलायम सिंह यादव है। उस समय मुलायम सिंह उस कालेज के छात्र थे और उदय प्रताप सिंह वहाँ प्राध्यापक थे। बाद में यही मुलायम सिंह यादव जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने विद्रोही जी को उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का साहित्य भूषण सम्मान प्रदान किया।

मुलायम सिंह 1967 में पहली बार विधान सभा के सदस्य चुने गये और मंत्री बने, 1992 में उन्होंने समाजवादी पार्टी बनाई। वे तीन उत्तर प्रदेश के मुख्य मन्त्री रहे। इसके अतिरिक्त वे भारत सरकार में रक्षा मन्त्री भी रह चुके हैं। मुलायम सिंह पर कई पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं। इनमें पहला नाम मुलायम सिंह यादव-चिन्तन और विचार और मुलायम सिंह-पॉलिटिकल बायोग्राफी आदी है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव को जन्मदिन की बधाई दी। अपने बधाई संदेश में मोदी ने मुलायम के लिए लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना की। मुलायम सिंह यादव 75 साल के हो गए हैं। पीएम ने ट्वीट किया, 'मुलायम सिंह यादव जी के जन्मदिन पर मैं उन्हें शुभकामना देता हूं और प्रार्थना करता हूं कि उन्हें लंबा और स्वस्थ जीवन मिले।' पीएम की बधाई पर अखिलेश ने फेसबुक और ट्विटर के माध्यम से उनका शुक्रिया अदा किया। अखिलेश ने लिखा, '@narendramodi, आपकी शुभकामनाओं के लिए शुक्रिया।'

मुलायम सिंह यादव जी को जन्मदिन पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ।  उम्र के 75वें बसंत के पड़ाव को उन्होंने पूरा कर लिया है, कामना है कि शतायु हों, स्वस्थ और सुखी हों। 



इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष बने भूपेंद्र सिंह यादव और संदीप कुमार यादव बने महामंत्री

पूरब का ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले केंद्रीय इलाहाबाद विश्वविद्यालय  के छात्र संघ अध्यक्ष चुनावों में समाजवादी छात्र सभा को बड़ी सफलता मिली है। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में शुक्रवार, 21 नवम्बर 2014  को संपन्न छात्रसंघ चुनाव में समाजवादी छात्रसभा के भूपेंद्र सिंह यादव 'टिंकू' अध्यक्ष चुने गए। उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सनत कुमार मिश्रा को 676 मतों से पराजित किया। महामंत्री पद पर समाजवादी छात्रसभा के ही संदीप कुमार यादव 'झब्बू' ने एबीवीपी के राहुल चौरसिया को 378 मतों के अंतर से पराजित किया। झब्बू को 2245 वोट मिले। उपाध्यक्ष पद पर एक साल के अंतराल के बाद एक बार फिर किसी छात्रा ने जीत दर्ज की। नीलू जायसवाल भी आइसा से मैदान में थीं और 2489 वोट पाकर निकटतम प्रतिद्वंदी अभय कुमार सिंह को 213 मतों से पराजित किया। एबीवीपी के नव दिव्य कुमार मंगलम संयुक्त मंत्री तथा एआईडीएसओ के अंकुश दुबे सांस्कृतिक सचिव निर्वाचित हुए हैं। इनके अलावा संकाय प्रतिनिधियों के परिणाम भी घोषित कर दिए गए। उम्मीद की मुताबिक सभी पदों पर बहुकोणीय मुकाबला रहा। विजयी प्रत्याशियों को रविवार सुबह 10 बजे छात्रसंघ भवन पर शपथ दिलाई जाएगी।

इसी प्रकार सीएमपी डिग्री कॉलेज में पहली बार अध्यक्ष पद पर चुनी गई छात्रा पूजा मिश्रा ने इतिहास रचते हुए अपने प्रतिद्वंदी अंगद यादव को 239 वोट से परास्त किया। पूजा को कुल 752 वोट मिले। महामंत्री पद पर विजयी अंकित सिंह यादव ने 598 वोट पाकर अभिषेक पांडेय को 114 वोट से परास्त किया। उपाध्यक्ष पद पर नीरज कुमार सोनकर, संयुक्त मंत्री पद पर मान सिंह और सांस्कृतिक सचिव के पद पर अर्पित मिश्रा निर्वाचित घोषित किए गए। विजयी प्रत्याशियों को चुनाव अधिकारी डॉ. एके श्रीवास्तव ने शपथ दिलाई।

