‘आपका आईना‘ पत्रिका ने अभी प्रकाशन आरम्भ ही किया है, परन्तु अल्प समय में ही यह प्रभाव छोड़ने में सफल रही है। दलितों-पिछड़ों की सामाजिक, शैक्षणिक, राजनीतिक चेतना को समर्पित यह त्रैमासिक पत्रिका विभिन्न मुद्दों पर मुखरता से आवाज उठा रही है। इसका स्वर खरा और उच्छृंखल उच्च वर्गों, जातियों, मानसिकताओं के वर्चस्व से नकारात्मक रूप से गहरे प्रभावित वंचितों के पक्ष में है। 90 के दशक के बाद सामाजिक न्याय की लड़ाई में ऐसे तमाम पत्रिकाओं की भूमिका महत्वूपर्ण हो जाती है। पत्रिका के मुख पृष्ठ पर अंकित महात्मा बुद्ध का सूत्रवाक्य ‘अप्प दीपो भव‘ शायद दलितों-पिछड़ों को किसी पर अवलम्बित रहने की बजाय स्वयं का प्रकाश बनने की सीख देता है। डाॅ0 राम आशीष सिंह की सम्पादकीय ‘शूद्र उवाच‘ काफी तीक्ष्ण होती है, पर यह उस तीक्ष्णता के आगे कुछ भी नहीं है जिसे दलितों-पिछड़ों ने एक लम्बे समय तक सहा है। पत्रिका में प्रकाशित रचनायें जहाँ विचारोत्तेजक हैं, वहीं तमाम महापुरूषों-व्यक्तित्व पर प्रकाशित लेख पत्रिका को सुदृढ़ता देते हैं। निश्चिततः आज का भारतीय समाज जिस रूप में हमारे सामने मौजूद है, उसमें ‘आपका आईना‘ की उपस्थिति काफी प्रासंगिक एवं समयानुकूल है।
संपर्क-डाॅ0 राम अशीष सिंह, समीक्षा प्रकाशन, मानिक चंद तालाब, अनीसाबाद, पटना-800002
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1 दिन पहले
3 टिप्पणियां:
डाॅ0 राम आशीष सिंह की सम्पादकीय ‘शूद्र उवाच‘ काफी तीक्ष्ण होती है, पर यह उस तीक्ष्णता के आगे कुछ भी नहीं है जिसे दलितों-पिछड़ों ने एक लम्बे समय तक सहा है।....Nice Review.
Bahut sundar patrika.
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