गुरुवार, 20 नवंबर 2014

इंदिरा मैराथन प्राइजमनी दौड़ में लालजी यादव बने विजेता


इलाहाबाद। इंदिरा गांधी जयंती पर प्रतिवर्ष इलाहाबाद में आयोजित होने वाली इंदिरा मैराथन को जीतना हर धावक का सपना होता है।  इस बार 19 नवम्बर 2014 को आयोजित 30वीं इंदिरा मैराथन प्राइजमनी दौड़ में  गाजीपुर निवासी सेना के  धावक लालजी यादव (चेस्ट नंबर 1352) ने अपने ही साथियों को पीछे छोड़ते हुए पुरुष वर्ग का खिताब अपने नाम कर लिया।  सेना के ही इंद्रजीत यादव (महाराज में बासपार नकहा के निवासी (चेस्ट नंबर 1343)) और सुनील कुमार ने क्रमश: दूसरा एवं तीसरा स्थान हासिल किया।

देश की प्रतिष्ठित मैराथन दौड़ों में शामिल इंदिरा मैराथन का आगाज बुधवार प्रात: 6.30 बजे आनंद भवन से हुआ। गौरतलब है कि  19 नवंबर को भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गाधी जी का जन्मदिन है। इंदिरा जी के नाम पर इलाहाबाद में हर वर्ष  मैराथन आयोजित किया जाता है। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और कमला नेहरू की बेटी इंदिरा गाधी के बचपन का नाम इंदिरा प्रियदर्शनी था। 19 नवंबर 1917 को यूपी के इलाहाबाद में उनका जन्म हुआ था। उनके घर का नाम 'इंदू' था वे अपने माता पिता की इकलौती संतान थीं। इंदिरा प्रियदर्शिनी का जन्म ऐसे परिवार में हुआ था जो आर्थिक और बौद्धिक दोनों रूप से काफी संपन्न था। इंदिरा का नाम उनके दादा मोतीलाल नेहरु ने रखा था। इंदिरा को पंडित नेहरु उन्हें प्रियदर्शिनी के नाम से पुकारते थे।

मंगलवार, 18 नवंबर 2014

युवा साहित्यकार कृष्ण कुमार यादव को मिलेगा ’दुष्यंत कुमार सम्मान’

प्रसिद्ध साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था ’आगमन’ ने लोकप्रिय युवा लेखक व साहित्यकार एवं इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव को इस वर्ष के ’दुष्यंत कुमार सम्मान-2014’ के लिए चयनित किया है। उक्त सम्मान श्री यादव को 23 नवम्बर को नोएडा में आयोजित आगमन वार्षिक सम्मान समारोह में प्रदान किया जायेगा। उक्त जानकारी संस्था के संस्थापक श्री पवन जैन ने दी।

गौरतलब है कि सरकारी सेवा में उच्च पदस्थ अधिकारी होने के साथ-साथ साहित्य, लेखन और ब्लाॅगिंग के क्षेत्र में भी चर्चित श्री यादव की अब तक कुल 7 पुस्तकें 'अभिलाषा' (काव्य-संग्रह, 2005) 'अभिव्यक्तियों के बहाने' व 'अनुभूतियाँ और विमर्श' (निबंध-संग्रह, 2006 व 2007), India Post : 150 glorious years  (2006), 'क्रांति-यज्ञ : 1857-1947 की गाथा' (संपादित, 2007), ’जंगल में क्रिकेट’ (बाल-गीत संग्रह-2012) एवं ’16 आने 16 लोग’(निबंध-संग्रह, 2014) प्रकाशित हो चुकी हैं। उनके व्यक्तित्व-कृतित्व पर एक पुस्तक ‘‘बढ़ते चरण शिखर की ओर: कृष्ण कुमार यादव‘‘ (सं0 डाॅ0 दुर्गाचरण मिश्र, 2009, आलोक प्रकाशन, इलाहाबाद) भी प्रकाशित हो चुकी  है। श्री यादव देश-विदेश से प्रकाशित तमाम पत्र पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर भी प्रमुखता से प्रकाशित होते रहते हैं।

 कृष्ण कुमार यादव को इससे पूर्व उ.प्र. के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव द्वारा ’’अवध सम्मान’’, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री केशरी नाथ त्रिपाठी द्वारा ’’साहित्य सम्मान’’, छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री शेखर दत्त द्वारा ”विज्ञान परिषद शताब्दी सम्मान”, परिकल्पना समूह द्वारा ’’दशक के श्रेष्ठ हिन्दी ब्लाॅगर दम्पति’’ सम्मान, विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर, बिहार द्वारा डाॅक्टरेट (विद्यावाचस्पति) की मानद उपाधि, भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा ‘’डाॅ0 अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान‘‘, साहित्य मंडल, श्रीनाथद्वारा, राजस्थान द्वारा ”हिंदी भाषा भूषण”, वैदिक क्रांति परिषद, देहरादून द्वारा ‘’श्रीमती सरस्वती सिंहजी सम्मान‘’, भारतीय बाल कल्याण संस्थान द्वारा ‘‘प्यारे मोहन स्मृति सम्मान‘‘, ग्वालियर साहित्य एवं कला परिषद द्वारा ”महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला‘ सम्मान”, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद द्वारा ‘‘भारती रत्न‘‘, अखिल भारतीय साहित्यकार अभिनन्दन समिति मथुरा द्वारा ‘‘महाकवि शेक्सपियर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान‘‘, भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ द्वारा ’’पं0 बाल कृष्ण पाण्डेय पत्रकारिता सम्मान’’, सहित विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता और प्रशासन के साथ-साथ सतत् साहित्य सृजनशीलता हेतु तमाम सम्मान और मानद उपाधियाँ प्राप्त हो चुकी हैं।   

सोमवार, 10 नवंबर 2014

रामकृपाल यादव के बहाने मोदी सरकार में यदुवंशियों का प्रतिनिधित्व

किसी जमाने में हर अच्छे बुरे दौर और सुख दुख में लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी रहे और राजद प्रमुख के हनुमान कहलाने वाले रामकृपाल यादव के लिए लोकसभा चुनाव से पूर्व बगावत कर भाजपा में शामिल होना किसी वरदान से कम नहीं रहा और 9 नवम्बर, 2014 को नरेन्द्र मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद यह वरदान फलीभूत हो गया। इसी  के साथ रामकृपाल मोदी सरकार में शामिल होने वाले पहले यदुवंशी बन गए। उन्हें पेयजल पेयजल एवं स्वच्छ्ता राज्यमंत्री बनाया गया है। 

रामकृपाल यादव  ने बिहार की पाटलीपुत्र सीट से लालू यादव की बेटी मीसा भारती को हराया था। इससे पूर्व केंद्र की तो बात ही छोड़ दीजिए वह कभी राज्य में भी मंत्री नहीं बने थे लेकिन  उन्हें मोदी मंत्रिपरिषद में शामिल कर लिया गया।

केंद्रीय मंत्रिपरिषद में रामकपाल को शामिल किए जाने को भाजपा की अगले साल बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से पूर्व लालू प्रसाद के यादव वोट बैंक में सेंध लगाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। बिहार में यादव समुदाय वोटों में 12 फीसदी से अधिक की भागीदारी रखता है और यह अब तक खुद को लालू प्रसाद के साथ चिन्हित करता आया है । 

पाटलीपुत्र से राजद द्वारा टिकट से इंकार किए जाने के बाद रामकृपाल अपने गुरु से अलग हो गए थे । वह भले ही भाजपा से पहली बार सांसद बने हों लेकिन चुनावी राजनीति में वह नौसिखिए नहीं हैं। मई 2014 के आम चुनाव के जरिए उन्होंने लोकसभा में चौथी बार प्रवेश किया है । पिछले तीन चुनाव उन्होंने राजद के टिकट पर जीते थे ।   -  राम शिव मूर्ति यादव @ यदुकुल ब्लॉग : http://yadukul.blogspot.in/

सोमवार, 3 नवंबर 2014

युवा चित्रकार धीरज यादव की कृति चयनित : यंग आर्टिस्ट स्कॉलरशिप भी

इलाहाबाद के युवा चित्रकार धीरज यादव ने एक बार फिर अपना जलवा बिखेरा है। उनकी कृति 'अनटाइटिल्ड-55' को नई दिल्ली में हुई 87वीं ऑल इंडिया फाइन आर्ट ऐंड क्राफ्ट सोसाइटी में चयनित किया गया है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय दृश्य कला विभाग मास्टर ऑफ फाइन आर्ट के छात्र रहे धीरज को अनेक राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। 

 इसके अलावा इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दृश्य कला विभाग में मास्टर ऑफ फाइन आर्ट्स के छात्र रहे धीरज यादव को संस्कृति मंत्रालय की ओर से यंग आर्टिस्ट स्कॉलरशिप-2013-14 के लिए चुना गया है। स्कॉलरशिप के तहत धीरज विभागाध्यक्ष डॉ.अजय जैतली के निर्देशन में दो वर्ष तक कार्य करेंगे।

बहुत सारी शुभकामनायें और बधाइयाँ !! @ www.yadukul.blogspot.com/